18वीं लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी की अगुवाई में एनडीए गठबंधन की सरकार बन गई है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 240 सीटें जीती हैं। लेकिन चूंकि उसे अपने दम पर बहुमत नहीं मिल पाया, इसलिए उसने यूनाइटेड जनता दल (जेडीयू) और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की मदद से सरकार बनाई। ऐसे में इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में उन पर इन दोनों सहयोगी दलों का जबरदस्त दबाव रहने वाला है। दरअसल जेडीयू बिहार और टीडीपी आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए दबाव बना सकती है। दरअसल, आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग एक दशक से भी ज्यादा समय से चल रही है। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के घोषणापत्र में भी आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने का वादा किया गया था। इस कारण से बीजेपी के लिए इस मांग को पूरा करना और भी जरूरी है लेकिन मौजूदा हालात में सिर्फ एक वजह से बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा मिलना दूर की कौड़ी साबित हो सकता है।
वर्तमान में ‘विशेष दर्जा’ सांवैधानिक है भी या नहीं?
वर्तमान कानून के तहत राज्यों को कोई विशेष दर्जा नहीं दिया गया है। तेरहवें योजना आयोग को अगस्त 2014 में समाप्त कर दिया गया था। इसके अलावा, 14वें वित्त आयोग ने ‘विशेष और सामान्य श्रेणी’ वाले राज्यों के बीच कोई अंतर स्थापित नहीं किया है। इसके बाद सरकार ने 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही, 1 अप्रैल, 2015 से केंद्र से राज्यों को मिलने वाले कर हस्तांतरण को बढ़ा दिया गया। इसे पहले के 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया गया। एक और खंड पेश किया गया कि अगर राज्यों को संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है तो उन्हें ‘राजस्व घाटा पुरस्कार’ मिलेगा।
नए प्रावधान से कितना हुआ फायदा!
नए प्रावधान के तहत 2015-16 में राज्यों को कुल कर हस्तांतरण 5.26 लाख करोड़ रुपये था। 2014-15 में यह 3.48 लाख करोड़ रुपये था। यानी नए प्रावधान के बाद इसमें 1.78 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। मार्च 2015 तक लागू प्रावधान के अनुसार विशेष श्रेणी के राज्यों को सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए केंद्र से 90 प्रतिशत वित्तीय सहायता मिलती थी और इनमें राज्यों का योगदान केवल 10 प्रतिशत तक होता था।
मोदी सरकार के पास क्या है ऑप्शन
अगर गठबंधन सरकार इन दोनों राज्यों पर पुनर्विचार करना चाहती है तो उसे प्रस्ताव को मंजूरी के लिए 16वें वित्त आयोग या अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व वाली नीति आयोग के पास भेजना होगा। वैसे, बिहार और आंध्र प्रदेश के अलावा ओडिशा, छत्तीसगढ़ और राजस्थान भी विशेष राज्य का दर्जा मांग रहे हैं।
किन राज्यों को विशेष दर्जा दिया गया है?
भारत में फिलहाल 11 राज्यों को विशेष दर्जा दिया गया है। इनमें असम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और तेलंगाना शामिल हैं। तेलंगाना राज्य बनने के बाद राज्य को आर्थिक मदद देने के लिए यह दर्जा दिया गया था। 2015 से पहले इन्हें विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा दिया गया था।
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