राजधानी दिल्ली में 22 फरवरी से शुरू हो रहे उर्दू विरासत महोत्सव में इस बार से उर्दू रामलीला का मंचन देखने को मिलेगा. दिल्ली सरकार के सांस्कृतिक कला और भाषा विभाग ने कार्यक्रम के आयोजन की संपूर्ण तैयारियां कर ली है. उर्दू रामलीला का मंचन सुंदर नर्सरी में होगा.
उर्दू रामलीला कमेटी के आयोजकों का कहना है कि 24 फरवरी से उर्दू विरासत महोत्सव शुरू हो रहा है. दिल्ली सरकार के कला विभाग ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा है कि उर्दू रामलीला में पुरुषोत्तम राम की रावण पर विजय की पौराणिक कथाओं का नाट्य रूपांतरण के माध्यम से मंचन होगा. उर्दू रामलीला मंचन एक आदर्श भाषाई मिश्रण है, जो कि हिंदी की सुंदरता और उर्दू भाषा की परिष्कार को जोड़ती है.
दिल्ली सरकार की कला और संस्कृति विभाग और उर्दू अकादमी का उर्दू विरासत महोत्सव में अन्य प्रदर्शनों को भी दर्शाया जाएगा. जिसमे रामायण से संबंधित संस्कृति आयामों का का पता लगाने के लिए रामायण पर उर्दू के एक परिपेक्ष्य पर एक पैनल चर्चा शामिल है.
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वक्फ बोर्ड को सरकार से करोड़ों मिले
ध्यान देने वाली बात है कि इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को लगभग 101 करोड़ रुपए दिए है, एक आरटीआई के माध्यम से इस बात का खुलासा हुआ. जिसमें से 62 करोड़ रुपए के आसपास पिछले एक साल में दिए गए हैं. इससे पूर्व में 2019-20 में 22 करोड़ 22 लाख जबकि 2018-19 में 8 करोड़ 85 लाख रुपए दिए थे.
आरटीआई कार्यकर्ता अजय बोस द्वारा प्राप्त जानकारी के मुताबिक केजरीवाल सरकार ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को 1.25 करोड़ रुपए दिए धीरे धीरे यह राशि बढ़कर 5 करोड़ हो गई. हालांकि वर्ष 2020-21में कोरोना के दौरान सरकार ने किसी भी तरह की राशि नही दी थी.
मस्जिद के इमामों की तनख्वाह
इसके अलावा दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा राजधानी में स्थित पंजीकृत 185 मस्जिदों के 255 इमामों को 18 हजार रुपए प्रतिमाह जबकि मुआवजिनो को 14 हजार रुपए मासिक आय दी जाती है. इसके साथ ही दिल्ली वक्फ बोर्ड में बगैर पंजीकृत मस्जिदों के इमामों को 14000 रुपए मासिक और मुआवजीनो को 12000 रुपए प्रतिमाह तनख्वाह दी जाती है. दिल्ली वक्फ बोर्ड को दिल्ली सरकार द्वारा पैसा दिया जाता है.
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