Delhi Baba Balaknath Election: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ और राजस्थान में बाबा बालकनाथ समेत चार संतों के विधानसभा में पहुंचने के बाद दिल्ली में भी एक ‘योगी’ को विधानसभा भेजने की पूरी तैयारी थी। बालयोगी बाबा बालकनाथ की लोकप्रियता इतनी थी कि दिल्ली के 18 गांवों ने खुलकर उनका समर्थन करने का ऐलान कर दिया था।
हालांकि, दिल्ली विधानसभा में वह अपनी सीट नहीं जीत पाए, लेकिन उन्होंने चुनावी समीकरण जरूर बिगाड़ दिए। महरौली विधानसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उनका शानदार प्रदर्शन बीजेपी, आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियों के लिए बड़ा झटका साबित हुआ।
बालयोगी बाबा बालकनाथ ने सबको चौंकाया- Delhi Baba Balaknath Election
बालयोगी बाबा बालकनाथ ने महरौली विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। उनके समर्थकों का कहना है कि वह बीजेपी से टिकट चाहते थे, लेकिन बात नहीं बनी। इसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया।
चुनाव परिणाम ने सभी को हैरान कर दिया।
- बीजेपी के गजेंद्र सिंह यादव ने 48,349 वोटों के साथ जीत दर्ज की।
- AAP के महेंद्र चौधरी 46,567 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे।
- बालयोगी बाबा बालकनाथ 9,731 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे, कांग्रेस और बसपा जैसी पार्टियां भी उनसे पीछे रह गईं।
AAP को किया बड़ा नुकसान
बालयोगी बाबा बालकनाथ भले ही विधानसभा नहीं पहुंच सके, लेकिन उन्होंने AAP की राह में बड़ा रोड़ा अटका दिया। उन्होंने 9,731 वोट कटवाए, जबकि AAP को इस सीट पर महज 1,782 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर बालयोगी बाबा मैदान में नहीं होते, तो यह सीट AAP के खाते में जा सकती थी।
18 गांवों का समर्थन मिला
महरौली विधानसभा सीट के अंतर्गत कई गांव आते हैं। इनमें से 18 गांवों ने पंचायत कर बालयोगी बाबा बालकनाथ का समर्थन करने का फैसला किया। प्रचार के दौरान उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई। आम जनता पहले से ही AAP सरकार से नाराज थी और बाबा को एक मजबूत विकल्प के रूप में देख रही थी।
उनकी चुनावी रैलियों में अच्छी खासी भीड़ जुटी। जब वह प्रचार के लिए सड़कों पर निकलते थे, तो समर्थक उन पर फूल बरसाते थे। उन्होंने पूरे क्षेत्र में पैदल यात्राएं कीं और जनता से सीधा संपर्क बनाया।
कौन हैं बालयोगी बाबा बालकनाथ?
चुनाव आयोग को दिए गए नामांकन पत्र के मुताबिक बालयोगी बाबा बालकनाथ की उम्र 34 साल है। वह दक्षिणी दिल्ली के हौज खास स्थित कटवारिया सराय में गोरखनाथ मठ में रहते हैं।
- उन्होंने निर्दलीय के रूप में नामांकन भरा और उन्हें चुनाव चिन्ह ‘टॉर्च’ मिला।
- अपने हलफनामे में उन्होंने ₹38,000 नकद और ₹39 लाख से अधिक की संपत्ति की घोषणा की थी।
- वोटों की गिनती के दौरान कांग्रेस 16 राउंड तक तीसरे नंबर पर चल रही थी, लेकिन 17वें राउंड में बाबा ने बढ़त बना ली और तीसरे स्थान पर आ गए।
क्या भविष्य में राजनीति में रहेंगे बाबा?
भले ही इस चुनाव में बाबा बालकनाथ को जीत नहीं मिली, लेकिन उन्होंने यह साबित कर दिया कि जनता के बीच उनकी मजबूत पकड़ है। 9,731 वोट लाकर उन्होंने साफ कर दिया कि वह दिल्ली की राजनीति में एक मजबूत ताकत बन सकते हैं। अगर भविष्य में वह किसी राजनीतिक दल से जुड़ते हैं, तो उनके जीतने की संभावना और भी ज्यादा हो सकती है।