कांग्रेस में नहीं थम रही हलचल
देश भर में इस साल होने वाले सभी चुनाव खत्म हो चुके हैं। हाल ही में हुए गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों (Gujarat & Himachal Pradesh Assembly election) का और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के नगर निगम चुनाव (Delhi MCD Election) का परिणाम आया है। जहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गुजरात में अपने नाम का परचम लहराया वहीं कांग्रेस (Congress) ने हिमाचल प्रदेश में अपनी जीत दर्ज की, जबकि दिल्ली नगर निगम चुनाव में जनता ने आम आदमी पार्टी (AAP) को अपना बहुमत दिया।
कांग्रेस आलाकमान अब करेगी फैसला
सारे राज्यों में चुनाव तो थम चुके हैं लेकिन कांग्रेस खेमे में अभी भी हलचल थमने का नाम नहीं ले रही। हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री चेहरे के चयन को लेकर कांग्रेस विधायक दल बैठक में सिंगल लाइन प्रस्ताव पारित कर मामला हाईकमान को भेजने का फैसला लिया गया। राज्य में कांग्रेस खेमे की कल बैठक हुई थी लेकिन सारे विधायक एक नतीजे पर नहीं पहुंच पाएं, जिस कारण अब कांग्रेस के आलाकमान के पर यह मुद्दा भेजा गया है। अब हाईकमान तय करेगा कि हिमाचल में कांग्रेस सरकार का मुख्यमंत्री कौन होगा?
बैठक में 40 विधायक थे मौजूद
राजीव भवन शिमला में कांग्रेस पार्टी मुख्यालय में हुई विधायक दल की बैठक में यह एकमत प्रस्ताव पारित किया गया। अब विधायकों का यह प्रस्ताव कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेजा गया है। जानकारों के मुताबिक शनिवार को रिपोर्ट आलाकमान को भेज दिया गया है। बैठक में दिन भर चले हंगामे के बाद शुक्रवार रात 10:00 बजे विधायक दल की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लाग। बैठक में कुल 40 विधायक मौजूद थे जो इस पर सहमत हुए। बैठक की शुरुआत में मुख्यमंत्री के लिए विधायकों का नाम का चयन किया जा रहा था लेकिन किसी भी नाम पर सहमति बनती नहीं दिखी तो यह फैसला लिया गया।
प्रदेश कांग्रेस से कोई भी नेता दावा पेश करने में शामिल नहीं
वहीं इससे पहले प्रदेश में मुख्यमंत्री पद पर घमासान के बीच कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के समर्थकों ने शुक्रवार को राजधानी शिमला में हंगामा किया और केंद्रीय नेताओं के वाहन को भी रोक कर अपनी नाराजगी दिखाई। मीडिया ख़बरों के अनुसार बैठक से पहले हिमाचल में कांग्रेस सरकार बनाने का दावा राजभवन जाकर पेश करने वालों विधायकों में प्रदेश कांग्रेस से कोई भी नेता शामिल नहीं थे, जिस कारण मीडिया में इस पर काफी सवाल भी उठे। जानकारों का कहना है कि भूपेश बघेल, भूपेंद्र हुड्डा और राजीव शुक्ला के साथ प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और निवर्तमान नेता विपक्ष मुकेश अग्निहोत्री को भी ले जाना चाहिए था। इन्हें दिल्ली से आए नेता साथ में क्यों नहीं ले गए, इसका जवाब नहीं दिया जा रहा है।