Meira Kumar Political Career – लोकसभा चुनाव की तारीख का ऐलान हो चुका है। इस बीच सभी राजनीतिक दलों ने अपने वरिष्ठ नेताओं को चुनावी रण के लिए तैयार कर लिया है। राजनीतिक पार्टियां भी अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर रही हैं। हालांकि, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मीरा कुमार ने आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि वह 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी। मीरा कुमार के इस फैसले से कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि मीरा कुमार ने भारतीय राजनीति में क्या भूमिका निभाई है।
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राजनीति मिली विरासत में – Meira Kumar Political Career
मीरा कुमार कांग्रेस की दिग्गज पॉलीशियन्स में से एक हैं। मीरा का जन्म 31 मार्च 1945 को बिहार में एक दलित परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बिहार के महारानी गायत्री देवी स्कूल में हुई। मीरा ने इंद्रप्रस्थ और मिरांडा हाउस कॉलेज से एमए और एलएलबी की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी करने के बाद साल 1973 में उन्हें IFS की नौकरी मिली। हालांकि, राजनीति के प्रति अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए मीरा ने भारतीय विदेश सेवा में अपना करियर छोड़ दिया। दरअसल मीरा के पिता स्वर्गीय जगजीवन राम भी राजनीति से जुड़े थे, इसलिए आप कह सकते हैं कि उन्हें राजनीति विरासत में मिली है।
मीरा का राजनीतिक सफर – Meira Kumar Political Career
मीरा कुमार ने अपना राजनीतिक करियर उत्तर प्रदेश से शुरू किया। कोंग्रेस की तरफ से मीरा को अपना पहला चुनाव टिकट 1985 में उत्तर प्रदेश के बिजनौर से मिला। उन्होंने मायावती और राम विलास पासवान को हराकर अपने राजनीतिक करियर की जोरदार शुरुआत की। हालांकि, इसके बाद हुए चुनाव में वह बिजनोर से हार गईं। मीरा 11वीं और 12वीं लोकसभा चुनावों में दिल्ली के करोल बाग का प्रतिनिधित्व करते हुए संसद के लिए दौड़ीं। इससे उनकी छवि एक महान दलित नेता के रूप में बनने लगी। इसके साथ ही वह संसद तक पहुंच गईं।
मीरा कुमार का राजनीतिक करियर धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया। 1990 में उन्हें कांग्रेस कमेटी का महासचिव नियुक्त किया गया। इसके बाद, वह 1996 में संसद के लिए फिर से चुनी गईं। मीरा ने 2004 में सासाराम, बिहार से चुनाव जीता और केंद्रीय मंत्री बनीं। कांग्रेस में उनके कार्यकाल के दौरान, उन्हें सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय आवंटित किया गया था। दो चुनाव जीतने के बाद उन्होंने केन्द्रीय संसाधन मंत्रालय का कार्यभार संभाला।
देश की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष
साल 2009 में मीरा कुमार को देश की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष बनाया गया। इससे पहले, भारतीय संसद में कभी भी कोई महिला लोकसभा अध्यक्ष के रूप में नहीं चुनी गयी थी। आज तक 187 लोकतांत्रिक देशों में से केवल 32 में ही महिलाएं स्पीकर के पद पर आसीन हुई हैं। देश की पहली महिला स्पीकर होने के नाते मीरा कुमार ने काफी प्रसिद्धि हासिल की।
इसके साथ ही वह 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए की उम्मीदवार भी थीं। हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। उस दौरान रामनाथ कोविंद विजयी हुए थे और देश के राष्ट्रपति बने थे। इसके अलावा, 2019 में वह सासाराम लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार से चुनाव हार गईं।
राजनीति में वर्तमान स्थिति
Meira Kumar Political Career – कांग्रेस की दिग्गज दलित नेता मीरा कुमार लगभग 79 वर्ष की हैं और बढ़ती उम्र के कारण ही उन्होंने आगमी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है। हालांकि, राजनीतिक गलियारों में ऐसी अटकलें हैं कि मीरा कुमार के बेटे अंशुल अभिजीत सामान्य सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, पार्टी स्तर पर अभी तक इसकी घोषणा नहीं की गयी है। अंशुल सामान्य वर्ग से हैं और इसलिए सामान्य आरक्षित लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने में असमर्थ हैं।
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