उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर अक्सर ही हिन्दू मुस्लिम की राजनीति करने के आरोप लगते रहते हैं। साथ ही ये भी आरोप लगाए जाते हैं कि उनकी सरकार मुसलमानों के साथ भेदभाव करती हैं। हालांकि अब इन आरोपों को सीएम ने खुलकर बात की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उनकी सरकार ने मजहब के आधार पर कभी भेदभाव नहीं किया। उन्होंने कहा कि जो फायदे हिंदुओं को मिल रहे, वो मुसलमानों को भी दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों समुदायों को कानून व्यवस्था में सुधार का फायदा हो रहा है। अगर हिंदुओं की बेटियां सुरक्षित हुई, तो मुस्लिम बेटियां भी। मुख्यमंत्री ने ये सारी बातें एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कही।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 19 फीसदी मुस्लिम आबादी है, लेकिन कई योजनाओं में उनको 35 फीसदी मिल रहा है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमने 45 लाख आवास दिए, जिसमें 35 फीसदी मुस्लिम आबादी को आवास मिले। 2 करोड़ 61 लाख शौचालय बनवाए, 35 फीसदी का लाभ मुस्लिम समुदाय को मिला। जिन 15 करोड़ लोगों को हम राशन दे रहे हैं, उनमे 5 करोड़ मुस्लिम शामिल हैं। 9 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपए की सालाना स्वास्थ्य बीमा का आयुष्मान योजना का कवर दिया, जिसमें 3 करोड़ मुस्लिम हैं। उनके साथ कहां भेदभाव हुआ। उनकी आबादी 19 फीसदी और लाभ 35 फीसदी मिला फिर भी कहा जाएगा कि उनके साथ अन्याय साथ हो रहा है। इससे बड़ा झूठ क्या होगा।
वहीं जब सीएम योगी से सवाल किया गया कि योगी सरकार में मुस्लिम वर्ग में असुरक्षा की भावना क्यों है? तो इस पर उन्होंने कहा कि उनकी उदंडता और अराजकता को रोका गया है। जितने भी सभ्य और संभ्रात मुस्लिम समाज से जुड़े लोग हैं, वो सरकार के काम से खुश हैं। हिंदू बेटी को सुरक्षा मिली, तो मुस्लिम बेटी को भी मिली है। हिंदू व्यापारी खुश है तो मुस्लिम व्यापारी को भी सुरक्षा दी गई। हर एक को सुरक्षा की गारंटी दी गई है। सुरक्षा और शासन की योजनाओं में कोई भेदभाव नहीं हुआ।
सीएम योगी ने आगे कहा कि अगर प्रदेश में हिंदू त्योहार को शांति से मनाया जाता हैं तो मुस्लिम पर्व-त्योहार भी शांति से मनाए जा रहे हैं। यहां कर्फ्यू नहीं तो वहां भी कर्फ्यू नहीं। लेकिन यहां की सुरक्षा खतरे में पड़ेगी तो वहां की सुरक्षा भी खतरे में पड़ेगी।
वही चुनाव में बीजेपी ने किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया, इसके जवाब में सीएम योगी ने कहा कि समाजवादी पार्टी ठेका ले ले, हर सीट पर टिकट दे दे, किसने रोका है। चुनाव की केमेस्ट्री विश्वास पर आधारित होता है, लोगों के आवेदन पर आधारित होता है, जीत और हार के समीकरण पर निर्धारित होता है। ये मेरे कहने या मेरे देने से नहीं होता।