चौकीदार चोर है…कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का ये नारा भला कौन भूल सकता है? साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने इस नारे को अपने चुनाव कैंपेन का हिस्सा बनाया था। इस नारे को लेकर वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खूब घेरते नजर आए थे। राहुल ने ये नारा राफेल डील को लेकर दिया था। यही राफेल डील एक बार फिर से चर्चाओं है। दरअसल, इस बार डील को लेकर 65 करोड़ का बम फूटा है, जिसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे पर निशाना साधती हुई नजर आ रही हैं।
राफेल डील में ’65 करोड़’ का नया धमाका
दरअसल, फ्रेंच पब्लिकेशन मीडियापार्ट की एक रिपोर्ट सामने आई, राफेल डील को लेकर। इस रिपोर्ट में दावा किया गया कि इडील के लिए दसॉ एविएशन ने एक बिचौलिए को 7.5 मिलियन यूरो यानी 65 करोड़ रुपये दिए थे। इसी रिपोर्ट को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच राफेल डील को लेकर फिर से घमासान मच गया है। कांग्रेस ने इसे सबसे बड़ा रक्षा घोटाला बताया, तो वहीं बीजेपी की तरफ से भी आरोपों पर जबरदस्त पलटवार किया गया।
कांग्रेस ने ये लगाए आरोप
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि राफेल घोटाला 60 से 80 करोड़ के कमीशन का नहीं। ये सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है। बहुत जल्दी भाजपा ने इसकी डील कर ली। इतनी जल्दी कि बिना टेंडर के 526 करोड़ की डील 1600 करोड़ में तय हो गई। खेड़ा ने कहा कि इस डील में कमीशनखोरी हुई। जो घोटाला हुआ, उसकी कमीशन किसको मिली? उसकी जांच होनी चाहिए, ताकि सच पता चल जाए।
‘2007 से 2012 के बीच दी गई कमीशन’
वहीं बीजेपी की तरफ से भी इस पूरे मामले पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई, जिसमें पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस और गांधी परिवार पर निशाना साधा। पात्रा के कहा कि साल 2007 से 2012 के बीच में दसॉ एविएशन ने कथित तौर पर बिचौलिए को 65 करोड़ रुपये दिए। तब कांग्रेस की सरकार सत्ता में थी। पात्रा ने निशाना साधते हुए कहा कि राहुल और उनकी पार्टी ने इतने सालों तक राफेल डील पर भ्रम क्यों फैलाया, जब उनकी सरकार में ही ये घोटाला किया गया।
बीजेपी के प्रवक्ता ने आगे कांग्रेस पार्टी पर हमला बोलते हुए पार्टी का INC का रीनेम करते हुए I Need Commission कह दिया। वो बोले कि बिना कमीशन के ये कुछ नहीं करती। राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका वाड्रा, रॉबर्ट वाड्रा सब कमीशन लेते हैं।
जानिए उस रिपोर्ट में क्या क्या खुलासे हुए?
अब आपको फ्रेंच मैगजीन में राफेल डील को लेकर क्या और नए खुलासे किए गए है, उसके बारे में भी बता देते हैं। रविवार को फ्रांसीसी ऑनलाइन पत्रिका मीडियापार्ट ने फेक इनवॉयस पब्लिश किया, जिसमें बिचौलए 65 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का दावा किया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि दिसॉ एविशन में डील के लिए भारतीय बिचौलिए को कम से कम 65 करोड़ रुपये दिए गए, जिससे कंपनी को 36 राफेल विमानों की डील मिल जाए।
रिपोर्ट के मुताबिक दिसॉ ने ये पैसे भारतीय बिचौलिया सुशेन गुप्ता को दिए गए। साथ ही दावा ये भी किया गया कि इसकी जानकारी सीबीआई और ईडी को भी थी, लेकिन एजेंसियों ने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया। मीडियापार्ट ने खुलासा करते हुए दावा किया कि इसके लिए फर्जी बिल भी बनाए गए। ये भुगतान 2007 से 2012 में मॉरीशस में किया गया।