उत्तर प्रदेश में चुनाव को लेकर संग्राम मचा हुआ है। इन चुनावों में पल-पल बाजी पलटती दिख रही है। चुनाव से पहले दल बदलने का ट्रेंड भी जारी है। हालांकि इस दौरान कई बड़े नेता भी पाला बदलते हुए दिख रहे हैं। इस सियासी घमासान में कभी सपा तो कभी भाजपा भारी पड़ती दिख रही है।
यूपी में चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद पहले बीजेपी को एक के बाद एक कई झटके लगे। एक के बाद एक तीन मंत्रियों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया और सपा का दामन थाम लिया। जिसके बाद समाजवादी पार्टी के पक्ष में माहौल बनता हुआ दिखने लगा। लेकिन इसके बाद बीजेपी की तरफ से काउंटर अटैक किया गया।
दल बदलने की शुरूआत स्वामी प्रसाद मौर्य के पाला बदलने से हुई, जिसके बाद बीजेपी में भगदड़ मचती हुई दिखीं। योगी कैबिनेट का हिस्सा रहे स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ दो अन्य मंत्रियों समेत कई विधायकों ने समाजवादी पार्टी ज्वॉइन कर पार्टी को झटका दिया। स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान, धर्म सिंह सैनी, विनय शाक्य समेत कई मंत्रियों-विधायकों के पाला बदल लिया, जिसे बाद चुनावी माहौल सपा के पक्ष में बनने लगा था।
हालांकि इसके बाद बीजेपी भी शांत नहीं रहीं। बीजेपी इसके बाद दूसरी पार्टी के कई बड़े नेताओं में अपनी तरफ लाई और अपने नुकसान भरपाई करने की कोशिश की। पहले तो पार्टी ने अखिलेश के परिवार में ही बड़ी सेंधमारी की और मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को अपने पाले में ले आई। इसके बाद मुलायम के साढ़ू प्रमोद गुप्ता और समधी को भी बीजेपी ने अपनी पार्टी में शामिल कराया।
बीजेपी का बदला लेने का सिलसिला नहीं थमा। सपा के बाद बीजेपी ने कांग्रेस में बड़ी सेंधमारी की और पार्टी के दिग्गज नेता को अपनी तरफ ले आई। पार्टी ने पडरौना के राजा के नाम से मशहूर और मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे आरपीएन सिंह को अपनी पार्टी में शामिल कराया। जिसके बाद पार्टी एक बार फिर चुनाव में दबदबा कायम करते हुए दिखने लगी है।
भाजपा ने सपा के पक्ष में बने सियासी माहौल को खत्म करने की कोशिश की। इसके लिए उसने सपा के साथ साथ कांग्रेस, बसपा में बड़ी सेंधमारी की। पिछले कुछ दिनों में कई पार्टियों के जाने माने चेहरे बीजेपी का रूख कर चुके हैं। हालांकि इन सबका क्या असर चुनाव पर पड़ता, ये तो नतीजे आने पर ही स्पष्ट होगा।