लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आज आने वाले हैं। इसके साथ ही ओडिशा विधानसभा चुनाव के नतीजे भी आएंगे। इस राज्य में बीजेपी और एनडीए के लिए अच्छी खबर आ सकती है। पहली बार ओडिशा विधानसभा में बीजेपी की सरकार बनती दिख रही है। राज्य की 147 विधानसभा सीटों के लिए मतगणना के ताजा रुझानों के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी राज्य में सरकार बनाती दिख रही है। ओडिशा में 24 साल से सत्ता पर काबिज नवीन पटनायक सत्ता खोते दिख रहे हैं। अब तक के रुझानों में बीजेपी 147 में से 79 सीटों पर आगे चल रही है। जबकि 14 सीटें कांग्रेस के खाते में गई हैं। वहीं, अन्य को चार सीटें मिली हैं। अगर एग्जिट पोल के अनुमान नतीजों में बदलते हैं तो शायद नवीन पटनायक सरकार भी ओडिशा से बेदखल हो सकती है।
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ओडिशा में बीजेपी की बहुमत
ओडिशा सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 74 है। अगर हिसाब लगाया जाए तो ओडिशा में बीजेपी ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। करीब ढाई दशक बाद नवीन पटनायक की सरकार सत्ता से बाहर हो गई है। बीजेपी ने 74 विधानसभा सीटें जीतकर राजनीति में हलचल मचा दी है। अब बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर धर्मेंद्र प्रधान का नाम सबसे आगे चल रहा है। मतगणना के ताजा रुझान बताते हैं कि 5 मार्च 2000 को पहली बार ओडिशा के सीएम पद की शपथ लेने वाले नवीन पटनायक 24 साल बाद सीएम की कुर्सी गंवा रहे हैं।
ओडिशा में क्या बोले थे पीएम मोदी
चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी बार-बार कह रहे थे कि 10 जून को ओडिशा में बीजेपी का मुख्यमंत्री सत्ता में आएगा। अभी तक मतगणना के रुझान पीएम मोदी के दावों के मुताबिक ही हैं। ओडिशा में चुनाव प्रचार में पीएम मोदी ने एक रैली में कहा था कि ‘आप नवीन बाबू को कहीं खड़े कर दीजिए और उनको बिना कागज लिए कहिए कि आप ओडिशा के जिलों के नाम बोलिए और जिलों के कैपिटल के नाम बोलिए। जो मुख्यमंत्री अपने जिलों के नाम बोल नहीं सकते। जो मुख्यमंत्री अपने जिलों के नाम नहीं जानते, वो आपके दुख दर्द जानते होंगे क्या? क्या उनके भरोसे आप अपने बच्चों को भविष्य छोड़ सकते हैं क्या?”
पीएम मोदी ने प्रचार अभियान के दौरान कहा था कि, ‘इसलिए मैं कहता हूं, ज्यादा नहीं मुझे पांच साल मौका दीजिए। अगर मैं पांच साल में आपके ओडिशा को नंबर वन ना बना दूं न तो कहना कि मोदी क्या कहकर गया था?’
कभी एनडीए का हिस्सा थे नवीन पटनायक
आपको बता दें कि नवीन पटनायक कभी एनडीए का हिस्सा थे। लेकिन 2009 में वे एनडीए से अलग हो गए थे। इसके बाद वे ओडिशा में अपने दम पर सरकार चला रहे थे। हालांकि, इस बार चुनाव से पहले एक बार फिर चर्चा थी कि नवीन पटनायक एनडीए में शामिल हो सकते हैं, लेकिन सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बनने के कारण दोनों दलों की दोस्ती परवान नहीं चढ़ सकी।
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