भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मुकेश दलाल पिछले 12 साल में निर्विरोध लोकसभा चुनाव जीतने वाले पहले उम्मीदवार बन गए हैं। वह लोकसभा चुनाव जीतने वाले संभवत: पहले बीजेपी उम्मीदवार बन गये हैं। एक चुनाव अधिकारी ने कहा कि अन्य सभी उम्मीदवारों द्वारा अपना नामांकन वापस लेने के बाद दलाल को सोमवार को निर्विरोध चुना गया। इससे एक दिन पहले जिला निर्वाचन अधिकारी ने कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभानी के प्रस्तावकों के हस्ताक्षर में प्रथम दृष्टया गड़बड़ी पाई थी, जिसके बाद उनकी उम्मीदवारी खारिज कर दी गई थी। सूरत संसदीय क्षेत्र से जीत से पहले, अरुणाचल प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में 10 बीजेपी उम्मीदवारों को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया था।
सात चरण के लोकसभा चुनाव में यह भारतीय जनता पार्टी की पहली जीत है। 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव के बाद से, मुकेश दलाल सहित 35 उम्मीदवार ऐसे रहे हैं जिन्होंने बिना किसी चुनावी लड़ाई के संसदीय चुनाव जीता है।
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कांग्रेस ने जीते सबसे ज्यादा निर्विरोध चुनाव
समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने 2012 में कन्नौज लोकसभा सीट का उपचुनाव निर्विरोध जीता था। यह सीट उनके पति अखिलेश यादव के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाली हो गई थी। आम चुनाव में निर्विरोध जीतने वाले अन्य नेताओं में वाई.बी. चव्हाण, फारूक अब्दुल्ला, हरेकृष्ण महताब, टीटी कृष्णामाचारी, पीएम सईद और एससी जमीर के नाम शामिल हैं।
लोकसभा चुनाव में अब तक सबसे ज्यादा कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार निर्विरोध जीते हैं। अब तक सिक्किम और श्रीनगर लोकसभा सीटों पर दो बार निर्विरोध चुनाव हो चुका है।
जबकि अधिकांश उम्मीदवार आम या नियमित चुनावों में निर्विरोध जीते हैं, डिंपल यादव सहित कम से कम नौ ऐसे हैं, जो उप-चुनावों में निर्विरोध जीते हैं। 1957 के आम चुनाव में अधिकतम 7 उम्मीदवार निर्विरोध जीते। जबकि 1951 और 1967 के चुनाव में 5-5 उम्मीदवार निर्विरोध जीते। जबकि 1962 में 3 और 1977 में 2 उम्मीदवार निर्विरोध चुनाव जीते थे। इसी तरह 1971, 1980 और 1989 में एक-एक उम्मीदवार चुनाव जीते।
संविधान को खत्म करना चाहती है बीजेपी: राहुल गांधी
मुकेश दलाल के निर्विरोध सांसद चुने जाने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी पर लोकतंत्र को खतरे में डालने का आरोप लगाया। उन्होंने अपनी एक पोस्ट में लिखा, ‘तानाशाह की असली सूरत एक बार फिर देश के सामने है। जनता से अपना नेता चुनने का अधिकार छीन लेना बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को खत्म करने की तरफ बढ़ाया एक और कदम है। मैं एक बार फिर कह रहा हूं- यह सिर्फ सरकार बनाने का चुनाव नहीं है, यह देश को बचाने का चुनाव है, संविधान की रक्षा का चुनाव है।’
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