लोकसभा चुनाव और ओडिशा में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी गलियारों में चर्चाएं हैं कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजेडी) फिर से बीजेपी के साथ रिश्ते मजबूत कर सकती है। हालांकि, किसी भी पार्टी की तरफ से अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन दोनों पार्टियों के नेताओं ने फिर से गठबंधन के संकेत दिए हैं।
खबरों की मानें तो बीजडी के दो नेता, वीके पांडियन और प्रणब प्रकाश दास कथित तौर पर वरिष्ठ भाजपा नेताओं से मिलने के लिए एक विशेष चार्टर उड़ान से गुरुवार को दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। ऐसे में आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी और बीजेडी के बीच ओडिशा में गठबंधन होना लगभग तय है। जानकारी के मुताबिक एक हफ्ते पहले ही बीजेपी और बीजेडी के बड़े नेताओं में गठबंधन को लेकर बातचीत हो चुकी है।
बीजेपी और बीजेडी का पहला गठबंधन कैसा रह था?
बीजेपी और बीजेडी ने 1998 में एक साथ अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था। बीजेपी ने 12 में से नौ सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी ने नौ में से सात सीटें जीतीं। उन्हें कुल मिलाकर 48.7% वोट मिले। बीजेडी का वोट शेयर 27.5% था, जबकि बीजेपी का 21.2% था। 16 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली जनता दल खाता भी नहीं खोल पाई और उसका वोट शेयर घटकर 4.9% रह गया। अटल बिहार वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा सरकार केंद्र में सत्ता में आई, लेकिन थोड़े समय तक ही टिक सकी। बीजद-बीजेपी की सफलता की कहानी 2004 के लोकसभा चुनावों में भी जारी रही थी।
दोनों पार्टी में दरार क्यों आयी?
अगस्त 2008 में, विश्व हिंदू परिषद के नेता लक्ष्मणानंद सरस्वती, जिन्होंने ईसाई धर्म में कथित धर्मांतरण के खिलाफ अभियान का नेतृत्व करने का दावा किया था, की कंधमाल जिले में हत्या कर दी गई। इसके बाद हुई सामुदायिक अशांति के परिणामस्वरूप 38 मौतें हुईं। इसके बाद, बीजेडी ने 11 साल की राजनीतिक साझेदारी के बाद 2009 में सीट-बंटवारे की वार्ता विफल होने के कारण बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को छोड़ दिया।
क्या बीजेपी-बीजेडी का गठबंधन अब काम आयेगा?
विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के वोट शेयर में अनुमानित वृद्धि के बावजूद, बीजेपी-बीजेडी गठबंधन ओडिशा में सभी 21 लोकसभा सीटें जीतने की क्षमता रखता है। चूँकि वर्तमान ओडिशा विधान सभा का कार्यकाल 2 जून, 2024 को समाप्त होने वाला है, इसलिए ओडिशा विधान सभा चुनाव जून 2024 में या उससे पहले होने वाले हैं। हालाँकि, भारत के चुनाव आयोग ने अभी तक विशिष्ट तारीखों की घोषणा नहीं की है। ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव आयोग मार्च के दूसरे हफ्ते के आखिर में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है।
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