BJP and AIADMK Alliance: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके पुराने सहयोगी अन्नाद्रमुक (AIADMK) के बीच गठबंधन की अटकलों पर आखिरकार विराम लग गया है और औपचारिक रूप से इस गठबंधन की घोषणा कर दी गई है। शुक्रवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के तमिलनाडु दौरे के दौरान यह साफ हो गया कि दोनों दल एक बार फिर से एकजुट होने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। अमित शाह का यह दौरा ऐसे समय में हुआ जब बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलने वाला था, और यह भी तय हो गया था कि अन्नामलाई की जगह नैनार नागेंद्रन प्रदेश बीजेपी के नए अध्यक्ष बनेंगे।
गठबंधन की राह में अन्नामलाई की भूमिका- BJP and AIADMK Alliance
बीजेपी और AIADMK के बीच गठबंधन की राह में सबसे बड़ी बाधा पूर्व आईपीएस अधिकारी अन्नामलाई को माना जाता था। अन्नामलाई के नेतृत्व में बीजेपी ने एआईएडीएमके के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, जिससे दोनों दलों के रिश्ते में खटास आ गई थी। यही वजह थी कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन टूट गया था। हालांकि, अन्नामलाई के करिश्माई नेतृत्व का बीजेपी को वोट शेयर के रूप में फायदा भी हुआ, लेकिन यह सीटों में तब्दील नहीं हो सका।
अन्नामलाई के संकेत और नए नेतृत्व की पहल
अन्नामलाई खुद भी यह संकेत दे चुके थे कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कोई खास दिलचस्पी नहीं है और वे एक सामान्य कार्यकर्ता की तरह काम करना चाहते हैं। यही कारण है कि दिसंबर 2023 में विदेश से लौटने के बाद अन्नामलाई ने अपनी बातों को नरम किया, जिससे यह संभावना बनी कि दोनों दल फिर से गठबंधन की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।
नए प्रदेश अध्यक्ष नैनार नागेंद्रन
अन्नामलाई के स्थान पर अब नैनार नागेंद्रन को बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चुना गया है। नागेंद्रन ने एकमात्र नामांकन डाला था, और वे प्रदेश विधानसभा में पार्टी के सदन के नेता भी हैं। सूत्रों का कहना है कि अन्नामलाई की जगह नागेंद्रन को कमान सौंपने के पीछे राज्य के जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश भी है। नागेंद्रन तिरुनेलवेली के एक प्रमुख थेवर नेता हैं, और उन्हें केंद्रीय नेतृत्व का समर्थन प्राप्त है।
जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों की अहमियत
बीजेपी के अंदर के सूत्रों के अनुसार, अन्नामलाई की जगह नागेंद्रन को लाने का निर्णय राज्य के जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। अन्नामलाई और पूर्व मुख्यमंत्री पलानीस्वामी दोनों ही गौंडर समाज से आते हैं, जिनका पश्चिमी कोंगु इलाके में प्रभाव है। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी अब नए समीकरणों के तहत गठबंधन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है।
लोकसभा और विधानसभा चुनावों में गठबंधन की स्थिति
2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में बीजेपी और एआईएडीएमके गठबंधन का कुल वोट शेयर 36% के आसपास था, जबकि विरोधी DMK का वोट शेयर 37.7% था। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी अकेले 11.38% वोट शेयर प्राप्त कर सकी, लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिली। वहीं, AIADMK भी 20.66% वोट प्राप्त करने के बावजूद खाली हाथ रहा। इन आंकड़ों से यह साफ है कि गठबंधन की अहमियत बढ़ गई है, और दोनों दलों के एकजुट होने से आगामी चुनावों में फायदा हो सकता है।
बीजेपी और AIADMK के बीच गठबंधन का यह पुनर्निर्माण तमिलनाडु की राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे से यह संकेत मिलता है कि दोनों दल एकजुट होकर आगामी चुनावों में मजबूती से उतरने के लिए तैयार हैं। दोनों दलों का एक साथ आना न केवल उनके राजनीतिक हितों को मजबूती देगा, बल्कि यह राज्य के जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को भी बेहतर तरीके से सुलझाने का एक प्रयास हो सकता है। ऐसे में आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में इस गठबंधन का बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।