बिहार के बेगूसराय जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष और भूमिहार जनजाति के जाने-माने नेता रतन सिंह का बुधवार की सुबह निधन हो गया। बेगूसराय जिले के बरौनी प्रखंड क्षेत्र के तिलरथ निवासी रतन सिंह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। बुधवार की सुबह छह बजे उठने के कुछ देर बाद ही उन्हें बेचैनी महसूस हुई। परिजनों ने उन्हें आनन-फानन में अस्पताल पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने उनकी मौत की पुष्टि कर दी। बुधवार की सुबह रतन सिंह के निधन की खबर मिलते ही जिले और राज्य भर से लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंच रहे हैं। आइए आपको रतन सिंह और उनके राजनीतिक सफर के बारे में बताते हैं।
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बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया है। गिरिराज सिंह ने कहा है कि सामाजिक सरोकारों में अग्रणी, बेगूसराय जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष रतन सिंह का असामयिक निधन अत्यंत दुखद है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
रतन सिंह का राजनीतिक सफर
रतन सिंह न सिर्फ जिला परिषद और भूमिहार समाज के सम्मानित नेता थे, बल्कि हुई जलावर सेवा समिति और बिहार टैंकर एसोसिएशन के अध्यक्ष भी थे। रतन सिंह के दामाद रजनीश कुमार, जो राजद से जुड़े थे, उन्हें एमएलसी और भाजपा का राष्ट्रीय मंत्री भी बनाया गया था। उस समय के लोकप्रिय नेता रतन सिंह को वर्ष 2000 में क्षेत्र से निष्कासित कर दिया गया था। लेकिन वर्ष 2001 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में वे मजबूती से उभरे और जिला परिषद चुनाव जीतने के बाद रतन सिंह ने राजद और भाजपा से जुड़े जिला परिषद सदस्यों का समर्थन जुटाकर सीपीआई उम्मीदवार के खिलाफ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा और जिला परिषद अध्यक्ष बन गए। उन्होंने 2001 से 2006 तक जिला परिषद के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। 2006 में जिला परिषद अध्यक्ष का पद महिलाओं के लिए आवंटित होने के बाद, उन्होंने अपनी पत्नी वीणा देवी को राजनीति में शामिल किया और वीणा देवी ने 2006 से 2011 तक जिला परिषद की अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
डॉन अशोक सम्राट के दाहिने हाथ रहे रतन सिंह
रतन सिंह भी अन्य बाहुबली नेताओं की तरह कई मामलों में फंसे रहे और उन पर कई ऐसे आरोप लगे जिन्हें राजनीति में आने से पहले अदालत में साबित नहीं किया जा सका। 1990 में अशोक सम्राट बिहार का सबसे ताकतवर डॉन था। रतन सिंह अशोक सम्राट का दाहिना हाथ हुआ करते थे। अशोक सम्राट किसी भी बड़ी परियोजना को रतन सिंह से सलाह लेने के बाद ही अंजाम देता था। अशोक सम्राट के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद रतन सिंह राजनीति में आ गए।
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