लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से आरएसएस लगातार भाजपा को नसीहत दे रहा है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर के साथ मिलकर काम करने, अहंकार न करने, संसद में विपक्ष को विरोधी न समझने जैसी नसीहतें दी थीं। इसके बाद भाजपा के साथ सत्ता सुख भोग रही शिवसेना सुप्रीमो एकनाथ शिंदे ने कहा था कि 400 प्लस के नारे के कारण न सिर्फ भाजपा बहुमत के आंकड़े से चूक गई बल्कि हमें नुकसान भी उठाना पड़ा। अब आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने भाजपा और मोदी पर निशाना साधा है। गुरुवार को जयपुर पहुंचे आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने भगवान राम का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान राम ने लोकसभा चुनाव में सबके साथ न्याय किया। उन्होंने कहा कि राम भक्ति के अहंकार ने भाजपा को बहुमत हासिल करने से रोक दिया।
और पढ़ें: बाहुबली नेता रतन सिंह का निधन, डॉन अशोक सम्राट के माने जाते थे दाहिना हाथ
वे अहंकारी हो गए, इसलिए राम ने उन्हें बहुमत नहीं दिया: इंद्रेश
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के बाद आरएसएस के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने भी लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है। जयपुर में इंद्रेश कुमार ने कहा, ”जो लोग राम की पूजा करते थे लेकिन अहंकारी हो गए, राम ने उन्हें सबसे ज्यादा सीटें दीं लेकिन बहुमत नहीं दिया। जिन्होंने राम का विरोध किया, वे सब मिलकर भी सरकार नहीं बना पाए।” हालांकि बाद में पत्रकारों के सवाल को टालते हुए उन्होंने कहा कि यह फैसला इसलिए आया ताकि सबसे बड़ी पार्टी अहंकारी न हो जाए।
अयोध्या में बीजेपी की हार पर आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि लल्लू सिंह ने लोगों पर अत्याचार किया था। इसीलिए राम जी ने उन्हें पांच साल आराम करने को कहा था। राम भेदभाव नहीं करते। राम सबको न्याय देते हैं। वे हमेशा ऐसा करते रहेंगे।
क्या बोले थे जेपी नड्डा?
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के कई कारण बताए जा रहे हैं। हालांकि, कई लोगों का मानना है कि बीजेपी के बहुमत के आंकड़े तक न पहुंच पाने का सबसे बड़ा कारण बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा का वो बयान हो सकता है जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी को अब आरएसएस के सहारे की जरूरत नहीं है। संघ की संस्कृति और काम करने का तरीका अलग है। संघ प्रमुख के पद पर जो भी रहा है, उसके फैसले और बयान बहुत विवेकपूर्ण रहे हैं।
क्या बोले थे संघ प्रमुख?
जेपी नड्डा के इस बयान के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी बयान दिया जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। नागपुर में RSS के कार्यकर्ता विकास वर्ग कार्यक्रम का 10 जून को समापन दिवस था। वहां पर उन्होंने कहा था- ‘जो अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए मर्यादा की सीमाओं का पालन करता है, अपने काम पर गर्व करता है, अहंकार से रहित होता है, ऐसा व्यक्ति ही वास्तव में सेवक कहलाने का हकदार है। काम करें, लेकिन मैंने किया ये अहंकार न पालें। जब चुनाव होता है तो मुकाबला जरूरी होता है। इस दौरान दूसरों को पीछे धकेलना भी होता है, लेकिन इसकी एक सीमा होती है। यह मुकाबला झूठ पर आधारित नहीं होना चाहिए। मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है। बीते 10 साल से राज्य में शांति थी, लेकिन अचानक से वहां गन कल्चर बढ़ गया। जरूरी है कि इस समस्या को प्राथमिकता से सुलझाया जाए।’
और पढ़ें: क्या है CCS, जिससे जुड़कर मोदी के ये चार मंत्री बन रहे हैं सबसे ताकतवर?