दिल्ली शराब घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गिरफ्तार हो गए हैं। बीते दिन गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने करीब 2 घंटे की पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया। रात में ही सुप्रीम कोर्ट में ईडी की इस कार्रवाई के विरोध में याचिका डाली गई थी और आज फर्स्ट हाफ में इस मामले पर सुनवाई भी होने वाली थी लेकिन सुनवाई से ठीक पहले केजरीवाल ने अपनी याचिका वापस ले ली। हालांकि, ईडी ने उन्हें पीएमएलए कोर्ट में पेश किया है और 10 दिनों की रिमांड मांग रही है।
ईडी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अरविंद केजरीवाल ही दिल्ली शराब घोटाले के किंगपिन हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद पूरे देश में आप के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं और उनकी गिरफ्तारी का राजनीतिक साजिश बताया जा रहा है। केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली सरकार को लेकर भी कई तरह के सवाल उठते दिख रहे हैं. गिरफ्तारी के बाद अब दिल्ली कौन चलाएगा, इसे लेकर भी कई तरह के सस्पेंस हैं लेकिन क्या गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल जेल से सरकार चला सकते हैं? इसे लेकर कानून क्या कहता है, आइए जानते हैं।
आतिशी मार्लेना का बयान
केजरीवाल की गिरफ्तारी को लेकर दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी मार्लेना ने कहा कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री थे, हैं और रहेंगे। आतिशी ने कहा, ‘हम पहले भी कह चुके हैं कि अगर जरूरत पड़ी तो केजरीवाल जेल से सरकार चलाएंगे। वो जेल से सरकार चला सकते हैं और कोई नियम उन्हें ऐसा करने से नहीं रोक सकता। वो दोषी नहीं ठहराए गए हैं, इसलिए वो दिल्ली के मुख्यमंत्री रहेंगे।’
क्या कहता है कानून
कानूनी विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय कहते हैं कि ‘अगर कोई मंत्री या मुख्यमंत्री किसी मामले में गिरफ्तार हो जाता है और जेल चला जाता है, तो भी उस पर इस्तीफा देने की बाध्यता नहीं है। पिछले साल मैंने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी कि जो मंत्री जेल जाता है उसे उसके पद से वंचित कर दिया जाना चाहिए, तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जन प्रतिनिधित्व कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो मंत्री पद से इस्तीफा अनिवार्य बनाता हो।’ लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, अयोग्यता प्रावधानों की रूपरेखा देता है, पद से हटाने के लिए दोषसिद्धि आवश्यक है। मौजूदा सीएम के लिए इस्तीफा ही एक नैतिक विकल्प हो सकता है।
जेल से सरकार कैसे चलाएंगे?
मुख्यमंत्री कुछ अनुमतियों के साथ जेल से शासन कर सकते हैं, जैसे कैबिनेट बैठकें आयोजित करना और जेल मैनुअल के अनुसार अदालत की मंजूरी के साथ फाइलों पर हस्ताक्षर करना आदि। हालांकि, केजरीवाल के लिए जेल में रहते हुए दिल्ली सरकार चलाना आसान नहीं होगा। व्यवहारिक रूप से देखा जाए तो इसमें कई कठिनाइयां आएंगी। केजरीवाल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कैबिनेट मीटिंग जरूर कर सकते हैं, लेकिन इसमें जेल प्रशासन की अहम भूमिका है। अगर प्रशासन अनुमति नहीं देगा तो मीटिंग करना संभव नहीं होगा।
इस स्थिति में देना पड़ सकता है इस्तीफा
इसके अलावा उपराज्यपाल अनुच्छेद 239 AB के तहत राष्ट्रपति शासन के लिए ‘संवैधानिक मशीनरी की विफलता’ को उचित ठहरा सकते हैं। जिसके चलते संभावित तौर पर केजरीवाल को इस्तीफा देना पड़ सकता है और केंद्र सरकार को दिल्ली की कमान अपने हाथ में लेने के निर्देश दिए जा सकते हैं।
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