खरगे को मिला 7, 897 वोट, जबकि थरूर लटके 1,072 वोट पर
24 साल बाद कांग्रेस को मल्लिकार्जुन खरगे के रूप में पहला गैर गांधी कांग्रेस अध्यक्ष मिल गया है। खरगे का कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चयन लंबी जद्दोजहद, उठापटक के बाद हुआ। 80 वर्षीय खरगे ने अपने विपक्षी उम्मीदवार शशि थरूर को बड़े अंतर से कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में पराजित किया है। वैसे तो चुनाव से पहले ही यह माना जा रहा था कि खरगे आसानी से चुनाव जीत जाएंगे। खरगे को गांधी परिवार का पूरा समर्थन मिला हुआ था और अब बहुमत भी मिल गया। खरगे को 7, 897 वोट मिले जबकि थरूर को महज 1,072 वोट ही मिले। 416 वोट अमान्य करार दिए गए। कुल कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 9,385 वोट पड़े थे।
थरूर टीम ने लगाया आरोप
थरूर की टीम ने मतगणना शुरू होने के तुरंत बाद ही आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में चुनावी प्रक्रिया के दौरान “परेशान करने वाले तथ्य” सामने आए है। उन्होंने राज्य में वोट रद्द करने की भी मांग की हैं। टीम थरूर का कहना है कि हमने ये चुनाव इसलिए नहीं लड़ा था कि चीजें पहले की तरह ही चलती रहें। सलमान सोज जो शशि थरूर के चुनाव एजेंट हैं, उन्होंने कहा कि हम मधुसूदन मिस्त्री के कार्यालय के साथ लगातार संपर्क में थे और उन्हें कई अलग-अलग मुद्दों के बारे में सूचित किया, अभी इसकी गहराइयों में नहीं जा सकते। दूसरी तरफ पंजाब और तेलंगना जैसे राज्यों से भी धांधली के आरोप आ रहे हैं।
राहुल का रिएक्शन
राहुल गांधी जो की कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष हैं, उन्होंने कहा कि देश में सिर्फ कांग्रेस ऐसी पार्टी है जिसमें चुनाव और चुनाव आयोग होता है। मैंने मधुसूदन मिस्त्री जी के साथ काम किया है। चुनाव आयोग के सामने मुद्दे को ले जाया जाएगा, जो इस धांधली के मुद्दों पर फैसला करेगी।
सोनिया का इंतजार हुआ खत्म
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए इससे पहले 1939, 1950, 1977, 1997 और 2000 में चुनाव हुए थे। सोनिया गांधी ने साल 2000 के चुनाव में जितेंद्र प्रसाद को हराकर अध्यक्ष पद हासिल किया था। गांधी परिवार से करीबी और कई वरिष्ठ नेताओं के समर्थन के कारण खरगे की दावेदारी पहले से ही मजबूत मानी जा रही थी। सोनिया गांधी ने मतदान से पहले कहा था कि मैं इस दिन का लंबे समय से इंतजार कर रही थी।
गांधी परिवार के वफादार
मल्लिकार्जुन खरगे शुरू से ही गाँधी परिवार के वफदार थे। 80 वर्षीय खरगे का जन्म कर्नाटक के बीदर जिले के वारावत्ती इलाके में एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने गुलबर्गा के नूतन विद्यालय से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और गुलबर्गा के सरकारी कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली। फिर गुलबर्गा के ही सेठ शंकरलाल लाहोटी लॉ कॉलेज से एलएलबी करने के बाद वकालत करने लगे।
खरगे ने अपनी राजनीति करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी और उन्होंने एक लंबी पारी यूनियन पॉलिटक्स में भी खेली है। उसके बाद खरगे एमएसके मिल्स एम्प्लॉयीज यूनियन के कानूनी सलाहकार बने। वह संयुक्त मजदूर संघ के एक प्रभावशाली नेता भी थे, जिन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए उस समय हो रहे कई आंदोलनों का नेतृत्व किया था। 1972 में पहली बार कर्नाटक की गुरमीतकल असेंबली सीट से विधायक बने और इसके बाद इसी सीट से वो लगातार नौ बार विधायक चुने गए। खरगे दो बार गुलबर्गा से कांग्रेस के लोकसभा सांसद भी रहे हैं। उन्होंने गुंडूराव, एसएम कृष्णा और वीरप्पा मोइली की सरकारों में विभिन्न विभागों में मंत्री का पद भी संभाला है।