Abu Azmi on Aurangzeb: महाराष्ट्र के समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आजमी के मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ में दिए गए बयान ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। बीजेपी ने उनके बयान की कड़ी आलोचना की, जबकि कांग्रेस के कई नेता उनके समर्थन में उतर आए। इस पूरे विवाद की शुरुआत हाल ही में रिलीज हुई फिल्म “छावा” से हुई, जिसमें छत्रपति संभाजी महाराज के संघर्ष और औरंगजेब के शासन को दिखाया गया है। फिल्म में यह बताया गया है कि औरंगजेब ने संभाजी महाराज को 40 दिनों तक प्रताड़ित किया और फिर उनकी हत्या कर दी थी।
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औरंगजेब को लेकर क्यों बढ़ा विवाद? (Abu Azmi on Aurangzeb)
अबू आजमी ने अपने बयान में कहा था कि वह औरंगजेब को क्रूर शासक नहीं मानते। उन्होंने तर्क दिया कि उस दौर की राजनीति धार्मिक नहीं, बल्कि सत्ता संघर्ष पर आधारित थी। उन्होंने यह भी कहा कि औरंगजेब की सेना में हिंदू भी थे, ठीक वैसे ही जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में मुस्लिम शामिल थे।
उनके इस बयान के बाद महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी और विधानसभा में उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग कर दी। महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि “अबू आजमी को उनके बयान की कीमत चुकानी पड़ेगी और महाराष्ट्र की जनता उन्हें माफ नहीं करेगी।”
कांग्रेस नेताओं का समर्थन, BJP का विरोध
जहां एक ओर बीजेपी ने इस बयान पर सख्त रुख अपनाया, वहीं कुछ कांग्रेस नेताओं ने अबू आजमी के बयान का समर्थन किया।
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, “औरंगजेब 49 साल तक भारत का शासक रहा, वह आतताई कैसे हो सकता है? उसके शासन काल में भारत की जीडीपी दुनिया में शीर्ष पर थी।”
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा, “औरंगजेब पर मंदिरों को तोड़ने का आरोप है, लेकिन उसने मंदिरों को दान भी दिया था। यह इतिहास का हिस्सा है, इसे तोड़ा-मरोड़ा नहीं जा सकता।”
कांग्रेस नेता दानिश अली ने इसे सत्ता संघर्ष करार देते हुए कहा, “हर राजा का शासन करने का तरीका अलग होता था। इसे धर्म से जोड़कर नहीं देखना चाहिए।”
AIMIM नेता इम्तियाज जलील ने कहा, “यह पूरा विवाद बीजेपी और शिवसेना का ध्यान भटकाने का तरीका है। अबू आजमी के बयान को बेवजह बड़ा किया जा रहा है।”
शिवसेना का कड़ा विरोध, राज्यभर में प्रदर्शन की तैयारी
शिवसेना ने अबू आजमी के बयान की तीखी निंदा की और पूरे महाराष्ट्र में उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की। पार्टी ने अबू आजमी के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज करने और उन्हें विधानसभा से निलंबित करने की मांग की।
बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “जिस शासक ने अपने ही भाइयों को मारा, अपने पिता को जेल में डाला और हिंदू मंदिरों को नष्ट करने का आदेश दिया, उसकी प्रशंसा करना क्या छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत का अपमान नहीं है?”
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “सपा के अंदर औरंगजेब की आत्मा घुस गई है। अखिलेश यादव को इस पर माफी मांगनी चाहिए और अबू आजमी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”
अबू आजमी ने दी सफाई, मांगी माफी
बढ़ते विवाद को देखते हुए अबू आजमी ने सफाई दी और कहा कि उनका इरादा किसी की भावनाएं आहत करने का नहीं था। उन्होंने कहा, “मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। मैंने वही कहा जो इतिहास में दर्ज है। लेकिन अगर किसी को मेरी बात से ठेस पहुंची है, तो मैं अपना बयान वापस लेता हूं।”
इसके साथ ही, अबू आजमी ने दावा किया कि उनके खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है और अगर उनके साथ कुछ होता है, तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
क्या राजनीतिक मुद्दा बन गया इतिहास?
यह विवाद इस बात को दर्शाता है कि इतिहास की व्याख्या कैसे राजनीति का हिस्सा बन जाती है। जहां कुछ लोग इसे ऐतिहासिक तथ्यों का हिस्सा मानते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ इसे छत्रपति शिवाजी और संभाजी महाराज का अपमान मान रहे हैं।