5 cases against Mukhtar Ansari – बांदा जेल में बंद पूर्वी माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार देर रात दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। मुख्तार अंसारी के आतंक का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उसकी मौत के बाद यूपी में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। यहां तक कि कई जिलों में धारा 144 भी लगा दी गई। दरअसल, मुख्तार की आतंक कहानी ही इतनी खतरनाक है कि पुलिस को भी सतर्क रहने को कहा गया है। आइए आपको बताते हैं मुख्तार से जुड़े वो 5 मामले, जिसने उसे माफिया वर्ल्ड का शैतान बना दिया।
मऊ दंगा केस – 5 cases against Mukhtar Ansari
2005 में मऊ रामलीला मैदान में लाउडस्पीकर तोड़ने और फेंकने को लेकर हंगामा हुआ था। हिंसा बढ़ाने में मुख्तार का नाम भी शामिल था। मऊ दंगे के बाद वह देशभर में सुर्खियों में छा गया। इसके बाद मुख्तार अंसारी ने मऊ जिले में हिंसा भड़काने के आरोप में अक्टूबर 2005 में ग़ाज़ीपुर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, तब से वह जेल में बंद था।
अवधेश राय की हत्या कांड
वाराणसी से कांग्रेस प्रत्याशी और यूपी कांग्रेस चीफ अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय की 3 अगस्त 1991 को हत्या कर दी गई थी। अवधेश राय की हत्या के पीछे मुख्तार अंसारी का हाथ था। इस मामले में मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई और कोर्ट ने 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। बताया जाता है कि अवधेश राय और मुख्तार अंसारी के बीच दुश्मनी चंदासी कोयला मंडी में वसूली को लेकर थी। मुख्तार अंसारी और उसके गुर्गे कोयला बाजार में अवैध वसूली करते थे, लेकिन अवधेश राय इसमें बाधक बन गये थे।
रूंगटा अपहरण कांड
22 जनवरी 1997 को बनारस के जवाहर एक्सटेंशन में कोयले का कारोबार करने वाले वीएचपी सदस्य नंद किशोर रूंगटा का अपहरण कर लिया गया था। खबरों की मानें तो, विजय नाम का कोयला व्यवसायी झारखंड से आया था और बात करने के बहाने रूंगटा को अपनी कार में बैठाया और उसका अपहरण कर लिया। यह अपहरण मुख्तार अंसारी ने कराया था। बताया जाता है कि 5 करोड़ रुपये की फिरौती के लिए मुख्तार ने अपने गुर्गे 5 लाख रुपये के इनामी अताउर रहमान उर्फ बाबू उर्फ सिकंदर को इस वारदात को अंजाम देने के लिए सुपारी दी थी। हालांकि अपहरण के बाद रूंगटा की हत्या कर दी गयी और शव को ठिकाने लगा दिया गया।
कृष्णानंद राय हत्याकांड – 5 cases against Mukhtar Ansari
2002 में, बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय ने गाज़ीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी। इस सीट पर 1985 से अंसारी परिवार का कब्ज़ा था। इससे मुख्तार इतना चिढ़ गए कि उसने राय की हत्या करवा दी। 29 नवंबर, 2005 को एक कार्यक्रम से घर जाते समय कृष्णानंद राय की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उनके शरीर पर एके-47 से 500 राउंड गोलियां चलाई गई थीं। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। राय समेत सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी।
फर्जी शस्त्र लाइसेंस केस
मुख्तार अंसारी पर 1997 में गाजीपुर के तत्कालीन असलहा बाबू के साथ मिलकर अवैध तरीके से हथियार का लाइसेंस हासिल करने का आरोप है। इस मामले के आरोपी असलहा बाबू की पहले ही मौत हो चुकी है। इस मामले में मुख्तार अंसारी के खिलाफ आर्म्स एक्ट और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा चल रहा था।
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