राजस्थान की राजनीति सचिन पायलट के अपने ही मुख्यमंत्री के विरोध के बाद गर्म हो गई है. सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) द्वारा सचिन पायलट (Sachin Pilot) सहित कुछ विधायकों के विद्रोह के दौरान बीजेपी नेताओं से मदद मिलने की बात कहने पर बीजेपी नेता वसुंधरा राजे ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने ने अशोक गहलोत पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है. वसुंधरा राजे ने कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मेरे ख़िलाफ़ एक बड़ा षड्यंत्र कर रहे हैं. वसुंधरा राजे ने कहा कि वो अशोक गहलोत की कैसे मदद कर सकती हैं. जितना अपमान गहलोत ने उनका किया है किसी और ने नहीं किया है.
जनता द्वारा मिले फीडबैक से साबित हो गया है कि गहलोत सरकार झालावाड़ की उपेक्षा कर रही है, लेकिन 6 महीने की बात है।
अब फिर से वर्ष 2003 से 2008 और 2013 से 2018 जैसा समय आएगा और उस वक्त की भाजपा सरकार जैसा झालावाड़ सहित पूरे प्रदेश का विकास होगा।#MeraJhalawar #JaiJaiRajasthan pic.twitter.com/nRjW5HnCSA
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) May 4, 2023
ALSO READ: मणिपुर हिंसा पर पीएम मोदी की चुप्पी को लेकर उठे सवाल, जानिए किसने क्या कहा.
साथ ही उन्होने कहा कि 2023 में होने वाली हार से भयभीत होकर झूठ बोल रहे हैं. उन्होंने उस गृहमंत्री अमित शाह पर आरोप लगाया है, जिनकी ईमानदारी और सत्य निष्ठा सर्व विदित है. राजे ने कहा कि रिश्वत लेना और देना दोनों अपराध हैं, यदि उनके विधायकों ने पैसा लिया है तो एफआईआर दर्ज करवाएं. सच तो यह है कि अपनी ही पार्टी में हो रही बग़ावत और रसातल में जाते जनाधार के कारण बौखलाहट में उन्होंने ऐसे अमर्यादित और असत्य आरोप लगाए हैं. साथ ही इस बार राजस्थानी ऊंट किस ओर करवट लेगा ये देखना काफी दिलचस्प होगा एक तरफ राज्य की आतंरिक सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हुआ है तो दूरी तरफ भाजपा के पास कोई बड़ा चेरा नहीं है जिसके साथ वो मैदान में उतर सके
हार के डर से बौखलाए गहलोत
दरअसल इसी साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. और उसके पहले ही दोनों पार्टियाँ अपनी बात बनाने में लगी हुई हैं वहीँ गहलोत सरकार फिर से सत्ता में वापसी करने के लिए कुछ भी कर बैठने की फिराक में है चाहे विधायकों की बदली हो या फिर चुनाव प्रचार. कहीं न कहीं से अपन्बा उल्लू सीधा करने में लगे हुए हैं.
आप सभी के अपार स्नेह और प्रेम के लिए हृदय से आभार 🙏 pic.twitter.com/q9xhmnZkbW
— Sachin Pilot (@SachinPilot) May 6, 2023
वहीँ दूसरी तरफ देखें तो गहलोत सरकार का कामकाज का लेखा जोखा कुछ ठीक नहीं है पंजाब के दूसरा राज्य है जहाँ सबसे ज्यादा सांप्रदायिक दंगे हुए हैं. जनता सड़कों पर आई है. हिन्दू बेघर किये जा रहे हैं. और क्षेत्र में मुस्लिम समुदाक्य का बोलबाला बढ़ता नजर आ रहा है ऐसे में के स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए ऐसी चीज़ें खतरा हो सकती है. लेकिन गहलोत और कांग्रेस का क्या इन्होने ने तो शुरू से ऐसी चीज़ों का तुष्टिकरण करके वोट की राजनीती खेली है जिसमे सबसे ज्यादा तकलीफ सिर्फ आम आदमी को उठानी पड़ी है.
अपने ही नेता कर रहे बगावात
राजस्थान में कांग्रेस भले ही सत्ता में हैं लेकिन इनके पार्टी की बीच शुरू से चले आ रहे आपसी मतभेदों ने इनकी पोलपट्टी खोल दी है. और राजस्थान की राजनीती में सचिन और गहलोत के बीच जो होता आ रहा है और अभी भी हो रहा है वो इस बात का जीता जागता उदहारण है. सचिन खुद गहलोत के खिलाफ बगावत पर उतारते रहते हैं और उनके खिलाफ आवाज़ उठाते रहते हैं.
ALSO READ: ‘मेनका गांधी के सपने में भी आने लगे हैं पैगंबर मोहम्मद’, उनकी हालिया टिप्पणी किस ओर…
भले ही ये कोई राजीन्तिक दिखावा हो लेकिन जनता की नजरों में ये आपसी फूट का उदहारण हैं जिसका फायदा विपक्षी पार्टियां बखूबी उठा सकती हैं. और कहीं न कहीं हर राज्य के चुनाव में इनका मुद्दा उठाकर बीजेपी मुनाफा कमाती रही है की भई जिस पार्टी के नेताओ में खुद ही नहीं बनती वो सत्ता कैसे चलाएंगे? लेकिन गहलोत की मजबूत पकड़ ने कांग्रेस को राजस्थान की सत्ता में कबतक बनाए रखती है ये देखने वाली बात रहेगी आने वाले विधान सभा चुनाव में.
बीजेपी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं
वहीं अगर विपक्षी पार्टी की बात करें बीजेपी की तो बीजेपी भी कई सालों से लगातार राजस्थान की सत्ता में वापसी करने के लिए तिलमिला रही है. जिसके लिए ये भी कई सारे हथकंडे अपना रही है लेकिन गहलोत के जादू के आगे इनके हथकंडे फीके पड़ते नजर आए हैं. इसके पीछे की सबसे खास वजह ये हैं कि कहीं न कहीं भाजपा के पास अगर इनके पूर्व मुख्यमत्री वसुंधरा राजे को छोड़ दें तो कोई ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है जो की भाजपा का विकल्प बन सके. और चुनाव में अपनी अलग छाप छोड़ सके.
वसुंधरा राजे कांग्रेस से पहले राजस्थान में मुख्यमंत्री रह चुकी हैं लेकिन उन्हें भी सत्ता गवाने के पीछे की वजह का आज तक नहीं पता चला जो कि ये हैं कि भाजपा के पास राजस्थान में कोई स्टार फेस नहीं है जिसके नाम पर चुनाव लड़ा जा सके. इस बार के चुनाव में उम्मीद है कि भाजपा वसुंधरा राजे को एक बार भाजपा का चेहरा बनाकर चुनावी अखाड़े में उतरने का प्रयास करेगी.
सब एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सकें इसलिए हर कंधे मजबूत करेंगे।
सिकराय, दौसा का #महंगाई_राहत_कैंप इन उजली मुस्कान से रोशन रहा।#MehangaiRaahatCamp pic.twitter.com/fFETWeAW06
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) May 7, 2023
लेकिन इन सभी राज्यों में प्रचार की जरूरत शायद मोदी और शाह के जनता को दिए आश्वासन से ही बात बन सकती है वरना आमतौर पर गहलोत सरकार भी वो अंत आने तक गरीबो का विक्टिम कार्ड खेलकर निचले तबकों का वोट अपने पक्ष में कर लेगी और भाजपा को भी ये बात नहीं भूलनी चाहिए कि गहलोत की पकड़ राजस्थान में कैसी है. तो अगर भजपा को सत्ता में वापसी करनी है तो कुछ अलग प्लान करके राजस्थान के चुनावी अखाड़े में उतरना होगा.
गहलोत के ताजा बयान
अशोक गहलोत ने कहा था कि एमएलए शोभा रानी बहुत बोल्ड लेडी हैं. शोभा रानी ने जब साथ दिया हमारा, तो भाजपा वालों की हवा उड़ गई. सीएम गहलोत ने कहा कि, ”जब शेखावत मुख्यमंत्री थे, उस वक्त उनकी पार्टी के लोग सरकार गिरा रहे थे. मैं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष था. मेरे पास लोग आए… बंटने लगा पैसा. अभी बंटा वैसा उस वक्त भी बंटा था. मैंने उनसे कहा भले आदमियो तुम्हारा नेता भैरौ सिंह शेखावत मुख्यमंत्री है, मैं पीसीसी का अध्यक्ष हूं. वो बीमार है, इसलिए अमेरिका गया हुआ है. और तुम पीठ पीछे षड्यंत्र करके सरकार गिरा रहे हो. मैं तुम्हारा साथ नहीं दूंगा.”
ALSO READ: बिहार में हो रहे जातिगत जनगणना से क्या होगा फायदा और क्या होगा नुकसान?
वसुंधरा लगा रही खरीद फरोख्त का आरोप
पूर्व सीएम ने कहा कि विधायकों की ख़रीद फ़रोख़्त की जहां तक बात है, इसके महारथी तो स्वयं अशोक गहलोत हैं. जिन्होंने 2008 और 2018 में अल्पमत में होने के कारण ऐसा किया था. उस वक्त न भाजपा को बहुमत मिला था और न ही कांग्रेस को. उस समय चाहते तो हम भी सरकार बना सकते थे, पर यह भाजपा के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ था. इसके विपरीत गहलोत ने अपने लेन देन के माध्यम से विधायकों की व्यवस्था कर दोनों समय सरकार बनाई थी. वे 2023 के चुनाव में होने वाली ऐतिहासिक हार से बचने के लिए ऐसी मनगढ़ंत कहानियाँ गढ़ रहें है,जो दुर्भाग्य पूर्ण है पर उनकी ये चाल कामयाब होने वाली नहीं है.
इस चुनावी गहमागहमी में इस बार किसकी हार होगी और किसकी जीत इस बात का आकलन कर्ण पाना थोडा मुश्किल है लेकिन अगर भाजपा को सत्ता में वापसी करनी है तो कुछ नए और बड़े चेहरे सामने लाने होंगे और मोदी शाह को जमकर प्रचार करना होगा. वहीँ अगर गहलोत सत्ता पर काबिज़ रहना चाहती है तो सबसे बड़ी और अहम् कड़ी सचिन पायलट को अपने पक्ष में चुनाव से पहले कैसे भी लाना होगा वरना कांग्रेस का सर्थन ही पूरा नहीं पड़ पायेगा.