गिरिए! गिरना स्वाभाविक है. परन्तु, इतना मत गिरिए कि रसातल में पहुंच जाए. ज़मीन पर गिरा इंसान उठ सकता है, जबकि ज़मीन में पड़ा इंसान सिर्फ मुर्दा होता है. राजनीतिक स्वार्थ के वशीभूत हमने कई नेताओं की नैतिकता को गिरते हुए देखा है परंतु नैतिकता के मृत होने के कई उदाहरण पिछले कुछ वर्षों में हमने देश की राजनीति में देख लिया है. कांग्रेस के राजकुमार राहुल गांधी के साथ भी स्थिति ऐसी ही बनी हुई है. अब ऐसा लग रहा है कि राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से 150 दिनों में अपनी जो पहचान बनाई थी, भाजपा ने पिछले 4 दिनों में ही उसे ध्वस्त कर दिया है!
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150 दिन में जो कमाया, सब खत्म!
दरअसल, रसातल में पहुंच चुकी कांग्रेस पार्टी के उद्धार के लिए राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा निकाली, देश के 12 राज्यों में पहुंचे, जमीनी स्थिति का जायजा लिया, लोगों से बातचीत की औऱ भी ऐसी तमाम चीजें हुई, जिसके माध्यम से लोग उनसे जुड़ते गए. विपक्ष भी उनके साथ खड़ा दिखाई दिया. देश-दुनिया के मीडिया ने इसे कवर किया. उनकी यात्रा लगातार सुर्खियों में बनी रही. इस पूरी यात्रा में जनसैलाब देखने को मिला था. 3,750 किलोमीटर की यह पैदल यात्रा कन्याकुमारी से शुरू होकर श्रीनगर में खत्म हुई थी. अपनी यात्रा के माध्यम से उन्होंने मोदी सरकार को ललकारा था.
हालांकि, अब जब से राहुल गांधी ने विदेश में जाकर प्रधानमंत्री मोदी पर टिप्पणी की है, तब से ही हालात बदलते नजर आ रहे हैं. भाजपा ने इस पूरे मामले को हाथों हाथ लिया औऱ कांग्रेस पर टूट पड़ी है. राहुल गांधी से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने की मांग की जा रही है. इस मुद्दे पर संसद नहीं चल पा रही है. भारतीय लोकतंत्र पर राहुल गांधी के बयान ने तहलका मचा रखा है. ध्यान देने योग्य है कि राहुल गांधी ने लंदन में एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहा था कि भारतीय लोकतंत्र के ढांचे पर बर्बर हमला हो रहा है.
उन्होंनेअफसोस जताया था कि अमेरिका और यूरोप समेत दुनिया के लोकतांत्रिक हिस्से इस पर ध्यान देने में नाकाम रहे हैं.उन्होंने खासतौर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते हुए कहा था कि मोदी भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को नष्ट कर रहे हैं. उनके इस बयान के सामने आते ही सियासत गरमा गई और अब राहुल गांधी के भारत लौटते ही यह मामला अब ज्यादा उग्र होता नजर आ रहा है.
भाजपा ने मौके को हाथों हाथ उठाया
ऐसा कहा जाता है कि भाजपा ने पिछले कुछ वर्षों में देश में राहुल गांधी की इमेज ऐसी बना दी है कि कोई उन्हें सीरियस ही नहीं लेता. वर्ष 2014 के बाद से देश के कई राज्यों में कांग्रेस की दुर्दशा से इसे बल मिला. लगातार मिल रही हार ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मनोबल को दरका दिया. ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से राहुल गांधी ने कांग्रेस को संजीवनी देने का प्रयत्न किया और काफी हद तक सफल भी रहे. इसे लेकर भाजपा खेमे में डर भी है. लेकिन ब्रिटेन में दिए गए राहुल गांधी के बयान पर भाजपा को मौका मिला और उसके बाद से यही मुद्दा चर्चा में बना हुआ है.
भाजपा ने इस पूरे मुद्दे को राहुल गांधी vs देश का बना दिया है, जो शायद सही भी नहीं है. भाजपा आक्रामक है और राहुल गांधी को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने को कहा जा रहा है. कांग्रेस अब इस मामले में बैकफुट पर नजर आ रही है. पार्टी असमंजस में है. ऐसे में आने वाले समय में स्थिति क्या होगी, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं.
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