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Haryana Politics History: जानिए उन पांच नेताओं और उनके परिवारों के बारे में जिन्होंने 58 में से 53 साल तक हरियाणा पर राज किया

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Haryana Prominent leaders: Bansi Lal, Devi Lal, Bhajan Lal
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हरियाणा की राजनीति (Haryana political history) में कुछ ऐसे प्रमुख परिवार और नेता रहे हैं, जिन्होंने दशकों तक राज्य की राजनीति पर अपना प्रभाव बनाए रखा है। हरियाणा के गठन (1966) के बाद से ही ये नेता और उनके परिवार राज्य की राजनीति में अहम भूमिका निभाते आ रहे हैं। हरियाणा में लंबे समय तक सत्ता पर काबिज रहने वाले इन परिवारों की पहचान राजनीतिक परिवारों के तौर पर होती है। आज हम उन पांच प्रमुख नेताओं (Prominent leaders of Haryana) और उनके परिवारों के बारे में जानेंगे जिन्होंने 58 सालों में से 53 सालों तक हरियाणा की राजनीति  पर अपना दबदबा बनाए रखा। ये पांच नेता हैं- बंसी लाल, देवी लाल, भजन लाल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और राव बीरेंद्र सिंह।

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देवी लाल और चौटाला परिवार- Tau Devi Lal

देवी लाल हरियाणा के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे, जिन्हें “ताऊ” कहा जाता था। वह राज्य के दो बार मुख्यमंत्री रहे और उप प्रधानमंत्री भी बने। वहीं, उनके बेटे ओम प्रकाश चौटाला ने भी हरियाणा की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कई बार मुख्यमंत्री बने। चौटाला परिवार की राजनीतिक पार्टी इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) हरियाणा की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों में से एक है। चौटाला परिवार का हरियाणा की राजनीति में बहुत गहरा प्रभाव रहा है और अब उनके बेटे दुष्यंत चौटाला भी राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं, जो हरियाणा के उपमुख्यमंत्री हैं।

Tau Devi Lal
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देवी लाल कब-कब रहे मुख्यमंत्री  (Devi Lal)

उनका पहला कार्यकाल 21 जून 1977 – 28 जून 1979  तक रहा था। देवी लाल ने 1977 में मुख्यमंत्री के रूप में अपना पहला कार्यकाल शुरू किया। उस समय भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता पार्टी का गठबंधन था, और उन्होंने जनता पार्टी का प्रतिनिधित्व किया। देवी लाल का दूसरा कार्यकाल 17 दिसंबर 1989 – 2 मई 1990  तक रहा था। उनका दूसरा कार्यकाल जनता दल के मुख्यमंत्री के रूप में था। हालांकि यह कार्यकाल छोटा रहा, लेकिन देवी लाल हरियाणा के इतिहास में महत्वपूर्ण नेता बने रहे।

ओम प्रकाश चौटाला कब-कब रहे मुख्यमंत्री  (Om Prakash Chautala)

उनका पहला कार्यकाल 2 दिसंबर 1989 – 22 मई 1990 तक रहा। चौटाला ने अपने पिता देवी लाल के बाद मुख्यमंत्री पद संभाला, लेकिन उनका कार्यकाल कुछ महीनों तक ही सीमित रहा। इसके बाद  उनका दूसरा कार्यकाल 12 जुलाई 1990 – 17 जुलाई 1990  तक रहा। उनका यह कार्यकाल बेहद छोटा था, केवल 5 दिन तक चला। उनका तीसरा कार्यकाल 22 मार्च 1991 – 6 अप्रैल 1991  तक रहा था। यह भी एक छोटा कार्यकाल था, लेकिन चौटाला का राजनीतिक दबदबा बना रहा।

Om Prakash Chautala
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मुख्यमंत्री पद पर उनका चौथा कार्यकाल 24 जुलाई 1999 – 4 मार्च 2005  तक रहा  यह उनका सबसे लंबा और सबसे महत्वपूर्ण कार्यकाल था, जिसमें उन्होंने हरियाणा की राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला। चौटाला ने इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) के नेतृत्व में शासन किया।

भजन लाल और उनका परिवार

भजन लाल हरियाणा के तीन बार मुख्यमंत्री रहे और राज्य की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता थे। उनके बेटे चंद्रमोहन और कुलदीप बिश्नोई भी राजनीति में सक्रिय रहे हैं। भजन लाल का परिवार हरियाणा की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है।

भजन लाल कब-कब रहे मुख्यमंत्री (Bhajan Lal)

भजन लाल का पहला कार्यकाल 28 जून 1979 – 5 जुलाई 1986  तक रहा। भजन लाल ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्यमंत्री के रूप में अपना पहला कार्यकाल शुरू किया। यह कार्यकाल हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में सबसे लंबा कार्यकालों में से एक था। उनके शासन के दौरान हरियाणा में कई महत्वपूर्ण विकास योजनाओं को लागू किया गया। उनका दूसरा कार्यकाल 23 जुलाई 1991 – 11 मई 1996  तक चला।

Bhajan Lal
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बंसीलाल और उनका परिवार

बंसीलाल हरियाणा के प्रमुख नेताओं में से एक थे, जो कई बार मुख्यमंत्री रहे। उन्हें हरियाणा के विकास और आधारभूत संरचना को मजबूत करने का श्रेय दिया जाता है। उनके बेटे सुरेंद्र सिंह और बेटी किरण चौधरी भी हरियाणा की राजनीति में सक्रिय रहे हैं। बंसीलाल ने अपनी खुद की पार्टी ह्रदय प्रदेश विकास पार्टी बनाई, जो बाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में विलय हो गई।

बंसीलाल कब-कब रहे मुख्यमंत्री (Bansi Lal)

उनका पहला कार्यकाल 22 मई 1968 – 30 नवंबर 1975 तक रहा। बंसीलाल हरियाणा के प्रमुख नेताओं में से एक थे, जिन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तहत अपना पहला लंबा कार्यकाल पूरा किया। उनके कार्यकाल में राज्य की आधारभूत संरचना और विकास कार्यों में तेजी आई। वहीं उनका दूसरा कार्यकाल 5 जुलाई 1986 – 19 जून 1987 तक रहा। उनका दूसरा कार्यकाल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तहत था। हालांकि यह कार्यकाल छोटा रहा, लेकिन वह हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा बने रहे।

Bansi Lal
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वहीं बंसीलाल का तीसरा कार्यकाल 11 मई 1996 – 23 जुलाई 1999 तक रहा। उन्होंने हरियाणा विकास पार्टी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री का तीसरा कार्यकाल संभाला। इस दौरान बंसीलाल ने हरियाणा में बिजली और जल संसाधनों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए।

राव बीरेंद्र सिंह और उनका परिवार

राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के प्रारंभिक दिनों के प्रमुख नेताओं में से एक थे और हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री बने। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े थे। उनके बेटे राव इंद्रजीत सिंह भी हरियाणा की राजनीति में सक्रिय रहे और विभिन्न पदों पर आसीन रहे। राव इंद्रजीत सिंह केंद्र सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं और हरियाणा के गुड़गांव क्षेत्र से उनका प्रभाव काफी महत्वपूर्ण रहा है।

राव बीरेंद्र सिंह कब-कब रहे मुख्यमंत्री (Rao Birendra)

राव बीरेंद्र सिंह हरियाणा के पहले मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने 1967 में मुख्यमंत्री का पद संभाला था। हालांकि उनका कार्यकाल ज्यादा लंबा नहीं रहा, लेकिन उनके बेटे राव इंद्रजीत सिंह भी राजनीति में सक्रिय हैं और केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं।

Rao Birendra
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हुड्डा परिवार

भूपिंदर सिंह हुड्डा हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता हैं। उन्होंने राज्य की राजनीति में एक मजबूत पकड़ बनाई। उनके पिता रणबीर सिंह हुड्डा स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य थे, जिन्होंने हरियाणा की राजनीति में प्रारंभिक योगदान दिया। हुड्डा परिवार हरियाणा की राजनीति में एक शक्तिशाली परिवार है और भूपिंदर सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी हरियाणा की राजनीति और संसद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।

भूपिंदर सिंह हुड्डा कब-कब रहे मुख्यमंत्री (Bhupinder Singh Hooda)

भूपिंदर सिंह हुड्डा का पहला कार्यकाल 5 मार्च 2005 – 25 अक्टूबर 2009 तक चला। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान हरियाणा में आर्थिक सुधारों और विकास योजनाओं को लागू किया। उनका नेतृत्व हरियाणा में विकास और उद्योग क्षेत्र में प्रगति के लिए जाना जाता है। उनका दूसरा कार्यकाल 25 अक्टूबर 2009 – 19 अक्टूबर 2014 तक रहा।उनके दूसरे कार्यकाल में भी राज्य में निवेश और बुनियादी ढांचा विकास पर जोर दिया गया। हुड्डा परिवार का हरियाणा की राजनीति में प्रभाव आज भी बना हुआ है।

Bhupinder Singh Hooda
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और पढ़ें: Haryana Election result 2024 live updates: इधर हरियाणा में हार की दहलीज पर कांग्रेस, उधर विदेश दौरे पर चले गए राहुल गांधी

Ghaziabad: डासना देवी मंदिर की घटना के विरोध में हिंदू संगठनों का प्रदर्शन, यूपी पुलिस को साजिश के सुराग मिले

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Yeti Narsinghanand and Dasna Devi temple controversy
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गाजियाबाद (Ghaziabad) के डासना देवी मंदिर (Dasna Devi Mandir) के महंत के विवादित बयान के बाद यहां का माहौल गरमा गया है। पैगंबर पर विवादित टिप्पणी के बाद यूपी समेत कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके बाद गाजियाबाद से लेकर हैदराबाद तक कई जगहों पर एफआईआर दर्ज की गई। आज गाजियाबाद यति नरसिंहानंद (Yeti Narasimhanand) सरस्वती के समर्थन में एक हिंदू संगठन ने प्रदर्शन किया। गाजियाबाद की पुलिस लाइन में हिंदू संगठनों का जमावड़ा देखने को मिला। वहीं, गाजियाबाद के डासना में देवी मंदिर में साजिश के तहत भीड़ पहुंची थी। इसमें पुलिस को अहम सुराग मिले हैं। आइए आपको बताते हैं इस मामले से जुड़ा पूरा विवाद।

और पढ़ें: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महंत मुकेश गिरि को दी सशर्त अग्रिम जमानत, सिर पर था एक लाख रुपये का इनाम

यति नरसिंहानंद ने छेड़ा विवाद – Yeti Narasimhanand controversy

पुलिस के अनुसार, पुजारी यति ने 29 सितंबर को गाजियाबाद के हिंदी भवन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पैगंबर मोहम्मद (Prophet Mohammed) पर कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। जिसके बाद सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के अध्यक्ष की शिकायत के आधार पर, ठाणे में मुंब्रा पुलिस ने 3 अक्टूबर को उनके खिलाफ मामला दर्ज किया।

Yeti Narsinghanand and Dasna Devi temple controversy
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समुदाय विशेष के लोगों में आक्रोश

4 अक्टूबर को यति नरसिंहानंद और छोटा यति कहे जाने वाले अनिल यादव का वीडियो सामने आने के बाद समुदाय विशेष के लोगों का एक समूह भड़क गया और 4 अक्टूबर की रात डासना देवी मंदिर आ गए। जब पुलिस ने उन्हें रोका तो भीड़ ने पत्थर फेंके और नारे लगाए। पहले तो लगा कि यह यति और अनिल यादव की बातों का एक सामान्य जवाब है, लेकिन खुफिया जानकारी के आधार पर मंदिर पर पत्थर फेंकने की साजिश का पता चला है।

Dasna Devi temple controversy
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पुलिस सूत्रों ने बताया कि कई लोगों ने एक साथ डासना देवी मंदिर में जाने की योजना बनाई थी। पुलिस का ध्यान भटकाने के लिए वेव सिटी थाने के अंदर शांति समिति की बैठक आयोजित की गई थी, लेकिन इस बैठक में केवल बुजुर्गों को ही आमंत्रित किया गया था।

मंदिर की सुरक्षा बढ़ाई

मंदिर पर पुलिस और पीएसी की कड़ी चौकसी है। पहले सुरक्षा के लिए करीब 35 पुलिसकर्मी तैनात थे, जिसे अब दोगुना कर दिया गया है। एडिशनल सीपी दिनेश कुमार पी. ने बताया कि मंदिर में आने वाले व्यक्ति के बारे में पुलिस पूरी जांच करेगी, उसके बाद ही प्रवेश दिया जाएगा। एडिशनल सीपी दिनेश कुमार पी. ने बताया कि साजिश के तहत डासना देवी मंदिर में भीड़ पहुंचने का इनपुट मिला है। सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। साजिश में जो भी शामिल पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

अब तक 16 केस दर्ज, 16 आरोपी गिरफ्तार

यति नरसिंहानंद गिरि के विवादित बयान को लेकर विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है। 3 अक्टूबर से सोमवार देर रात तक पुलिस के पास 16 घटनाएं दर्ज की गईं। इसके अलावा कुल 16 संदिग्धों को जेल भेजा गया है। इनमें डासना देवी मंदिर के बाहर पथराव की घटना में किशोरों समेत 11 संदिग्धों को वेव सिटी पुलिस ने जेल भेजा है, जबकि नगर कोतवाली पुलिस ने एक पूर्व बसपा नेता समेत पांच लोगों को जेल भेजा है।

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Jammu Kashmir Election result 2024 live updates: जम्मू-कश्मीर में INDIA ब्लॉक ने मारी बाजी, उमर अब्दुल्ला होंगे नए मुख्यमंत्री

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Jammu Kashmir Election result 2024 live updates
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Jammu Kashmir Election result 2024 live updates –  जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस की जोड़ी कमाल करती दिख रही है. इस गठबंधन को रुझानों में बहुमत मिल गया है. जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला सरकार के आसार दिखने लगे हैं. जम्मू-कश्मीर के लिए अब तक आए रुझानों में कांग्रेस-एनसी गठबंधन 50 सीटों पर आगे है, जबकि भाजपा 24 सीटों पर लीड कर रही है. बहुमत के लिए 45 सीटों की जरूरत थी, जिसे कांग्रेस-एनसी ने पार कर लिया है. आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर की 90 विधानसभा सीटों के लिए वोटों की गिनती जारी है.

इस राज्य में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को 3 चरणों में वोटिंग हुई. साल 2019 में आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में यह पहला विधानसभा चुनाव है. यहां जानिए Jammu Kashmir Election result 2024 में कहां से कौन चल रहा है आगे…

Jammu Kashmir Election result 2024 live updates

लाइव अपडेट्स

Jammu Kashmir
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  • जम्मू-कश्मीर में चुनाव 2024 में नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है. ऐसे में फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि उनके बेटे उमर केंद्र शासित प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री होंगे.
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  • नेशनल कॉन्फ्रेंस उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में बडगाम विधानसभा सीट से जीत हासिल की और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के आगा सैय्यद मुंतजिर मेहदी को 18,000 से अधिक वोटों के अंतर से हराया. अपने परिवार के गढ़ गांदरबल से भी आगे चल रहे अब्दुल्ला ने बडगाम में 36,010 वोट हासिल किए जबकि मेहदी को 17,525 वोट मिले.
  • एनसी उपाध्यक्ष ने 2014 में भी दो सीटों श्रीनगर में सोनवार और बडगाम जिले में बीरवाह से चुनाव लड़ा था।. उन्होंने बीरवाह सीट से जीत हासिल की थी. अब्दुल्ला उत्तर कश्मीर में बारामूला लोकसभा सीट से 2024 का लोकसभा चुनाव हार गए थे.
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  • आम आदमी पार्टी ने जम्मू-कश्मीर की डोडा सीट जीती, 4500 वोट से जीते मेहराज
  • जम्मू-कश्मीर में कहां-कहां से भाजपा की जीत
  • जम्मू संभाग में भाजपा के 28 में से 6 उम्मीदवारों ने ही जीत हासिल की है.
    नगरोटा से देवेंद्र सिंह राणा
    किश्तवाड़ से सुनील शर्मा
    सांबा से सुरजीत सिंह सलाथिया
    मढ से शामलाल
    जम्मू शहर से अरविंद गुप्ता
    मोहन लाल भगत
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  • पीडीपी की हुई हार : महबूबा मुफ्ती की बेटी ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली है. वहीं, उमर अब्दुल्ला ने कहा कि एग्जिट पोल पूरी तरह से समय की बर्बादी है.
जम्मू अपडेट
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  • जम्मू-कश्मीर में 9 सीटों के नतीजे आए. इन 9 सीटों में से 7 पर भारतीय जनता पार्टी नी जीत हासिल की है. वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस की दो सीटों पर जीत हुई है.
  • कांग्रेस कार्यकर्ता दिल्ली में पटाखे उड़ाकर अपना जश्न मना रहे हैं. कार्यकर्ता एक-दूसरे को जलेबी-मिठाई खिला रहे हैं.
  • जम्मू-कश्मीर में अब हार-जीत के नतीजे आने लगे हैं. गुरेज सीट से नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पहली जीत हासिल की है. नेशनल कॉन्फ्रेंस कैंडिडेट नाजिर अहमद खान ने गुरेज सीट से चुनाव जीत लिया है. उन्होंने भाजपा कैंडिडेट फकीर मोहम्मद खान को दिलचस्प मुकाबले में हरा दिया है. वहीं, सांबा से भाजपा के सुरजीत सिंह ने जीत हासिल की.हजरतबल से एनसी के सलामान सागर की जीत
    कठुआ के बसोहली से भाजपा के दर्शन कुमार की जीत
    सांबा में भाजपा के सुरजीत सिंह की जीत
  • जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस जीत का स्वाद चखती नजर आ रही है. कांग्रेस-एनसी गठबंधन को रुझानों में बहुमत मिल गया है.
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  • जम्मू-कश्मीर में 90 सीटों के रुझान सामने आ गए हैं. एनसी-कांग्रेस गठबंधन फिलहाल 50 सीटों पर आगे चल रहा है. वहीं, भाजपा 24 सीटों पर लीड कर रही है.
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  • गोहाना विधानसभाः दो राउंड के बाद गोहना सिट पर बीजेपी के अरविंद शर्मा 2419 वोटो से आगे. कांग्रेस के जगबीर मलिक हुए पीछे.

 

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Haryana Election result 2024 live updates: हरियाणा में BJP ने रचा इतिहास, बहुमत से दूर रही कांग्रेस

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Haryana Election result 2024
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Haryana Election result 2024 live updates – हरियाणा के 90 विधानसभा सीटों पर वोटों की गिनती शुरु हो चुकी है. शुरुआती रूझानों में कांग्रेस को बहुमत मिलता दिख रहा था लेकिन अब वैलेट की गिनती में बीजेपी आगे निकलती नजर आ रही है. 5 अक्टूबर को इन सीटों पर चुनाव हुए थे और आज 8 अक्टूब 2024 को वोटों की गिनती जारी है. राज्य में पिछले 10 सालों से भाजपा की सरकार है. चुनाव से पहले हरियाणा में भाजपा ने मुख्यमंत्री भी बदल दिया..सरकार के प्रति जमीन पर रोष भी दिखा लेकिन चुनाव परिणाम में कहानी अलग नजर आ रही है. कांग्रेस भी लंबे समय बाद वापसी करने की कोशिशों में लगी हुई है. अगर मामला करीबी रहा क्षेत्रीय INLD गठबंधन इस चुनाव में किंगरमेकर साबित हो सकता है. खबरें अपडेट हो रही हैं, पेज को REFRESH करते रहें…

Haryana Election result 2024 live Updates

लाइव अप्डेट्स

  • अब यह साफ हो गया है क‍ि हरियाणा में भाजपा लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है. शाम तक हुई मतगणना के नतीजों को देखें तो हर‍ियाणा में बीजेपी को अपने दम पर बहुमत मिल गया है. जबक‍ि नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन जम्‍मू कश्मीर में जीतने में सफल रहा है.
  • हर‍ियाणा विधानसभा चुनाव में मतों की ग‍िनती आख‍िरी चरण में है. दोपहर 4:20 बजे तक बीजेपी को 39.88 फीसदी वोट मिले थे, जबक‍ि कांग्रेस को 39.05 फीसदी वोट मिले हैं. नेशनल लोकदल को तकरीबन 4 फीसदी वोट मिले हैं. जबक‍ि आम आदमी पार्टी को दो फीसदी तक वोट मिले हैं.
  • पीएम मोदी शाम 7.30 बजे बीजेपी मुख्यालय पहुंचेंगे.
  • भाजपा तीसरी बार हरियाणा की सेवा के लिए तैयार.

    Haryana Chunav
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  • नायब सिंह सैनी को पीएम मोदी ने फोन कर बधाई दी.
  • विनेश फोगाट ने 6005 वोटों से योगेश बैरागी को मात दी और पहली बार विधानसभा पहुंची है.
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हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा फिर से जीत का परचम लहराने जा रही है. अब तक के रुझान के मुताबिक, हरियाणा में भाजपा हैट्रिक लगाने जा रही है. वही हरियाणा में कांग्रेस की हार के बीच राहुल गांधी को लेकर बड़ी खबर सामने आई है.

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  • हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार होती दिख रही है. अब तक के रुझानों में भाजपा बहुमत पार कर चुकी है.
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  • सियासत के दंगल में विनेश को मिल गया जीत का मेडल, बन गईं विधायक
  • हरियाणा में ऐतिहासिक हैट्रिक की ओर BJP, कांग्रेस की उम्मीदों पर फिरता दिख रहा पानी. चुनाव आयोग के मुताबिक, हरियाणा में बीजेपी 51 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है जबकि कांग्रेस 34 सीटों पर आगे है.
  • अब तो कांग्रेस को समझ जाना चाहिए अहंकार और रणनीति दोनों फिर इन्हें ले डूबी! अब नहीं तो कब…
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Haryana Chunav Result Live: हरियाणा चुनाव डेटा

5 हजार से कम वाली सीटें
कांग्रेस-14
बीजेपी-21
अन्‍य-3

3000 से कम
कांग्रेस-10
बीजेपी-11
अन्‍य-2

1000 वाली सीटें
बीजेपी – 3 पर आगे
अन्‍य – 1 आगे

500 वाली
कांग्रेस – 1

  • हरियाणा से पहला नतीजा सामने आया है. पहला नतीजा कांग्रेस के पक्ष में आया है. कलांवली विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार ने जीत हासिल की है.
  • हरियाणा विधानसभा चुनाव के रिजल्ट में भाजपा और कांग्रेस के बीच टक्कर दिख रही है. रुझानों में दोनों के बीच 10 सीटों का गैप है. दिलचस्प है कि राहुल गांधी ने हरियाणा की जिन 12 सीटों पर रैलियां की थीं, उनमें से 8 सीटों पर कांग्रेस पीछे है या यूं कहें कि हारती नज़र आ रही है.
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जुलाना सीट से विनेश फोगाट पिछड़ीं, बीजेपी आगे
आदमपुर सीट से भाजपा के भव्य बिश्नोई आगे
अंबाला कैंट से अनिल विज पीछे
ऐलनाबाद से अभय सिंह चौटाला आगे
गढ़ी सांपला किलोई से भूपेंद्र सिंह हुड्डा आगे
हिसार सीट से सवित्रि जिंदल आगे

  • सिरसा विधानसभा सीट से गोपाल कांडा पीछे चल रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी 49 सीटों पर आगे चल रही है. जबकि कांग्रेस 34 सीटों पर आगे चल रही है.
  • गोहाना विधानसभाः दो राउंड के बाद गोहना सिट पर बीजेपी के अरविंद शर्मा 2419 वोटो से आगे. कांग्रेस के जगबीर मलिक हुए पीछे.
  • चुनाव आयोग के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी फिलहाल 46 सीटों पर आगे चल रही है. बता दें कि अगर बीजेपी इस बार भी हरियाणा में सरकार बनाने में सफल हो जाती है तो यह एक रिकॉर्ड होगा. क्योंकि आजतक किसी भी पार्टी ने हरियाणा में लगातार तीन बार सरकार नहीं बना पायी है.

बल्ह घाटी को “हिमाचल का मिनी पंजाब” क्यों कहा जाता है? जानें इसके पीछे की कहानी

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Balh Valley
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हिमाचल की हरियाली और कृषि से आच्छादित बल्ह घाटी को अक्सर “हिमाचल प्रदेश का मिनी पंजाब” कहा जाता है। बल्ह घाटी हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित एक उपजाऊ और हरी-भरी घाटी है। यह घाटी अपनी कृषि और हरे-भरे खेतों के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे हिमाचल प्रदेश के अन्य हिस्सों से अलग बनाती है। इसे “मिनी पंजाब” कहे जाने का मुख्य कारण इसकी जलवायु और कृषि गतिविधियाँ हैं, जो हमें पंजाब की कृषि की समृद्धि की याद दिलाती हैं। आइए आपको इस घाटी के बारे में विस्तार से बताते हैं।

और पढ़ें: जानिए कैसे ये गांव बन गया बिहार का मिनी पंजाब, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप

बल्ह घाटी के मुख्य आकर्षण

बल्ह घाटी में मुख्य रूप से गेहूं, मक्का, सब्जियां और अन्य फसलें उगाई जाती हैं। यहां की मिट्टी उपजाऊ है और सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की उपलब्धता इसे एक प्रमुख कृषि क्षेत्र बनाती है। यही कारण है कि इस घाटी को हिमाचल प्रदेश के प्रमुख कृषि क्षेत्रों में से एक माना जाता है। बल्ह घाटी की प्राकृतिक सुंदरता अद्वितीय है। चारों ओर फैली हरियाली और पहाड़ इसे बेहद आकर्षक जगह बनाते हैं। घाटी में बहने वाली ठंडी हवाएँ और स्वच्छ वातावरण भी इसे पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनाते हैं।

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इसके अलावा, बल्ह घाटी की जलवायु हिमाचल प्रदेश के अन्य भागों की तुलना में अधिक समशीतोष्ण है, जो इसे खेती के लिए उपयुक्त बनाती है। इसकी जलवायु और भूमि की उर्वरता पंजाब के कृषि क्षेत्रों से मेल खाती है, इसीलिए इसे “मिनी पंजाब” कहा जाता है।

बल्ह घाटी की संस्कृति

बल्ह घाटी न केवल अपनी कृषि समृद्धि के लिए जानी जाती है, बल्कि यह स्थान हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत का एक अनूठा मिश्रण है। दरअसल, बल्ह घाटी की स्थानीय संस्कृति में हिमाचली और पंजाबी तत्वों का मिश्रण है। यहाँ के लोग ज़्यादातर कृषि पर निर्भर हैं और एक सरल, शांतिपूर्ण जीवन जीते हैं। यहाँ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत त्योहारों और धार्मिक समारोहों में भी दिखाई देती है।

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बल्ह घाटी को “मिनी पंजाब” कहे जाने की वजह

बल्ह घाटी को “मिनी पंजाब” कहने का मुख्य कारण इसकी कृषि समृद्धि, उपजाऊ भूमि और खेती का तरीका है, जो पंजाब की खेती के पैटर्न से काफी मिलता जुलता है। बल्ह घाटी में पर्याप्त जल संसाधन उपलब्ध हैं, जिससे सिंचाई करना आसान है। यहाँ की सिंचाई व्यवस्था, नदियों और अन्य जल स्रोतों की उपलब्धता पंजाब के खेतों की तरह ही पैदावार बढ़ाने में सहायक है। पानी की इस उपलब्धता और सिंचाई के अच्छे साधनों के कारण यहाँ फसलों की अच्छी पैदावार होती है।

हरे-भरे खेत और समृद्धि

बल्ह घाटी की खूबसूरती और हरियाली इसे “मिनी पंजाब” का दर्जा दिलाने में भी मदद करती है। हरे-भरे खेत, फसलों से लदे खेत और खेती की व्यापकता इस क्षेत्र को पंजाब की समृद्ध कृषि संस्कृति की याद दिलाती है। यही कुछ कारण हैं जिनकी वजह से बल्ह घाटी को “हिमाचल का मिनी पंजाब” कहा जाता है।

और पढ़ें: आखिर कैसे बसा कटिहार में मिनी पंजाब? गुरु तेग बहादुर से जुड़ा है इसका इतिहास

कौन हैं दलित प्रोफेसर शैलजा पाइक, जिन्हें मिला 8 लाख डॉलर का मैकआर्थर अवॉर्ड?

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Dalit professor Shailaja Paik
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दलित प्रोफेसर शैलजा पाइक को प्रतिष्ठित मैकआर्थर फेलोशिप से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह फेलोशिप उनके सामाजिक और ऐतिहासिक शोध के लिए मिली है, जो मुख्य रूप से दलितों और हाशिए के समुदायों के अधिकारों और स्थिति पर केंद्रित है। इस पुरस्कार के तहत उन्हें 800,000 डॉलर की राशि दी गई है, जिसका उपयोग वह बिना किसी शर्त के अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए कर सकती हैं। शैलजा पाइक का यह सम्मान भारत और दुनिया भर के दलित और हाशिए के समुदायों के लिए प्रेरणादायक है और उनके द्वारा किए गए शोध कार्यों को और मान्यता प्रदान करता है।

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प्रोफेसर शैलजा पाइक का योगदान

शैलजा पाइक एक इतिहासकार और सामाजिक वैज्ञानिक हैं, जिनके शोध का फोकस दलित महिलाओं, उनके संघर्षों, और भारतीय समाज में उनके योगदान पर रहा है। उन्होंने अपने शोध के माध्यम से दलित महिलाओं की उन कहानियों को सामने लाने का प्रयास किया है, जिन्हें इतिहास में अक्सर नजरअंदाज किया गया है। उनका काम सामाजिक असमानता और जाति व्यवस्था, खास तौर पर भारत में दलित महिलाओं की स्थिति पर केंद्रित है। उन्होंने भारतीय समाज में जाति, वर्ग और लैंगिक भेदभाव जैसे जटिल संरचनात्मक मुद्दों को समझने और उनका समाधान करने के लिए महत्वपूर्ण शोध किया है।

कौन है शैलजा पाइक?

शैलजा पाइक एक प्रसिद्ध भारतीय-अमेरिकी इतिहासकार और समाजशास्त्री हैं, जिनका शोध मुख्य रूप से भारत में दलित समुदाय, विशेष रूप से दलित महिलाओं के इतिहास, समाज और संघर्षों पर केंद्रित है। वह डेटन विश्वविद्यालय में इतिहास और अफ्रीकी-अमेरिकी अध्ययन की प्रोफेसर हैं। उनका काम भारतीय समाज के हाशिये पर रहने वाले दलितों की कहानियों को उजागर करना और सामाजिक असमानता, जाति-व्यवस्था और लिंग-आधारित भेदभाव की गहरी समझ प्रदान करना है।

शैलजा पाइक का शैक्षिक और पेशेवर जीवन

शैलजा पाइक ने अपनी शिक्षा और शोध में जाति, लिंग और वर्ग भेदभाव जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित किया है। अपने अध्ययन और शोध के दौरान उन्होंने पाया कि दलित महिलाओं की कहानियों और संघर्षों को इतिहास की मुख्यधारा में अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता रहा है। उन्होंने इस विषय पर गहन शोध किया और इन मुद्दों को वैश्विक स्तर पर लाने का प्रयास किया।

उनकी महत्वपूर्ण पुस्तक “Unseen: The Histories of India’s Dalit Women” (अनदेखा: भारत की दलित महिलाओं का इतिहास) है, जिसमें उन्होंने दलित महिलाओं के जीवन, उनकी सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों, और उनके योगदान पर ध्यान केंद्रित किया है। इस पुस्तक में उन्होंने ऐतिहासिक रूप से उपेक्षित और हाशिये पर खड़ी महिलाओं के संघर्ष और उनकी भूमिका को प्रस्तुत किया है।

क्या है मैकआर्थर फेलोशिप?

मैकआर्थर फेलोशिप संयुक्त राज्य अमेरिका का एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है, जिसे जीनियस ग्रांट के नाम से भी जाना जाता है। यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जो अपने क्षेत्र में असाधारण रचनात्मक और योगदान देने वाले होते हैं। इस फेलोशिप के तहत दी जाने वाली राशि का उपयोग विजेता अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए स्वतंत्र रूप से कर सकते हैं। शैलजा पाइक का यह सम्मान न केवल उनके काम की पहचान है, बल्कि दलितों और खासकर दलित महिलाओं के संघर्षों को वैश्विक मंच पर लाने का एक प्रयास भी है।

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अगर आप यह जान लें कि लाल बत्ती पार करने पर जुर्माना किन कारणों से लगता है, तो आपको कभी नहीं होगी कोई परेशानी

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रेड लाइट पर जुर्माने के कई कारण हो सकते हैं, जिन्हें जानकर आप चालान से बच सकते हैं। अगर कोई व्यक्ति रेड लाइट पर रुकने की बजाय आगे बढ़ जाता है, तो यह ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन है। इसके अलावा रेड लाइट के दौरान जेब्रा क्रॉसिंग पार करना या चौराहे पर वाहन रोकने के लिए सही जगह का पालन न करना भी जुर्माने का कारण बन सकता है। ट्रैफिक सिग्नल का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई हो सकती है, इसलिए नियमों का पालन करना जरूरी है।

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लाल बत्ती का मतलब है कि कोई आसन्न खतरा है और आपको रुक जाना चाहिए। हालाँकि, लाल बत्ती पर चलने वाले लोग अक्सर इस कानून का उल्लंघन करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप जुर्माने सहित कई तरह के नुकसान होते हैं। जब आप लाल बत्ती पर चलते हैं तो आप न केवल अपनी जान जोखिम में डालते हैं, बल्कि आप अनगिनत पैदल यात्रियों की जान भी जोखिम में डालते हैं। लापरवाही का एक छोटा सा पल एक बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है।

ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए रेड लाइट जरूर

भारत की यातायात व्यवस्था, खास तौर पर शहरी क्षेत्रों में, लाल बत्ती पर बहुत ज़्यादा निर्भर करती है। यह यातायात को नियंत्रित करने और सड़कों पर जाम कम करने में मदद करती है। जब हर कोई लाल बत्ती पर रुकता है तो यातायात सुचारू रूप से चलता है। हालाँकि, जब लोग लाल बत्ती पार करते हैं, तो इससे यातायात पैटर्न गड़बड़ा जाता है और कभी-कभी जाम की स्थिति पैदा हो जाती है।

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रेड लाइट जंप करना कानूनी अपराध है

लाल बत्ती पार करना गैरकानूनी है। यातायात नियमों के अनुसार, लाल बत्ती पर रुकना कानूनन अनिवार्य है। अगर आप लाल बत्ती पार करते हैं तो आप पर जुर्माना लगाया जा सकता है और आपका ड्राइविंग लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। लाल बत्ती पार करने पर जुर्माना लगाया जाता है क्योंकि यह कानून, यातायात व्यवस्था और सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करता है।

इन बातों का रखें ध्यान

आपको बता दें कि अगर आप किसी भी तरह के वाहन के साथ सड़क पर निकले हैं, तो हमेशा लाल बत्ती पर रुकें। लाल बत्ती जंप करने की गलती न करें और दूसरे वाहनों से सुरक्षित दूरी बनाकर वाहन चलाएं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान से बचने के लिए यातायात नियमों का पालन करें।

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इन कारणों से लाल बत्ती पर हो सकता है जुर्माना

– अगर आप गाड़ी चलाते समय लाल बत्ती को अनदेखा करके उसे पार करते हैं, तो यह यातायात नियमों का उल्लंघन है और इसके लिए जुर्माना लगाया जाता है। लाल बत्ती पर रुकना अनिवार्य है क्योंकि इससे सड़क सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

– पैदल चलने वालों को लाल बत्ती के दौरान सड़क पार करने का अधिकार है। अगर आप इस समय पैदल चलने वालों को रास्ता नहीं देते हैं, तो इसे यातायात उल्लंघन माना जाता है और इसके लिए जुर्माना लगाया जा सकता है।

– कई बार लोग लाल बत्ती पर थोड़ी देर रुकने के बाद जल्दबाजी में चौराहा पार कर जाते हैं, यह भी नियम का उल्लंघन है। आपको पूरी तरह से रुक जाना चाहिए और तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक कि बत्ती हरी न हो जाए।

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Panchayat Election: गैंगस्टरों का इतना खौफ कि किसी ने दाखिल नहीं किया नामांकन, पंजाब के इस गांव में हुआ अजीबोगरीब सियासी खेल

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पंजाब में पंचायत चुनाव की धूम मची हुई है। 15 अक्टूबर को पूरे राज्य में पंचायत चुनाव के लिए वोटिंग होगी। 4 अक्टूबर को सरपंच और पंच उम्मीदवारों के लिए नामांकन का आखिरी दिन था। इन पंचायत चुनावों की सरगर्मियों के बीच गैंगस्टरों के डर का एक नया रूप सामने आया है। फरीदकोट जिले के बहबल कलां गांव में पंचायत चुनाव के लिए किसी ने भी नामांकन दाखिल नहीं किया। इसकी वजह है गांव का रहने वाला कुख्यात गैंगस्टर सिम्मा बहबल। गैंगस्टर का डर इतना था कि गांव में एक भी शख्स ऐसा नहीं था जो खुद को सरपंच और पंच पद का उम्मीदवार बनाने की हिम्मत रखता हो। हम जिस गांव की बात कर रहे हैं उसका नाम है बहबल कलां।

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गैंगस्टर अपने पिता को गांव का सरपंच बनाना चाहता था

चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही पुलिस ने सिम्मा बहबल, उसके पिता और अन्य परिचितों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर ली थी। सिम्मा बहबल अपने पिता को गांव का सरपंच बनाना चाहता था। इसके बाद उसका परिवार नामांकन दाखिल नहीं कर पाया। समुदाय के किसी भी व्यक्ति ने नामांकन दाखिल नहीं किया, क्योंकि वे गुंडे और उसके परिवार से डरते थे। 15 अक्टूबर को पूरे राज्य में पंचायत चुनाव होने हैं। पंच-सरपंच पद के लिए नामांकन नहीं होने के कारण बहबल कलां में पंचायत चुनाव नहीं हो पाएंगे।

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जमानत पर बाहर है गैंगस्टर सिम्मा

गैंगस्टर सिम्मा बहबल ए कैटेगिरी का गैंगस्टर है। फरीदकोट जिले के थाने समेत पंजाबी थानों में उसके खिलाफ करीब 20 आपराधिक मामले दर्ज हैं। फिलहाल वह जमानत पर रिहा है। जेल से छूटने के बाद उसने अपने पिता को सरपंच बनाने की ठानी। कुछ दिन पहले सिम्मा बहबल ने इस संबंध में गांव में मीटिंग भी बुलाई थी। पुलिस के पहुंचते ही सिम्मा बहबल मौके से फरार हो गया। पुलिस ने जिन दो लोगों को हिरासत में लिया, उनके पास से हथियार बरामद हुए। फरीदकोट पुलिस ने सिम्मा बहबल, उसके पिता और अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। वहीं, फरीदकोट के एसपी बलजीत सिंह भुल्लर ने दावा किया कि बहबल कलां में किसी के नामांकन दाखिल न करने के बारे में जिला सरकार अधिसूचना जारी कर सकती है।

15 अक्टूबर को होगा मतदान

पंजाब में 15 अक्टूबर को होने वाले पंचायत चुनाव के लिए पंच के लिए 1.66 लाख से अधिक और सरपंच के लिए 52,000 से अधिक नामांकन दाखिल किए गए हैं। 15 अक्टूबर को 13,229 ग्राम पंचायतों के लिए चुनाव होंगे। पंजाब राज्य चुनाव आयोग के अनुसार, सरपंच पदों के लिए 52,825 और पंचों के लिए 1,66,338 नामांकन प्राप्त हुए हैं।

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पंजाब राज्य चुनाव आयुक्त राज कमल चौधरी ने बताया कि 15 अक्टूबर को सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक मतदान होगा। उसी दिन वोटरों की गिनती भी होगी। पंजाब में 83,437 पंच पदों और 13,237 सरपंच पदों के लिए वोट डाले जाएंगे। राज्य में कुल 1,33,97,922 पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें से 70,51,722 पुरुष मतदाता और 63,46,008 महिला मतदाता हैं। पंचायत चुनाव के लिए कुल 19,110 मतदान स्थलों का इस्तेमाल किया जाएगा।

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जानें यदि आप सपने में अपने मृतक रिश्तेदारों को दूर आसमान में देखते हैं तो इसका क्या मतलब है?

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सपने में दूर आसमान में मृत रिश्तेदारों को देखना एक विशेष प्रतीकात्मक अर्थ हो सकता है। विभिन्न संस्कृतियों और मान्यताओं में ऐसे सपनों की अलग-अलग व्याख्या की जाती है। इन सपनों की व्याख्या आपकी व्यक्तिगत मान्यताओं, भावनाओं और जीवन के अनुभवों पर निर्भर करती है। अगर यह सपना आपको कोई खास एहसास देता है, तो इसे ध्यान में रखें और अपने जीवन के संदर्भ में इसे समझने की कोशिश करें। वहीं, आज स्वप्न शास्त्र के जरिए हम आपको बताएंगे कि यदि आप सपने में अपने मृतक रिश्तेदारों को दूर आसमान में देखते हैं तो इसका क्या मतलब है और क्या ये सपना शुभ संकेत की ओर इशारा करता है या फिर किसी बुरे संकेत के बारे में बताता है।

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भावनात्मक लगाव और यादें

मृतक रिश्तेदार का सपना देखना अक्सर उनके प्रति आपके गहरे भावनात्मक लगाव और यादों को दर्शाता है। यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आप उन्हें याद कर रहे हैं या उनसे जुड़ी भावनाओं को थामे हुए हैं। दूर आसमान की ओर देखना यह संकेत दे सकता है कि आप उनकी संगति को याद कर रहे हैं और उनसे किसी तरह का मार्गदर्शन या संकेत प्राप्त करना चाहते हैं।

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आध्यात्मिक संकेत

बहुत से लोग मानते हैं कि मृतक रिश्तेदार हमें संदेश देने के लिए सपनों में हमारे पास आते हैं। यदि आप उन्हें आसमान में देख रहे हैं, तो यह इस बात का प्रतीक हो सकता है कि उनकी आत्मा में शांति है। यह सपना आपको यह आश्वस्त करने के लिए भी हो सकता है कि वे अब एक अच्छी जगह पर हैं और आपको चिंता नहीं करनी चाहिए।

जीवन में बदलाव या दिशा

आसमान में दूर किसी मृतक रिश्तेदार का सपना देखना इस बात का संकेत हो सकता है कि आपके जीवन में कोई बड़ा बदलाव या निर्णय होने वाला है। वे आपको यह बताने की कोशिश कर रहे होंगे कि आपको किसी खास दिशा में जाने की जरूरत है या आप सही रास्ते पर हैं। आकाश दूरियों और ऊंचाइयों का प्रतीक है, इसलिए यह इस बात का भी संकेत हो सकता है कि आपको अपने जीवन में किसी बड़े लक्ष्य की ओर देखना चाहिए।

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मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया

यह सपना आपकी आंतरिक भावनाओं और मानसिक स्थिति का भी संकेत हो सकता है। जब हम अपने प्रियजनों को खो देते हैं, तो मन अक्सर सपनों के माध्यम से उनसे जुड़ी भावनाओं को व्यक्त करता है। यह सपना आपके अवचेतन मन की उस प्रक्रिया का हिस्सा हो सकता है जिसमें आप उनके जाने के भावनात्मक प्रभाव से निपटने की कोशिश कर रहे हैं।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। नेड्रिक न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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कोरियोग्राफर जानी मास्टर से भारत सरकार ने वापस लिया नेशनल अवॉर्ड, सेरेमनी में शामिल होने पर भी लगी रोक

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राजकुमार राव और श्रद्धा कपूर की फिल्म ‘स्त्री 2’ के सुपरहिट गाने ‘आई नहीं’ के कोरियोग्राफर शेख जानी बाशा उर्फ ​​जानी मास्टर इन दिनों मुसीबतों से घिरे हुए हैं। दरअसल, एक पूर्व महिला कर्मचारी ने उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, जिसके बाद उन्हें 19 सितंबर को साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। बाद में उन्हें हैदराबाद लाया गया। इस बीच उन्हें एक और बड़ा झटका लगा है। ‘मेघम करुक्कथा’ गाने के लिए जानी मास्टर का ‘सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी श्रेणी’ में राष्ट्रीय पुरस्कार वापस ले लिया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में भाग लेने के लिए 3 अक्टूबर को अंतरिम जमानत दी गई थी, लेकिन अब इसे निलंबित कर दिया गया है।

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उप निदेशक इंद्राणी बोस द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है, ‘यह पत्र श्री शेख जानी बाशा (जानी मास्टर) को वर्ष 2022 के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में भाग लेने के लिए भेजा गया था, इससे पहले कि पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध के आरोप सामने आते।’

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जानी मास्टर का निमंत्रण वापस लिया गया

इसमें आगे कहा गया है, ‘आरोप की गंभीरता के कारण और चूंकि मामला न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए सक्षम प्राधिकारी ने श्री शेख जानी बाशा को वर्ष 2022 के लिए फिल्म ‘तिरुचित्रम्बलम’ के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार अगले आदेश तक निलंबित करने का निर्णय लिया है। इसलिए, 8 अक्टूबर 2024 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित होने वाले 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के लिए श्री शेख जानी बाशा को दिया गया निमंत्रण वापस लिया जाता है।’

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जानी मास्टर को मिली थी अंतरिम जमानत

कथित तौर पर, जानी मास्टर को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में भाग लेने के लिए 6 अक्टूबर से 10 अक्टूबर तक अंतरिम जमानत दी गई थी, जहां उन्हें धनुष और नित्या मेनन की फिल्म ‘थिरुचित्रम्बलम’ के गीत ‘मेघम करुक्कथा’ पर उनके काम के लिए पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।

पीड़िता ने लगाए गंभीर आरोप

21 वर्षीय पीड़िता ने आरोप लगाया है कि जानी मास्टर ने उसे काम के बदले यौन संबंध बनानी के लिए कहा। पीड़िता ने कहा कि कोरियोग्राफर ने पहली बार 2019 में उसके साथ बलात्कार किया और कई मौकों पर उसका यौन शोषण किया।

जानी मास्टर ने आरोपों से किया इनकार

आरोपों से इनकार करते हुए जानी ने कहा था,वह (पीड़िता) एक शो के ज़रिए उससे मिली थी। उसने नाबालिग़ होने पर यौन उत्पीड़न होने के बारे में झूठ बोला था। मैंने उसकी प्रतिभा को पहचाना और उसे सहायक कोरियोग्राफ़र के रूप में मौक़ा दिया। पीड़िता मुझसे शादी करने के लिए मानसिक रूप से प्रताड़ित करती थी। उसने मुझे कई बार धमकाया।”

जानी पर लगे आरोप

जानी पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत बलात्कार (धारा 376), आपराधिक धमकी (धारा 506) और स्वेच्छा से दर्द पहुँचाने (धारा 323) के अपराध के आरोप हैं। “स्त्री 2” के गाने “आज की रात” और “खेल खेल में” के गाने “डू यू नो” को भी जानी ने कोरियोग्राफ किया है।

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