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Bryan Johnson News: मुंबई की हवा 10 मिनट भी नहीं झेल पाए ब्रायन जॉनसन, छोड़ दिया पॉडक...

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Bryan Johnson News: अमेरिकी अरबपति और बायोहैकर ब्रायन जॉनसन (Bryan Johnson) खुद को हमेशा जवान बनाए रखने की कोशिशों के लिए मशहूर हैं। दावा किया जाता है कि वह हर साल करीब 16 करोड़ रुपये अपनी एंटी-एजिंग रिसर्च और ट्रीटमेंट्स पर खर्च करते हैं। 47 साल के जॉनसन रोजाना 111 गोलियां लेते हैं और उनका दावा है कि उनकी हड्डियां 30 साल की, दिल 37 साल का है।

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निखिल कामथ और ब्रायन जॉनसन की मुलाकात- Bryan Johnson News


भारतीय बिजनेसमैन निखिल कामथ (Nikhil Kamath), जो Zerodha के को-फाउंडर हैं, अपने पॉडकास्ट के लिए भी चर्चा में रहते हैं। उनके पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक शामिल हो चुके हैं। हाल ही में उन्होंने अपने शो के लिए ब्रायन जॉनसन को मुंबई के बांद्रा स्थित सी-फेसिंग अपार्टमेंट में बुलाया था, जहां से समुद्र का शानदार नज़ारा दिखता है।

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मुंबई की हवा नहीं कर पाए बर्दाश्त, बीच में छोड़ा पॉडकास्ट

पॉडकास्ट के लिए पूरी तैयारी की गई थी। बाहर AQI 160 था, लेकिन कमरे के अंदर इसे 130 पर नियंत्रित किया गया था। फिर भी ब्रायन जॉनसन मुंबई की हवा बर्दाश्त नहीं कर सके और सिर्फ 10 मिनट में पॉडकास्ट छोड़कर चले गए।

बाद में उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा –

“मैंने भारत में खराब हवा की वजह से पॉडकास्ट जल्दी खत्म कर दिया। होटल का एयर प्यूरीफायर बाहर की हवा को पूरी तरह से फिल्टर नहीं कर पाया, जिससे AQI 130 और PM2.5 लेवल 75 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर हो गया। यह 24 घंटे में 3.4 सिगरेट पीने के बराबर था।”

Bryan Johnson News Zerodha
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उन्होंने यह भी कहा कि –
“भारत में वायु प्रदूषण इतना सामान्य हो गया है कि इसके नकारात्मक प्रभावों को हर कोई नजरअंदाज करता है। लोग बिना किसी सुरक्षा के बाहर घूम रहे हैं, यहां तक कि बच्चे भी इस प्रदूषण के प्रभाव में आ रहे हैं। किसी ने भी ऐसा मास्क नहीं पहना जो इस जोखिम को कम कर सके।”

उन्होंने सुझाव दिया कि –
“भारत सभी प्रकार के कैंसरों के इलाज की तुलना में वायु की गुणवत्ता को सुधारकर अपनी आबादी के स्वास्थ्य में बड़ा सुधार कर सकता है।”

सोशल मीडिया पर मचा बवाल

ब्रायन जॉनसन के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कुछ लोग उन्हें भारत विरोधी बता रहे हैं। कुछ यूजर्स का कहना है कि भारतीय ऐसी हवा में रहने के आदी हैं और फिर भी 100 साल तक जीते हैं।

कई लोगों ने व्यंग्य करते हुए कहा कि – “कोई विदेशी हमें यह न बताए कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं।” कुछ लोग जॉनसन का समर्थन करते हुए कह रहे हैं कि वायु प्रदूषण वाकई में एक गंभीर समस्या है, जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए।

क्या भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर मुद्दा है?
ब्रायन जॉनसन का बयान भले ही विवादास्पद हो, लेकिन यह सच है कि भारत में वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन चुका है। खासकर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु जैसे महानगरों में हवा की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, PM2.5 और PM10 जैसे प्रदूषक फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं और दमा, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं। WHO के अनुसार, भारत में हर साल 12 लाख लोग वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों की वजह से समय से पहले मर जाते हैं।

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Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025: मतदान जारी, 1.56 करोड़ वोटर्स करेंगे अपने मताधिकार का...

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Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतदान जारी है। राजधानी की सभी 70 सीटों पर सुबह से वोटिंग हो रही है और शाम 6 बजे तक यह प्रक्रिया पूरी होगी। इस चुनाव में 1.56 करोड़ मतदाता अपने अधिकार का प्रयोग करेंगे और कुल 699 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे।

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तीसरी बार सत्ता में वापसी की कोशिश में AAP, बीजेपी-कांग्रेस की चुनौती

मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP), और कांग्रेस (INC) के बीच है। आम आदमी पार्टी तीसरी बार सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है, जबकि बीजेपी 25 साल के सत्ता के सूखे को खत्म करना चाहती है। कांग्रेस, जो पहले 15 वर्षों तक सत्ता में थी, पिछले दो चुनावों में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी और इस बार वापसी की कोशिश कर रही है।

Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025 politics
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चुनाव के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम- Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025

मतदान प्रक्रिया को सुरक्षित और निष्पक्ष बनाने के लिए 13,766 पोलिंग बूथ स्थापित किए गए हैं। सुरक्षा के लिए अर्धसैनिक बलों की 220 कंपनियां, 35,626 दिल्ली पुलिस के जवान, और 19,000 होमगार्ड तैनात किए गए हैं। लगभग 3,000 मतदान केंद्रों को संवेदनशील घोषित किया गया है, जहां विशेष सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। इसके अलावा, पुलिस टीम ड्रोन से भी निगरानी कर रही है।

वोटिंग अपडेट: किन क्षेत्रों में हुआ सबसे ज्यादा मतदान?

सुबह 11 बजे तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, मुस्तफाबाद, संगम विहार, और सीलमपुर में सबसे ज्यादा मतदान दर्ज किया गया।

  • मुस्तफाबाद: 26.33% वोटिंग
  • संगम विहार, सीलमपुर और गोकुलपुरी: 24% से अधिक मतदान
  • नई दिल्ली: 7%
  • जंगपुरा: 7.5%
  • कालकाजी: 6.2%
  • चांदनी चौक: 4.53%
  • करोल बाग: 4.49% (सबसे कम मतदान)
  • कुल मतदान (सुबह 9 बजे तक): 8.03%

चुनावी हस्तियों ने डाला वोट

कई बड़े नेताओं और उम्मीदवारों ने सुबह ही मतदान किया।

  • कांग्रेस नेता पवन खेड़ा: निजामुद्दीन ईस्ट में मतदान किया।
  • दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पिता: गोबिंद राम केजरीवाल ने अपना वोट डाला।
  • दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी (AAP): कालकाजी में मतदान किया और बीजेपी पर चुनाव में गड़बड़ी के आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “धर्म युद्ध में सच्चाई की जीत होगी।”

मुस्तफाबाद बना चुनावी हॉटस्पॉट

मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र में सुबह 9 बजे तक सबसे ज्यादा मतदान हुआ। इस सीट से AIMIM ने ताहिर हुसैन को टिकट दिया है, जो दिल्ली दंगों के आरोपी हैं।

Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025 politics
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  • मुस्तफाबाद: 12.17% मतदान
  • करोल बाग: 4.49% मतदान (सबसे कम)

चुनाव से जुड़े विवाद और सुरक्षा मुद्दे

चुनाव प्रचार के दौरान कई आरोप-प्रत्यारोप लगे। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली पुलिस पर बीजेपी की मदद करने का आरोप लगाया, जबकि बीजेपी ने AAP सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। सुरक्षा को लेकर चुनाव आयोग सतर्क है और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पूरी तैयारी की गई है

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतदान जोरों पर है। आम आदमी पार्टी अपनी सत्ता बचाने की लड़ाई में जुटी है, जबकि बीजेपी और कांग्रेस वापसी की कोशिश में हैं। सुरक्षा के कड़े इंतजाम के बीच वोटिंग जारी है और 8 फरवरी को इसका परिणाम सामने आएगा।

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Central Govt advisory for ChatGPT DeepSeek: भारत सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए A...

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Central Govt advisory for ChatGPT DeepSeek: भारत सरकार ने एक नया आदेश जारी किया है, जिसमें सरकारी कर्मचारियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ऐप्स और प्लेटफॉर्म के उपयोग को लेकर सतर्क किया गया है। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी इस निर्देश में बताया गया है कि कुछ सरकारी कर्मचारी कार्यालय के कंप्यूटर और लैपटॉप पर AI एप्लिकेशन जैसे कि ChatGPT और DeepSeek का उपयोग कर रहे हैं। सरकार ने इस प्रथा को संवेदनशील डेटा और गोपनीय दस्तावेजों के लिए खतरा बताया है और सरकारी डिवाइस पर इनके इस्तेमाल पर रोक लगाने का निर्देश दिया है।

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सरकारी कंप्यूटरों पर AI के इस्तेमाल पर रोक- Central Govt advisory for ChatGPT DeepSeek

सरकार द्वारा जारी सर्कुलर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि AI ऐप्स और टूल्स को सरकारी कंप्यूटर, लैपटॉप और अन्य आधिकारिक डिवाइसेज़ पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यह कदम सरकारी डेटा और गोपनीयता को सुरक्षित रखने के लिए उठाया गया है। हालांकि, सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि वे AI उपयोगकर्ताओं को हतोत्साहित नहीं करना चाहते, बल्कि वे केवल सुरक्षा और प्राइवेसी को प्राथमिकता दे रहे हैं।

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AI ऐप्स के बढ़ते उपयोग और सुरक्षा चिंताएं

भारत में कई विदेशी AI एप्लिकेशन उपलब्ध हैं, जिनमें ChatGPT, DeepSeek और Google Gemini प्रमुख रूप से शामिल हैं। ये एप्लिकेशन यूज़र्स का काम आसान बनाने के लिए विकसित किए गए हैं, लेकिन सरकारी कंप्यूटरों में इनके इस्तेमाल से संवेदनशील डेटा लीक होने का खतरा बढ़ जाता है। AI टूल्स आमतौर पर उपयोगकर्ता की अनुमति मांगते हैं, जिससे उन्हें फाइलों और अन्य संवेदनशील सूचनाओं तक पहुंच मिल सकती है। इस वजह से सरकार ने एहतियाती कदम उठाए हैं।

कैसे काम करते हैं AI ऐप्स?

AI ऐप्स और चैटबॉट का उपयोग कई लोग लैटर, आर्टिकल और ट्रांसलेशन के लिए कर रहे हैं। इसके अलावा, प्रेजेंटेशन बनाने और अन्य कार्यालयी कार्यों के लिए भी इनका उपयोग किया जा रहा है। AI टूल्स यूज़र के इनपुट के आधार पर आउटपुट तैयार करते हैं और डेटा को प्रोसेस करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हैं।

Central Govt advisory for ChatGPT DeepSeek
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DeepSeek का बढ़ता प्रभाव और सुरक्षा मुद्दे

चीन का AI स्टार्टअप DeepSeek हाल ही में तेजी से लोकप्रिय हुआ है। यह स्टार्टअप जनवरी 2025 में अपने R1 चैटबॉट के कारण सुर्खियों में आया, जिसने कई AI कंपनियों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। हालांकि, DeepSeek के डेटा संग्रहण के तरीकों को लेकर चिंताएं भी बढ़ रही हैं। अमेरिका की संसद (यूएस कांग्रेस) ने अपने आधिकारिक उपकरणों में DeepSeek के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

अमेरिका और यूरोप में AI पर प्रतिबंध

अमेरिकी कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि कई चैटबॉट को सिस्टम में खतरनाक सॉफ़्टवेयर अपलोड करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, और DeepSeek को लेकर भी जोखिम बताए गए हैं। यूएस संसद के चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर ने कहा है कि DeepSeek की सुरक्षा संबंधी जांच जारी है। यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिकी सरकार ने किसी AI टूल पर रोक लगाई हो। 2023 में भी ChatGPT के उपयोग पर सीमित प्रतिबंध लगाए गए थे, और अप्रैल 2024 में Microsoft Copilot पर भी प्रतिबंध लगाया गया था।

इटली में DeepSeek की जांच शुरू

इटली की डेटा प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने 30 जनवरी 2025 को DeepSeek पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया और इसके खिलाफ जांच शुरू कर दी। डेटा सुरक्षा को लेकर DeepSeek की ओर से संतोषजनक जवाब न मिलने और यूरोपीय डेटा सुरक्षा कानूनों के अनुरूप न होने के कारण यह कार्रवाई की गई।

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Top 7 Gurdwaras in Tamil Nadu: तमिलनाडु में ऐतिहासिक सिख गुरुद्वारे, गुरु नानक देव जी...

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Top 7 Gurdwaras in Tamil Nadu: तमिलनाडु न केवल अपने मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां कई ऐतिहासिक और प्रतिष्ठित गुरुद्वारे भी हैं जो सिख समुदाय की आध्यात्मिकता और विरासत को दर्शाते हैं। दरअसल गुरु नानक देव जी ने अपनी पहली उदासी (धार्मिक यात्रा) के दौरान भारत के विभिन्न भागों का भ्रमण किया। इस यात्रा के दौरान वे दक्षिण भारत भी पहुंचे और तमिलनाडु के कई महत्वपूर्ण स्थलों पर रुके। गुरु नानक की शिक्षाओं और उनके पदचिह्नों को संरक्षित करने के लिए इन स्थानों पर कई गुरुद्वारे स्थापित किए गए। आइए, तमिलनाडु के प्रमुख गुरुद्वारों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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1. गुरुद्वारा गुरु नानक धाम (Rameshwaram) – Top 7 Gurdwaras in Tamil Nadu

स्थान: रामेश्वरम, तमिलनाडु

रामेश्वरम हिंदू तीर्थस्थल के रूप में प्रसिद्ध है, लेकिन यहां एक महत्वपूर्ण सिख गुरुद्वारा भी स्थित है जिसे गुरु नानक धाम कहा जाता है। यह गुरुद्वारा गुरु नानक देव जी की यात्रा की स्मृति में बनाया गया है। सिखों का मानना है कि गुरु नानक यहां 500 साल पहले आए थे।

इतिहास:

  • 1511 में, गुरु नानक श्रीलंका से लौटते समय रामेश्वरम आए और यहां 19 दिन तक रहे।
  • उन्होंने राजा शिवनाभ और अन्य 18 लोगों को सामाजिक बंधनों से मुक्त होने की शिक्षा दी।
  • जब उन्होंने देखा कि द्वीप पर पानी खारा है, तो उन्होंने एक कुआँ खोदा, जिससे मीठा पानी प्राप्त हुआ।
  • भक्तों ने गुरु नानक के ठहरने के स्थान को मंडपम के रूप में संरक्षित किया है।

2. गुरुद्वारा पहली पातशाही (Kanchipuram)

स्थान: कांचीपुरम, जिला चंगलपट्टू, तमिलनाडु

कांचीपुरम, जिसे ‘मंदिरों का शहर’ कहा जाता है, में स्थित यह गुरुद्वारा गुरु नानक देव जी के प्रथम आगमन की याद में बनाया गया है।

Gurudwara pehli Patshahi Kanchipuram
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महत्व:

  • यह स्थान गुरु नानक की पहली उदासी का साक्षी है।
  • यहाँ गुरु नानक जी ने स्थानीय संतों और विद्वानों से भेंट की।
  • गुरुद्वारे का निर्माण सिख संगतों ने उनके सम्मान में किया।

3. गुरुद्वारा पहली पातशाही (Trichanapalli)

स्थान: तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु

गुरु नानक जी की यात्रा के दौरान इस क्षेत्र में एक गुरुद्वारा बनाया गया था। हालांकि, समय के साथ यह गिर गया और अब कोई गुरुद्वारा वहाँ नहीं है।

4. गुरुद्वारा पहली पातशाही (Trivanmalay)

स्थान: तिरुवन्नामलाई, अरकत जिला, तमिलनाडु

तिरुवन्नामलाई, जो कि शैव पंथ का प्रमुख केंद्र है, में गुरु नानक देव जी का आगमन हुआ।

महत्व:

  • गुरु नानक यहाँ योगियों और साधुओं से मिलने आए थे।
  • यहाँ मंजी साहिब नामक स्मारक बनाया गया है।
  • यह स्थान बेंगलुरु से 210 किमी और चेन्नई से 185 किमी दूर स्थित है।

5. गुरुद्वारा टी नगर (Chennai)

स्थान: जी.एन. चेट्टी रोड, टी नगर, चेन्नई, तमिलनाडु

चेन्नई में स्थित यह गुरुद्वारा ऐतिहासिक नहीं है, लेकिन सिख समुदाय का प्रमुख धार्मिक स्थल है।

Gurudwara T Nagar Chennai
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इतिहास:

  • 1949 में लेफ्टिनेंट कर्नल गिल (पूर्व जेल महानिदेशक) द्वारा स्थापित किया गया।
  • यहाँ गुरु नानक, गुरु गोबिंद सिंह और गुरु अर्जुन देव के प्रकाश पर्व पर विशेष समारोह होते हैं।
  • यहाँ गुरु का लंगर (सामुदायिक भोजन सेवा) चलता है।
  • एक नि:शुल्क चिकित्सा केंद्र भी संचालित है।

संपर्क विवरण:

  • पता: 127/A, G.N. Chetty Road, T Nagar, Chennai – 600017, Tamil Nadu, India
  • फोन: 2834 3519 / 9509

6. गुरुद्वारा तिलगंज साहिब (Tilganji Sahib)

स्थान: पल्लीपुरम और कोट्टायम के पास, तमिलनाडु

गुरु नानक देव जी की यात्रा के दौरान इस स्थान का महत्व बढ़ा। यहाँ स्थानीय साधुओं ने गुरु जी को एक तिल का बीज दिया और कहा कि इसे कैसे साझा करेंगे। गुरु नानक ने उसे पानी में घोलकर सभी को बाँट दिया, जिससे उन्होंने साझेदारी और सामूहिकता का संदेश दिया।

gurudwara Tilganji Sahib
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7. गुरुद्वारा पहली पातशाही (Rameshwaram)

स्थान: रामेश्वरम, तमिलनाडु

गुरु नानक देव जी की याद में यहाँ गुरुद्वारा गुरु नानक उदासी मठ बनाया गया है।

महत्व:

  • यह गुरुद्वारा गुरु नानक जी के प्रथम आगमन की स्मृति को बनाए रखने के लिए बनाया गया।
  • यह स्थल सिखों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि गुरु नानक देव जी ने यहाँ अपने प्रवचनों के माध्यम से समानता और भाईचारे का संदेश दिया था।

तमिलनाडु में सिख गुरुद्वारों का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

तमिलनाडु में स्थित ये गुरुद्वारे सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं हैं, बल्कि गुरु नानक जी की शिक्षाओं और उनके संदेशों को संरक्षित करने वाले ऐतिहासिक धरोहर भी हैं। उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान सामाजिक समरसता, जातिगत भेदभाव के खिलाफ उपदेश दिए और लंगर जैसी परंपराएँ शुरू कीं।

कैसे पहुँचे?

  • सड़क मार्ग: चेन्नई और कांचीपुरम तक आसानी से सड़क मार्ग से पहुँचा जा सकता है।
  • रेल मार्ग: अधिकांश स्थान प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़े हैं।
  • हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा चेन्नई (Madras) है।

तमिलनाडु में स्थित ये ऐतिहासिक गुरुद्वारे सिख धर्म के विस्तार और गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं के प्रमाण हैं। इन स्थानों पर जाकर भक्त उनकी शिक्षाओं को याद कर सकते हैं और सिख परंपरा को समझ सकते हैं। इन गुरुद्वारों का संरक्षण और प्रचार आवश्यक है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ गुरु नानक देव जी के उपदेशों से प्रेरणा ले सकें।

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Sikhism in Australia: ऑस्ट्रेलिया में सिखों का ऐतिहासिक सफर, 1800 के दशक की शुरुआत मे...

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Sikhism in Australia: ऑस्ट्रेलिया में सिखों का आगमन 1800 के दशक की शुरुआत में हुआ था, जब भारतीयों को ब्रिटिश नाविक कैप्टन कुक के जहाज़ के हिस्से के रूप में लाया गया। सबसे पहले दर्ज सिख, दबी सिंह, 1844 में ब्रिसबेन में रह रहे थे। 1880 के दशक के बाद पुरुषों के बड़े समूह ऑस्ट्रेलिया आने लगे, जिनमें अधिकतर पंजाबी किसान, व्यापारी और मज़दूर शामिल थे।

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सिखों ने शुरुआत में गन्ना बागानों, ऊँट परिवहन, सड़क निर्माण और कृषि में काम किया। कई सिखों ने ऊँट चालकों (अफ़गानों) के रूप में ऑस्ट्रेलिया के रेगिस्तानी इलाकों में परिवहन और आपूर्ति में सहायता की। उत्तर पश्चिमी पंजाब के कई मुसलमान भी ऊँट चालकों के रूप में कार्यरत थे।

ब्रिटिश शासन और सिखों का प्रवास- Sikhism in Australia

भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों ब्रिटिश उपनिवेश थे, जिससे सिखों को अन्य ब्रिटिश देशों में जाने की स्वतंत्रता थी। 1880 के बाद, सैकड़ों सिख पंजाब के दोआबा क्षेत्र से ऑस्ट्रेलिया आने लगे। उनकी आमदनी से वे पंजाब में ज़मीन खरीदते, मकान बनवाते और सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाते थे।

Sikhism in Australia
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सिखों की बसावट और कार्यक्षेत्र

sikhiwiki द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक, प्रारंभिक सिख प्रवासियों ने उत्तरी क्वींसलैंड (केर्न्स, एथर्टन) और न्यू साउथ वेल्स (ग्राफ्टन, बैलिना) के गन्ना बागानों में काम किया। कुछ ने केले के बागानों, फेरीवाले और कृषि श्रमिकों के रूप में भी कार्य किया। वे पूरे ऑस्ट्रेलिया में फैले और विभिन्न नौकरियों में शामिल हुए।

सिखों के प्रमुख कार्यक्षेत्र:

  • गन्ना और केले की खेती (न्यू साउथ वेल्स और क्वींसलैंड)
  • ऊँट परिवहन (मध्य और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया)
  • फेरीवाले और व्यापारी (विक्टोरिया, दक्षिण और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया)
  • कृषि मजदूर और निर्माण कार्य

सिख धर्म और सांस्कृतिक पहचान

ऑस्ट्रेलिया में सिख धर्म का विस्तार हुआ, और 1978 में पहला गुरुद्वारा सिडनी में बना। वूलगूल्गा, जो न्यू साउथ वेल्स में स्थित है, सिख प्रवास का सबसे बड़ा केंद्र बन गया। यहाँ दो प्रमुख गुरुद्वारे हैं:

Sikhism in Australia gurudwara Australia
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  1. सिख मंदिर वूलगूल्गा (ऑस्ट्रेलिया का पहला गुरुद्वारा)
  2. गुरु नानक गुरुद्वारा (‘पहाड़ी पर मंदिर’)

व्हाइट ऑस्ट्रेलिया नीति और संघर्ष

1901 से 1973 तक लागू व्हाइट ऑस्ट्रेलिया नीति के कारण भारतीयों के आप्रवासन पर प्रतिबंध था। हालाँकि, जो लोग 1900 से पहले आए थे, उन्हें डिक्टेशन टेस्ट से छूट (CEDT) दी गई थी, जिससे वे देश में रह सकते थे।

कई सिखों ने इस नीति के दौरान कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान बनाए रखी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, सिखों को ऑस्ट्रेलिया में बसने की अधिक स्वतंत्रता मिली।

ऑस्ट्रेलिया में सिखों की बढ़ती जनसंख्या

  • 2006 में ऑस्ट्रेलिया में सिखों की संख्या 26,000 थी, जो 2016 तक बढ़कर 125,000 हो गई।
  • 2023 में, ऑस्ट्रेलिया में सिखों की संख्या 2,10,000 से अधिक हो गई, जो कुल आबादी का 8% है।
  • सिख धर्म ऑस्ट्रेलिया में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला धार्मिक समूह है।

सिखों के योगदान और मान्यता

  • विक्टोरिया राज्य में गुरु नानक जयंती बड़े पैमाने पर मनाई जाती है।
  • सिखों ने ऑस्ट्रेलियाई समाज में खुद को सफलतापूर्वक स्थापित किया है, विशेष रूप से कृषि, व्यापार और शिक्षा क्षेत्रों में।
  • सिख समुदाय ने ब्लूबेरी और केले की खेती में अग्रणी भूमिका निभाई है।
  • ऑस्ट्रेलिया में कई सिख व्यापार, आईटी और स्वास्थ्य सेवा में उच्च पदों पर हैं।

ऑस्ट्रेलिया में सिख समुदाय का इतिहास संघर्ष, मेहनत और समर्पण की कहानी है। 1800 के दशक में आए सिखों ने कृषि, व्यापार और परिवहन के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज, वे ऑस्ट्रेलिया की सामाजिक और आर्थिक संरचना का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं और आने वाले वर्षों में उनकी उपस्थिति और अधिक मजबूत होने की संभावना है। सिखों का योगदान ऑस्ट्रेलिया में न केवल व्यापार और कृषि तक सीमित है, बल्कि उन्होंने राजनीति, रक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में भी अपनी पहचान बनाई है।

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Sikhism in Argentina: 20वीं सदी की शुरुआत से लेकर आधिकारिक मान्यता तक, जानें अर्जेंटी...

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Sikhism in Argentina: अर्जेंटीना में सिखों का आगमन 1890 के दशक के अंत और 1900 के दशक की शुरुआत में हुआ। अधिकांश सिख मजदूर रेलवे लाइनों पर काम करने या ब्रिटिश चीनी मिलों में रोजगार के अवसर खोजने के लिए यहाँ आए थे।

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कनाडा और अमेरिका की आप्रवासन नीति के कारण अर्जेंटीना पहुँचे सिख

Wikipedia से मिली जानकारी के मुताबिक, 1900 के दशक की शुरुआत में अमेरिका में एंटी-एशियन इमिग्रेशन पॉलिसी और कनाडा में व्हाइट-ओनली पॉलिसी के कारण सिखों को इन देशों में बसने में कठिनाई हुई। परिणामस्वरूप, कई सिख आर्थिक अवसरों की तलाश में अर्जेंटीना आए। बड़ी संख्या में सिख पहले ब्राज़ील पहुंचे, और फिर अर्जेंटीना में बस गए।

Sikhism in Argentina Sikhs Workers
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नस्लवाद और भेदभाव- Sikhism in Argentina

1912 में जब बड़ी संख्या में सिख मजदूर अर्जेंटीना पहुंचे, तो स्थानीय राजनेताओं और इमिग्रेशन अधिकारियों की ओर से नकारात्मक प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं। अर्जेंटीना सरकार ने एशियाई आप्रवासियों पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की।

ब्रिटिश राजनयिक रेजिनाल्ड टॉवर ने 1912 में लिखा कि अर्जेंटीना सरकार ने सभी विदेशी शिपिंग कंपनियों से अनुरोध किया कि वे एशियाई लोगों को अर्जेंटीना लाने से इनकार करें।

ग़दर आंदोलन और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

1910 से 1930 के बीच भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल ग़दर पार्टी के अधिकारी अर्जेंटीना में सिखों से मिले। सरदार अजीत सिंह जैसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों ने भी इस दौरान अर्जेंटीना का दौरा किया।

अकादमिक अध्ययन और शोध

अर्जेंटीना सहित लैटिन अमेरिका में सिखों के प्रवास पर व्यापक शोध किया गया है। अकादमिक स्वर्ण सिंह ने अपनी पुस्तक “Sikhs in Latin America: Travels Among the Sikh Diaspora” में अर्जेंटीना में सिखों के इतिहास और संस्कृति का गहराई से अध्ययन किया।

20वीं सदी के उत्तरार्ध में सिख समुदाय

1983 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने अर्जेंटीना की यात्रा की और अर्जेंटीना कांग्रेस में भाषण दिया। उन्होंने 1930 में अर्जेंटीना में प्रवास करने वाले पंजाबी मूल के 100 परिवारों से मुलाकात की।

21वीं सदी में अर्जेंटीना में सिख समुदाय

सिख धर्म को आधिकारिक मान्यता (2018)

  • 2018 में, अर्जेंटीना सरकार ने आधिकारिक रूप से सिख धर्म को मान्यता दी।

सिखों की आर्थिक स्थिति और सफलता

आज, कई सिख अर्जेंटीना में रैंच, ट्रांसपोर्ट कंपनियाँ, सुपरमार्केट और रिटेल स्टोर्स के मालिक हैं। सिमरपाल सिंह, जो ‘Peanut Prince of Argentina’ के नाम से जाने जाते हैं, एक सफल सिख व्यापारी हैं। 2012 में उनकी कंपनी Olam International का वार्षिक राजस्व सिंगापुर $17 बिलियन था।

अर्जेंटीना में सिखों की जनसांख्यिकी

अधिकांश सिख 1930 के दशक में पंजाब से प्रवास करके अर्जेंटीना पहुंचे या 3HO समुदाय से जुड़े हुए हैं। हाल के वर्षों में पंजाब, भारत से कुछ नए प्रवासी सिख भी अर्जेंटीना आए हैं। अर्जेंटीना में रहने वाले सिखों में कुछ स्थानीय विवाह के प्रति खुले विचार रखते हैं, जबकि कुछ अपनी सांस्कृतिक विरासत से गहरे जुड़े हुए हैं। अर्जेंटीना के साल्टा (Salta) शहर में सिख किसानों और व्यापारियों का एक बड़ा समुदाय बसा हुआ था।

अर्जेंटीना में सिख धर्म स्थल (गुरुद्वारा)

अर्जेंटीना में सिख समुदाय का केवल एक गुरुद्वारा है, जो रोसारियो डे ला फ्रोंटेरा (Rosario de la Frontera) में स्थित है।

Gurdwara Rosario de la Frontera
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अर्जेंटीना में सिखों का प्रवास और उनके संघर्षों की यह कहानी सिख समुदाय के साहस, आत्मनिर्भरता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। प्रारंभिक वर्षों में भेदभाव और नस्लवाद का सामना करने के बावजूद, सिख समुदाय ने अर्जेंटीना में अपनी जगह बनाई और आर्थिक और सामाजिक रूप से समृद्धि हासिल की। आज, वे अर्जेंटीना के व्यापारिक और कृषि क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और सिख धर्म को आधिकारिक मान्यता मिलने के बाद उनकी पहचान और भी मजबूत हुई है।

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World Most expensive Nelore cow: दुनिया की सबसे महंगी नेलोरे गाय, ‘वियाटिना-19&...

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World Most expensive Nelore cow: ब्राजील में हाल ही में नेलोरे नस्ल की गाय ‘वियाटिना-19’ को रिकॉर्ड तोड़ 4.8 मिलियन डॉलर (करीब 35 करोड़ रुपये) में नीलाम किया गया। यह अबतक की सबसे महंगी बिकने वाली गाय बन गई है। इसकी कीमत इतनी अधिक है कि इस राशि में दर्जनों विश्वस्तरीय लग्जरी कारें खरीदी जा सकती हैं।

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कैसी है वियाटिना-19? (World Most expensive Nelore cow)

‘वियाटिना-19’ अपने विशेष आनुवंशिक गुणों, मजबूत शरीर संरचना और अद्भुत प्रजनन क्षमता के लिए जानी जाती है। इसका वजन 1,101 किलोग्राम है, जो इसे सामान्य गायों से कहीं अधिक भारी और ताकतवर बनाता है। यह गाय दुग्ध उत्पादन और पशुपालन उद्योग में अत्यधिक मांग वाली प्रजाति बन चुकी है।

 

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नेलोरे नस्ल: भारत से ब्राज़ील तक का सफर

नेलोरे गाय का मूल भारत में है, जहां इसे पहले ओंगोले नस्ल के रूप में पहचाना जाता था। 1800 के दशक में इस नस्ल को ब्राजील ले जाया गया, जहां यह अपनी गर्मी सहनशीलता, रोग प्रतिरोधक क्षमता और तेजी से बढ़ने की विशेषताओं के कारण बेहद लोकप्रिय हो गई। आज नेलोरे गायें ब्राजील के मांस उद्योग की रीढ़ मानी जाती हैं और वैश्विक बाजार में इनकी कीमत लगातार बढ़ रही है।

वियाटिना-19 ने रचा इतिहास

‘वियाटिना-19’ केवल अपनी ऊंची कीमत के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी शुद्ध आनुवंशिक श्रेष्ठता और बेहतरीन ब्रीडिंग गुणों के कारण भी चर्चा में रही है। इसने गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे महंगी गाय का खिताब अपने नाम किया है। इसके अलावा, इसे “मिस साउथ अमेरिका” का खिताब भी मिल चुका है।

ओंगोले गाय: भारतीय पशुपालन की पहचान

भारत में जिस नस्ल को ओंगोले गाय कहा जाता है, वही ब्राजील में नेलोरे के नाम से प्रसिद्ध है। यह नस्ल आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले से ताल्लुक रखती है और अपनी अत्यधिक सहनशीलता, ऊर्जावान शरीर और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जानी जाती है। आज भी भारत में ओंगोले नस्ल की गायों की भारी मांग बनी हुई है और यह वैश्विक पशुधन उद्योग में भारत की अहम पहचान है।

पशुपालन उद्योग में ‘वियाटिना-19’ का प्रभाव

‘वियाटिना-19’ के अद्वितीय आनुवंशिक गुणों को ध्यान में रखते हुए, इसके प्रजनन अंडों (Embryos) को वैश्विक स्तर पर बेचा जाएगा। इससे भविष्य में उच्च गुणवत्ता वाली कैटल ब्रीडिंग को बढ़ावा मिलेगा। यह सौदा पशुपालन उद्योग में प्रीमियम कैटल जीनोटाइप की बढ़ती मांग को दर्शाता है और इस क्षेत्र में नई आर्थिक संभावनाओं को जन्म देता है।

‘वियाटिना-19’ की रिकॉर्ड कीमत और इसकी आनुवंशिक श्रेष्ठता ने वैश्विक पशुपालन उद्योग में एक नई मिसाल कायम की है। यह केवल एक गाय नहीं, बल्कि एक जैविक धरोहर है, जो आने वाले समय में कैटल ब्रीडिंग और पशुपालन उद्योग को नए आयाम देगी।

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Hyundai Exter, Aura, i20 discounts: हुंडई कारों पर शानदार छूट! इस फरवरी में 68,000 रु...

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Hyundai Exter, Aura, i20 get discounts: अगर आप नई कार खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो यह समय आपके लिए बेहतरीन साबित हो सकता है। हुंडई भारत में अपनी कुछ लोकप्रिय कारों पर शानदार छूट दे रही है। इस फरवरी में हुंडई i20, एक्सटर, ऑरा और ग्रैंड i10 निओस जैसी कारों पर 68,000 रुपये तक की छूट उपलब्ध है। इस छूट में कैश डिस्काउंट, एक्सचेंज बोनस और कॉर्पोरेट डील शामिल हैं। आइए जानते हैं किन-किन कारों पर कितना लाभ मिल रहा है और यह छूट किन कार खरीदारों के लिए सबसे फायदेमंद हो सकती है।

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हुंडई i20 – 65,000 रुपये तक की छूट- Hyundai Exter, Aura, i20 get discounts

हुंडई की प्रीमियम हैचबैक i20 पर ग्राहकों को 65,000 रुपये तक की छूट मिल रही है। इस कार में 1.2-लीटर, 83 हॉर्सपावर वाला पेट्रोल इंजन दिया गया है, जो 5-स्पीड मैनुअल गियरबॉक्स और CVT ऑटोमैटिक के विकल्प के साथ आता है।

Hyundai Cars February Discounts
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स्पोर्टी लुक और दमदार परफॉर्मेंस के लिए हुंडई i20 N लाइन मॉडल भी उपलब्ध कराती है, जिसमें 1.0-लीटर टर्बो-पेट्रोल इंजन (120 हॉर्सपावर) दिया गया है। हालांकि, हुंडई ने अभी स्पष्ट नहीं किया है कि N लाइन मॉडल इस छूट में शामिल होगा या नहीं।

हुंडई एक्सटर – 40,000 रुपये तक की छूट

हुंडई की कॉम्पैक्ट SUV एक्सटर पर 40,000 रुपये तक की छूट मिल रही है। इस SUV में भी हुंडई i20, ऑरा और ग्रैंड i10 निओस वाला 1.2-लीटर, 83 हॉर्सपावर का पेट्रोल इंजन मौजूद है।

यह कार 5-स्पीड मैनुअल और 5-स्पीड AMT ट्रांसमिशन के साथ आती है। हुंडई ने इसमें डुअल-सिलेंडर CNG किट का विकल्प भी दिया है, जो फ्यूल एफिशिएंसी को और बेहतर बनाता है।

हुंडई ऑरा – 53,000 रुपये तक की छूट

हुंडई की सेडान ऑरा भी इस डिस्काउंट ऑफर में शामिल है। इस कार पर 53,000 रुपये तक की छूट मिल रही है। हुंडई ऑरा में 1.2-लीटर पेट्रोल इंजन दिया गया है, जो 83 हॉर्सपावर की ताकत देता है।

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ग्राहक इसे 5-स्पीड मैनुअल और 5-स्पीड AMT ट्रांसमिशन में खरीद सकते हैं। इसके अलावा, हुंडई ऑरा के कुछ वेरिएंट में CNG किट का विकल्प भी मिलता है, जो ईंधन की खपत को किफायती बनाता है।

हुंडई ग्रैंड i10 निओस – 68,000 रुपये तक की छूट

अगर आप एक किफायती हैचबैक की तलाश में हैं, तो हुंडई ग्रैंड i10 निओस पर आपको इस महीने सबसे ज्यादा फायदा मिलेगा। हुंडई इस कार पर 68,000 रुपये तक की छूट दे रही है।

यह कार 1.2-लीटर पेट्रोल इंजन के साथ आती है, जो 83 हॉर्सपावर और 113 Nm टॉर्क जनरेट करता है। इसके ट्रांसमिशन विकल्पों में 5-स्पीड मैनुअल और 5-स्पीड AMT शामिल हैं।

हुंडई ग्रैंड i10 निओस में फैक्ट्री-फिटेड CNG किट का विकल्प भी दिया गया है। हालांकि, CNG वर्जन में पावर आउटपुट 69 हॉर्सपावर और 95 Nm तक सीमित हो जाता है, लेकिन यह ईंधन खपत को अधिक किफायती बना देता है।

यह ऑफर आपके लिए क्यों फायदेमंद है?

  • बजट में फिट: अगर आप एक किफायती और स्टाइलिश कार खरीदना चाहते हैं, तो यह छूट आपको अच्छी बचत करने में मदद करेगी।
  • कई विकल्प: छोटी हैचबैक से लेकर सेडान और कॉम्पैक्ट SUV तक, हुंडई के कई मॉडल इस ऑफर में शामिल हैं।
  • विश्वसनीय ब्रांड: हुंडई भारत में एक भरोसेमंद कार निर्माता कंपनी है, जिसकी गाड़ियां टिकाऊ और माइलेज में बेहतरीन मानी जाती हैं।

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Producer KP Choudhary Death: रजनीकांत की फिल्म कबाली के प्रोड्यूसर केपी चौधरी की संदि...

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Producer KP Choudhary Death: साउथ फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने प्रोड्यूसर सुंकारा कृष्ण प्रसाद चौधरी (केपी चौधरी) की लाश सोमवार (3 फरवरी) को गोवा स्थित उनके घर में पंखे से लटकी मिली। गोवा पुलिस महानिदेशक (DGP) के मुताबिक, पुलिस को जानकारी मिलने के बाद चौधरी को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

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आर्थिक संकट और ड्रग्स केस में गिरफ्तारी बनी वजह? (Producer KP Choudhary Death)

सूत्रों के मुताबिक, चौधरी ने आत्महत्या की है, लेकिन मौत की असली वजह का खुलासा अभी तक नहीं हुआ है। शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, केपी चौधरी फिल्म इंडस्ट्री में हुए आर्थिक नुकसान और 2023 में ड्रग्स केस में गिरफ्तारी के बाद से मानसिक रूप से परेशान थे। हाल ही में वे गोवा में एक पब का संचालन कर रहे थे। पुलिस इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है।

Producer KP Choudhary Death Entertainment
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पुलिस ने शुरू की जांच, नॉर्थ गोवा SP मौके पर पहुंचे

घटना की जानकारी मिलने के बाद नॉर्थ गोवा SP समेत अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे और उनके घर की तलाशी ली। नॉर्थ गोवा की अंजुना पुलिस ने इस मामले में शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने चौधरी के निजी और व्यवसायिक जीवन से जुड़े पहलुओं की गहन पड़ताल शुरू कर दी है।

2023 में ड्रग्स केस में हुई थी गिरफ्तारी

केपी चौधरी को साइबराबाद पुलिस की स्पेशल ऑपरेशन टीम ने 2023 में ड्रग्स मामले में गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान चौंकाने वाले खुलासे हुए थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, चौधरी न सिर्फ टॉलीवुड (तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री) बल्कि कॉलीवुड (तमिल फिल्म इंडस्ट्री) में भी सक्रिय थे और उनके बिजनेस सर्कल में कई ड्रग्स क्लाइंट थे। हालांकि, बाद में उन्हें इस मामले में जमानत मिल गई थी।

‘कबाली’ फिल्म के प्रोड्यूसर रह चुके थे केपी चौधरी

केपी चौधरी ने सुपरस्टार रजनीकांत की 2016 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘कबाली’ को प्रोड्यूस किया था। यह फिल्म हिंदी में भी रिलीज़ हुई थी और बड़ी हिट साबित हुई थी। फिल्म का निर्देशन पा. रंजीत ने किया था।

‘कबाली’ फिल्म की कहानी:

फिल्म ‘कबाली’ एक बुजुर्ग गैंगस्टर की कहानी है, जो जेल से रिहा होने के बाद अपनी पत्नी और बेटी की तलाश करता है और अपने दुश्मनों से बदला लेता है। इसमें रजनीकांत के साथ राधिका आप्टे, दिनेश रवि, किशोर, विंस्टन चाओ जैसे कलाकार थे। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया था।

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विवादों से घिरे रहे थे केपी चौधरी

केपी चौधरी का नाम हमेशा विवादों में रहा है। ड्रग्स केस में गिरफ्तारी, फिल्म इंडस्ट्री में आर्थिक संकट और व्यक्तिगत तनाव उनके लिए भारी पड़े।

उनके करीबी सूत्रों के अनुसार, ड्रग्स मामले में नाम आने के बाद से ही चौधरी काफी तनाव और डिप्रेशन में थे। वह इंडस्ट्री में अपने नाम को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन आर्थिक नुकसान ने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया था।

पुलिस कर रही मौत के कारणों की जांच

चौधरी के निधन ने साउथ फिल्म इंडस्ट्री को हिला कर रख दिया है। पुलिस अभी मौत के असली कारणों की जांच कर रही है और आगे की रिपोर्ट्स का इंतजार किया जा रहा है।

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Who is Ashish Tayal: परिवहन मंत्री अनिल विज और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के बीच बढ़ा ...

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Who is Ashish Tayal: हरियाणा की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई है। राज्य के परिवहन मंत्री अनिल विज और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के बीच मतभेद अब खुलकर सामने आ गए हैं। बीते दिनों विज के एक ट्वीट ने प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी। उनके ट्वीट में एक वीडियो शामिल था, जिस पर लिखा था ‘गद्दार, गद्दार, गद्दार’।

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अनिल विज का सीधा हमला- Who is Ashish Tayal

अनिल विज ने इस ट्वीट के जरिए सीएम सैनी के एक करीबी सहयोगी पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि सीएम के सहयोगी के साथ जो कार्यकर्ता नजर आ रहे हैं, वही लोग बीजेपी विरोधी उम्मीदवार चित्रा सरवारा के साथ भी दिखाई दिए। विज ने कटाक्ष करते हुए पूछा, ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है?’।

विज ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर कुछ तस्वीरें साझा कीं, जिनमें यह दावा किया गया कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के करीबी व्यक्ति आशीष तायल को भाजपा विरोधी गुट के साथ देखा गया।

आशीष तायल कौन हैं?

आशीष तायल के बारे में सार्वजनिक रूप से अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन सोशल मीडिया से संकेत मिलता है कि वह हरियाणा के अंबाला जिले में भाजपा के सक्रिय सदस्य हैं और जिला कोषाध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं। विधानसभा चुनाव में उन्हें नारायणगढ़ जिले का प्रभारी बनाया गया था।

विज ने अपने ट्वीट में लिखा, “आशीष तायल जो खुद को नायब सैनी का मित्र बताते हैं, उनकी फेसबुक पर नायब सैनी के साथ अनेक चित्र मौजूद हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान जो कार्यकर्ता उनके साथ थे, वही कार्यकर्ता चित्रा सरवारा के साथ भी नजर आ रहे हैं। यह रिश्ता क्या कहलाता है?”

चित्रा सरवारा का राजनीतिक सफर

चित्रा सरवारा हरियाणा की एक जानी-मानी नेता हैं। 2019 में उन्होंने कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा और दूसरे स्थान पर रहीं। 2024 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और भाजपा के खिलाफ अभियान चलाया। अनिल विज का आरोप है कि भाजपा के ही कुछ नेताओं ने उनका समर्थन किया था।

अनिल विज की नाराजगी के पीछे क्या कारण?

अनिल विज ने 31 जनवरी को सार्वजनिक रूप से दावा किया कि अंबाला कैंट सीट से उन्हें चुनाव हराने की साजिश रची गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि यह साजिश उनके विरोधियों ने की थी और अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। विज ने कहा, “मैं सबसे वरिष्ठ नेता हूं और मैं कह रहा हूं कि मुझे हराने की कोशिश की गई। लेकिन 100 दिन बाद भी कुछ नहीं किया गया।”

सीएम सैनी की प्रतिक्रिया

इस पूरे घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दी। जब पत्रकारों ने उनसे अनिल विज के आरोपों पर सवाल किया, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा, “अनिल विज हमारे नेता हैं।” उनके इस बयान को टालमटोल करने वाली प्रतिक्रिया माना जा रहा है।

अनिल विज बनाम मनोहर लाल खट्टर

यह पहली बार नहीं है जब अनिल विज किसी मुख्यमंत्री के खिलाफ नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। जब 2014 में हरियाणा में भाजपा सत्ता में आई, तो विज मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदारों में शामिल थे, लेकिन मनोहर लाल खट्टर को सीएम बनाया गया। इसके बाद विज और खट्टर के बीच भी कई बार मतभेद देखने को मिले।

मार्च 2024 में जब भाजपा ने मनोहर लाल खट्टर को हटाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया, तब भी विज ने पार्टी नेतृत्व पर नाराजगी जाहिर की थी।

क्या हरियाणा सरकार में फूट पड़ सकती है?

हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की अंदरूनी कलह गहराती दिख रही है। अनिल विज का नाराजगी भरा बयान भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। उनके बयानों से यह साफ संकेत मिल रहे हैं कि राज्य में सत्ता संघर्ष तेज हो सकता है।

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