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Nagpur Violence Update: महाल और हंसपुरी में जबरदस्त उपद्रव, 65 दंगाई गिरफ्तार, 25 पुल...

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Nagpur Violence Update: महाराष्ट्र के नागपुर में औरंगजेब की कब्र को लेकर सोमवार को हुई हिंसा ने शहर को अशांति की स्थिति में डाल दिया। यह विवाद मुख्य रूप से औरंगजेब के मकबरे को ध्वस्त करने की मांग से जुड़ा था, जिसके कारण महाल और हंसपुरी इलाके में दो गुटों के बीच टकराव हुआ और हालात ने हिंसक रूप ले लिया। इस हिंसा में कई लोग घायल हुए, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल थे। गुस्साए उपद्रवियों ने 25 से अधिक बाइक और तीन कारों को आग के हवाले कर दिया। फिलहाल, स्थिति को काबू में करने के लिए कर्फ्यू और सुरक्षा उपाय लागू किए गए हैं।

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हिंसा का कारण: औरंगजेब की कब्र विवाद – Nagpur Violence Update

यह हिंसा औरंगजेब के मकबरे को लेकर बढ़े विवाद के बीच हुई। महाराष्ट्र में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा पहले ही औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग की गई थी। इस मांग को लेकर सोमवार को नागपुर में प्रदर्शन भी हुआ था। इसके कुछ ही घंटों बाद, महाल और हंसपुरी क्षेत्रों में हिंसा भड़क उठी। महाल इलाके में उपद्रवियों ने पुलिस पर पथराव किया और कई वाहनों में आग लगा दी। इसके बाद, हंसपुरी इलाके में भी वही स्थिति उत्पन्न हो गई, जहां कई दुकानों और घरों को निशाना बनाया गया। स्थानीय निवासियों ने भी बताया कि रात में औरंगजेब की कब्र के विवाद को लेकर यह हिंसा हुई और पुलिस को स्थिति पर काबू पाने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा।

पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया

नागपुर पुलिस ने इस हिंसा के बाद कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह हिंसा अफवाहों की वजह से बढ़ी और इसका कारण गलतफहमी था। पुलिस आयुक्त डॉ. रविंदर सिंघल ने शहर में स्थिति शांतिपूर्ण होने का दावा किया और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। हालांकि, हिंसा के बाद पुलिस ने कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया है और उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। नागपुर पुलिस ने कहा कि अपराधियों की पहचान करने के लिए सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है।

वहीं, इस मामले में अब तक 60 से 65 दंगाइयों को हिरासत में लिया गया है जबकि 25 से 30 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।

कर्फ्यू और सुरक्षा उपाय

हिंसा के कारण नागपुर के कई इलाकों में कर्फ्यू लागू किया गया है। कोतवाली, गणेशपेठ, तहसील, लकड़गंज, पचपाओली, शांति नगर जैसे इलाकों में कर्फ्यू लागू किया गया है। कर्फ्यू के दौरान, लोग बिना किसी जरूरी कारण के बाहर नहीं जा सकते हैं, लेकिन मेडिकल या इमरजेंसी स्थिति में बाहर जाने की अनुमति दी गई है। पुलिस बल और सरकारी कर्मचारियों को इस कर्फ्यू से मुक्त रखा गया है।

हिंसा का असर और मामले की गंभीरता

हिंसा का यह सिलसिला महाल से लेकर हंसपुरी तक फैला, जिसमें कई गाड़ियां और संपत्ति को नुकसान पहुंचा। खासकर हंसपुरी इलाके में एक घंटे तक उपद्रवियों ने जमकर पथराव और तोड़फोड़ की। निवासियों का कहना था कि पुलिस देर से घटनास्थल पर पहुंची, और तब तक काफी नुकसान हो चुका था। नागपुर में स्थिति पर नियंत्रण पाना पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया था, लेकिन प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा उपायों के साथ शहर में शांति बहाल करने की कोशिश की।

औरंगजेब के मकबरे पर विवाद का इतिहास

औरंगजेब का नाम हमेशा विवादों में रहा है। उनका शासन भारतीय इतिहास में विवादास्पद रहा है। हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘छावा’ ने भी औरंगजेब के विषय को फिर से गरमाया। इस फिल्म के बाद से औरंगजेब की कब्र को लेकर बहस तेज हो गई, खासकर महाराष्ट्र में। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी औरंगजेब की कब्र हटाने की बात कही थी, जिसपर विरोध और समर्थन दोनों की प्रतिक्रिया सामने आई है। अब इस मुद्दे पर राजनीति भी तेज हो गई है और दोनों पक्षों के बीच बहस जारी है।

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UP News: खीरी के नरगड़ा गांव में 42वीं बार निकली अनोखी बारात, बिना दुल्हन के लौटा दूल...

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UP News: समय के साथ शादियों की परंपराएं बदल रही हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के खीरी जिले के नरगड़ा गांव में एक अनूठी शादी की परंपरा आज भी कायम है। इस बार गांव के विश्वम्भर दयाल मिश्रा 42वीं बार दूल्हा बने, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी दूल्हे को दुल्हन नहीं मिली। सोमवार को रंगों में सराबोर बारातियों का लंबा जत्था ट्रैक्टर पर सवार होकर गांव के बीच से निकला। पूरा गांव इस बारात का हिस्सा बना और दूल्हे की बारात धूमधाम से निकाली गई। द्वारपूजन से लेकर मंगलगीत और पारंपरिक रस्मों तक सब कुछ वैसा ही हुआ, जैसा किसी आम शादी में होता है। लेकिन अंत में बारात बिना दुल्हन के ही लौट आई।

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सैकड़ों वर्षों से चली आ रही अनोखी परंपरा- UP News

यह अनोखी बारात होली के दिन हर साल निकाली जाती है। नरगड़ा गांव में इस परंपरा का पालन सैकड़ों वर्षों से किया जा रहा है। हर साल होली के दिन पूरा गांव दूल्हे के साथ बारात निकालता है, जहां लोग नाचते-गाते और गुलाल-अबीर उड़ाते हुए इस अनोखी शादी का हिस्सा बनते हैं।

UP News holi 2025
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गांव के बुजुर्गों का कहना है कि यह परंपरा हमारी संस्कृति की धरोहर है। आज भले ही आधुनिक शादियों में बदलाव आ गया हो, लेकिन नरगड़ा गांव की यह परंपरा लोक संस्कृति और सामाजिक जुड़ाव की मिसाल बनी हुई है।

बिना दुल्हन के लौटती बारात का दिलचस्प कारण

नरगड़ा गांव में इस शादी की एक और अनोखी परंपरा है – बारात को बिना दुल्हन के लौटना। इस परंपरा के अनुसार, दूल्हे की ससुराल गांव में ही होती है, लेकिन दुल्हन (यानी उनकी पत्नी) को शादी से पहले मायके भेज दिया जाता है।

इस साल भी विश्वम्भर की पत्नी मोहिनी को पहले ही मायके बुला लिया गया था। जब शादी की रस्में पूरी हो जाती हैं और बारात वापस लौट आती है, तो कुछ दिन बाद मोहिनी को फिर से ससुराल भेज दिया जाता है।

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इस परंपरा में शामिल विश्वम्भर से पहले उनके बड़े भाई श्यामबिहारी 35 वर्षों तक दूल्हा बने और हर बार बिना दुल्हन के बारात वापस आई। पहले वे भैंसा पर सवार होकर बारात लेकर निकलते थे, लेकिन अब ट्रैक्टर का इस्तेमाल किया जाता है।

लोक संस्कृतियों को संजोए हुए है यह अनोखी शादी

इस अनोखी शादी में आज भी वही पारंपरिक रस्में निभाई जाती हैं, जो सदियों से चली आ रही हैं।
– बारात का भव्य स्वागत
– पांव पखारने की रस्म
– गारी और सोहर गीतों की गूंज
– सरिया और मंगलगीतों का आयोजन

हर रस्म पूरी होती है, बस अंत में दुल्हन की विदाई नहीं होती। इस परंपरा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और इस अनोखी शादी का हिस्सा बनते हैं।

परंपरा का महत्व और सामाजिक जुड़ाव

नरगड़ा गांव की यह परंपरा सिर्फ एक शादी नहीं, बल्कि लोक संस्कृति की जीवंत झलक है। यह गांव के लोगों के आपसी मेल-जोल, सद्भाव और परंपराओं के प्रति सम्मान को दर्शाती है।

भले ही आधुनिक दौर में शादियों के रीति-रिवाज बदल चुके हैं, लेकिन नरगड़ा गांव की यह अनूठी बारात आज भी अपनी परंपराओं को संजोए हुए है। यही वजह है कि 42वीं बार यह अनोखी शादी पूरे उत्साह के साथ संपन्न हुई।

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Kusuma Nain Biography: Phoolan Devi की जानी दुश्मन, Dacoit Vikram Mallah को मरवाने वा...

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Kusuma Nain Biography: चंबल के बीहड़ों में एक समय खूंखार डकैत के रूप में कुख्यात कुसुमा नाइन की मौत के बाद उसके अत्याचार झेल चुके लोगों ने जश्न मनाया। उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के टिकरी गांव में जन्मी कुसुमा, जो एक समय गांव प्रधान की बेटी थी, बाद में डकैत बनी और अपराध की दुनिया में आतंक का दूसरा नाम बन गई।

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1 मार्च 2025 को टीबी की बीमारी से जूझ रही कुसुमा नाइन की लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल में मौत हो गई। लेकिन उसकी मौत के बाद जो हुआ, वह किसी के लिए हैरान करने वाला था – ओरैया के अस्ता गांव के लोगों ने उसकी मौत की खबर पर खुशी मनाई, घी के दीये जलाए और मिठाइयां बांटी।

गांव प्रधान की बेटी से खूंखार डकैत बनने तक का सफर- Kusuma Nain Biography

कुसुमा नाइन का जन्म 1964 में उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के टिकरी गांव में हुआ था। उसके पिता गांव के प्रधान थे और राशन की दुकान चलाते थे। कम उम्र में ही उसे अपने पड़ोसी माधव मल्लाह से प्रेम हो गया, और 13 साल की उम्र में वह प्रेमी के साथ घर छोड़कर दिल्ली भाग गई।

दिल्ली भागने के बाद उसके पिता ने उसे और उसके प्रेमी को दिल्ली पुलिस से पकड़वा दिया और साथ ही दोनों पर डकैती का झूठा केस लगाकर जेल भिजवा दिया। यह उसकी जिंदगी का पहला मोड़ था।

Kusuma Nain Biography crime
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तीन महीने जेल में रहने के बाद जब वह घर लौटी, तो पिता ने समाज में बदनामी के डर से उसकी शादी जबरन करेली गांव के केदार नाई से करवा दी। लेकिन न तो कुसुमा खुश थी, न ही माधव। माधव उसे ससुराल से उठा ले गया, और इस बार वह खूंखार डकैत विक्रम मल्लाह की गैंग का हिस्सा बन गई।

फूलन देवी से दुश्मनी और विक्रम मल्लाह की हत्या

विक्रम मल्लाह के गैंग में शामिल होते ही कुसुमा को सबसे बड़ी चुनौती मिली फूलन देवी से। कई रिपोर्ट्स के अनुसार, फूलन देवी को कुसुमा पसंद नहीं थी, और उसने उसे अपमानित करना शुरू कर दिया। यहां तक कि उसका प्रेमी माधव भी फूलन का साथ देने लगा।

इसी दौरान लालाराम गैंग और विक्रम मल्लाह के बीच दुश्मनी तेज हो गई। फूलन देवी ने कुसुमा को लालाराम के गैंग में भेजने का प्लान बनाया, ताकि वह लालाराम को अपने प्रेमजाल में फंसाकर मार दे। लेकिन कुसुमा ने ठीक उलटा किया – उसने लालाराम का साथ देकर विक्रम मल्लाह को मरवा दिया।

इस झगड़े में माधव मल्लाह भी मारा गया, लेकिन फूलन देवी बच निकली। बाद में फूलन देवी ने बेहमई गांव में 22 राजपूतों को लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून दिया, जिसने पूरे देश को हिला दिया।

बदले की आग – 12 मल्लाहों को मारकर जलाए घर

फूलन देवी की इस हरकत से लालाराम और कुसुमा नाइन को गहरा झटका लगा। उन्होंने बदला लेने की ठानी। लेकिन फूलन देवी ने 1982 में आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे कुसुमा का बदला लेना मुश्किल हो गया।

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फिर भी, 1984 में कुसुमा ने अस्ता गांव में 12 मल्लाहों को एक लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून दिया। इसके अलावा उसने कई घरों को आग के हवाले कर दिया, जिसमें एक महिला और बच्चा जिंदा जल गए।

डकैत फक्कड़ बाबा की प्रेमिका बनी, फिर बन गई सबसे खतरनाक महिला डकैत

इसके बाद एक बहस के चलते कुसुमा ने लालाराम की गैंग छोड़कर राम आश्रय तिवारी उर्फ फक्कड़ बाबा के गिरोह में शामिल हो गई। वह इतनी क्रूर हो चुकी थी कि अपने ही पति केदार नाई को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया।

फक्कड़ बाबा के साथ रहते हुए वह हथियार चलाने में और निपुण हो गई। उसने हैंड ग्रेनेड तक चलाने की ट्रेनिंग ली, और एक बार अकेले ही तीन पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी।

1995 में उसने पूर्व एडीजी हरदेव आदर्श शर्मा का अपहरण कर लिया, और 50 लाख की फिरौती मांगी। जब पैसे नहीं मिले, तो उसने उन्हें गोली मारकर उनकी लाश नहर में फेंक दी।

अब पुलिस के लिए वह नंबर-1 मोस्ट वांटेड बन चुकी थी। सरकार ने उस पर 35000 रुपये का इनाम घोषित कर दिया।

डकैत से सन्यासी बनी, फिर जेल में हुई मौत

2004 में फक्कड़ बाबा और कुसुमा नाइन दोनों ने आत्मसमर्पण करने की योजना बनाई। उनकी शर्त थी कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव सरेंडर के दौरान मौजूद रहें। हालांकि, मुलायम सिंह नहीं आ पाए, लेकिन सरेंडर हो गया और कुसुमा को उम्रकैद की सजा मिली।

जेल में कुसुमा पूरी तरह बदल गई। उसने गीता और रामायण का पाठ करना शुरू कर दिया। यहां तक कि “राम” लिखना भी सीख गई। पुलिस अधिकारी बताते हैं कि जो महिला सिर्फ हथियार चलाना जानती थी, उसने जेल में कलम पकड़ना भी सीख लिया।

कुसुमा नाइन की मौत और जश्न में नाचे लोग

कुसुमा टीबी की बीमारी से जूझ रही थी। 1 मार्च 2025 को उसकी मौत लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल में हो गई।

लेकिन उसकी मौत पर शोक मनाने की जगह ओरैया के अस्ता गांव में जश्न का माहौल बन गया। यह वही गांव था, जहां उसने 12 लोगों की हत्या कर उनके घर जला दिए थे। गांववालों ने घी के दीये जलाए, मिठाइयां बांटी और मौत का जश्न मनाया।

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Rajpal Yadav Birthday: छोटे कद का बड़ा कलाकार, जिसने अपनी कॉमेडी से करोड़ों दिल जीते

Rajpal Yadav Birthday: राजपाल यादव, जिनका नाम सुनते ही चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है, उनकी शानदार कॉमिक टाइमिंग और बेहतरीन अभिनय के लिए जाने जाते हैं। चाहे बात हो ‘भूल भुलैया’ के छोटे पंडित की या फिर ‘चुप चुप के’ के बंड्या की, उन्होंने हर किरदार को अपने खास अंदाज में निभाकर दर्शकों को हंसने पर मजबूर कर दिया।

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राजपाल यादव का फिल्मी सफर संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन प्रियदर्शन की फिल्मों ने उन्हें स्टारडम की ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया। आज, उनके जन्मदिन के अवसर पर, हम नजर डालते हैं उनके कुछ बेहतरीन किरदारों पर, जो सालों बाद भी दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं।

राजपाल यादव का सफर: छोटे शहर से बॉलीवुड तक – Rajpal Yadav Birthday

राजपाल यादव का जन्म 16 मार्च को हुआ था। उनकी गिनती भारत के बेहतरीन कॉमेडियन अभिनेताओं में होती है। अभिनय की पढ़ाई उन्होंने भारतेन्दु नाट्य अकादमी और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, दिल्ली से की।

1999 में रिलीज़ हुई ‘दिल क्या करे’ से उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा। शुरुआती दौर में ‘प्यार तूने क्या किया’, ‘जिंदगी का सफर’ और ‘तुमको न भूल पाएंगे’ जैसी फिल्मों में छोटे किरदार निभाए। लेकिन असली पहचान उन्हें कॉमेडी फिल्मों से मिली।

जब उन्होंने ‘रामा रामा क्या है ड्रामा’, ‘चुप चुप के’ और ‘भूल भुलैया’ जैसी फिल्मों में बेहतरीन कॉमेडी की, तो दर्शकों ने उन्हें सिर-आंखों पर बिठा लिया।

राजपाल यादव की सबसे यादगार कॉमेडी फिल्में

‘भूल भुलैया’ सीरीज में ‘छोटा पंडित’

2007 में रिलीज़ हुई प्रियदर्शन की सुपरहिट फिल्म ‘भूल भुलैया’ में राजपाल यादव ने छोटा पंडित का किरदार निभाया था। फिल्म में शाइनी आहूजा, अक्षय कुमार, विद्या बालन और अमीषा पटेल जैसे बड़े कलाकार थे, लेकिन राजपाल यादव की कॉमिक टाइमिंग ने फिल्म में चार चांद लगा दिए।

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उनका किरदार इतना लोकप्रिय हुआ कि 2022 में रिलीज़ हुई ‘भूल भुलैया 2’ में भी उन्हें दोबारा कास्ट किया गया। और अब, 2024 में रिलीज़ होने वाली ‘भूल भुलैया 3’ में भी छोटे पंडित की वापसी हुई, जिससे साफ है कि यह किरदार दर्शकों का कितना चहेता बन चुका है।

‘चुप चुप के’ में ‘बंड्या’

प्रियदर्शन की ही 2006 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘चुप चुप के’ में राजपाल यादव ने बंड्या नाम का किरदार निभाया।

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फिल्म में शाहिद कपूर, करीना कपूर, नेहा धूपिया, परेश रावल, शक्ति कपूर, ओम पुरी और अनुपम खेर जैसे बड़े कलाकार थे, लेकिन राजपाल यादव की मासूमियत और कॉमिक अंदाज ने सबका दिल जीत लिया। उनके डायलॉग और चेहरे के हावभाव आज भी दर्शकों को हंसा देते हैं।

‘भागम भाग’ में ‘गुलाम लखन’

2006 में आई फिल्म ‘भागम भाग’ में अक्षय कुमार, गोविंदा, परेश रावल, लारा दत्ता, जैकी श्रॉफ, अरबाज खान जैसे कलाकारों के बीच राजपाल यादव ने ‘गुलाम लखन’ के किरदार से लोगों को खूब गुदगुदाया।

फिल्म की स्टोरी भले ही कॉमेडी और थ्रिलर का मिश्रण थी, लेकिन राजपाल यादव के सीन्स ने इसमें मजेदार पंच जोड़ दिए।

राजपाल यादव का स्टारडम और आने वाली फिल्में

राजपाल यादव आज भी उतने ही लोकप्रिय हैं, जितने अपने करियर की शुरुआत में थे। ‘हेरा फेरी 3’ और ‘गोलमाल 5’ जैसी फिल्मों में उनकी मौजूदगी कॉमेडी का तड़का लगाएगी।

उन्होंने साबित कर दिया कि सिर्फ मुख्य भूमिका ही जरूरी नहीं होती, बल्कि एक साइड किरदार भी फिल्म का शो-स्टॉपर बन सकता है।

राजपाल यादव का सफर एक संघर्षशील कलाकार की कहानी है, जिसने मेहनत और हुनर के दम पर बॉलीवुड के बेहतरीन कॉमेडियन अभिनेताओं में अपनी जगह बनाई। उनकी फिल्मों ने हमें हंसाया, गुदगुदाया और कई यादगार पल दिए।

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Animal Husbandry Business: नौकरी छोड़ गांव लौटे, पशुपालन से बनाई नई पहचान, जानें शरद ...

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Animal Husbandry Business: कई लोग अपनी नौकरी से संतुष्ट नहीं होते, लेकिन उनमें से कुछ ही लोग अपने सपनों को पूरा करने के लिए साहसिक कदम उठाते हैं। ऐसा ही एक नाम है रायबरेली के शरद दीक्षित, जिन्होंने नौकरी छोड़कर पशुपालन को अपनाया और आज लाखों में कमाई कर रहे हैं।

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नौकरी से ऊबकर गांव लौटे, पशुपालन में तलाशा भविष्य (Animal Husbandry Business)

शरद दीक्षित पहले लखनऊ की एक कॉस्मेटिक कंपनी में सेल्स मैनेजर के रूप में कार्यरत थे, लेकिन कार्यालय की सीमित जिंदगी उन्हें रास नहीं आई। उन्होंने कुछ अलग और स्वतंत्र करने की ठानी और अपने गांव लौटने का फैसला किया। गांव में आने के बाद उन्होंने पहले पशुपालन विभाग से संपर्क किया, और इस क्षेत्र में संभावनाओं को समझकर इसे करियर के रूप में अपनाने का निश्चय किया।

धीरे-धीरे मेहनत, समर्पण और सही तकनीक का उपयोग कर उन्होंने इस व्यवसाय में अपनी पहचान बनाई। उनका मानना है कि पशुपालन सिर्फ आमदनी का जरिया नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।

उन्नत नस्लों की गाय-भैंस से उच्च गुणवत्ता का दूध उत्पादन

शरद दीक्षित के पास गिर, शाहीवाल, एचएफ और राठी नस्ल की गायें हैं, जो बेहतर गुणवत्ता का दूध देती हैं। वहीं, भैंसों में उन्होंने मुर्रा और भदावरी नस्लों को शामिल किया है।

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वर्तमान में उनके पास 22 गायें और 8 भैंस हैं, जिनसे वे प्रतिदिन 180 से 200 लीटर दूध का उत्पादन कर रहे हैं। बाजार में शुद्ध और उच्च गुणवत्ता वाले दूध की मांग लगातार बनी रहती है, जिससे उनका कारोबार तेजी से बढ़ रहा है।

पशुपालन से सालाना 8-10 लाख रुपये की कमाई

शरद दीक्षित की सालाना कमाई 8 से 10 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है। वे बताते हैं कि यदि सही तकनीक और देखभाल के साथ यह व्यवसाय किया जाए, तो यह बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।

उनका मानना है कि मेहनत और सही प्रबंधन से पशुपालन की कमाई किसी भी अच्छी नौकरी से कहीं अधिक हो सकती है। इसमें व्यक्ति खुद का मालिक होता है और किसी के अधीन काम नहीं करना पड़ता।

केवल दूध नहीं, गोबर से भी हो रही अच्छी कमाई

शरद दीक्षित का व्यवसाय सिर्फ दूध उत्पादन तक सीमित नहीं है। वे गोबर से जैविक खाद बनाकर भी अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। जैविक खेती की बढ़ती मांग को देखते हुए गोबर खाद की बिक्री एक अतिरिक्त कमाई का जरिया बन गई है।

वे बताते हैं कि गोबर से खाद और बायोगैस का उत्पादन भी किया जा सकता है, जिससे पशुपालन का मुनाफा कई गुना बढ़ सकता है।

युवाओं के लिए प्रेरणा – स्वरोजगार से आत्मनिर्भरता की ओर

शरद दीक्षित की कहानी उन युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, जो नौकरी की एकरसता से ऊब चुके हैं और कुछ नया करना चाहते हैं। उनका कहना है,
“स्वरोजगार से न केवल आर्थिक स्थिरता मिलती है, बल्कि आत्मनिर्भरता भी आती है। पशुपालन में भविष्य उज्ज्वल है, बस सही योजना और मेहनत की जरूरत होती है।”

पशुपालन से एक नई पहचान

शरद दीक्षित ने अपनी सूझबूझ, मेहनत और साहस से यह साबित कर दिया कि नौकरी के अलावा भी सफलता के रास्ते खुले हैं। उन्होंने पशुपालन को सिर्फ एक व्यवसाय नहीं, बल्कि एक समर्पित कार्य के रूप में अपनाया और अब लाखों में कमाई कर रहे हैं।

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उनकी सफलता युवाओं और किसानों को एक नई दिशा दिखा रही है, जो अपने दम पर कुछ बड़ा करना चाहते हैं। अगर सही रणनीति, सही नस्ल और उचित प्रबंधन के साथ इस क्षेत्र में काम किया जाए, तो पशुपालन से भी शानदार भविष्य बनाया जा सकता है।

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Panama Canal China Connection: पनामा नहर पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की नजर, चीन के स...

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Panama Canal China Connection: पनामा नहर, जो वैश्विक व्यापार और अमेरिकी सैन्य रणनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है, एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय विवाद का केंद्र बन गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कई बार यह संकेत दिया है कि अमेरिका पनामा नहर का नियंत्रण फिर से अपने हाथों में लेने की योजना बना रहा है।

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ट्रंप की चेतावनी और अमेरिका की रणनीति- Panama Canal China Connection

दरअसल, 20 साल पहले एक संधि के तहत पनामा ने नहर का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था। लेकिन ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इस नहर पर चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। उनका आरोप है कि चीन पनामा नहर से जुड़ी कई महत्वपूर्ण संपत्तियों का मालिक बन चुका है और इसे अपने हितों के लिए इस्तेमाल कर रहा है। इसी संदर्भ में, ट्रंप ने पनामा नहर के पुनर्नियंत्रण की धमकी दी है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मच गई है।

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ब्लैकरॉक की डील और चीन की आपत्ति

बीते सप्ताह, दुनिया की सबसे बड़ी इन्वेस्टमेंट फर्म ब्लैकरॉक के नेतृत्व में निवेशकों के एक समूह ने घोषणा की कि वे हॉन्ग कॉन्ग की कंपनी CK Hutchison से पनामा नहर के दोनों किनारों पर स्थित बाल्बोआ और क्रिस्टोबल पोर्ट्स को $22.8 अरब में खरीदने जा रहे हैं। इस डील के जरिए ब्लैकरॉक 23 देशों में फैले 43 बंदरगाहों पर नियंत्रण हासिल करना चाहता है, जिनमें 199 बर्थ शामिल हैं।

लेकिन चीन इस सौदे से नाराज है। उसने ब्लैकरॉक द्वारा पनामा नहर से जुड़े बंदरगाहों को खरीदने के फैसले का कड़ा विरोध किया है और इसे चीन के खिलाफ विश्वासघात करार दिया है। शुक्रवार को CK Hutchison के शेयरों में 6% की गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों की चिंता और बढ़ गई कि अगर चीन इस डील का विरोध जारी रखता है, तो यह सौदा पूरा नहीं हो पाएगा।

चीन की नाराजगी और राजनीतिक विवाद

जब इस डील की घोषणा की गई थी, तो इसे CK Hutchison के लिए एक बेहतरीन अवसर माना जा रहा था, क्योंकि इससे उसे $19 अरब से अधिक की नकदी मिल सकती थी। लेकिन चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के करीबी अखबार Ta Kung Pao ने इस सौदे पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उसने CK Hutchison पर राष्ट्रीय हितों की अनदेखी करने और चीन की जनता को धोखा देने का आरोप लगाया।

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इस विवाद का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि CK Hutchison में हॉन्ग कॉन्ग के दिग्गज निवेशक ली का-शिंग का बड़ा निवेश है। चीन की सरकार और उसके समर्थक इस डील को चीन की रणनीतिक परिसंपत्तियों की बिक्री के रूप में देख रहे हैं, जिससे उनकी नाराजगी और बढ़ गई है।

पनामा नहर: ऐतिहासिक महत्व और वैश्विक व्यापार पर असर

पनामा नहर का निर्माण 20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिका ने किया था, और 1914 में इसे चालू कर दिया गया। यह नहर अमेरिका के सैन्य और आर्थिक हितों के लिए बेहद अहम रही है। हालांकि, 1999 में एक संधि के तहत अमेरिका ने इसका नियंत्रण पनामा को सौंप दिया था।

आज, यह 51 मील लंबी नहर वैश्विक व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र बनी हुई है। दुनिया के कुल समुद्री व्यापार का 4% और अमेरिकी कंटेनर यातायात का 40% इसी नहर से होकर गुजरता है। इस वजह से अमेरिका और चीन, दोनों के लिए यह क्षेत्र भू-राजनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

ब्लैकरॉक की ताकत और प्रभाव

ब्लैकरॉक दुनिया की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल इन्वेस्टमेंट फर्म है और इसका एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) 11.6 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है। यह अमेरिकी जीडीपी के लगभग आधे के बराबर और भारत की जीडीपी के तीन गुना के बराबर है।

ब्लैकरॉक ग्लोबल मार्केट्स का सबसे बड़ा खिलाड़ी है, और दुनिया की कई प्रमुख कंपनियों में इसकी हिस्सेदारी है। इसका नियंत्रण दुनिया के कुल शेयरों और बॉन्ड्स के 10% पर है, जिससे इसे “शैडो बैंकिंग” के सबसे बड़े खिलाड़ी के रूप में देखा जाता है।

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UP News: उन्नाव में रंग खेलने के दौरान मुस्लिम व्यक्ति की संदिग्ध मौत, परिजनों ने लगा...

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UP News: उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में होली के दिन एक मुस्लिम व्यक्ति की रहस्यमय हालात में मौत का मामला सामने आया है। मृतक शरीफ (55 वर्ष) कोतवाली सदर थाना क्षेत्र में घर का सामान लेने निकले थे, लेकिन रास्ते में रंग खेलने के दौरान उनकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि उन पर जबरदस्ती रंग डालने के बाद उनकी बेरहमी से पिटाई की गई, जिससे उनकी जान चली गई। हालांकि, पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह हार्ट अटैक पाई गई है और शरीर पर किसी चोट के निशान नहीं मिले हैं।

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परिजनों का आरोप – ‘जबरदस्ती रंग डाला गया, फिर पीटा गया’- UP News

मृतक की बड़ी बेटी ने कहा,
“पिताजी रोज़े से थे और सिर्फ सामान लेने गए थे। जबरदस्ती उनके ऊपर रंग डाल दिया गया और फिर उनकी पिटाई की गई, जब तक कि उनकी मौत नहीं हो गई। हमें न्याय चाहिए, और दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।”

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वहीं, मृतक की बड़ी बहन ने रोते हुए कहा,
“हमारे भाई पर जबरदस्ती रंग क्यों डाला गया? उन्होंने किसी से कोई झगड़ा नहीं किया था। घर में तीन बेटियां हैं, अब हमारा क्या होगा? सबने मिलकर उन्हें मार डाला।”

चश्मदीदों के अलग-अलग बयान

घटना के चश्मदीदों के बयान भी अलग-अलग आ रहे हैं।

  • पड़ोसी समीर का कहना है कि यह पूरी तरह से गलत हुआ है।
    “जब हम किसी के त्योहार में दखल नहीं देते, तो फिर हमारे साथ ऐसा क्यों किया गया?”
  • चश्मदीद शमीम के मुताबिक,
    “मैं पास में गोश्त लेने गया था, तभी देखा कि कुछ लोग शरीफ पर रंग डाल रहे थे। उन्होंने मना किया और झगड़ा शांत करवाया। फिर शरीफ ई-रिक्शा पर बैठकर आगे बढ़े, लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें दौड़ाया और पीटा। जब मैं पहुंचा, तो देखा कि वे बुरी तरह घायल थे।”
  • रमेश प्रधान, जो मौके पर मौजूद थे, उन्होंने बताया,
    “हमने शरीफ को पानी पिलाया और फिर उनके रिश्तेदार उन्हें लेकर चले गए। बाद में उनकी मौत हो गई।”

रंग डालने वालों का पक्ष – ‘बच्चों ने रंग डाला, कोई हत्या नहीं की’

मौके पर मौजूद रंग खेल रहे लोगों के परिवार की राजकुमारी और मंजू ने बताया कि बच्चों ने ही रंग फेंके थे। उन्होंने कहा,
“बच्चों ने मस्ती में रंग डाला था, लेकिन इसके बाद शरीफ गुस्से में गालियां देने लगे और उल्टा-सीधा बोलने लगे। फिर वह ई-रिक्शा पर बैठकर चले गए, जहां उनकी मौत हो गई।”

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पुलिस का बयान – मौत की वजह हार्ट अटैक, जांच जारी

उन्नाव के एडिशनल एसपी अखिलेश सिंह ने इस मामले पर बयान देते हुए कहा,
“पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, मौत की वजह कार्डियक अरेस्ट (दिल का दौरा) है। शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं मिले हैं। परिजनों ने होली के रंग डालने और मारपीट का आरोप लगाया है, जिसकी जांच की जा रही है। अभी तक किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है।”

फिलहाल, पुलिस मामले की गहराई से जांच कर रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हार्ट अटैक की बात सामने आई है, लेकिन परिवार और चश्मदीदों के बयान अलग-अलग हैं। प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है और कहा है कि अगर मारपीट के कोई ठोस सबूत मिलते हैं, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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ASI Death In Mauganj: मध्य प्रदेश के मऊगंज में हिंसा! युवक की हत्या के बाद भड़का बवाल...

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ASI Death In Mauganj: मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले के गड़रा गांव में शनिवार को तनावपूर्ण माहौल बन गया जब एक युवक की हत्या के बाद हिंसा भड़क उठी। शाहपुर थाना क्षेत्र में आदिवासी समुदाय ने एक युवक को बंधक बना लिया, जिसकी सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची। हालात इतने बेकाबू हो गए कि आदिवासियों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया, जिसमें एक एएसआई की मौत हो गई, जबकि कई अन्य पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए।

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युवक की हत्या ने बढ़ाया तनाव (ASI Death In Mauganj)

जानकारी के अनुसार, दो महीने पहले एक सड़क हादसे में एक आदिवासी युवक की मौत हो गई थी। हालांकि पुलिस जांच में यह एक दुर्घटना साबित हुई, लेकिन आदिवासी समुदाय इसे हत्या मानकर आरोपित युवक सनी द्विवेदी पर दोष मढ़ रहा था। इसी के चलते शनिवार को आदिवासियों ने सनी को पकड़कर एक कमरे में बंद कर दिया और उसकी बेरहमी से पिटाई की, जिससे उसकी मौत हो गई।

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पुलिस बचाने पहुंची तो हुआ हमला

जब पुलिस को इस घटना की सूचना मिली, तो एक टीम सनी को बचाने गांव पहुंची। लेकिन जैसे ही पुलिस ने कमरे का दरवाजा खोलने की कोशिश की, आदिवासी समुदाय के लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया। इस हमले में एएसआई रामचरण गौतम की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि शाहपुर थाना प्रभारी समेत कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए।

तहसीलदार पर भी जानलेवा हमला

इतना ही नहीं, इस हमले में हनुमना तहसीलदार पर भी हमला किया गया। हमलावरों ने तहसीलदार के हाथ-पैर तोड़ दिए, जिससे वे बुरी तरह जख्मी हो गए। फिलहाल उनका इलाज रीवा के संजय गांधी अस्पताल में चल रहा है।

एसडीओपी और एसआई ने खुद को कमरे में किया बंद

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए एसडीओपी अंकिता शूल्या और एसआई आरती वर्मा ने खुद को गांव के एक कमरे में बंद कर लिया और मदद का इंतजार किया। इसके बाद रीवा और सीधी जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया, जिसने हालात पर नियंत्रण पाया।

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गांव में धारा 144 लागू, भारी पुलिस बल तैनात

घटना के बाद जिला प्रशासन ने गांव में धारा 144 लागू कर दी और अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। कलेक्टर अजय श्रीवास्तव और एसपी मौके पर पहुंचे और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।

डीजीपी और कांग्रेस का सरकार पर हमला

मध्य प्रदेश के डीजीपी ने इस घटना पर दुख जताते हुए शहीद एएसआई को श्रद्धांजलि दी। वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार पर हमला करते हुए कहा,
“मध्य प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। अब तो पुलिस भी सुरक्षित नहीं है। यह जंगलराज से भी बदतर स्थिति है। सरकार को इस घटना की जिम्मेदारी लेते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”

आगे की कार्रवाई

पुलिस प्रशासन ने कहा है कि इस घटना में शामिल सभी आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल, गांव में भारी पुलिस बल तैनात है और स्थिति को सामान्य करने के लिए हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं।

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USA launches Airstrikes on Houthis: अमेरिका का हूती विद्रोहियों पर भीषण हमला, यमन में...

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USA launches Airstrikes on Houthis: अमेरिका और यमन में सक्रिय हूती विद्रोहियों के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर अमेरिका ने शनिवार को यमन में हूती ठिकानों पर भारी हवाई हमले किए। इस सैन्य कार्रवाई में कम से कम 24 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। यह हमला हूती विद्रोहियों द्वारा लाल सागर में जहाजों को निशाना बनाए जाने के बाद किया गया है।

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अमेरिका की चेतावनी— “नरक की बारिश होगी” (USA launches Airstrikes on Houthis)

अमेरिका ने पहले ही हूती विद्रोहियों को आगाह किया था कि अगर उन्होंने अपने आक्रामक अभियान को जारी रखा, तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इस मामले में ईरान को भी कड़ी चेतावनी दी है, जो हूतियों का मुख्य समर्थक माना जाता है। ट्रंप ने स्पष्ट शब्दों में कहा,
“अगर अमेरिका को किसी भी तरह की धमकी मिली, तो हम इसका करारा जवाब देंगे और इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।”

ट्रंप ने अपने संदेश में हूतियों के साथ ईरान को भी संदेश दिया। उन्होंने लिखा, ‘हूतियों आपका समय समाप्त हो गया है और आपके हमले आज से ही बंद होने चाहिए। अगर वे वैसा नहीं करते हैं, तो आप पर नरक की बारिश होगी, जैसी आपने पहले कभी नहीं देखी होगी।’

सटीक हमलों से दहला यमन

अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमांड (CENTCOM) ने अपने आधिकारिक बयान में बताया कि 15 मार्च को अमेरिकी सेना ने हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर सटीक हमले किए। इन हमलों का उद्देश्य अमेरिकी हितों की रक्षा करना, दुश्मनों को रोकना और लाल सागर में नौवहन की स्वतंत्रता को बहाल करना था।

हमले में निशाना बना हूती गढ़

अमेरिकी हमले के बाद यमन की राजधानी सना में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय निवासियों ने बताया कि एक शक्तिशाली विस्फोट ने पूरे इलाके को झकझोर दिया। एक चश्मदीद अब्दुल्ला याहिया ने बताया,
“हमले इतने जबरदस्त थे कि पूरा इलाका भूकंप जैसा हिल उठा। महिलाएं और बच्चे दहशत में हैं।”

हूती विद्रोहियों का लाल सागर में आतंक

नवंबर 2023 से हूती विद्रोही लाल सागर में जहाजों को लगातार निशाना बना रहे हैं। उनके मुताबिक, ये हमले गाजा में हमास के समर्थन में किए जा रहे हैं। अब तक उन्होंने 100 से अधिक हमले किए हैं, जिनमें कई जहाज क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। हाल ही में हूतियों ने—

  • दो जहाजों को डुबो दिया
  • एक अन्य जहाज पर कब्जा कर लिया
  • करीब चार नाविकों की हत्या कर दी

वैश्विक व्यापार पर असर

हूती हमलों की वजह से वैश्विक शिपिंग उद्योग प्रभावित हो रहा है। कई कंपनियां अब लाल सागर से होकर जाने के बजाय दक्षिण अफ्रीका के आसपास लंबी और महंगी यात्राओं के लिए मजबूर हो रही हैं। इसका सीधा असर वैश्विक व्यापार और तेल की कीमतों पर भी पड़ सकता है।

क्या ईरान भी निशाने पर?

अमेरिका ने सीधे तौर पर ईरान को भी निशाने पर लिया है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि ईरान हूती विद्रोहियों को वित्तीय और सैन्य मदद दे रहा है। ट्रंप ने ईरान को कड़े शब्दों में चेतावनी दी है कि वह हूतियों को समर्थन देना तुरंत बंद करे, अन्यथा इसका अंजाम गंभीर हो सकता है।

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Abu Qatal: लश्कर-ए-तैयबा के मोस्ट वांटेड आतंकी अबु कताल की पाकिस्तान में हत्या, कश्मी...

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Abu Qatal: पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के झेलम में शनिवार रात लश्कर-ए-तैयबा के मोस्ट वांटेड आतंकी अबु कताल की अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल अबु कताल, कश्मीर में कई बड़े आतंकवादी हमलों का मास्टरमाइंड था। वह 26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का बेहद करीबी माना जाता था और लश्कर के लिए कई ऑपरेशनों को अंजाम देता था।

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हमले में मारा गया अबु कताल (Abu Qatal)

शनिवार रात आठ बजे, अबु कताल पर झेलम में अज्ञात हमलावरों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी, जिसमें उसकी मौके पर ही मौत हो गई। पीओके में बैठकर वह जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिलवा रहा था। उसकी मौत के बाद पाकिस्तान और लश्कर के नेटवर्क में हड़कंप मच गया है।

Abu Qatal Lashkar-e-Taiba terrorist
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हाफिज सईद का था खासमखास, लश्कर में ऊंचा कद

हाफिज सईद ने अबु कताल को लश्कर-ए-तैयबा का चीफ ऑपरेशनल कमांडर बनाया था। उसे जम्मू-कश्मीर में बड़े आतंकी हमलों की जिम्मेदारी दी गई थी। एनआईए की जांच में यह खुलासा हुआ था कि कताल को हाफिज से सीधे आदेश मिलते थे, जिसके बाद वह आतंकियों को निर्देश देकर हमलों को अंजाम दिलवाता था।

Abu Qatal Lashkar-e-Taiba terrorist
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राजौरी हमले में था शामिल, NIA चार्जशीट में था नाम

अबु कताल का नाम 2023 के राजौरी आतंकी हमले में भी सामने आया था। 1 जनवरी 2023 को आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर के ढांगरी गांव में नागरिकों को निशाना बनाया था, और अगले दिन एक आईईडी धमाका हुआ था, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे।

एनआईए की चार्जशीट में अबु कताल समेत तीन लश्कर हैंडलर्स के नाम दर्ज किए गए थे—

  1. सैफुल्ला उर्फ साजिद जट्ट उर्फ अली उर्फ हबीबुल्लाह उर्फ नुमान उर्फ लंगड़ा उर्फ नौमी
  2. मोहम्मद कासिम
  3. अबु कताल उर्फ कताल सिंधी

एनआईए जांच के दौरान यह पता चला कि अबु कताल ने आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया था। ढांगरी हमले से पहले रियासी में करीब तीन महीने तक आतंकियों को आश्रय, भोजन और संसाधन उपलब्ध कराए गए थे।

रियासी हमले का भी था मास्टरमाइंड

9 जून 2023 को जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में शिव-खोड़ी मंदिर से लौट रहे तीर्थयात्रियों की बस पर आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले का मुख्य मास्टरमाइंड अबु कताल ही था।

एनआईए की रिपोर्ट के मुताबिक, कताल और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों और नागरिकों को निशाना बनाने के लिए लश्कर-ए-तैयबा के नए आतंकियों की भर्ती करने की योजना बनाई थी।

अबु कताल की मौत से लश्कर को बड़ा झटका

अबु कताल की मौत से लश्कर-ए-तैयबा के नेटवर्क को बड़ा नुकसान हुआ है। जम्मू-कश्मीर में हमलों को अंजाम देने वाला लश्कर का ऑपरेशनल ब्रेन अब खत्म हो चुका है। एनआईए और भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इसे आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी जीत मान रही हैं।

हालांकि, अब सवाल यह उठता है कि अबु कताल की हत्या किसने करवाई? क्या यह आंतरिक गुटबाजी का नतीजा था, या किसी खुफिया एजेंसी ने सटीक कार्रवाई कर उसे ठिकाने लगाया? पाकिस्तान सरकार और लश्कर-ए-तैयबा ने अभी तक इस घटना पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।

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