Home Blog Page 26

Us China Space War: क्या चीन तैयार कर रहा है Space War की रणनीति? 5 चीनी सैटेलाइट्स न...

0

Us China Space War: चीन की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं ने अमेरिकी अंतरिक्ष बल (US Space Force) को गंभीर चिंता में डाल दिया है। हाल ही में, पांच चीनी उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में ‘डॉगफाइटिंग’ करते हुए देखा गया है, जिसे विशेषज्ञों द्वारा अंतरिक्ष में युद्धाभ्यास के रूप में देखा जा रहा है। यह गतिविधि चीनी सैन्य तैयारियों को लेकर गंभीर संकेत देती है और यह अमेरिका के लिए एक बड़े खतरे के रूप में उभर सकती है।

और पढ़ें: NASA Astronauts Salary: NASA के एस्ट्रोनॉट्स की सैलरी का हैरान करने वाला सच! सुनीता विलियम्स की सालाना कमाई जानकर उड़ जाएंगे होश!

डॉगफाइटिंग: अंतरिक्ष युद्ध का नया रूप- Us China Space War

‘डॉगफाइटिंग’ शब्द आमतौर पर हवाई युद्ध में लड़ाकू विमानों के बीच की जंग के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें विमान एक-दूसरे का पीछा करते हुए शिकार करने के लिए संघर्ष करते हैं। अब, यह शब्द अंतरिक्ष में उपग्रहों के बीच होने वाली गतिविधियों को संदर्भित करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। अमेरिकी अंतरिक्ष बल ने रिपोर्ट किया कि चीन के पांच उपग्रहों ने पृथ्वी की निचली कक्षा में एक दूसरे के आसपास मूवमेंट करते हुए इस तरह के युद्धाभ्यास किए, जो उनकी सामरिक और तकनीकी प्रगति का संकेत है।

Us China Space War China Dogfighting
Source: Google

अंतरिक्ष में चीन की बढ़ती ताकत

अमेरिकी स्पेस फोर्स के जनरल माइकल गुएटलीन ने एक सम्मेलन में बताया कि चीन द्वारा किए गए कोऑर्डिनेटेड मूवमेंट ने अंतरिक्ष में युद्ध संचालन की नई रणनीतियों को प्रदर्शित किया। गुएटलीन ने इसे “ऑन-ऑर्बिट स्पेस ऑपरेशन” के रूप में परिभाषित किया, जिसमें उपग्रह एक दूसरे के पास आकर जटिल सैन्य अभ्यास करते हैं। गुएटलीन के अनुसार, यह चीन की सैन्य क्षमताओं के विकास की ओर इशारा करता है, जो अंतरिक्ष में किसी भी संभावित सैन्य संघर्ष में भाग लेने के लिए तैयार हो सकता है।

चीनी सैटेलाइटों का भागीदारी

चीनी सैन्य अभ्यास में तीन शियान-24सी उपग्रह और दो अन्य चीनी प्रायोगिक अंतरिक्ष यान, शिजियान-605 ए और बी शामिल थे। इन उपग्रहों का उद्देश्य न केवल कक्षा में वस्तुओं के इर्द-गिर्द घूमना था, बल्कि अन्य उपग्रहों और अंतरिक्ष यानों का निरीक्षण करना भी था। यह अभ्यास रेंडेजवस और निकटता संचालन का हिस्सा था, जो दर्शाता है कि चीन ने कक्षा में जटिल युद्धाभ्यास करने की अपनी क्षमता को मजबूत किया है।

अमेरिका के लिए बढ़ता खतरा

अमेरिकी स्पेस फोर्स के जनरल गुएटलीन ने इस डॉगफाइटिंग को अमेरिका के लिए गंभीर खतरे के रूप में देखा। उन्होंने कहा कि चीन, रूस जैसे अन्य देशों के साथ मिलकर अंतरिक्ष में बड़ी ताकत बन सकता है, जिससे अमेरिकी सैन्य क्षमता पर दबाव बढ़ सकता है। यह टिप्पणी रूस के 2019 के “नेस्टिंग डॉल” क्षमता प्रदर्शन से जुड़ी हुई थी, जिसमें एक रूसी उपग्रह ने छोटे अंतरिक्ष यान को छोड़कर अमेरिकी उपग्रह के पास युद्धाभ्यास किए थे। इस प्रकार की गतिविधियाँ यह संकेत देती हैं कि अमेरिका और उसके प्रतिद्वंद्वियों के बीच अंतरिक्ष में क्षमताओं का अंतर घट रहा है।

Us China Space War China Dogfighting
Source: Google

अंतरिक्ष में “श्रेष्ठता” की दौड़

गुएटलीन ने चेतावनी दी कि अंतरिक्ष में क्षमता का अंतर अब पहले जैसा बड़ा नहीं रहा। उनका कहना था कि यदि अमेरिका ने अपनी अंतरिक्ष तैयारियों को और मजबूत नहीं किया, तो वह अपनी “श्रेष्ठता” खो सकता है। अमेरिकी स्पेस फोर्स अब अंतरिक्ष में प्रभुत्व स्थापित करने के लिए अपने प्रयासों को तेज कर रहा है, ताकि वह चीन और रूस जैसी ताकतों से मुकाबला कर सके।

और पढ़ें: Sunita Williams News: सुनीता विलियम्स की ऐतिहासिक वापसी, नासा और ISS के कम्युनिकेशन्स सिस्टम पर डाले एक नजर

Shambhu Border Farmers Protest update: पंजाब में शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों पर प...

0

Shambhu Border Farmers Protest update: पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलनकारियों के खिलाफ पंजाब पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। पुलिस ने करीब 13 महीने से धरने पर बैठे किसानों को दोनों बॉर्डर से हटा दिया और उनके बनाए गए टेंटों को बुलडोजर से गिरा दिया। इस कार्रवाई में 800 से ज्यादा किसानों को हिरासत में लिया गया, जिनमें प्रमुख किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर भी शामिल हैं।

और पढ़ें: Girls Do Not Want To Marry: भारत में कितनी महिलाएं कर रही हैं शादी से इनकार? कुंवारे लड़कों के लिए चौंकाने वाली खबर!

पुलिस की यह कार्रवाई 19 मार्च को उस समय हुई जब पंजाब सरकार और किसान संगठनों के बीच चंडीगढ़ में सातवें दौर की बातचीत चल रही थी। पंजाब सरकार ने अचानक इस कार्रवाई को अंजाम दिया, जिसमें शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों के अस्थाई टेंटों को बुलडोजर से नेस्तनाबूद कर दिया गया।

बॉर्डर पर पुलिस का ऑपरेशन– Shambhu Border Farmers Protest update

पंजाब पुलिस ने दोनों बॉर्डरों से किसानों को हटाने के लिए कई घंटों तक ऑपरेशन चलाया। इस दौरान शंभू और खनौरी दोनों बॉर्डरों पर भारी पुलिस बल तैनात था। शंभू बॉर्डर पर किसान नेताओं का विरोध भी हुआ, जहां पुलिस ने किसानों और नेताओं के साथ तीखी झड़पें कीं। किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया, जिनमें डल्लेवाल और पंधेर प्रमुख थे। इसके बाद पुलिस ने हरियाणा की तरफ स्थित सीमेंट बैरिकेडिंग को भी हटा दिया, जिसके लिए हरियाणा पुलिस ने बुलडोजर का इस्तेमाल किया।

Shambhu Border Farmers Protest update
Source: Google

सियासी घेराबंदी

यह कार्रवाई पंजाब सरकार द्वारा अचानक की गई, जिससे किसानों में आक्रोश फैल गया। बिना किसी चेतावनी के पुलिस ने किसानों को खदेड़ दिया, जिससे राजनीतिक विवाद भी बढ़ गया। विपक्षी दलों ने इस कार्रवाई को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आरोप लगाया कि यह कदम केंद्र सरकार के साथ बातचीत को विफल करने के डर से उठाया गया, जबकि आम आदमी पार्टी ने जवाब में कहा कि हाइवे पर अड़चनें राज्य की तरक्की में रुकावट डाल रही थीं, इसलिए यह कार्रवाई की गई।

पुलिस तैनाती और इंटरनेट सेवाओं का ठप होना

पुलिस के मुताबिक, पूरे ऑपरेशन के दौरान 2,000 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात थे। इस दौरान पंजाब में इंटरनेट सेवाओं को भी अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया, खासतौर से उन क्षेत्रों में जहां पर यह कार्रवाई हो रही थी। खनौरी और संगरूर-पटियाला क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं।

Shambhu Border Farmers Protest update
Source: Google

किसान नेताओं की गिरफ्तारी

किसान नेताओं की गिरफ्तारी के बाद पंजाब सरकार ने किसान आंदोलन को लेकर बड़ा कदम उठाया। जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवन सिंह पंधेर और अन्य किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया, और डल्लेवाल को जालंधर के अस्पताल में भर्ती कराया गया, क्योंकि वे अनशन पर थे।

पंजाब सरकार ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए यह कड़ा कदम उठाया, जिससे आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और अधिक राजनीतिक हंगामा होने की उम्मीद है।

और पढ़ें: Yogi Government Stamp Paper Order: योगी सरकार का बड़ा फैसला! 10 हजार से 25 हजार रुपये तक के स्टांप पेपर होंगे रद्दी, यूपी में मचेगी भाग-दौड़!

Guru Gobind Singh help Bahadur Shah: औरंगज़ेब ने गुरु गोविंद सिंह के बेटों को दीवार म...

Guru Gobind Singh help Bahadur Shah: भारत का इतिहास साहस, संघर्ष और बलिदान से भरा पड़ा है। दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, उनमें से एक सबसे महत्वपूर्ण क्षण वह था जब औरंगजेब ने अपने साहिबजादों को दीवार में चुनवा दिया था। हालांकि, गुरु गोबिंद सिंह ने अपने संघर्षों में दया और क्षमा का एक महत्वपूर्ण उदाहरण भी पेश किया, खासकर जब औरंगजेब के बेटे बहादुर शाह ने उनसे मदद मांगी। यह घटना उनके जीवन के उन पहलुओं को उजागर करती है जो लोगों को आश्चर्यचकित कर सकते हैं।

और पढ़ें: Sikhism in Belgium: बेल्जियम में सिखों की संघर्ष और सफलता की अनकही कहानी, जानें कैसे मुश्किलों के बावजूद बनाई अपनी पहचान

गुरु गोविंद सिंह का संघर्ष और साहस- Guru Gobind Singh help Bahadur Shah

गुरु गोविंद सिंह का जीवन किसी भी सामान्य व्यक्ति से बहुत अलग था। जब वे केवल 9 साल के थे, तो उनके पिता गुरु तेग बहादुर को शहीद कर दिया गया। इस घटना ने गुरु गोविंद सिंह के जीवन को एक नया मोड़ दिया। खुशवंत सिंह अपनी किताब ‘A History of the Sikhs’ में लिखते हैं कि गुरु गोविंद सिंह ने अपनी शहीदी के बाद अपने जीवन को एक नई दिशा दी। उन्होंने अपनी शिक्षा में संस्कृत और फारसी को शामिल किया और पंजाबी, हिंदी में भी कविता की। गुरु ने अपने समय के सभी धर्मों के शास्त्रों का गहन अध्ययन किया और अपनी भाषा में उन्हें लिखा, ताकि वह अपने संदेश को सही ढंग से व्यक्त कर सकें।

Guru Gobind Singh help Bahadur Shah
Source: Google

पहाड़ी राजाओं के साथ संघर्ष

गुरु गोविंद सिंह के खिलाफ पहाड़ी राजाओं का संघर्ष लगातार जारी रहा। बिलासपुर के राजा भीम चंद ने उनकी बढ़ती लोकप्रियता से नफरत करते हुए गुरु गोविंद सिंह के खिलाफ साजिशें रचीं। राजा ने औरंगज़ेब से मदद की गुहार लगाई, और इसने एक बड़े युद्ध का रूप लिया। गुरु गोविंद सिंह ने अपनी सेना को छह हिस्सों में बांट दिया और किलों से लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया। मुगलों के पास बहुत अधिक सैनिक होने के बावजूद, गुरु की सेना ने उन्हें हराया और अपनी लड़ाई को जारी रखा।

गुरु गोविंद सिंह और औरंगज़ेब के बेटे बहादुर शाह

औरंगज़ेब की मौत के बाद, उसके बेटों में सत्ता के लिए संघर्ष शुरू हो गया। बहादुर शाह, जो औरंगज़ेब का बड़ा बेटा था, अपनी सत्ता को सुरक्षित करने के लिए गुरु गोविंद सिंह से मदद मांगने आया। गुरु ने बहादुर शाह की मदद करने का निर्णय लिया, क्योंकि उसने अपने भाई आजम के खिलाफ युद्ध में गुरु गोविंद सिंह से समर्थन मांगा था। गुरु ने बहादुर शाह के पक्ष में सिखों की एक जत्था भेजा, जिसने आजम को मारकर बहादुर शाह को सत्ता दिलाई। इसके बाद, बहादुर शाह ने अपना नाम बदलकर बादशाह बहादुर शाह रखा।

Guru Gobind Singh help Bahadur Shah
Source: Google

गुरु गोविंद सिंह का बलिदान

गुरु गोविंद सिंह का जीवन बलिदान और संघर्ष से भरा हुआ था। उन्होंने अपनी शहादत के दौरान कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिनमें से एक था जब उन्होंने अपने छोटे बेटों जोरावर सिंह और फतेह सिंह को शहीद होने दिया। ये दोनों मासूम बच्चे इस्लाम धर्म कबूल करने से मना कर दिए थे, जिसके कारण उन्हें जिंदा दीवार में चुनवाने का आदेश दिया गया। गुरु गोविंद सिंह ने अपने बेटों की शहादत के बाद भी अपने धर्म के लिए संघर्ष जारी रखा।

आखिरी समय और गुरु की शहादत

गुरु गोविंद सिंह के जीवन के अंतिम समय में, 42 वर्ष की उम्र में, उन्हें एक हत्यारे द्वारा खंजर से हमला किया गया। हालांकि, गुरु ने उस हत्यारे को मारकर खुद को बचाया, लेकिन उनकी स्थिति नाजुक हो गई। बहादुर शाह ने अपने चिकित्सक को गुरु गोविंद सिंह का इलाज करने भेजा, लेकिन तब तक गुरु का अंत आ चुका था। 7 अक्टूबर 1708 को गुरु ने अपनी अंतिम सांस ली, और उन्होंने सिखों के लिए गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु मानने का आदेश दिया।

गुरु गोविंद सिंह का जीवन संघर्ष, बलिदान और दया का प्रतीक था। उन्होंने न केवल सिख धर्म को मजबूती से खड़ा किया, बल्कि अपनी शहादत और साहस से पूरे भारत को प्रेरित किया। उनके योगदान को न केवल सिख समुदाय ने, बल्कि सम्पूर्ण भारत ने सम्मानित किया। उनके द्वारा दी गई शिक्षा और उनके जीवन के आदर्श आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।

और पढ़ें: Sikhism in Indonesia: इंडोनेशिया में सिखों की ऐतिहासिक विरासत, जानें संघर्ष, संस्कृति और धर्म की अनसुनी कहानी

Girls Do Not Want To Marry: भारत में कितनी महिलाएं कर रही हैं शादी से इनकार? कुंवारे ...

0

Girls Do Not Want To Marry: भारत में शादी को हमेशा से एक अहम सामाजिक कड़ी माना गया है। यहां की संस्कृति में शादी का बहुत बड़ा महत्व है, और अगर किसी लड़की की शादी नहीं होती है, तो उसे अक्सर ताने सुनने पड़ते हैं। लेकिन आजकल के दौर में महिलाओं की सोच में बदलाव आया है। अब बहुत सी महिलाएं शादी के बजाय अपने करियर और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को प्राथमिकता देने लगी हैं। ‘बैचलर्स’, ‘सोलोगैमी’ और ‘सिंगलहुड’ जैसे शब्द अब ट्रेंड बन चुके हैं और इस पर युवाओं की सोच में तेजी से बदलाव देखा जा रहा है। खासकर लड़कियों में यह सोच बढ़ती जा रही है कि शादी केवल एक सामाजिक दबाव का नाम नहीं है, बल्कि यह एक व्यक्तिगत निर्णय होना चाहिए।

और पढ़ें: Yogi Government Stamp Paper Order: योगी सरकार का बड़ा फैसला! 10 हजार से 25 हजार रुपये तक के स्टांप पेपर होंगे रद्दी, यूपी में मचेगी भाग-दौड़!

महिलाओं की सोच में बदलाव- Girls Do Not Want To Marry

हाल ही में एक सर्वे के दौरान यह बात सामने आई कि देश की 81% महिलाएं बिना शादी के खुश हैं। यह आंकड़ा कई मायनों में चौंकाने वाला था, क्योंकि पारंपरिक भारत में शादी को एक प्रमुख जीवन लक्ष्य माना जाता है। लेकिन अब महिलाएं इस बंधन को नकारने में समर्थ महसूस कर रही हैं और वे अपने जीवन के इस हिस्से को चुनने में स्वतंत्रता चाहती हैं। इसके अलावा, 39% महिलाओं ने यह माना कि वे शादी के सीजन में अपने माता-पिता से शादी के बारे में दबाव महसूस करती हैं। यह दबाव हर साल उस समय बढ़ता है जब शादियों का सीजन शुरू होता है, और अक्सर माता-पिता बच्चों को शादी करने के लिए मजबूर कर देते हैं, चाहे वे इस कदम के लिए तैयार हों या नहीं।

Girls Do Not Want To Marry
Source: Google

शादी को लेकर बढ़ती नकारात्मक सोच

माना जाता था कि शादी एक पवित्र बंधन है, जिसमें दो लोग साथ मिलकर अपना जीवन बिताने की कसम खाते थे। लेकिन अब यह धारणा धीरे-धीरे बदल रही है। सर्वे के अनुसार, करीब 33% लोग मानते हैं कि शादी के बाद उन्हें लंबे संबंधों में बंधे रहने के लिए दबाव महसूस होता है। आजकल के लोग यह समझने लगे हैं कि शादी का मतलब सिर्फ एक-दूसरे के साथ रहना नहीं है, बल्कि यह कई बार निजी स्वतंत्रता की कमी और करियर की योजनाओं में रुकावट का कारण बन सकता है। विशेष रूप से महिलाएं शादी से इसलिए कतराती हैं, क्योंकि कई बार उनके परिवार वाले उनसे नौकरी छोड़ने की उम्मीद रखते हैं, जिससे उनका व्यक्तिगत विकास रुक सकता है।

महिलाओं की पसंद और स्वतंत्रता

महिलाओं के लिए यह जरूरी है कि वे अपनी पहचान और करियर पर ध्यान केंद्रित कर सकें, और इसके लिए शादी को एक बाधा के रूप में देखा जाता है। वे चाहती हैं कि वे अपने पैरों पर खड़ी रहें और किसी भी प्रकार की वित्तीय या भावनात्मक निर्भरता से बचें। उनका मानना है कि यदि सही जीवनसाथी नहीं मिलता, तो शादी करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

Pakistani wedding viral video Pakistan
Source: Google

क्या शादी अब महज एक विकल्प बनकर रह गई है?

एक अन्य सर्वे के मुताबिक, भारत की 81% महिलाएं बिना शादी के अपने जीवन को संतुष्ट महसूस करती हैं। वहीं, 62% महिलाएं मानती हैं कि वे अपनी प्राथमिकताओं और जरूरतों के साथ कोई समझौता नहीं कर सकतीं। इसके अलावा, 83% लड़कियां यह मानती हैं कि जब तक उन्हें एक आदर्श जीवनसाथी नहीं मिलता, तब तक वे शादी नहीं करेंगी। यह सर्वे इस बात की ओर इशारा करता है कि शादी अब महिलाओं के लिए समाज के निर्धारित रास्ते का पालन करने का दबाव नहीं बन गया है।

और पढ़ें: Bill Gates Comment on India: बिल गेट्स की संस्था भारतीयों को ‘LAB RATS’ की तरह इस्तेमाल करती है, फिर मोदी जी उन्हें संसद में क्यों ले आए?

Vikram Bhatt 1920 Movie Facts: विक्रम भट्ट की कड़ी मेहनत और ‘1920’ का जाद...

Vikram Bhatt 1920 Movie Facts: फिल्म इंडस्ट्री में सफल फिल्ममेकर बनने के लिए कई मुश्किलों को पार करना पड़ता है। ‘राज’, ‘आवारा पागल दीवाना’, ‘ऐतबार’ और ‘1920’ जैसी सफल फिल्मों का रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले विक्रम भट्ट ने अपनी मेहनत और संघर्ष से इस इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। हालांकि उनके करियर में एक वक्त ऐसा भी आया जब उनकी कई फिल्में एक के बाद एक फ्लॉप हो रही थीं। इस मुश्किल दौर में विक्रम भट्ट ने नई दिशा पकड़ी और अपनी किस्मत बदलने के लिए हॉरर फिल्म ‘1920’ बनाई। लेकिन इस फिल्म पर किसी को भरोसा नहीं था और न ही कोई डिस्ट्रीब्यूटर इसे खरीदने को तैयार था। ये दिलचस्प खुलासा खुद विक्रम भट्ट ने एक इंटरव्यू के दौरान किया।

और पढ़ें: Kim Sharma Career: मोहब्बतें से बॉलीवुड में कदम रखा, विदेश में बसा जीवन, अब 45 साल में सिंगल हैं किम शर्मा

अंधेरे दौर में बनी ‘1920’ – Vikram Bhatt 1920 Movie Facts

विक्रम भट्ट ने भारती सिंह और हर्ष लिंबाचिया के यूट्यूब चैनल पर एक इंटरव्यू में बताया, “कुछ हिट फिल्मों के बाद मेरी कई फिल्में फ्लॉप हो गईं। इंडस्ट्री में एक आम नियम है कि अगर आपका एक शुक्रवार खराब गया, तो फिर फोन का बजना बंद हो जाता है। लोग फोन उठाना छोड़ देते हैं।” इस समय विक्रम भट्ट को लगा कि उन्हें कुछ नया करना चाहिए। उनके पास ‘1920’ का विषय था, और उन्होंने इस फिल्म को बनाने का फैसला किया। लेकिन इस फिल्म को लेकर उन्हें कोई उम्मीद नहीं थी।

कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद बनी फिल्म

विक्रम भट्ट ने आगे कहा, “मैंने इस फिल्म को बनाने के लिए बहुत कठिनाईयों का सामना किया। लेकिन कोई भी इसे खरीदने के लिए तैयार नहीं था। फिल्म पर किसी का भरोसा नहीं था। उस वक्त मेरे लाइटमैन ने भी मुझसे कहा था कि यह कैसी हॉरर फिल्म है, जिसमें लड़की ऊपर चढ़ रही है और बिल्ली खा रही है? मैं कहता था, यही चलेगा बेटा।” इस फिल्म के बाद 35 बार ट्रायल किया गया। विक्रम भट्ट ने हर स्टूडियो और डिस्ट्रीब्यूटर को फिल्म दिखाई, लेकिन हर किसी ने कुछ न कुछ कारण बताकर इसे नकार दिया। फिर, उन्होंने यह फिल्म खुद ही रिलीज करने का निर्णय लिया, जो उनके लिए एक बहुत बड़ा तनावपूर्ण दिन था।

ऑडियंस ने किया पसंद

विक्रम भट्ट ने बताया, “मुझे आज भी याद है जब मैं ऑफिस में था और मेरे पापा ने मुझे फोन किया। उन्होंने पूछा कि क्या तुम्हारे पास एफएम रेडियो है? मैंने कहा नहीं, फिर उन्होंने कहा कि अपनी कार में जाकर रेडियो मिर्ची चालू करो। वहां एक शो होता था, जिसमें लोग अपनी राय देते थे। अगर फिल्म पसंद आती तो ‘मिर्ची’ कहते और अगर नहीं तो ‘टमाटर’। जब मैंने वह शो सुना, तो ज्यादातर लोगों ने मिर्ची कहा। और फिर फिल्म क्रिटिक ऋतु राज ने इसे मास्टरपीस करार दिया।”

बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता

‘1920’ के बाद विक्रम भट्ट का करियर एक नई दिशा में चला। महेश भट्ट, जो पहले संघर्ष कर रहे थे, उनकी फिल्मों की झड़ी लग गई। विक्रम भट्ट की ‘1920’ ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की और इसके बाद फिल्म इंडस्ट्री में उनकी स्थिति मजबूत हुई। यह फिल्म 7 करोड़ रुपये के बजट में बनी थी और इसने 14.5 करोड़ रुपये का कारोबार किया। फिल्म की सफलता ने न केवल विक्रम भट्ट के करियर को नया मोड़ दिया, बल्कि यह फिल्म एक लोकप्रिय हॉरर फ्रेंचाइजी बन गई, जिसे दर्शकों ने पसंद किया और इसे एक नया पहचान दी।

विक्रम भट्ट ने एक समय में कठिनाईयों और असफलताओं से घिरकर अपनी फिल्म ‘1920’ बनाई, और इस फिल्म के साथ ही उनकी किस्मत बदल गई।

और पढ़ें: Rajpal Yadav Birthday: छोटे कद का बड़ा कलाकार, जिसने अपनी कॉमेडी से करोड़ों दिल जीते

Yogi Government Stamp Paper Order: योगी सरकार का बड़ा फैसला! 10 हजार से 25 हजार रुपये...

0

Yogi Government Stamp Paper Order: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक बड़ा और विवादास्पद कदम उठाया है, जिससे प्रदेश में स्टांप पेपर के व्यापार में हड़कंप मच गया है। सरकार ने 10 हजार रुपये से लेकर 25 हजार रुपये तक के स्टांप पेपर को 31 मार्च, 2025 तक मान्य रखने का आदेश दिया है, लेकिन 11 मार्च 2025 के बाद यह स्टांप पेपर विधिमान्य नहीं माने जाएंगे। इसका मतलब है कि इस मूल्य वर्ग के स्टांप पेपर या तो 31 मार्च, 2025 तक इस्तेमाल किए जा सकते हैं, या फिर वापस किए जा सकते हैं।

और पढ़ें: Bill Gates Comment on India: बिल गेट्स की संस्था भारतीयों को ‘LAB RATS’ की तरह इस्तेमाल करती है, फिर मोदी जी उन्हें संसद में क्यों ले आए?

योगी सरकार के इस फैसले ने पूरे उत्तर प्रदेश में हलचल मचा दी है, क्योंकि प्रदेश की ट्रेजरी में जमा 56.29 अरब रुपये के स्टांप पेपर अब रद्दी हो जाएंगे। अकेले लखनऊ में ही एक अरब 32 करोड़ रुपये के स्टांप पेपर रद्दी हो जाएंगे, जिससे प्रदेश सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा हो गई है। इस फैसले से न केवल सरकारी खजाना प्रभावित होगा, बल्कि व्यापारियों, वकीलों और आम जनता को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

Yogi Government Stamp Paper Order
Source: Google

फर्जी दस्तावेज और धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए कदम- Yogi Government Stamp Paper Order

योगी सरकार ने इस आदेश के माध्यम से प्रदेश में स्टांप प्रणाली में पारदर्शिता लाने और वित्तीय गड़बडियों को रोकने का लक्ष्य रखा है। सरकार के अनुसार, स्टांप पेपर के साथ अक्सर धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज और कर चोरी के मामले सामने आते रहे हैं। इस आदेश के बाद इन सब पर लगाम लगाने की उम्मीद जताई जा रही है। ई-स्टांप प्रणाली को लागू करने से सरकारी खजाने को फायदा होने की संभावना है, क्योंकि इससे स्टांप पेपर की खरीद-फरोख्त पूरी तरह से डिजिटल हो जाएगी।

Yogi Government Stamp Paper Order
Source: Google

भाग-दौड़ की स्थिति और स्टांप पेपर की वापसी

योगी सरकार के आदेश के बाद अब पूरे राज्य में स्टांप पेपरों की वापसी के लिए भाग-दौड़ शुरू हो गई है। वकीलों से लेकर स्टांप वेंडरों और रजिस्ट्रियां करने वाले लोग अब स्टांप पेपर वापस करने में जुटे हुए हैं। यह स्थिति न केवल कानूनी पेशेवरों के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी असहज हो सकती है। लोग फर्जी दस्तावेजों और कर चोरी को रोकने के नाम पर किए गए इस फैसले को समझ तो रहे हैं, लेकिन क्या यह कदम वास्तव में उनके लिए लाभकारी होगा?

योगी सरकार का यह फैसला उत्तर प्रदेश के स्टांप पेपर सिस्टम में बड़े बदलाव की ओर इशारा करता है। जहां एक ओर यह कदम सरकारी खजाने के लिए फायदे का सौदा हो सकता है, वहीं दूसरी ओर इससे जुड़ी भाग-दौड़ और नुकसान भी नजर आते हैं।

और पढ़ें: Grok AI: एलन मस्क का विवादित चैटबॉट, मोदी-राहुल पर बेबाक जवाब और गालियों का भी नहीं डर

Bill Gates Comment on India: बिल गेट्स की संस्था भारतीयों को ‘LAB RATS’ क...

0

Bill Gates Comment on India: इन दिनों भारत में बिल गेट्स के संसद दौरे और उनके ‘प्रयोगशाला’ वाले बयान की खूब चर्चा हो रही है। दुनिया के सबसे बड़े बिजनेस टाइकून और गेट्स फाउंडेशन के चेयरमैन बिल गेट्स ने हाल ही में दिल्ली में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात की, लेकिन एक और खास बात सामने आई – यह मुलाकात संसद भवन में हुई! यह अपने आप में खास है, क्योंकि भारत सरकार उन्हें इतनी अहमियत दे रही है कि उन्हें संसद में बुलाया जाता है और स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े विषयों पर चर्चा की जाती है।

और पढ़ें: BJP leader Gulfam Singh Yadav murder: संभल में बीजेपी नेता गुलफाम सिंह यादव की दिनदहाड़े हत्या, इलाके में सनसनी

बिल गेट्स और उनकी ‘प्रयोगशाला’ वाली टिप्पणियाँ- Bill Gates Comment on India

अब, क्या आपको नहीं लगता कि एक अरबपति कारोबारी के लिए यह सम्मान की बात होनी चाहिए, लेकिन गेट्स की यह शालीनता भरी मुलाकात उनके हालिया बयान के बाद सवालों के घेरे में है। भारत में गेट्स ने खुद एक इंटरव्यू में यह कहा कि उनका चैरिटी प्रोग्राम, जो देश में टीकाकरण और स्वास्थ्य सेवाओं पर काम कर रहा है, वह ‘प्रयोगशाला’ की तरह काम करता है। यानी, भारत में चल रहे इन प्रोजेक्ट्स का परीक्षण किया जाता है, और यदि यह सफल होता है, तो दुनिया भर में इसे लागू किया जाएगा।

गेट्स ने कहा, “अगर भारत में यह तरीके कारगर होते हैं, तो इन्हें बाकी देशों में भी अपनाया जा सकता है।” अब यह सुनकर आपको कैसा महसूस होता है? क्या भारत की पूरी जनता अब गेट्स के लिए गिनी पिग्स बन चुकी है, जिनकी पीड़ा और संघर्ष सिर्फ किसी नई दवा या टीके का परीक्षण करने के लिए हैं? क्या गेट्स का यह बयान भारत की आत्मनिर्भरता और प्रतिष्ठा को कम आंकने जैसा नहीं लगता?

सांसद भवन में क्यों बुलाया गया था बिल गेट्स?

बिल गेट्स का संसद भवन में बुलाया जाना खुद में एक दिलचस्प मसला है। क्या यही वह जगह है जहां गेट्स को भारत के मुद्दों पर अपनी राय देने का अधिकार मिलना चाहिए? या फिर यह सिर्फ उनकी चैरिटी के लिए एक ‘संपर्क मंच’ है, जहां भारत सरकार उनके संग डील करने के लिए खुद को प्रस्तुत करती है? संसद भवन में चर्चा तो होती है देश के विकास, लोगों के अधिकारों और सामाजिक नीतियों पर, लेकिन गेट्स का वहां आकर अपनी चैरिटी के माध्यम से भारत को ‘प्रयोगशाला’ बताना कतई उचित नहीं है।

सोशल मीडिया पर गेट्स की आलोचना

सोशल मीडिया पर इस बयान के बाद बवाल मच गया है। कई यूजर्स ने गेट्स को निशाने पर लिया है। एक यूजर ने लिखा, “क्या हम भारतीय अब सिर्फ गिनी पिग्स बन गए हैं? क्या बिल गेट्स हमें प्रयोगशाला में परीक्षण करने के लिए देख रहे हैं?” वहीं, दूसरे यूजर्स ने इसे सरकार और मीडिया पर भी तंज कसते हुए कहा कि ‘क्या भारत को सिर्फ परीक्षण के लिए रखा गया है, और मीडिया ने इन अरबपतियों को हीरो बना दिया है?’

क्या गेट्स की आलोचना गलत है?

बिल गेट्स के आलोचकों का कहना है कि उनका यह बयान गलत था, जबकि कुछ लोग इसे उनके विचारों की गलती मानते हैं। एक यूजर ने तो यहां तक कहा, “बिल गेट्स ने भारत को प्रयोगशाला नहीं कहा, बल्कि यह कहा कि अगर भारत में जो तरीका काम करता है, तो दुनिया के दूसरे देशों में उसे लागू किया जा सकता है।” हालांकि, क्या यह शब्दों की बाजीगरी है? क्या यह भारत के मान-सम्मान को एक बार फिर कमजोर करने की कोशिश नहीं है?

बिल गेट्स का भारत को ‘प्रयोगशाला’ कहना और संसद में उनकी उपस्थिति दोनों ही भारतीय समाज और राजनीति में कई सवाल खड़े कर गए हैं। जहां एक ओर गेट्स का फाउंडेशन भारत में स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में काम करता है, वहीं उनका यह बयान भारत की आत्मनिर्भरता और संघर्ष को कम आंकने जैसा लगता है।

और पढ़ें: Balesh Dhankhar arrested: ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय के नेता को 40 साल की सजा, कोर्ट ने कहा- ‘हैवानियत की हद पार की’ 

IPL Controversies: IPL के इतिहास के सबसे बड़े विवाद! फिक्सिंग से लेकर थप्पड़ तक, जब क...

0

IPL Controversies: इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2025 का आगाज अब चंद दिन दूर है, और क्रिकेट प्रेमियों का उत्साह सातवें आसमान पर है। 22 मार्च को इस सीजन की शुरुआत होने जा रही है, जिसमें कुल 74 मुकाबले खेले जाएंगे। हालांकि, IPL का इतिहास हमेशा रोमांचक मुकाबलों से नहीं भरा रहा, बल्कि इसमें कई विवादों ने भी सुर्खियां बटोरी हैं। आइए, जानते हैं IPL के कुछ बड़े और चर्चित विवादों के बारे में।

और पढ़ें: Pakistani Cricketer in IPL: पाकिस्तानी क्रिकेटर्स की आईपीएल में वापसी पर लगा ब्रेक, 2008 के बाद से नहीं मिला खेलने का मौका

IPL के फाउंडर ललित मोदी को निकाला गयाIPL Controversies

IPL के जनक और पहले सीजन के फाउंडर ललित मोदी को लीग के शुरुआती तीन सीजन के बाद विवादों का सामना करना पड़ा। ललित मोदी पर आरोप था कि उन्होंने IPL के आर्थिक मामलों में अनियमितताएं की थीं, जिसमें टीमों की संदेहास्पद नीलामी और ब्रॉडकास्ट डील शामिल थी। इसके बाद उन्हें IPL से बाहर कर दिया गया। ललित मोदी पर राजस्थान रॉयल्स और किंग्स इलेवन पंजाब की नीलामी, और सोनी के साथ ब्रॉडकास्ट डील में झोलझाल करने का आरोप लगा। इसके बाद से वे भारत में भगोड़े घोषित हुए और फिलहाल वानुआतु में रहते हैं।

IPL Controversies IPL 2025
Source: Google

भज्जी और श्रीसंत का विवाद

IPL 2013 में मुंबई इंडियंस के हरभजन सिंह और किंग्स इलेवन पंजाब के एस श्रीसंत के बीच हुए विवाद ने काफी तूल पकड़ा। मैच हारने के बाद श्रीसंत ने भज्जी को ‘हार्ड लक’ कहा, जिसके बाद गुस्साए भज्जी ने मैदान में ही श्रीसंत को थप्पड़ जड़ दिया। इस घटना के बाद भज्जी को पूरे सीजन के लिए बैन कर दिया गया और उन्हें 5 वनडे मैचों से भी बाहर कर दिया गया था। हालांकि, समय के साथ दोनों खिलाड़ी अच्छे दोस्त बन गए।

IPL Controversies IPL 2025
Source: Google

जडेजा पर एक साल का बैन

IPL में फ्रेंचाइजी द्वारा दिए गए लुभावने ऑफर अक्सर खिलाड़ियों को ललचाते हैं। एक ऐसी ही स्थिति में रवींद्र जडेजा फंसे थे। राजस्थान रॉयल्स से खेलते हुए जडेजा ने बिना फ्रेंचाइजी को बताए मुंबई इंडियंस से जुड़ने का प्रयास किया। इस बात की जानकारी मिलते ही उन्हें दोषी ठहराया गया और उन पर एक साल का बैन लगा। हालांकि, इसके बाद जडेजा ने चेन्नई सुपर किंग्स से जुड़कर क्रिकेट की दुनिया में फिर से कदम रखा।

IPL Controversies IPL 2025
Source: Google

स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी के मामले

IPL 2013 का सीजन स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी के मामले के लिए याद किया जाएगा। राजस्थान रॉयल्स के तीन खिलाड़ियों एस श्रीसंत, अंकित चव्हाण और अजित चंदीला पर फिक्सिंग के आरोप लगे, और इन्हें आजीवन बैन कर दिया गया। इसके अलावा, सट्टेबाजी में शामिल होने के कारण चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन और राजस्थान रॉयल्स के मालिक राज कुंद्रा को भी दोषी पाया गया। इसके परिणामस्वरूप दोनों टीमों पर दो साल का बैन लगा।

विराट कोहली और गौतम गंभीर का विवाद

2023 सीजन में एक मैच के दौरान विराट कोहली और लखनऊ सुपर जायंट्स के कप्तान गौतम गंभीर के बीच तीखी नोकझोंक हुई। यह विवाद सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और क्रिकेट प्रेमियों के बीच चर्चाओं का विषय बन गया। बाद में, दोनों खिलाड़ियों के बीच स्थिति को शांत करने के लिए अन्य खिलाड़ियों को हस्तक्षेप करना पड़ा।

IPL Controversies IPL 2025
Source: Google

IPL की शुरुआत से ही इसके साथ विवादों का सिलसिला चलता रहा है। हालांकि, इन विवादों ने हमेशा लीग को ज्यादा चर्चा में रखा है, लेकिन इसके बावजूद IPL आज भी क्रिकेट की दुनिया का सबसे बड़ा और रोमांचक टूर्नामेंट बना हुआ है। अब देखते हैं कि 2025 सीजन में कौन-कौन से नए विवाद सामने आते हैं।

और पढ़ें: IND vs NZ Final CT 2025: गंभीर के 5 क्रांतिकारी एक्सपेरिमेंट्स, जिन्होंने भारतीय टीम को 8 महीने में चैम्पियन बना दिया

Meerut Murder: पत्नी और प्रेमी की खौ़फनाक साजिश! मेरठ हत्याकांड में पति की हत्या, शव ...

0

Meerut Murder: मेरठ में एक ऐसा खौफनाक मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ पूरे शहर को झकझोर दिया, बल्कि यह भी सवाल खड़ा किया कि प्रेम और विश्वास के नाम पर इंसान कितनी बड़ी साजिश रच सकता है। मुस्कान, एक आम सी महिला, ने अपने पति सौरभ के साथ एक प्यारी-सी जिंदगी बिताई थी, लेकिन उसकी कहानी में एक मोड़ तब आया जब उसने अपने ही पति की हत्या की साजिश रच दी। यह कहानी न केवल धोखे की है, बल्कि विश्वासघात की भी है, जिसमें चाकू, खून, और सीमेंट जैसी भयानक चीजों का इस्तेमाल किया गया।

और पढ़ें: Kusuma Nain Biography: Phoolan Devi की जानी दुश्मन, Dacoit Vikram Mallah को मरवाने वाली खूंखार डकैत कुसुमा नाइन की हैरान कर देने वाली दास्तान

प्रेम की शुरुआत और अंत- Meerut Murder

सौरभ और मुस्कान की मुलाकात 2015 में हुई थी, और 2016 में दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद उनकी जिंदगी खुशियों से भरी हुई थी, और एक प्यारी सी बेटी भी थी। सौरभ मर्चेंट नेवी में अफसर थे और लंबे समय तक समुद्र में रहते थे, जबकि मुस्कान मेरठ में अपनी बेटी के साथ अकेले रहती थी। हालांकि, 2019 में मुस्कान के जीवन में साहिल की एंट्री हुई, जो उसी मोहल्ले में रहता था। शुरुआत में दोनों की दोस्ती थी, लेकिन यह दोस्ती जल्दी ही एक खतरनाक रिश्ते में बदल गई, जिससे सौरभ की मौत का रास्ता तैयार हुआ।

Meerut Murder crime
Source: Google

मौत की साजिश का खौफनाक रूप

मुस्कान का जन्मदिन 25 फरवरी को था, और इस बार उसने इसे खास बनाने के साथ-साथ अपने पति की हत्या की योजना बनाई थी। 4 मार्च की रात जब सौरभ सोने गया, मुस्कान और साहिल ने मिलकर उस पर हमला किया। चाकू के वार से सौरभ घायल हो गया, और मौत के बाद मुस्कान ने घर में ताला लगाकर अफवाह फैलाई कि वह और सौरभ हिमाचल प्रदेश घूमने जा रहे हैं।

हत्याकांड की साजिश और शव का ठिकाना

मुस्कान और साहिल ने सौरभ के शव को ठिकाने लगाने की साजिश रची। उन्होंने एक प्लास्टिक ड्रम खरीदा, जिसमें शव के टुकड़े कर डाले और फिर उस ड्रम में सीमेंट भरकर उसे ठोस बना दिया ताकि किसी को शक न हो। इसके बाद मुस्कान और साहिल ने मनाली में तीन दिन हनीमून मनाया, और सोशल मीडिया पर तस्वीरें पोस्ट कर यह दिखाने की कोशिश की कि उनकी जिंदगी बिल्कुल सामान्य है।

साजिश का खुलासा और पुलिस कार्रवाई

मुस्कान ने अपनी मां को पूरी घटना बता दी, लेकिन उसकी मां ने पुलिस को सूचना दे दी। पुलिस ने मुस्कान से पूछताछ की, तो वह घबराई और झूठ बोलने लगी। फिर जब साहिल से पूछताछ की गई, तो उसने डर के मारे पूरी सच्चाई उगल दी। पुलिस ने जब ड्रम खोला, तो उसे खोलने में दो घंटे की मेहनत लगी, क्योंकि सीमेंट ने शव को पूरी तरह से जकड़ लिया था। इसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया, जहां ड्रम को काटकर शव को बाहर निकाला गया।

Meerut Murder crime
Source: Google

पुलिस की कार्रवाई और गिरफ्तारी

पुलिस ने इस मामले में मुस्कान और साहिल को गिरफ्तार कर लिया और उनके खिलाफ हत्या और साजिश रचने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। मेरठ के एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि सौरभ की हत्या 4 मार्च को हुई थी, और पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

और पढ़ें: Bihar News: अररिया में छापेमारी के दौरान एएसआई की संदिग्ध मौत, पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल

NASA Astronauts Salary: NASA के एस्ट्रोनॉट्स की सैलरी का हैरान करने वाला सच! सुनीता व...

0

NASA Astronauts Salary: दुनिया की सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के दो वरिष्ठ अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर पिछले 9 महीनों से अंतरिक्ष में फंसे हुए थे। ये दोनों अंतरिक्ष यात्री पिछले साल जून में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) गए थे, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण वे वहीं फंस गए थे। अब आखिरकार ये दोनों अंतरिक्ष यात्री धरती पर लौट आए हैं। स्पेसएक्स का ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट बुधवार 3:27 बजे इन अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर धरती पर उतरा। इस दौरान सवाल उठता है कि NASA अपने एस्ट्रोनॉट्स को कितनी सैलरी देता है और उन्हें कौन-कौन सी सुविधाएं मिलती हैं। इस रिपोर्ट में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे।

और पढ़ें: Sunita Williams News: सुनीता विलियम्स की ऐतिहासिक वापसी, नासा और ISS के कम्युनिकेशन्स सिस्टम पर डाले एक नजर

NASA एस्ट्रोनॉट्स की सैलरी कितनी होती है? (NASA Astronauts Salary)

NASA के एस्ट्रोनॉट्स को अमेरिकी सरकार के कर्मचारियों के लिए निर्धारित जनरल सर्विस (GS) पे स्केल के आधार पर सैलरी मिलती है। स्पेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक, आमतौर पर एस्ट्रोनॉट्स को GS 12-13 के आधार पर सैलरी मिलती है, जिसके तहत उनकी सालाना तनख्वाह 84,365 डॉलर (लगभग 73 लाख रुपये) से लेकर 1,15,079 डॉलर (लगभग 1 करोड़ रुपये) तक हो सकती है। वहीं, NASA की वेबसाइट के अनुसार, औसतन एस्ट्रोनॉट्स की सालाना सैलरी 1,52,258 डॉलर (लगभग 1.32 करोड़ रुपये) होती है।

NASA Astronauts Salary Sunita Williams
Source: Google

सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की सैलरी कितनी है?

सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर NASA के सबसे अनुभवी एस्ट्रोनॉट्स में से हैं, जिसके कारण उनकी सैलरी भी अधिक है। उन्हें GS-15 ग्रेड के तहत सैलरी दी जाती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, GS-15 ग्रेड में आने वाले कर्मचारियों के लिए सालाना सैलरी 1,25,133 डॉलर से 1,62,672 डॉलर (लगभग 1.08 करोड़ रुपये से 1.41 करोड़ रुपये) के बीच होती है। ISS पर 9 महीने के मिशन को देखते हुए, उनकी कमाई लगभग 93,850 डॉलर से 1,22,004 डॉलर (लगभग 81 लाख रुपये से 1.05 करोड़ रुपये) के बीच हो सकती है।

Sunita Williams Return Update NASA
Source: Google

NASA एस्ट्रोनॉट्स को क्या सुविधाएं मिलती हैं?

NASA अपने एस्ट्रोनॉट्स को सैलरी के अलावा अन्य कई सुविधाएं भी देती है। इनमें हाउसिंग अलाउंस शामिल है, जिससे वे अपने रहने का खर्च उठा सकें। कुछ शर्तों पर नासा के कर्मचारियों को कार लोन भी उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा, हेल्थ इंश्योरेंस भी एक महत्वपूर्ण सुविधा है, जिसे हर कर्मचारी को मुहैया कराया जाता है। सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर दोनों को ही हेल्थ इंश्योरेंस मिला हुआ है।

हालांकि, NASA एस्ट्रोनॉट्स को ओवरटाइम के लिए कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं करता है। रिटायर्ड NASA एस्ट्रोनॉट कैडी कोलमैन के अनुसार, एस्ट्रोनॉट्स को ओवरटाइम की जगह आकस्मिक व्यय के तौर पर एक छोटा सा डेली स्टाइपेंड मिलता है, जो केवल 4 डॉलर (लगभग 347 रुपये) होता है। सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को 8 दिन के मिशन पर भेजा गया था, लेकिन वे 287 दिन ISS पर रहे। इस हिसाब से उन्हें एक्स्ट्रा स्टाइपेंड के तौर पर 1,148 डॉलर (लगभग 1 लाख रुपये) मिलेंगे, जो अपेक्षाकृत कम है।

NASA के एस्ट्रोनॉट्स को मिलने वाली सैलरी और सुविधाएं उन्हें एक समृद्ध और सुरक्षित जीवन जीने में मदद करती हैं, लेकिन अंतरिक्ष में बिताए गए समय की कठिनाइयों और चुनौतियों को देखते हुए, उनके प्रयासों की सच्ची कद्र तब होती है जब वे धरती पर लौटते हैं। सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर जैसे अनुभवी एस्ट्रोनॉट्स की कड़ी मेहनत और समर्पण को न केवल उनकी सैलरी से, बल्कि उनकी असाधारण यात्राओं से भी पहचाना जाता है।

और पढ़ें: Sunita Williams Return Update: 7 मिनट का ब्लैकआउट, 1900 डिग्री टेंपरेचर… वो खतरनाक पल, जब सुनीता विलियम्स ने कल्पना चावला जैसे खतरे को पार किया