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Cruel Rulers of History: कोल्बर्ट, हिटलर, लेनिन और औरंगजेब, वो शख्सियतें जिनकी विरासत...

Cruel Rulers of History: इतिहास में कई ऐसे शासक हुए हैं जिनकी नीतियां और कार्य समय के साथ लोगों के दिलों में नफरत और घृणा की भावना को जन्म देते हैं। इन शासकों का शासन भले ही उनके समय में मजबूत था, लेकिन उनके क्रूर और विवादास्पद निर्णयों ने जनता के बीच लंबे समय तक गुस्सा और नफरत का माहौल बना दिया। इन शासकों की मौत के वर्षों बाद भी उनका नाम नफरत के साथ लिया जाता है, और उनकी नीतियों के चलते उनकी विरासत आज भी विवादों और आक्रोश का कारण बनी हुई है।

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औरंगजेब और उनका विवादास्पद शासन- Cruel Rulers of History

भारत के इतिहास में औरंगजेब का नाम विशेष रूप से विवादास्पद है। वह मुग़ल साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली शासकों में से एक थे, लेकिन उनकी नीतियों में धार्मिक असहिष्णुता, मंदिरों का विनाश, और अन्य समुदायों के साथ क्रूर व्यवहार शामिल था। उनके शासन में कई हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया, और उनकी नीति ने भारत के विभिन्न हिस्सों में नफरत का माहौल पैदा किया। आज भी औरंगजेब के खिलाफ आक्रोश और नफरत की बयार चलती रहती है, जो इस बात का प्रमाण है कि उनका शासन लोगों के दिलों में स्थायी रूप से नफरत छोड़ गया था।

हिटलर और पोल पॉट का उदाहरण

इतिहास में हिटलर और पोल पॉट जैसे नाम भी शामिल हैं, जिनका शासन अत्यधिक क्रूर था और इनकी नीतियों ने लाखों लोगों की जान ली। हिटलर ने द्वितीय विश्व युद्ध और होलोकॉस्ट के दौरान लाखों यहूदियों की हत्या करवाई। उसकी मौत के कई साल बाद भी उसकी कब्र का कोई निशान नहीं छोड़ा गया, और आज भी हिटलर के नाम से नफरत की जाती है। पोल पॉट, कंबोडिया के ख्मेर रूज के नेता थे, जिन्होंने 1970 के दशक में 20 लाख लोगों की हत्या की। उनकी नीतियों का समाज पर गहरा असर पड़ा, और उनकी मृत्यु के बाद भी उन्हें कभी माफ नहीं किया गया।

Cruel Rulers of History hitlor
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लुई 14 और फ्रांसीसी क्रांति का प्रभाव

फ्रांस के शासक लुई 14 की नीतियों ने लोगों को गरीबी और भुखमरी में धकेल दिया, जिसके परिणामस्वरूप फ्रांसीसी क्रांति हुई। इस क्रांति के दौरान लुई 14 की मूर्तियों को तोड़ा गया और उनकी कब्र पर लोगों का गुस्सा फूटा। उनका शासन भव्य था, लेकिन उनकी नीतियों ने समाज को तोड़ दिया।

लेनिन और स्टालिन के विवाद

रूस में भी लेनिन और जोसेफ स्टालिन के नाम पर विवाद और नफरत की कहानियां हैं। लेनिन ने साम्यवाद की नींव रखी, लेकिन उनके शासन में हिंसा और भुखमरी का सामना हुआ। स्टालिन के शासन में लाखों लोगों की मौत हुई, और उनकी नीतियों के कारण उनकी मूर्तियों को तोड़ा गया और उनके नाम की निंदा की गई।

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इतिहास में दर्ज इन शासकों के कार्यों ने न केवल उनके समय में बल्कि उनके बाद भी उनकी छवि को धूमिल किया। इन शासकों की नीतियां और फैसले आज भी लोगों के विचारों पर गहरा असर डालते हैं। इनका उदाहरण यह साबित करता है कि शासकों की नीतियां और कार्य न केवल उनके समय में बल्कि आने वाले समय में भी इतिहास में दर्ज होते हैं, और उनकी विरासत कभी माफ नहीं होती।

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Meerut Murder case: खुशियों की झूठी तस्वीर… सौरभ के साथ नाचती कातिल मुस्कान, आख...

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Meerut Murder case: 28 फरवरी को पीहू का जन्मदिन मनाने के दौरान एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें मुस्कान अपने पति सौरभ और बेटी पीहू के साथ मस्ती करते हुए डांस कर रही थी। यह वीडियो उसी दिन का माना जा रहा है, और देखने में यह एक सामान्य खुशी का पल लग रहा था। हालांकि, अब इस वीडियो ने एक नए मोड़ को जन्म दिया है, क्योंकि यह मुस्कान की चालाकी और शातिरपने का एक और सबूत बन चुका है।

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मुस्कान का झूठा प्यार और हत्या की योजना- Meerut Murder case

मुस्कान ने अपनी पूरी योजना महीनों पहले ही तैयार कर ली थी। उसने सौरभ के साथ एक आदर्श पत्नी का नाटक किया था, ताकि किसी को भी उसके इरादों पर शक न हो। हालांकि, इस वीडियो के सामने आने के बाद यह साफ हो गया कि मुस्कान और उसके प्रेमी साहिल शुक्ला ने सौरभ की हत्या की साजिश पहले से ही रच ली थी। 4 मार्च की रात मुस्कान ने सौरभ को नशीला पदार्थ देकर बेहोश कर दिया, और फिर साहिल के साथ मिलकर उसे रास्ते से हटा दिया।

सौरभ की हत्या करने के बाद मुस्कान और साहिल ने शव को ठिकाने लगाने के लिए एक और योजना बनाई। अगले दिन, दोनों ने एक बड़ा प्लास्टिक ड्रम, सीमेंट और रेत खरीदी और सौरभ के शव को ड्रम में डालकर सीमेंट और रेत से भर दिया। उन्होंने शव को घर में ही छिपा दिया और किसी को भी शक न होने देने के लिए अपना सफ़ेद झूठ जारी रखा।

हत्या के बाद की बेशर्मी और छुट्टियां

हत्या करने के बाद मुस्कान और साहिल ने बेशर्मी की हद पार करते हुए छुट्टियों का आनंद लिया। वे मनाली, कसोल और शिमला घूमने चले गए, जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। इस बीच, मुस्कान ने अपनी मां से फोन पर बात की और खुद को रोते हुए दिखाया, जिससे उसकी मां को शक हुआ। उसकी मां ने उसे घर बुलाया, और फिर हत्या का राज़ सामने आ गया।

सौरभ का लापता होना और पुलिस की कार्रवाई

सौरभ के भाई बब्लू ने 18 मार्च को पुलिस से संपर्क किया और बताया कि उसका भाई 5 मार्च से लापता है। उसे यह संदेह था कि मुस्कान और उसके प्रेमी साहिल ने ही उसकी हत्या की है। पुलिस ने मुस्कान और साहिल से सख्ती से पूछताछ की, जिसके बाद दोनों ने अपना अपराध कबूल कर लिया।

पुलिस ने उनकी निशानदेही पर सौरभ के शव को ड्रम से बरामद किया, और इस घटना ने सभी को हैरान कर दिया। हत्या की घटना के बाद से मुस्कान और साहिल के खिलाफ पुलिस ने कठोर कार्रवाई की है और उन्हें गिरफ्तार कर लिया है।

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Ghaziabad News: “इस आदमी ने मेरी नौकरी से शादी की थी, मुझसे नहीं” – शिक्ष...

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Ghaziabad News: दिल्ली के दल्लुपुरा स्थित सर्वोदय कन्या विद्यालय की शिक्षिका अन्विता शर्मा (29) की आत्महत्या का मामला सुर्खियों में है। 16 मार्च को अन्विता का शव फंदे से लटका मिला था, जिसके बाद पुलिस ने सुसाइड नोट बरामद किया है। इस नोट में उन्होंने अपने पिता को भेजे संदेश में अपने पति गौरव कौशिक पर गंभीर आरोप लगाए थे। अन्विता ने लिखा कि उनके पति ने उनसे नहीं, बल्कि उनकी नौकरी से शादी की थी।

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सुसाइड नोट में क्या था? (Ghaziabad News)

पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार, अन्विता ने सुसाइड नोट में अपनी शादीशुदा जिंदगी के दुखों का जिक्र किया था। उन्होंने लिखा, “मैंने अपने पति के लिए सब कुछ किया, लेकिन हर बार मुझमें ही कमी नजर आई।” इसके अलावा, उन्होंने घरवालों द्वारा किए गए मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का भी उल्लेख किया। उन्होंने अपने बेटे गौरवित के बारे में लिखा कि उसे अपने पिता की तरह न बनने दें और खुद को संजीदा और जिम्मेदार बनाए रखें।

सुसाइड नोट में एक और दिल दहलाने वाली बात सामने आई। अन्विता ने लिखा, “गौरव, खाना बना दिया है, खा लेना,” और साथ ही यह भी कहा कि वह जानती थीं कि समाज में अच्छे बनने के लिए लोग कितने दिखावे करते हैं, लेकिन घर में उन्हें ताने सुनने को मिलते थे। अंत में उन्होंने अपने माता-पिता और दोस्तों से माफी भी मांगी और सभी से अपील की कि गौरवित का ख्याल रखें।

आरोप और गिरफ्तारी

पुलिस ने अन्विता के पिता अनिल शर्मा की तहरीर पर दहेज उत्पीड़न और हत्या का मामला दर्ज किया। इसमें पति गौरव कौशिक, ससुर सुरेंद्र शर्मा और सास मंजू शर्मा को आरोपी बनाया गया। पुलिस ने आरोपी पति और ससुर को गिरफ्तार कर लिया है और उन्हें जेल भेज दिया गया है। सास की तलाश जारी है, और पुलिस का कहना है कि उसे जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।

अन्विता का पारिवारिक हाल

अन्विता के पिता अनिल शर्मा ने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी की शादी 18 दिसंबर 2019 को गौरव कौशिक से हुई थी। शादी के दौरान उन्होंने 26 लाख रुपये खर्च किए थे, साथ ही अतिरिक्त दहेज के रूप में एक कार भी दी थी। इसके बावजूद, ससुराल वालों ने अन्विता से अतिरिक्त दहेज की मांग की, जिससे उत्पीड़न का सिलसिला शुरू हुआ। अनिल शर्मा ने आरोप लगाया कि उनके दमाद और ससुर ने उनकी बेटी का शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया, यहां तक कि उनकी चेक बुक और डेबिट कार्ड भी अपने पास रखे थे।

मामला जांच के दायरे में

एसीपी अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। उन्होंने यह भी कहा कि सास की गिरफ्तारी की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी। इस मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई का संकल्प लिया है और जांच तेजी से आगे बढ़ रही है।

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Ghaziabad News: विधायक नंदकिशोर गुर्जर और समर्थकों को बगैर अनुमति के कलश यात्रा निकाल...

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Ghaziabad News: भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर और उनके समर्थकों को बगैर अनुमति के कलश यात्रा निकालने की भारी कीमत चुकानी पड़ी। इस दौरान पुलिस और आयोजकों के बीच झड़प हुई, जिससे विधायक नंदकिशोर गुर्जर बेहोश हो गए और उनके कपड़े भी फट गए। घटना के बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी भी की।

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कलश यात्रा में पुलिस और समर्थकों के बीच झड़प– Ghaziabad News

गुरुवार को लोनी क्षेत्र में एक परंपरागत जुलूस का आयोजन किया जा रहा था, जिसमें भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष शामिल थे। इस जुलूस के आयोजकों में विधायक नंदकिशोर गुर्जर के बेटे हितेश गुर्जर भी शामिल थे। पुलिस का कहना है कि इस जुलूस के लिए पहले से अनुमति नहीं ली गई थी। जैसे ही पुलिस प्रशासन को इस जुलूस के बारे में जानकारी मिली, बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे और जुलूस को रोकने की कोशिश की। हालांकि, विधायक नंदकिशोर गुर्जर के नेतृत्व में लोग जुलूस को आगे बढ़ाते रहे।

झड़प के दौरान विधायक की तबियत बिगड़ी

जुलूस रोकने के प्रयास में पुलिस और आयोजकों के बीच हाथापाई हो गई। आरोप है कि पुलिस ने बिना वजह जुलूस में शामिल लोगों को पीटा। इस दौरान हुई धक्का-मुक्की में विधायक नंदकिशोर गुर्जर को चक्कर आ गया और वह गिर पड़े। इसके साथ ही उनके कपड़े भी फट गए। विधायक के गिरने के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई और वहां मौजूद लोगों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।

पुलिस ने की कार्रवाई का दावा

इस मामले पर सहायक पुलिस आयुक्त अंकुर विहार, अजय कुमार सिंह ने बताया कि 19 मार्च को उन्हें सूचना मिली थी कि हितेश गुर्जर 20 मार्च को एक गैर परंपरागत जुलूस का आयोजन करने वाले थे। इस पर थाना प्रभारी लोनी बॉर्डर ने रात में ही हितेश गुर्जर और उनके समर्थक से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन फोन रिसीव नहीं होने के कारण बात नहीं हो पाई। इसके बाद सुबह भी जुलूस निकालने से मना किया गया, लेकिन इसके बावजूद पुलिस के साथ धक्का-मुक्की करते हुए जुलूस निकाल लिया गया।

सहायक पुलिस आयुक्त ने कहा कि इस मामले में अग्रिम वैधानिक कार्रवाई की जा रही है। पुलिस प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जुलूस के आयोजकों के खिलाफ कानूनी कदम उठाने की बात कही है।

नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन

विधायक नंदकिशोर गुर्जर के गिरने के बाद मौके पर जमा लोगों ने पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस घटनाक्रम ने इलाके में तनाव का माहौल बना दिया। पुलिस प्रशासन का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

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Bhai Mati Das Ji story: भाई मति दस जी की शहादत! धर्म की रक्षा में प्राणों की आहुति, म...

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Bhai Mati Das Ji story: भारतीय इतिहास में सिखों का संघर्ष और बलिदान हमेशा याद किया जाएगा। सिखों ने धर्म, इंसानियत और अपने विश्वासों के लिए न केवल युद्ध लड़ा, बल्कि उन पर आए हर अत्याचार का साहस से सामना किया। इस संघर्ष की एक प्रमुख घटना 9 नवंबर 1675 को हुई, जब भाई मति दस जी को औरंगजेब के शासन में शहादत दी गई। उनके बलिदान ने न केवल सिख समुदाय, बल्कि पूरे भारत को धर्म की रक्षा के लिए खड़ा होने की प्रेरणा दी।

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भाई मति दस जी का संघर्ष- Bhai Mati Das Ji story

औरंगजेब की हठधर्मिता और इस्लाम को लागू करने के लिए किए गए बलात्कारी प्रयासों ने भारतीय जनता के लिए कठिनाइयों का पहाड़ खड़ा कर दिया था। औरंगजेब ने हिंदू धर्म और सिख धर्म को कुचलने के लिए मंदिरों को तोड़ने, मूर्तियों को नष्ट करने और हिन्दुओं पर जजिया कर (टैक्स) लगाने जैसे अत्याचार किए। यह एक समय था जब सिख और हिंदू धर्म के अनुयायियों पर इस्लाम अपनाने का दबाव डाला जा रहा था।

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जब गुरु तेग बहादुर ने औरंगजेब के आदेशों को नकारते हुए इस्लाम अपनाने से मना किया, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उनके साथ तीन अन्य सिख वीर, भाई मति दस, भाई दयाला और भाई सतिदास को भी बंदी बनाया गया। औरंगजेब ने इन सिखों को इस्लाम स्वीकार करने के लिए दबाव डाला और उन पर क्रूर अत्याचार किए।

भाई मति दस जी का बलिदान

9 नवंबर 1675 को भाई मति दस जी को पकड़कर लकड़ी के तख्तों में जकड़ दिया गया। औरंगजेब ने आदेश दिया कि उन्हें आरे से दो भागों में चीर दिया जाए। जैसे ही आरा उनके सिर में घुसा, काजी ने उन्हें इस्लाम स्वीकार करने का प्रस्ताव दिया, यह कहकर कि शाही उपचार से उनके घाव ठीक हो जाएंगे और उन्हें ऊंचा पद मिलेगा।

भाई मति दस जी ने काजी से सवाल किया, “क्या इस्लाम स्वीकार करने से मेरी मृत्यु नहीं होगी?” काजी ने कहा, “यह कैसे संभव है, हर व्यक्ति को मरना ही है।” इस पर भाई मति दस जी ने मुस्कुराते हुए कहा, “यदि इस्लाम मुझे मृत्यु से नहीं बचा सकता तो मुझे अपने धर्म में रहते हुए मृत्यु को अपनाना चाहिए।” उन्होंने कहा, “अगर तुम्हारा इस्लाम मुझे मृत्यु से नहीं बचा सकता तो मुझे अपने धर्म पर अडिग रहकर मृत्यु का स्वागत करना चाहिए।” उन्होंने जल्लाद से कहा कि वह जल्दी से अपना काम पूरा करें ताकि वह अपने प्रभु के पास पहुंच सकें। इस दौरान वे ठहाके के साथ हंसते हुए अपने प्राणों का त्याग करने के लिए तैयार हो गए। अंत में उनके शरीर को दो टुकड़ों में चीर दिया गया, और उनका बलिदान सिखों के इतिहास में अमर हो गया।

भाई मति दस जी का परिवार और उनकी विरासत

भाई मति दस जी का परिवार सिख इतिहास में अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है। उनके परदादा भाई परागा जी ने गुरु हरगोविंद के सेनापति के रूप में मुगलों के खिलाफ युद्ध किया और शहीद हो गए। उनके छोटे भाई, भाई सतिदास और भाई दयाला ने भी अपने प्राणों की आहुति दी। भाई मति दस के वंशजों ने भी स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान दिया। उनके भतीजे साहबचंद और धर्मचंद गुरु गोविंद सिंह के दीवान थे, जिन्होंने सिख धर्म के लिए संघर्ष किया और प्राणों की आहुति दी।

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सिख क्रांति और प्रेरणा

भाई मति दस जी का बलिदान न केवल सिखों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन गया। उनकी शहादत ने यह सिद्ध कर दिया कि धर्म के प्रति अडिग रहने वाला व्यक्ति मृत्यु से भी नहीं डरता। उनके परिवार और सिख समुदाय के योगदान ने स्वतंत्रता संग्राम और धर्म के प्रति निष्ठा को नया आयाम दिया।

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Rakesh Roshan Films: रेखा संग काम करने पर Rakesh Roshan को दी गई थी चेतावनी, बोले- &#...

Rakesh Roshan Films: बॉलीवुड की दिग्गज अदाकारा रेखा ने अपनी अदाकारी से हिंदी सिनेमा में एक अलग ही मुकाम हासिल किया है। 1970 के दशक में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने के बाद रेखा ने अपनी शानदार अभिनय क्षमता और स्क्रीन प्रेजेंस से दर्शकों का दिल जीता। हालांकि, उनकी सफलता के साथ कुछ गलत अफवाहें भी जुड़ीं, जिनमें उन्हें अनप्रोफेशनल और समय की पाबंदी न रखने वाली कहा गया। इन अफवाहों को राकेश रोशन ने खारिज किया है और बताया कि रेखा के साथ उनका अनुभव हमेशा ही शानदार रहा है।

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रेखा के साथ काम करने के अनुभव पर राकेश रोशन का खुलासा- Rakesh Roshan Films

राकेश रोशन ने एक हालिया इंटरव्यू में बताया कि जब उन्होंने 1981 में रिलीज हुई फिल्म ‘खून भरी मांग’ के लिए रेखा को कास्ट करने का फैसला किया, तो कई लोगों ने उन्हें रेखा के बारे में चेतावनी दी थी। उनका कहना था कि रेखा पेशेवर नहीं हैं, समय पर शूटिंग पर नहीं आतीं, और काम के बीच में चली जाती हैं। लेकिन राकेश ने इन अफवाहों को नकारते हुए कहा कि उन्हें रेखा के साथ कोई भी समस्या नहीं हुई।

 

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राकेश ने बताया, “जब मैंने रेखा से फिल्म के लिए संपर्क किया, तो लोगों ने मुझे कई बातें बताई, लेकिन मैंने कभी उन बातों पर ध्यान नहीं दिया। रेखा की एक खासियत है, जो बहुत कम अदाकाराओं में होती है – वे हर फिल्म में अलग दिखती हैं और उनका अभिनय हमेशा नयापन लेकर आता है।” राकेश ने रेखा के साथ फिल्म ‘खूबसूरत’, ‘आक्रमण’, और ‘औरत’ में भी काम किया था, और इन फिल्मों में रेखा की अदाकारी को भी सराहा गया था।

रेखा के जवाब ने साबित किया उनकी प्रोफेशनलिज़म

राकेश ने खुलासा किया कि जब वह रेखा से मिलने डायरेक्टर के रूप में पहुंचे, तो उन्होंने उनसे कहा, “यह मेरी दूसरी फिल्म है, और यह महिला प्रधान कहानी पर आधारित है, जिसमें पत्नी अपने पति की हत्या कर देती है। क्या आपको कोई दिक्कत तो नहीं होगी?” रेखा का जवाब था, “मैं केवल उन्हीं को परेशान करती हूं जो मेरी पेमेंट नहीं करते या जो अपने कमिटमेंट पूरे नहीं करते।” यह स्पष्ट संकेत था कि रेखा को लेकर जो अफवाहें फैलाई जा रही थीं, वह पूरी तरह से गलत थीं।

रेखा की मेहनत और प्रतिबद्धता की सराहना

राकेश रोशन ने कहा कि रेखा ने फिल्म ‘खून भरी मांग’ के लिए अपनी भूमिका को बेहद पेशेवर तरीके से निभाया और हमेशा समय पर शूटिंग पर पहुंची। फिल्म ने न केवल व्यावसायिक सफलता प्राप्त की, बल्कि रेखा की अदाकारी को भी बेमिसाल सराहना मिली। राकेश का कहना था कि रेखा की मेहनत और प्रतिबद्धता को देखकर उन्हें हमेशा यह महसूस हुआ कि वे किसी भी भूमिका को शानदार तरीके से निभाने की क्षमता रखती हैं।

‘कोई मिल गया’ में रेखा की भूमिका

इसके बाद राकेश रोशन ने रेखा को फिल्म ‘कोई मिल गया’ में ऋतिक रोशन की मां का किरदार ऑफर किया। जब राकेश ने रेखा से फिल्म की कहानी सुनाई, तो रेखा ने तुरंत समझ लिया कि राकेश उनसे राय लेने के बजाय, उन्हें इस भूमिका के लिए कास्ट करना चाहते हैं। रेखा ने मुस्कुराते हुए कहा, “आप मुझसे बस कहानी के बारे में राय नहीं ले रहे, आप चाहते हैं कि मैं मां का किरदार निभाऊं।” राकेश ने हंसते हुए कहा, “हां, बिल्कुल।” रेखा ने इस भूमिका को बेहद पेशेवर तरीके से निभाया और फिल्म में अपनी अदाकारी से एक अलग ही रंग भर दिया।

राकेश रोशन की राय

राकेश रोशन ने अंत में यह भी कहा कि रेखा जितनी टैलेंटेड हैं, उतनी ही पेशेवर भी हैं। उनका काम कभी भी निराश नहीं करता, और उनके साथ काम करना हमेशा एक बेहतरीन अनुभव रहा है। राकेश का मानना है कि रेखा का समर्पण और मेहनत फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक आदर्श हैं।

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PCOD: महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या, जानें इसके बारे में

PCOD: पीसीओडी (Polycystic Ovarian Disease) महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है, जो हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है। यह स्थिति महिलाओं के अंडाशय को प्रभावित करती है और प्रजनन क्षमता, मासिक धर्म और समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। इससे हार्मोनल असंतुलन होता है और कई तरह के लक्षण हो सकते हैं। तो चलिए आपको इस लेख में पीसीओडी के लक्षण के बारे में विस्तार से बताते है।

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पीसीओडी के लक्षण (Symptoms of PCOD)

  • इर्रेगुलर मासिक धर्म चक्र: यह पीसीओडी का सबसे आम लक्षण है। महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म, लंबे समय तक मासिक धर्म या बिल्कुल भी मासिक धर्म नहीं हो सकता है।
  • बालों का अत्यधिक विकास (Hirsutism): पीसीओडी वाली महिलाओं के चेहरे, छाती और पीठ पर अत्यधिक बाल हो सकते हैं।
  • एक्ने : हार्मोनल असंतुलन के कारण मुंहासे हो सकते हैं।
  • वजन बढ़ना: पीसीओडी वाली महिलाओं में वजन बढ़ने की संभावना होती है।
  • बालों का झड़ना: कुछ महिलाओं को सिर के बाल पतले होने का अनुभव हो सकता है।
  • बांझपन: पीसीओडी ओव्यूलेशन में बाधा डाल सकता है, जिससे गर्भवती होना मुश्किल हो जाता है।

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पीसीओडी के कारण (Causes of PCOD)

आपको बता दें, पीसीओडी का सटीक कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन माना जाता है कि इसके लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें शामिल हैं कुछ इस तरह से है कि  पीसीओडी से पीड़ित कई महिलाओं में प्रतिरक्षा प्रतिरोध होता है, जिसका अर्थ है कि उनका शरीर हार्मोन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं करता है। वही एक रिसर्च से पता चलता है कि कम-ग्रेड सूजन पीसीओडी में भूमिका निभा सकती है।

पीसीओडी का निदान करने के लिए, डॉक्टर आमतौर पर मेडिकल इतिहास, शारीरिक परीक्षण और रक्त परीक्षण करेंगे। वे योनि में सिस्ट की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड भी कर सकते हैं।

पीसीओडी उपचार (PCOD Treatment)

  • पीसीओडी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन उपचार का उद्देश्य उपचार को बढ़ावा देना और जटिलताओं के जोखिम को कम करना है। उपचार में शामिल हो सकते हैं।
  • जीवनशैली में बदलाव: स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और वजन कम करने से मदद मिल सकती है।
  • आहार: गर्भनिरोधक गोलियाँ मासिक धर्म को विनियमित करने और अतिरिक्त बालों के विकास को कम करने में मदद कर सकती हैं। मेटफ़ॉर्मिन एलेक्ज़ेंड्राइट प्रतिरोध में मदद कर सकता है।
  • प्रजनन उपचार: यदि पीसीओडी से पीड़ित महिला गर्भवती होने का प्रयास कर रही है, तो प्रजनन उपचार संभव है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। नेड्रिक न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

Nawaz Modi Singhania Resignation: 32 साल का रिश्ता, 2 बच्चे और एक बड़ा कदम! रेमंड ग्र...

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Nawaz Modi Singhania Resignation: रेमंड लिमिटेड में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है, जब नवाज मोदी सिंघानिया ने कंपनी के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया। यह इस्तीफा 19 मार्च 2025 से प्रभावी हो गया है, और उन्होंने इस्तीफे के पीछे ‘निजी कारणों’ का हवाला दिया है। नवाज, जो रेमंड लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर गौतम सिंघानिया की पत्नी हैं, ने पिछले साल नवंबर में 32 साल के रिश्ते के बाद अलग होने का फैसला किया था। दोनों के दो बच्चे हैं, और अब यह दोनों अलग-अलग जीवन जी रहे हैं।

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नवाज मोदी सिंघानिया का इस्तीफा और कंपनी की प्रतिक्रिया- Nawaz Modi Singhania Resignation

नवाज मोदी सिंघानिया ने अपने इस्तीफे में लिखा, “निजी कारणों से मैं रेमंड लिमिटेड के डायरेक्टर पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रही हूं। मैं बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को उनके यादगार सहयोग और पूरे कार्यकाल में समर्थन के लिए धन्यवाद देती हूं। कृपया इस पत्र की प्राप्ति स्वीकार करें और कंपनी रजिस्ट्रार और स्टॉक एक्सचेंज के कार्यालय में आवश्यक फॉर्म जमा करने की व्यवस्था करें।” इस इस्तीफे के बाद रेमंड लिमिटेड ने इसे शेयर बाजार में भी सार्वजनिक किया।

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गौतम सिंघानिया ने नवाज के योगदान के लिए उनका धन्यवाद किया और कहा, “हम नवाज मोदी सिंघानिया को बोर्ड सदस्य के रूप में उनकी सेवाओं के लिए धन्यवाद देते हैं। एक कंपनी के रूप में हम उच्च स्तर के नियमों का पालन करने और उद्योग के बदलते परिदृश्य में आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

नवाज को पिछले साल हटाया गया था

नवाज मोदी सिंघानिया का इस्तीफा रेमंड लिमिटेड के लिए नया मोड़ है, क्योंकि पिछले साल अप्रैल में उन्हें रेमंड की तीन प्राइवेट कंपनियों – जेके इन्वेस्टर्स (JKI), रेमंड कंज्यूमर केयर (RCCL) और स्मार्ट एडवाइजरी एंड फिनसर्व के बोर्ड से हटा दिया गया था। यह निर्णय 31 मार्च, 2024 को हुई एक EGM (एक्स्ट्राऑर्डिनरी जनरल मीटिंग) में लिया गया था। नवाज ने इन कंपनियों के बोर्ड के फैसले का विरोध किया था, लेकिन फिर भी उन्हें हटा दिया गया।

Nawaz Modi Singhania Resignation raymond
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रेमंड लिमिटेड का इतिहास और भविष्य

रेमंड ग्रुप की स्थापना 1925 में हुई थी और इसने शुरुआत में कपड़ा उद्योग में कदम रखा। बाद में कंपनी ने इंजीनियरिंग और रियल एस्टेट जैसे अन्य क्षेत्रों में भी अपनी मौजूदगी दर्ज की। 2024 में, रेमंड ने अपने लाइफस्टाइल बिजनेस को एक अलग लिस्टेड कंपनी में बदल दिया। वर्तमान में रेमंड लिमिटेड के पास रियल एस्टेट और इंजीनियरिंग के दो प्रमुख बिजनेस हैं, और यह कंपनी आगे बढ़ने के लिए नए रास्ते तलाश रही है।

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IPL 2025 Brand Value: 18 साल का हुआ टूर्नामेंट,  क्या इस बार कोई नई टीम बनेगी चैम्पिय...

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IPL 2025 Brand Value: इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) अब अपनी 18वीं सालगिरह मनाने जा रहा है और इस बार यह टूर्नामेंट खासतौर पर चर्चा में है। 2008 में शुरू होने के बाद से आईपीएल ने क्रिकेट की दुनिया में जबरदस्त सफलता हासिल की है, और अब यह बालिग हो चुका है। आईपीएल 2025 का आगाज 22 मार्च को कोलकाता में होगा, जबकि फाइनल मुकाबला 25 मई को खेला जाएगा। टूर्नामेंट का पहला मैच कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के बीच ईडन गार्डन्स में होगा।

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आईपीएल के इतिहास में अब तक के विजेता- IPL 2025 Brand Value

आईपीएल के पहले सीजन में राजस्थान रॉयल्स (RR) ने खिताब जीता था, जिसके बाद से आईपीएल ने कई ऐतिहासिक और रोमांचक मुकाबले देखे। अब तक आईपीएल में कुल 17 सीजन हो चुके हैं, जिनमें मुंबई इंडियंस (MI) और चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) ने सबसे ज्यादा 5-5 खिताब जीते हैं। इन दोनों टीमों के कप्तान, रोहित शर्मा और महेंद्र सिंह धोनी, ने अपने-अपने टीमों को असाधारण सफलता दिलाई है।

कोलकाता नाइट राइडर्स ने 3 बार (2012, 2014, 2022) खिताब जीते हैं, जबकि अन्य टीमों में राजस्थान रॉयल्स (2008), डेक्कन चार्जर्स (2009), सनराइजर्स हैदराबाद (2016), और गुजरात टाइटन्स (2022) ने भी एक-एक बार आईपीएल खिताब अपने नाम किया है। इस दौरान रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु, पंजाब किंग्स, दिल्ली कैपिटल्स, लखनऊ सुपर जायंट्स और अन्य फ्रेंचाइजी खिताबी जीत हासिल नहीं कर सकी हैं।

आईपीएल के बालिग होने के बाद क्या होगा नया?

आईपीएल अब बालिग हो चुका है, और इस बार के सीजन में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कोई नई टीम खिताब जीतने में सफल हो पाएगी या फिर चेन्नई, मुंबई और कोलकाता जैसी स्थापित टीमों का जलवा कायम रहेगा। पिछले सीजन में, कोलकाता नाइट राइडर्स ने सनराइजर्स हैदराबाद को 8 विकेट से हराकर खिताब जीता था।

अब तक, सात टीमें ही आईपीएल खिताब जीत पाई हैं, जबकि मुंबई और चेन्नई ने मिलकर 10 खिताब अपने नाम किए हैं। इन दोनों टीमों ने आईपीएल के इतिहास में सबसे ज्यादा बार खिताब जीते हैं, जिससे उनकी ताकत और प्रतिष्ठा का पता चलता है।

आईपीएल की ब्रांड वैल्यू और भविष्य की संभावनाएं

आईपीएल के बढ़ते हुए व्यापारिक महत्व के कारण, यह टूर्नामेंट क्रिकेट और खेल उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण ब्रांड बन चुका है। 2025 में, आईपीएल की ब्रांड वैल्यू लगातार बढ़ने की संभावना है, क्योंकि यह न केवल भारतीय क्रिकेट को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाता है, बल्कि इसे अन्य खेलों से भी बढ़िया वित्तीय प्रोत्साहन मिलता है।

आईपीएल में अब तक की विजेता टीमें:

सीजन विजेता उपविजेता
2008 राजस्थान रॉयल्स चेन्नई सुपर किंग्स को 3 विकेट से हराया
2009 डेक्कन चार्जर्स रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को 6 रनों से हराया
2010 चेन्नई सुपर किंग्स मुंबई इंडियंस को 22 रनों से हराया
2011 चेन्नई सुपर किंग्स रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को 58 रनों से हराया
2012 कोलकाता नाइट राइडर्स चेन्नई सुपर किंग्स को 5 विकेट से हराया
2013 मुंबई इंडियंस चेन्नई सुपर किंग्स को 23 रनों से हराया
2014 कोलकाता नाइट राइडर्स पंजाब किंग्स को 3 विकेट से हराया
2015 मुंबई इंडियंस चेन्नई सुपर किंग्स को 41 रनों से हराया
2016 सनराइजर्स हैदराबाद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु को 8 रनों से हराया
2017 मुंबई इंडियंस राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स को 1 रन से हराया
2018 चेन्नई सुपर किंग्स सनराइजर्स हैदराबाद को 8 विकेट से हराया
2019 मुंबई इंडियंस चेन्नई सुपर किंग्स को 1 रन से हराया
2020 मुंबई इंडियंस दिल्ली कैपिटल्स को 5 विकेट से हराया
2021 चेन्नई सुपर किंग्स कोलकाता नाइट राइडर्स को 27 रन से हराया
2022 गुजरात टाइटन्स राजस्थान रॉयल्स को सात विकेट से हराया
2023 चेन्नई सुपर किंग्स गुजरात टाइटन्स को पांच विकेट से हराया
2024 कोलकाता नाइट राइडर्स सनराइजर्स हैदराबाद को आठ विकेट से धोया

 

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CIA secret hideouts in India: JFK की सीक्रेट फाइलों ने उजागर किए अमेरिकी खुफिया एजेंस...

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CIA secret hideouts in India: हाल ही में यूएस नेशनल आर्काइव्स एंड रिकॉर्ड्स एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा जारी किए गए दस्तावेजों ने 1963 में राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या से जुड़ी कुछ नई और चौंकाने वाली जानकारियां उजागर की हैं। इनमें यह खुलासा हुआ है कि अमेरिकी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) ने भारत में नई दिल्ली और कोलकाता में गुप्त ठिकाने बनाए थे, जिनका उद्देश्य खुफिया ऑपरेशनों को अंजाम देना था। ये दस्तावेज़ भारत और दुनिया के अन्य हिस्सों में CIA द्वारा संचालित रहस्यमय ठिकानों और उनके ऑपरेशन्स से संबंधित हैं।

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भारत में CIA के गुप्त ठिकाने- CIA secret hideouts in India

इन सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों के अनुसार, CIA का न्यूयॉर्क डिवीजन भारत में नई दिल्ली और कोलकाता में गुप्त ठिकानों पर नजर रखता था। इसके अलावा, पाकिस्तान के रावलपिंडी, श्रीलंका के कोलंबो, ईरान के तेहरान, दक्षिण कोरिया के सियोल और जापान के टोक्यो जैसे देशों में भी CIA ने अपनी “ब्लैक साइट्स” बनाई थीं। इन ठिकानों का इस्तेमाल निगरानी, जासूसी और आतंकवादियों की हिरासत और पूछताछ जैसे कार्यों के लिए किया गया था। कई मामलों में इन ठिकानों पर कानूनी जांच भी की गई, खासकर उन आरोपों को लेकर कि इन जगहों पर लोगों को बिना किसी औपचारिक आरोप या ट्रायल के रखा गया था।

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डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर दस्तावेज़ों का खुलासा

ये दस्तावेज़ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद सार्वजनिक किए गए थे। ट्रंप प्रशासन के तहत, यूएस नेशनल आर्काइव्स ने अपनी वेबसाइट पर लगभग 2,200 पहले से वर्गीकृत दस्तावेज़ जारी किए, जो राष्ट्रपति कैनेडी की हत्या से संबंधित थे। इनमें फोटोग्राफ्स और अन्य सामग्रियों के छह मिलियन पृष्ठों के विस्तृत संग्रह का हिस्सा थे। पहले ही अधिकांश दस्तावेज़ सार्वजनिक किए जा चुके थे, लेकिन अब यह नया खुलासा अमेरिका और दुनिया भर के खुफिया अभियानों को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करता है।

रूस के खिलाफ CIA के ठिकाने

CIA की गुप्त फैसिलिटीज या “ब्लैक साइट्स” का इतिहास निगरानी, जासूसी और आतंकवादियों की हिरासत के अलावा कुछ मामलों में पूछताछ के लिए भी रहा है। इन ठिकानों का इस्तेमाल खासकर रूस और अन्य देशों के खिलाफ खुफिया ऑपरेशनों के लिए किया गया था। रिपोर्टों के अनुसार, यूक्रेन सहित यूरोप के कई देशों में CIA द्वारा इन जासूसी अड्डों का संचालन किया जाता रहा है।

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भारत और CIA का ऐतिहासिक जुड़ाव

भारत का CIA के साथ एक पुराना जुड़ाव रहा है, खासकर शीत युद्ध के दौरान। 2013 में एक डी-क्लासिफाइड दस्तावेज़ से पता चला कि 1962 में, जब चीन के साथ भारत का युद्ध चल रहा था, भारत ने CIA को अमेरिका के U-2 जासूसी विमानों के लिए ओडिशा स्थित चारबतिया एयरबेस का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी। इसके अलावा, 1950 में जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया, भारत ने CIA से तिब्बती प्रतिरोध सेनानियों की मदद प्राप्त की थी।

भारत-अमेरिका का सहयोग और चीन के खिलाफ रणनीति

भारत और अमेरिका के बीच खुफिया सहयोग 1949 में शुरू हुआ था, जब भारत ने चीन के खिलाफ अपनी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए CIA से मदद मांगी थी। 1959 में दलाई लामा के भारत भागने में भी CIA की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है। भारत के खुफिया ब्यूरो के निदेशक टी जी संजीवी ने विशेष रूप से कम्युनिस्ट चीन पर नजर रखने के लिए CIA के साथ सहयोग किया था।

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