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Judge Yashwant Verma controversy: दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के घर से नकदी बर...

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Judge Yashwant Verma controversy: दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार उनकी न्यायिक कार्यप्रणाली पर नहीं, बल्कि उनके घर से बरामद हुई बड़ी मात्रा में नकदी को लेकर। हाल ही में जस्टिस वर्मा के आधिकारिक आवास में लगी आग के बाद दमकल विभाग ने मौके पर पहुंचकर जब जांच की, तो वहां भारी मात्रा में नकदी बरामद की गई। इस घटना ने एक पुरानी आर्थिक घोटाले से जुड़ी जांच को फिर से ताजा कर दिया है, जो सिम्भौली शुगर मिल फ्रॉड केस से जुड़ा हुआ है।

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सिम्भौली शुगर मिल घोटाला और जस्टिस वर्मा की भूमिका- Judge Yashwant Verma controversy

सिम्भौली शुगर मिल घोटाले की शुरुआत 2018 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा की गई थी। इस घोटाले में आरोप था कि सिम्भौली शुगर मिल्स लिमिटेड ने ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स से लिए गए ऋण को गलत तरीके से इस्तेमाल किया। बैंक ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने किसानों के लिए जारी किए गए 97.85 करोड़ रुपये के ऋण का दुरुपयोग किया और इन पैसों को अन्य उद्देश्यों के लिए मोड़ दिया। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी मई 2015 तक इसे एक “संभावित धोखाधड़ी” मानते हुए रिपोर्ट किया था।

Judge Yashwant Verma controversy
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सीबीआई ने इस मामले में कुल 12 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें जस्टिस वर्मा भी शामिल थे, जो उस समय सिम्भौली शुगर मिल के नॉन-एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। हालांकि, इस मामले में जांच धीमी पड़ गई और कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

फरवरी 2024 में जांच का पुनरारंभ और सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप

फरवरी 2024 में, एक अदालत ने सीबीआई को इस बंद पड़ी जांच को दोबारा शुरू करने का आदेश दिया था, लेकिन इसके कुछ ही समय बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया। इस फैसले के बाद, सिम्भौली शुगर मिल घोटाले से जुड़े वित्तीय अनियमितताओं की जांच पर पूरी तरह से रोक लग गई, जिससे इस मामले के अभियुक्तों के खिलाफ कोई कारवाई नहीं हो पाई।

जज के घर से मिली नकदी पर उठे सवाल

जस्टिस वर्मा के घर से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद यह मामला अब एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। रिपोर्टों के अनुसार, आग बुझाने के दौरान दमकल कर्मियों को संदिग्ध परिस्थितियों में भारी नकदी मिली, जो कि जांच के दायरे में आ गई है। इस बरामदगी के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम तक पहुंचा, जिसने जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जज के ट्रांसफर का निर्णय नकदी बरामदगी से जुड़ी जांच का हिस्सा नहीं है।

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कांग्रेस पार्टी ने उठाए सवाल

कांग्रेस पार्टी ने इस पूरे मामले पर सरकार पर निशाना साधते हुए इसे गंभीर बताया है। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि यह मामला न केवल न्यायपालिका की छवि को प्रभावित करता है, बल्कि यह जनता के न्याय व्यवस्था पर विश्वास को भी कमजोर करता है। उन्होंने यह भी कहा कि “दमकल विभाग की कार्रवाई सीबीआई और ईडी से भी बेहतर हो रही है।”

सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच और आगे की कार्रवाई

इस घटना के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को इस मामले की आंतरिक जांच शुरू करने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश ने अपनी रिपोर्ट आज भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को सौंप दी है। अब रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस घटना ने जस्टिस वर्मा के 22 साल के बेदाग करियर पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और यह मामला न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाता है।

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Meerut Murder Case Update: सौरभ मर्डर केस में नए खुलासे! पैसों के लिए हत्या, मुस्कान ...

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Meerut Murder Case Update: सौरभ मर्डर केस में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं, जिससे मामले की गुत्थी और भी उलझती जा रही है। इस मामले की जांच में अब एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, जिससे सौरभ की हत्या के पीछे पैसे का खेल सामने आया है। जहां पहले इस हत्या का आरोप मुस्कान और उसके परिवार पर था, वहीं अब जांच में नई दिशा मिल रही है।

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कविता रस्तोगी का रोल और नई पहचान- Meerut Murder Case Update

सौरभ के मर्डर केस में मुख्य आरोपी मुस्कान की मां, कविता रस्तोगी, के बारे में जो जानकारी सामने आई है, वह बेहद चौंकाने वाली है। पहले जहां उन्हें सौरभ की हत्या से जुड़े आरोपों में निर्दोष माना जा रहा था, अब यह पता चला है कि वह मुस्कान की असली मां नहीं, बल्कि उसकी सौतेली मां हैं। यह खुलासा केस में एक नया मोड़ ला रहा है और पुलिस की जांच को और गहराई से करने की जरूरत को बढ़ा रहा है।

Meerut Murder Case Update
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पैसों की वजह से हत्या का एंगल

पुलिस की जांच में एक और महत्वपूर्ण खुलासा हुआ है, जो इस मर्डर केस की वजह को पैसों से जोड़ता है। सौरभ के पास लगभग छह लाख रुपये थे, जिनमें से एक लाख रुपये मुस्कान के खाते में ट्रांसफर किए गए थे। इस ट्रांजेक्शन के साथ ही यह बात सामने आई कि सौरभ के पैसे की कुछ रकम मुस्कान की मां के अकाउंट में भी ट्रांसफर की गई थी। अब पुलिस यह जांच कर रही है कि यह पैसे आखिरकार कहां गए, उनका क्या इस्तेमाल हुआ और क्या मुस्कान की मां भी इस हत्या की साजिश में शामिल थी।

जांच की कड़ी पूछताछ और गिरफ्तारियों के बाद नए संकेत

पुलिस ने इस मामले में दो विशेष जांच टीमें गठित की हैं, जो गहनता से मामले की जांच कर रही हैं। मेरठ के एसपी सिटी आयुष विक्रम ने कहा कि मुस्कान और साहिल को रिमांड पर लेने की तैयारी की जा रही है ताकि पूरी घटना की गहराई से जांच की जा सके। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि मुस्कान और साहिल मेरठ से बाहर कब-कब और कहां गए थे, साथ ही शिमला में किस होटल में ठहरे थे। इसके अलावा, उनके फोन की जांच भी की जा रही है ताकि यह पता चल सके कि हत्या के बाद दोनों के संपर्क में कौन-कौन लोग थे। पुलिस को संदेह है कि शव को ठिकाने लगाने के लिए कोई और साजिश रची गई थी, जिसे लेकर गहन पूछताछ की जा रही है।

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सौरभ के भाई बबलू का बयान

सौरभ के भाई बबलू ने इस मामले को लेकर कुछ गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि सौरभ ने लंदन से लाखों पाउंड कमाए थे और मुस्कान के परिवार ने उसी पैसों से अपना मकान खरीदा था। बबलू ने यह भी बताया कि मुस्कान के परिवार ने सौरभ के पैसे से एक आईफोन भी खरीदा था। उनके मुताबिक, मुस्कान पहले भी एक बार घर से भाग चुकी थी और फिल्म इंडस्ट्री में हीरोइन बनने का सपना देखती थी। इस कारण सौरभ ने मुस्कान से तलाक लेने के लिए कोर्ट में केस भी दायर किया था।

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Yashwant Verma Cash Scandal: दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग, ज...

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Yashwant Verma Cash Scandal: दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग लगने की घटना ने सभी को चौंका दिया है। इस घटना के बाद जले हुए नोटों की तस्वीरें सामने आई हैं, जो अब सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी की गई हैं। इन तस्वीरों में आग के बाद अधजले नोट साफ दिख रहे हैं, जिनके बारे में सवाल उठ रहे हैं कि यह नोट कहां से आए। दिल्ली हाईकोर्ट से जुड़ी यह घटना काफी चर्चा का विषय बन चुकी है, और जांच की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।

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सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति का गठन- Yashwant Verma Cash Scandal

सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की है। इस समिति में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन को शामिल किया गया है। समिति का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि जस्टिस वर्मा के घर में आग लगने के बाद जले हुए नोट कहां से आए और घटना के वास्तविक कारण क्या हैं।

Yashwant Verma Cash Scandal
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जस्टिस वर्मा का स्पष्टीकरण

जस्टिस यशवंत वर्मा ने इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उनके घर के जिस कमरे में आग लगी थी, वहां सिर्फ फर्नीचर और अन्य घरेलू सामान रखे हुए थे। उन्होंने यह भी कहा कि घटना के समय वह भोपाल में थे और आग की जानकारी उन्हें अपनी बेटी से मिली थी। वर्मा ने यह भी दावा किया कि यह घटना एक साजिश हो सकती है और उन्हें बदनाम करने के उद्देश्य से यह आरोप लगाए गए हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने जस्टिस वर्मा से संपर्क किया और घटना की जांच की। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जिस कमरे में आग लगी थी, उसमें कुछ अधजली बोरियां मिलीं, जिनमें भारतीय मुद्रा के अवशेष पाए गए। इसके बाद उन्होंने जस्टिस वर्मा से जवाब लिया, जिसमें वर्मा ने कहा कि वह इस मामले में किसी साजिश का शिकार हो सकते हैं।

चीफ जस्टिस ने यह भी बताया कि पुलिस आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 15 मार्च 2025 को आग लगने के बाद मलबा और आंशिक रूप से जली हुई वस्तुएं हटा दी गई थीं। जांच के दौरान यह पाया गया कि कमरे में किसी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश नहीं हुआ था।

पुलिस आयुक्त की रिपोर्ट

पुलिस आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जस्टिस वर्मा के निजी सचिव ने आग लगने की सूचना दी थी। इसके बाद दिल्ली अग्निशमन सेवा को स्वतः ही सूचना भेजी गई। सुरक्षा गार्डों के अनुसार, आग लगने के बाद कुछ जले हुए सामान हटा दिए गए थे, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका कि किसने इसे हटाया। पुलिस आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मामले की गहन जांच की आवश्यकता है।

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सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा से यह जानकारी मांगने का निर्देश दिया कि उन्होंने अपने परिसर में स्थित कमरे में पाए गए पैसे/नकदी का हिसाब कैसे दिया और उनके स्रोत की व्याख्या करें। इसके अलावा, जले हुए पैसे को हटाने वाले व्यक्ति की पहचान करने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं।

जस्टिस वर्मा का बयान

जस्टिस वर्मा ने इस पूरे विवाद को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य ने स्टोर रूम में कभी भी कोई नकदी नहीं रखी। उन्होंने कहा कि यह आरोप पूरी तरह से गलत हैं और उन्हें बदनाम करने के उद्देश्य से यह साजिश रची गई है।

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Pet Cremation in Delhi: दिल्ली में Pets का अंतिम संस्कार, जानें कहाँ?

Pet Cremation in Delhi: दिल्ली के द्वारका सेक्टर-29 (Dwarka Sector-29, Delhi) में पालतू जानवरों के लिए एक नया सीएनजी आधारित शवदाह गृह खोला गया है, जो दिल्ली में अपनी तरह का पहला शवदाह गृह है। जहां लोग अपने पालतू जानवरों का पूरे रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार कर सकते हैं। तो चलिए इस लेख में हम आपको दिल्ली की उस जगह के बारे में बताते हैं। जहां आप भी अपने पालतू जानवरों का अंतिम संस्कार कर सकते हैं।

पालतू पशुओ का शवदाह गृह (Crematorium House)

द्वारका में कुत्तों के शवदाह गृह ने काम करना शुरू कर दिया है. अब तक 60 कुत्तों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है. यह कुत्तों का शवदाह गृह करीब 700 वर्ग मीटर के क्षेत्र में बना है. इसके पास ही एक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन सेंटर भी है. एमसीडी (MCD) पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह कुत्तों का शवदाह गृह काफी समय पहले बना था, लेकिन काफी समय से सीएनजी गैस पाइपलाइन में दिक्कत आ रही थी।

जिस कारण नजफगढ़ गंगा तट से श्मशान घाट तक तीन कॉम लंबी लाइन को बंद करना पड़ा था। पहले तो बाढ़ नियंत्रण विभाग ने एनओसी देने से मना कर दिया। दूसरे एजेंसियों से एनओसी मिलने में भी दिक्कत आ रही थी। परमिशन को इसे मिलने में करीब 2 साल का लंबा समय लग गया। अब जाकर इस कुत्तों के शवदाह गृह को शुरू किया गया है।

अंतिम संस्कार कि फीस

30 किलो तक के पालतू जानवरों के लिए 2,000 रुपये का शुल्क है। वही 30 किलो से अधिक वजन वाले पालतू जानवरों के लिए 3,000 रुपये का शुल्क है। बता दें, आवारा और लावरिस पशुओं के लिए कोई शुल्क नहीं है, लेकिन अगर उन्हें दिल्ली के बाहर से लाया जाता है तो शुल्क लगेगा। इसके अलवा आवारा कुत्तों, बिल्लियों आदि का अंतिम संस्कार निःशुल्क किया जाएगा, जबकि अन्य नगर निकायों से लाए जाने वाले आवारा कुत्तों के अंतिम संस्कार के लिए 500 रुपये की दर तय की गई है।

इसके आलवा आपको बता दें, निजी एजेंसिया एमसीडी के पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, कुछ निजी एजेंसियों के श्मशान घाटों पर 25 किलो तक वजन वाले पालतू कुत्तों के अंतिम संस्कार की दर 6000-7000 रुपये है। इलेक्ट्रिक भट्टियों पर 25 किलो तक वजन वाले जानवरों के अंतिम संस्कार की दर 9000-10000 रुपये है। अगर वजन 15 किलो से कम है तो करीब 5000 रुपये लिए जाते हैं।

प्रोफेसर रजनीश कुमार का चौंकाने वाला खुलासा, छात्राओं से संबंध बनाने का असली कारण आया...

Hathras crime news: पिछले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश के हाथरस से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां पीसी बागला डिग्री कॉलेज में छात्राओं पर यौन शोषण के आरोपी प्रोफेसर रजनीश कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस पूछताछ में प्रोफेसर रजनीश कुमार ने कई हैरान करने वाले खुलासे किए हैं। तो चलिए इस लेख में आपको पूरे मामले के बारे में बताते हैं।

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प्रोफेसर रजनीश कुमार की गिरफ्तारी

पुलिस के मुताबिक प्रोफेसर रजनीश कुमार छात्राओं का अश्लील वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल करता था और उनके साथ शारीरिक संबंध बनाता था। वह छात्राओं को अच्छे नंबर लाने, नौकरी दिलाने और कंप्यूटर सिखाने का वादा करके अपने जाल में फंसाता था। रजनीश कुमार कई सालों से इस तरह की गतिविधियों में लिप्त था।
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के पीसी बांग्ला डिग्री कॉलेज के इस प्रोफेसर को एसओजी और स्थानीय पुलिस ने गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के समय उसके पास से एक मोबाइल फोन और एक लैपटॉप भी बरामद हुआ था। पुलिस पूछताछ में रजनीश ने बताया कि उसके अब तक 7 लड़कियों से संबंध बन चुके हैं।

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महिला आयोग ने की शिकायत 

एक छात्राओं के यौन शोषण से संबंधित एक मामले में महिला आयोग में शिकायत दर्ज की गई थी, जिसमें एक सीडी भी भेजा गया था शिकायत में यह कहा गया था कि पीसी बांग्ला डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर रजनीश ने कॉलेज की छात्राओं के साथ दुष्कर्म किया और उनका वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल किया।

महिला आयोग की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए पुलिस ने इंडस्ट्रीज एरिया पुलिस चौकी प्रभारी सुनील कुमार की शिकायत पर 13 मार्च 2025 को आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ दुष्कर्म की धाराओं में केस दर्ज किया था। हाथरस के पुलिस अधीक्षक चिरंजीव नाथ सिन्हा ने आरोपी प्रोफेसर की गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू कर दी है. जिसके बाद इन तीनों टीमों को आरोपी प्रोफेसर को पकड़ने में 7 दिन लग गए।

अश्लील वीडियो बनाने का आइडिया

पुलिस पूछताछ में आरोपी प्रोफेसर रजनीश कुमार ने बताया कि उसकी पहली शादी 1996 में हुई थी. कोई संतान न होने पर उसने पहली पत्नी को तलाक दे दिया था. 2008 में उसने फिर से शादी के लिए लड़कियों की तलाश शुरू की. इसी दौरान उसने एक लड़की से शारीरिक संबंध बनाए. इस दौरान कमरे में लगे वेबकैम ने उसकी जानकारी के बिना सबकुछ रिकॉर्ड कर लिया. इसके बाद उसने अश्लील वीडियो बनाने का आइडिया अपनाया, जो बाद में उसका शौक बन गया.

जज के आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के बाद तबादला, इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील भड...

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Justice Yashwant Verma: इलाहाबाद हाईकोर्ट में बीते दिन एक विवादित घटना सामने आई है, जहां जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी बरामद की गई है। इस घटना के परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाईकोर्ट से उनके पूर्व स्थान इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने का फैसला किया है। इस फैसले से इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के वकील नाराज हैं। तो आइए इस लेख में जानते हैं कि पूरा मामला क्या है?

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भारी मात्रा में नकदी बरामद

खबरों के मुताबिक, दिल्ली हाईकोर्ट के एक जस्टिस वर्मा के सरकारी बंगले में आग लगने की सूचना मिलने के बाद दमकल की गाड़ियां उनके आवास पर पहुंचीं। आग बुझाते समय उन्हें एक कमरे में भारी मात्रा में नकदी मिली। जिसके बाद से जजों और वकीलों में चिंता का माहौल है। वही कुछ लोगों ने इस खबर पर आश्चर्य जताया तो कुछ ने इस घटना से संस्था की प्रतिष्ठा पर पड़ने वाले संभावित प्रतिकूल प्रभाव को लेकर चिंता जताई। जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार को जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच छुट्टी पर थी।

दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने एक वरिष्ठ वकील ने इस घटना का जिक्र किया। उन्होंने वकील समुदाय की चिंताओं को साझा करते हुए प्रशासनिक स्तर पर सख्त कार्रवाई की जरूरत पर बल दिया, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

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तबादले का कड़ा विरोध

वही बार एसोसिएशन ने इस तबादले का कड़ा विरोध किया है और इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट की गरिमा के खिलाफ बताया है। वकीलों का कहना है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उन्हें तबादला करने के बजाय पद से हटा दिया जाना चाहिए था। बार एसोसिएशन ने यह भी कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कोई “कूड़ेदान” नहीं है जहां विवादित जजों को भेजा जाता है।

इस घटना कि गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भारद्वाज ने मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, आज की घटना से हम वकीलों में से कई लोगों को बहुत परेशानी हुई है। कृपया प्रशासनिक स्तर पर कुछ कदम उठाएं ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

Kasganj case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, यौन उत्पीड़न, बलात्कार नहीं

Kasganj news: हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कासगंज के एक मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि नाबालिग पीड़िता के स्तनों को छूना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना, और उसे पुलिया के नीचे खींचना बलात्कार या बलात्कार के प्रयास की श्रेणी में नहीं आता। बल्कि, यह यौन उत्पीड़न के अंतर्गत आता है। उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा जारी किए गए समन आदेश में संशोधन करते हुए, नए धाराओं के तहत आरोपी के खिलाफ नींद समन आदेश जारी करने का आदेश दिया है। आइए, इस लेख में हम पूरे मामले के बारे में बताते हैं।

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जानें क्या है पूरा मामला?

कासगंज के पटियाली थानाक्षेत्र में नवंबर 2021 में एक दुखद घटना हुई। पीड़िता ने बताया कि 10 नवंबर की शाम, जब वह अपनी 14 साल की बेटी के साथ ननद के घर से लौट रही थी, तभी गांव के दो युवक, पवन और आकाश, ने उनकी बेटी को बाइक से घर छोड़ने का प्रस्ताव दिया। भरोसा करते हुए, उन्होंने अपनी बेटी को बाइक पर बैठने दिया। लेकिन सुनसान रास्ते पर पहुंचते ही, दोनों ने बाइक रोक दी और नाबालिग के साथ बुरा व्यवहार किया। उन्होंने उसे नाले में खींच लिया और उसके पजामे का नाड़ा तोड़ दिया। अचानक राहगीरों के आने पर, दोनों आरोपी वहां से भाग निकले।

दरअसल, इस मामले में आरोपी पर नाबालिग लड़की का यौन शोषण करने का आरोप था। पीड़िता ने आरोप लगाया कि आरोपी ने उसके स्तनों को पकड़ा, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ा और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की। जिसके बाद निचली अदालत ने आरोपी पर बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाया था। आरोपी ने निचली अदालत के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी।

आरोपी और पीड़ित करीबी रिश्तेदार

इस मामले में आरोपी और पीड़ित करीबी रिश्तेदार हैं। आरोपी आकाश पीड़िता का मौसेरा भाई है।दूसरा आरोपी पवन आकाश का चचेरा भाई है। इस घटना से पहले 17 अक्टूबर 2021 को आरोपी आकाश की मां रंजना ने एक एफआईआर दर्ज कराई थी जिसमें राजीव, शैलेंद्र, सुखवीर और विदेश पर छेड़खानी का आरोप लगाया था। आरोपी सुखबीर नाबालिग लड़की का चाचा है और शिकायत दर्ज करने वाली पीड़िता की मां का देवर है।

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पुलिस ने इस मामले में सुखबीर समेत सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है। नाबालिग लड़की के साथ हुई घटना पर जारी सम्मन पर सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने साफ कहा कि जिन लोगों से पहले से रंजिश रही हो उनके साथ कोई मां अपनी नाबालिग लड़की को भेजेगी ऐसा मुश्किल लगता है। नाबालिग के साथ हुई घटना पर जारी हुए सम्मन पर आरोपियों की तरफ से सम्मन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर कर दलील दी शिकायत के अनुसार, यह मामला बलात्कार के अंतर्गत नहीं आता है। बल्कि, यह केवल भारतीय दंड संहिता की धारा 354बी और छेड़छाड़ से संबंधित POCSO अधिनियम के अंतर्गत आता है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस ने सुनाया फैसाला

मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा शामिल थे, ने साफ कहा कि पीड़िता के स्तनों को पकड़ना, उसके पजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के दायरे में नहीं आता है। कोर्ट ने इसे गंभीर यौन हमला तो माना, लेकिन इसे बलात्कार के प्रयास का आरोप नहीं माना। कोर्ट ने यह भी कहा कि बलात्कार के प्रयास और इस अपराध की तैयारी के बीच महत्वपूर्ण अंतर को समझना जरूरी है।

इसके अलावा हाईकोर्ट ने निचली अदालत को संशोधित धाराओं के तहत आरोपियों के खिलाफ नए सिरे से समन जारी करने का निर्देश दिया। वही अदालत ने कहा कि बलात्कार के प्रयास के लिए, यह साबित करना आवश्यक है कि आरोपी का इरादा पीड़िता के साथ बलात्कार करने का था। अदालत ने कहा कि आरोपी के कृत्य, हालांकि यौन उत्पीड़न हैं, बलात्कार के प्रयास के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

Mini Punjab of Andhra Pradesh: आंध्र के विशाखापत्तनम और विजयवाड़ा में खिल रहा है पंजा...

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Mini Punjab of Andhra Pradesh: आंध्र प्रदेश के दो प्रमुख नगर विशाखापत्तनम और विजयवाड़ा अपने छोटे मगर जीवंत सिख एवं पंजाबी समुदायों की बदौलत पंजाब की संस्कृति की झलक दक्षिण भारत में दिखा रहे हैं। आज़ादी के बाद देश के विभाजन के समय इन शहरों में आए शरणार्थी सिख-पंजाबी परिवारों ने दशकों से अपनी सांस्कृतिक पहचान को संजोए रखते हुए स्थानीय समाज में खास मुकाम बनाया है। गुरुद्वारे से लेकर व्यापार तक, हर क्षेत्र में इस समुदाय की उपस्थिति इन शहरों को किसी ‘मिनी पंजाब’ जैसी पहचान देने की ओर अग्रसर है।

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सबसे बड़ी सिख आबादी, ऐतिहासिक बसावट- Mini Punjab of Andhra Pradesh

Ground News की रिपोर्ट के मुताबिक, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के दक्षिण भारत भ्रमण (16वीं सदी) से लेकर 1947 के विभाजन तक, आंध्र प्रदेश में सिख-पंजाबी जुड़ाव का एक लंबा इतिहास रहा है। विभाजन के दौरान लगभग 45 सिख परिवार (तथा कुछ अन्य पंजाबी परिवार) शरणार्थी बनकर विजयवाड़ा आए और यहीं बस गए। उन्होंने शहर को शांतिपूर्ण और कारोबार के लिए उपयुक्त पाया। इसी तरह विशाखापत्तनम में भी उस दौर में कुछ पंजाबी परिवार आकर बसे।

Mini Punjab of Andhra Pradesh Sikhism Visakhapatnam
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Khaleej Times के मुताबिक, आंध्र प्रदेश (तत्कालीन संयुक्त राज्य) में सिखों की आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 40,000 थी, जो दक्षिण भारत में किसी राज्य में सबसे अधिक है। राज्य में सिख आबादी का सबसे बड़ा केंद्र विशाखापत्तनम शहर है, जिसके बाद दूसरा स्थान विजयवाड़ा का आता है। 2011 की जनगणना में विशाखापत्तनम नगर की कुल आबादी में सिख धर्म मानने वालों का हिस्सा 0.1% (1,741 व्यक्ति) दर्ज हुआ, जबकि विजयवाड़ा नगर में यह मात्र 0.08% (861 व्यक्ति) था। संख्या भले कम हो, लेकिन प्रभाव में ये समुदाय काफी मुखर हैं।

धार्मिक और सांस्कृतिक पहचानों का केंद्र

दोनों शहरों में गुरुद्वारे इन समुदायों के आस्था और सभ्यता के केंद्र हैं। विजयवाड़ा में सिखों का मुख्य गुरुद्वारा गुरु नानक नगर कॉलोनी में स्थित है। इसी गुरुद्वारे के नाम पर उस क्षेत्र का नाम गुरुनानक कॉलोनी पड़ गया है और प्रवेश मार्ग को स्थानीय लोग अनौपचारिक तौर पर ‘गुरुनानक रोड’ कहते हैं।

वहीं, विशाखापत्तनम में वर्तमान में कम-से-कम तीन गुरुद्वारे सक्रिय हैं। इनमें से सबसे पुराना गुरुद्वारा नानक दरबार 1972 में बंदरगाह स्थित गाड़ियों के कालोनी क्षेत्र में स्थापित हुआ था, दूसरा 1981 में सीथम्मधारा क्षेत्र में (गुरुद्वारा “साध संगत”), और एक नव निर्मित गुरुद्वारा 2004 में रक्षा कर्मियों की पहल से बना। ये गुरुद्वारे न सिर्फ धार्मिक स्थल हैं, बल्कि सांस्कृतिक मेल-जोल और सेवा के केंद्र भी बने हुए हैं। हर रविवार लंगर (सामूहिक भोजन) में सैकड़ों लोग बिना भेदभाव के भोजन करते हैं, वहीं गुरपुरब जैसे मौकों पर विशेष आयोजन किए जाते हैं।

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2019 में गुरु नानक देव की 550वीं जयंती पर विशाखापत्तनम में भव्य नगर कीर्तन निकाला गया, जिसमें करीब 2,000 श्रद्धालुओं ने भाग लिया। बच्चों ने इस जुलूस में पारंपरिक मार्शल आर्ट “गतका” का प्रदर्शन किया और श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह जलपान का प्रबंध किया गया। इसी प्रकार विजयवाड़ा में ऑटो नगर से गुरुद्वारे तक प्रभात फेरी निकाली गई, जिसमें युवा लड़के-लड़कियों ने तलवारबाज़ी के कौशल दिखाए और कीर्तन गायन किया। इन आयोजनों में सिख-पंजाबी संस्कृति की छटा पूरे उल्लास से बिखरती है और स्थानीय लोग भी उत्साह से सहभागी बनते हैं।

व्यापार और अर्थव्यवस्था में योगदान

विभाजन के बाद आए सिख-पंजाबी परिवार अपने साथ उद्यमशीलता की भावना भी लाए। विजयवाड़ा पहुंचने पर इन परिवारों ने प्रारंभिक दौर में परिवहन और ट्रांसपोर्ट के कारोबार स्थापित किए। शहर की उभरती अर्थव्यवस्था में ट्रकों एवं परिवहन व्यवसाय ने पंजाबी समुदाय को पहचान दिलाई। समय के साथ इन्होंने ऑटोमोबाइल कलपुर्जों के व्यापार में खास जगह बना ली। आज विजयवाड़ा में अधिकांश सिख परिवार ऑटो स्पेयर-पार्ट्स और वाहन से जुड़े कारोबार में सक्रिय हैं, जबकि सिंधी, गुजराती व मारवाड़ी जैसे उत्तरी समुदाय अन्य व्यापार (वस्त्र, आभूषण, हार्डवेयर आदि) संभाल रहे हैं। गुरुनानक कॉलोनी समेत शहर के कई मुख्य व्यवसायिक क्षेत्रों में इन समुदायों की दुकानों और प्रतिष्ठानों को सफलता मिली है।

कई परिवार जो कभी छोटे पैमाने पर व्यवसाय शुरू करने वाले शरणार्थी थे, आज शहर के समृद्ध व्यापारियों में गिने जाते हैं। विशाखापत्तनम में भी सिख-पंजाबी समुदाय ने ऑटोमोबाइल, औद्योगिक आपूर्ति और होटल-रेस्तरां जैसे क्षेत्रों में योगदान दिया है। उत्तर भारतीय व्यंजनों और ‘पंजाबी ढाबा’ संस्कृति को इन प्रवासियों ने यहां लोकप्रिय बनाया है। स्थानीय लोगों के बीच पंजाबी खाने और पोशाक (सलवार-कमीज़ आदि) को अपनाने की झलक दिखाई देने लगी है, जो सांस्कृतिक मेल का संकेत है।

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Meenakshi Seshadri Filmography: बॉलीवुड की चमकती हुई स्टार से लेकर टेक्सास में डांस स...

Meenakshi Seshadri Filmography: बॉलीवुड की खूबसूरत और प्रतिभाशाली अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्रि का नाम उन चंद अभिनेत्रियों में शामिल है जिन्होंने 80 और 90 के दशक में अपनी अदाकारी से दर्शकों के दिलों में एक अलग ही स्थान बना लिया। मीनाक्षी शेषाद्रि का जन्म 16 नवंबर 1963 को झारखंड के सिंदरी में एक तमिल परिवार में हुआ था। अपनी जवानी के दिनों में फिल्म इंडस्ट्री की सबसे चर्चित और प्रिय अभिनेत्रियों में शामिल होने के बाद मीनाक्षी ने अचानक फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा ले लिया। उनके जीवन की यह यात्रा दिलचस्प और प्रेरणादायक है।

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फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने से पहले की यात्रा- Meenakshi Seshadri Filmography

मीनाक्षी शेषाद्रि का करियर एक अद्वितीय शुरुआत से हुआ था। महज 17 साल की उम्र में उन्होंने 1981 में मिस इंडिया का खिताब जीता था। इस खिताब ने उन्हें एक नई पहचान दी और कुछ ही समय में उनका नाम हर किसी की जुबां पर था। मिस इंडिया का ताज पहनने के तीन साल बाद, मीनाक्षी ने बॉलीवुड में कदम रखा। उनकी पहली फिल्म थी ‘पेंटर बाबू’ (1983), जो बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा सफल नहीं हो पाई, लेकिन यह उनकी यात्रा की शुरुआत थी।

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हीरो से मिली पहचान

मीनाक्षी को असली पहचान 1984 में आई फिल्म ‘हीरो’ से मिली। फिल्म में उनके साथ जैकी श्रॉफ थे और यह फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी। मीनाक्षी की शानदार अदाकारी और उनकी खूबसूरती ने उन्हें एक स्टार बना दिया। इसके बाद, उन्होंने ‘दामिनी’ (1993) जैसी फिल्म में अपनी शानदार एक्टिंग से सभी को अपना दीवाना बना लिया। मीनाक्षी की भूमिका ने उन्हें एक सशक्त अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया और दर्शकों के बीच उनका एक अलग ही स्थान बना दिया।

सुपरहिट फिल्मों का सफर

मीनाक्षी शेषाद्रि ने अपनी फिल्मी करियर में कई सुपरहिट फिल्मों का हिस्सा बनीं। ‘मेरी जंग’ (1985), ‘घायल’ (1990), ‘घातक’ (1996), ‘शहंशाह’ (1988), ‘घर हो तो ऐसा’ (1996), और ‘तूफान’ (2021) जैसी फिल्मों में उनकी भूमिकाओं को सराहा गया। इन फिल्मों ने मीनाक्षी को एक प्रमुख अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया। वह न केवल अपनी खूबसूरती बल्कि अपनी दमदार एक्टिंग के लिए भी जानी जाती थीं।

निजी जीवन में बड़ा बदलाव

मीनाक्षी शेषाद्रि ने 1995 में इन्वेस्टमेंट बैंकर हरीश मैसूर से शादी की। शादी के बाद, मीनाक्षी ने फिल्म इंडस्ट्री से एक कदम पीछे हटते हुए अपने परिवार के साथ अमेरिका के प्लानो (टेक्सास) में बसने का निर्णय लिया। उनके परिवार में एक बेटी और दो बेटे हैं। मीनाक्षी ने न्यूयॉर्क में रजिस्टर्ड मैरिज की थी, जो उनके निजी जीवन के एक अहम मोड़ के रूप में देखा जाता है।

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डांस से जुड़ी नई शुरुआत

मीनाक्षी को एक्टिंग के अलावा डांस का भी गहरा शौक था। भले ही उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से दूरी बना ली, लेकिन डांस से उनका जुड़ाव लगातार बना रहा। मीनाक्षी ने 2008 में टेक्सास में अपना डांस स्कूल ‘चैरिश डांस स्कूल’ खोला, जो अब एक प्रमुख संस्थान बन चुका है। इस स्कूल में बच्चों से लेकर वयस्कों तक को डांस की शिक्षा दी जाती है। मीनाक्षी भारतीय शास्त्रीय नृत्य की विभिन्न विधाओं, जैसे कि भरतनाट्यम, कथक, कुचीपुड़ी, और ओडिसी, को सिखाती हैं। उनका यह प्रयास न केवल भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने का है, बल्कि यह उनके समर्पण और नृत्य के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा को भी दर्शाता है।

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Donald Trump vs PM Modi: ट्रंप के पांच बड़े फैसले! भारत के खिलाफ उठाए गए कड़े कदम और ...

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Donald Trump vs PM Modi: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान, भारत के साथ उनके संबंधों में कई उतार-चढ़ाव आए। भारत ने पहले तो ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद उम्मीद जताई थी कि वह दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करेंगे, लेकिन समय के साथ ट्रंप के फैसले भारत के लिए एक बड़े झटके के रूप में सामने आए। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में ही भारत के खिलाफ कई ऐसे कदम उठाए, जो देश के आर्थिक और कूटनीतिक हितों को प्रभावित करने वाले थे। इस रिपोर्ट में हम उन पांच प्रमुख फैसलों पर चर्चा करेंगे, जिनसे भारत की विकास यात्रा और सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।

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एलन मस्क की कंपनी टेस्ला को भारत में बैटरी वाली कारें बनाने से रोका- Donald Trump vs PM Modi

ट्रंप ने एलन मस्क की कंपनी टेस्ला को भारत में अपने इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) का उत्पादन करने से रोक दिया। यह निर्णय उस समय आया जब टेस्ला भारत में अपने इलेक्ट्रिक कारों के लिए मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने की योजना बना रही थी। ट्रंप का कहना था कि यह कदम अमेरिका के लिए “अनुचित” होगा क्योंकि इससे अमेरिकी निवेश और रोजगार विदेश में स्थानांतरित हो सकते हैं। इस फैसले ने भारत में टेस्ला की योजनाओं को झटका दिया और भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग की उम्मीदों को तोड़ा।

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भारतीय उत्पादों पर मोटा टैरिफ लगाने की धमकी

ट्रंप का मानना था कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर बहुत अधिक आयात शुल्क लगाता है। इस पर उन्होंने भारत सहित कई देशों को चेतावनी दी थी कि अगर वे अपनी टैरिफ नीति को नहीं बदलते, तो उन पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा। भारत और अमेरिका के व्यापार संबंधों में यह एक गंभीर चुनौती बन गई। भारतीय निर्यातकों के लिए यह निर्णय बहुत ही नकारात्मक साबित हुआ, क्योंकि इससे व्यापार पर भारी दबाव पड़ा और भारतीय उद्योग को घाटे का सामना करना पड़ा।

अमेरिकी सहायता में कटौती

ट्रंप प्रशासन ने भारत को मिलने वाली विदेशी सहायता में कटौती करने का निर्णय लिया। इससे भारतीय स्वास्थ्य और कृषि परियोजनाओं को भारी नुकसान हुआ। कई ऐसी योजनाएं थीं जो अमेरिकी फंडिंग पर निर्भर थीं, और अब उन योजनाओं के लिए वित्तीय संकट पैदा हो गया है। इसके अलावा, भारतीय शिक्षा और रिसर्च सेक्टर को भी इस कटौती का असर झेलना पड़ा।

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भारतीय नागरिकों की अपमानजनक वापसी

अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों को ट्रंप प्रशासन ने बड़े पैमाने पर वापस भारत भेजा। इस प्रक्रिया के दौरान भारतीय नागरिकों को हाथ-पैर में हथकड़ी लगाकर सैन्य विमान से भारत भेजा गया। यह कदम न केवल भारत के नागरिकों के लिए अपमानजनक था, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का भी उल्लंघन था। कई नागरिकों ने यह आरोप लगाया कि उन्हें खाने-पीने के बिना 35 घंटे की उड़ान में रखा गया, जो कि मानवाधिकारों का उल्लंघन था।

तेजस फाइटर जेट के लिए इंजन आपूर्ति में देरी

भारत ने अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक (GE) कंपनी से तेजस फाइटर जेट के लिए GE-414 इंजन की डील की थी, लेकिन अमेरिकी कंपनी ने कई महीनों तक इंजन की आपूर्ति में देरी की। इसके कारण भारत को अपने रक्षा कार्यक्रम में बदलाव करने पर मजबूर होना पड़ा। GE ने आपूर्ति में और देरी करने के साथ-साथ अतिरिक्त 5 करोड़ डॉलर की मांग की, जिससे भारत को रूस से इंजन खरीदने पर विचार करना पड़ा।

पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप के अन्य फैसले

ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी भारत को कई बड़े झटके लगे थे। 2017 में ट्रंप प्रशासन ने भारत को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेस (GSP) से बाहर कर दिया था, जिससे भारत को अमेरिकी बाजार में कई उत्पादों पर मिलने वाली टैक्स छूट समाप्त हो गई थी। इसके अलावा, ट्रंप ने H-1B वीजा नीति में सख्ती बढ़ा दी, जिससे भारतीय आईटी पेशेवरों पर असर पड़ा। इसके साथ ही, ट्रंप ने भारत को ईरान से कच्चा तेल खरीदने पर भी दबाव डाला, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा प्रभावित हुई।

डोनाल्ड ट्रंप के फैसले भारत के लिए कड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। उनके प्रशासन ने व्यापार, आव्रजन, रक्षा और कूटनीतिक मुद्दों पर ऐसे फैसले लिए, जिनका भारत की अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ा। हालांकि, भारत ने इन मुद्दों को लेकर अपनी कूटनीतिक रणनीति को मजबूत किया, लेकिन ट्रंप के फैसलों ने यह साबित कर दिया कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में किसी भी देश की नीतियां दूसरे देशों के हितों को प्रभावित कर सकती हैं।

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