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Online Gaming Marriage Scam: लूडो की दोस्ती से शादी तक का सफर, तीन दिन में टूट गई दूल...

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Online Gaming Marriage Scam: ऑनलाइन गेमिंग और सोशल मीडिया के जरिए रिश्ते बनना अब आम बात हो चुकी है, लेकिन उत्तर प्रदेश की एक लड़की के लिए ये रिश्ता किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा। कोरोना लॉकडाउन के दौरान शुरू हुई एक ऑनलाइन लूडो गेम की दोस्ती ने उसकी पूरी जिंदगी को बदल कर रख दिया। यह मामला एक सामान्य दोस्ती से शादी और फिर धोखाधड़ी और मानसिक उत्पीड़न तक पहुंच गया, जिससे लड़की की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई।

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लूडो से दोस्ती, फिर शादी तक की यात्रा- Online Gaming Marriage Scam

2020 में अयोध्या की रहने वाली एक संविदा स्वास्थ्य कर्मी लड़की ऑनलाइन लूडो खेल रही थी, और इस दौरान उसकी दोस्ती सिम्मी नाम की एक लड़की से हो गई। कुछ समय तक दोनों के बीच अच्छी बातचीत होती रही, लेकिन फिर एक दिन लड़की को पता चला कि सिम्मी की अचानक मौत हो गई। इसके बाद सिम्मी की आईडी से अनिकेत शर्मा नाम के एक लड़के ने संपर्क किया और बताया कि वह अब सिम्मी की आईडी चला रहा है।

Online Gaming Marriage Scam
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धीरे-धीरे अनिकेत और लड़की की दोस्ती गहरी हो गई। दोनों के फोन नंबर एक्सचेंज हो गए और फिर दोनों की बातचीत शादी तक पहुंच गई। अनिकेत ने लड़की से कहा कि वह पंजाब के नवांशहर का रहने वाला है और ऑस्ट्रेलिया में काम करता है। शादी के लिए उसने लड़की को मना लिया और 6 मई 2023 को दोनों ने हिंदू रीति-रिवाज से शादी कर ली। इस शादी में लड़की के परिवार वाले शामिल थे, लेकिन अनिकेत के परिवार वाले शादी में नहीं आए। अनिकेत ने लड़की से वादा किया कि वह जल्द ही उसे अपने ससुराल ले जाएगा।

शादी के बाद घटी घटनाएं

शादी के बाद दोनों ने अयोध्या के एक होटल में तीन दिन बिताए, लेकिन 9 मई 2023 को अनिकेत ने अचानक कहा कि उसे अपने ऑफिस के काम से ऑस्ट्रेलिया लौटना होगा। इसके बाद अनिकेत की हरकतें बदलने लगीं। जब लड़की ने उसे मिलने के लिए कहा, तो वह हर बार बहाने बनाने लगा। इसी बीच, अनिकेत ने लड़की से 5 लाख रुपये भी मांगे और पैसे न देने पर उसे छोड़ने की धमकी दी।

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ऑस्ट्रेलिया में हुआ खुलासा, अनिकेत था पहले से शादीशुदा

लड़की ने तंग आकर 19 सितंबर 2023 को टूरिस्ट वीजा पर ऑस्ट्रेलिया जाने का फैसला किया। लेकिन वहां पहुंचते ही अनिकेत का झूठ सामने आ गया। पता चला कि अनिकेत पहले से शादीशुदा था और उसके माता-पिता पंजाब में रहते थे। लड़की ने अनिकेत के परिवार से मुलाकात की, लेकिन उन्हें गाली-गलौज का सामना करना पड़ा और उन्हें वहां से भगा दिया गया। बाद में, अनिकेत और उसकी पत्नी किटी शर्मा ने एक नकली तलाक का कागज दिखाया और दावा किया कि वे अलग हो चुके हैं।

ऑस्ट्रेलिया में मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न

किटी शर्मा की बातों पर भरोसा करके लड़की दोबारा अनिकेत के साथ ऑस्ट्रेलिया चली गई, लेकिन वहां जाकर उसकी सच्चाई सामने आ गई। आरोप है कि अनिकेत ने लड़की को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। अनिकेत ने उसे रोज मारा-पीटा और एक कमरे में बंद रखा। किसी तरह लड़की भारत वापस लौटी और अपनी आपबीती अयोध्या पुलिस को सुनाई।

पुलिस ने दर्ज की FIR, जांच जारी

लड़की की शिकायत के बाद अयोध्या पुलिस ने अनिकेत और उसके परिवार के खिलाफ दहेज उत्पीड़न, धोखाधड़ी (IPC 420), और मारपीट समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस इस मामले की गहन जांच कर रही है और अनिकेत के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रही है।

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Revolt In Pakistan Army: पाकिस्तानी सेना में विद्रोह की चिंगारी! जनरल मुनीर के खिलाफ ...

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Revolt In Pakistan Army: पाकिस्तानी सेना के अंदर गहरे संकट और असहमति की स्थिति पैदा हो गई है। सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर के खिलाफ जूनियर अफसरों ने अब बगावती तेवर अपना लिए हैं। सेना के कर्नल, मेजर और कैप्टन रैंक के अधिकारियों ने जनरल मुनीर से इस्तीफे की मांग करते हुए एक तीखा पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने मुनीर पर सेना को राजनीतिक उत्पीड़न और निजी बदला लेने के लिए साधन के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।

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पत्र में तगड़ी चेतावनी- Revolt In Pakistan Army

सीएनएन-न्यूज 18 के अनुसार, यह पत्र जनरल मुनीर के नेतृत्व की आलोचना करता है, जिसमें कहा गया है कि उनका नेतृत्व पाकिस्तान को गहरे संकट में धकेल चुका है। पत्र में 1971 की काली यादों को ताजा करते हुए कहा गया कि मुनीर के नेतृत्व ने पाकिस्तान को उसी रास्ते पर ला खड़ा किया है, जिस रास्ते पर 1971 में पाकिस्तान को भयावह हार का सामना करना पड़ा था, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ था।

Revolt In Pakistan Army Army Chief General Syed Asim Munir
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पत्र में बहुत तीखी भाषा में यह चेतावनी दी गई है कि, “यह कोई अपील नहीं है। यह कोई समझौता नहीं है। यह आपका 1971 है जनरल और हम आपको इसी छाया में दफन नहीं होने देंगे।” अधिकारियों ने मुनीर पर राजनीतिक असहमति को दबाने, पत्रकारों को चुप कराने और लोकतांत्रिक ताकतों को कुचलने के आरोप लगाए हैं। इसके अलावा, पत्र में अप्रैल 2022 में इमरान खान की सरकार गिराने के बाद की हिंसक घटनाओं और 8 फरवरी 2024 के चुनावों में कथित हेरफेर को ऐसे निर्णायक क्षण के रूप में उजागर किया गया है, जिनसे सेना की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है।

आर्थिक संकट और जनता का गुस्सा

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि जनरल मुनीर के नेतृत्व में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है। अफसरों ने मुनीर पर यह आरोप लगाया है कि उन्होंने अपनी सत्ता को बचाने के लिए देश को आर्थिक संकट में डाल दिया है। “अर्थव्यवस्था एक लाश बन चुकी है और फिर भी आप हेड क्वार्टर में किसी तानाशाह की तरह घूमते हैं, अपना कार्यकाल 2027 तक बढ़ाते हैं जबकि हम भूखे मर रहे हैं,” पत्र में लिखा गया है।

Revolt In Pakistan Army Army Chief General Syed Asim Munir
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जनता के गुस्से का भी इसमें उल्लेख किया गया है, जिसमें कहा गया है, “बच्चे हमारी चौकियों पर पत्थर फेंकते हैं। आपने पाकिस्तानी सेना को अपनी ही धरती पर बेगाना कर दिया है।” अफसरों ने जनरल मुनीर की तुलना फासीवादी खूंखार जानवर से की है, जो अपने ही लोगों की कीमत पर सत्ता का आनंद ले रहे हैं।

सेना के भीतर अस्तित्व का संकट

रिपोर्ट में शीर्ष खुफिया सूत्रों के हवाले से पत्र की पुष्टि की गई है और इसे पाकिस्तानी सेना के लिए अस्तित्व का संकट बताया गया है। पत्र में यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि जनरल मुनीर पद से इस्तीफा नहीं देते हैं, तो सेना खुद कार्रवाई करेगी। अफसरों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सेना की कमान अब वरिष्ठ अधिकारियों की एक परिषद को सौंपी जानी चाहिए, जो सेना की प्रतिष्ठा को बहाल करेगी और मुनीर को उनके कथित अपराधों के लिए जवाबदेह ठहराएगी।

बलूचिस्तान और पारंपरिक सम्मान की आलोचना

पत्र में बलूचिस्तान में अलगाववादी संगठन बीएलए के लड़ाकों द्वारा जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को अगवा करने को अपमानजनक क्षण बताया गया। अफसरों ने कहा, “हमने उस दिन बलूचिस्तान खो दिया, हमने अपनी गरिमा खो दी।” जनरल मुनीर के नेतृत्व को आलोचना करते हुए, अधिकारियों ने यह भी कहा कि सेना के पारंपरिक सम्मान को बनाए रखने में उनकी विफलता पाकिस्तान के लिए एक बड़ा नुकसान है।

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25% Tariff On Imported Cars: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का बड़ा कदम! 25% टैरिफ से भारती...

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25% Tariff On Imported Cars: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर वैश्विक व्यापार को एक नया झटका दिया है। ओवल ऑफिस में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने ऐलान किया कि अमेरिका में आयात होने वाली सभी विदेशी कारों पर अब 25% टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रंप ने स्पष्ट किया कि यह कोई अस्थायी फैसला नहीं है, बल्कि स्थायी रूप से लागू किया जाएगा। इस कदम का असर भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों पर भी पड़ने की संभावना है, जिनमें टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और आयशर मोटर्स शामिल हैं।

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3 अप्रैल से शुरू होगी वसूली- 25% Tariff On Imported Cars

ट्रंप के इस फैसले के बाद, नया टैरिफ 2 अप्रैल से लागू होगा और इसकी वसूली 3 अप्रैल से शुरू हो जाएगी। ट्रंप ने कहा कि यह टैरिफ उन सभी कारों पर लागू होगा जो अमेरिका में निर्मित नहीं हैं। यानी, जो कारें अमेरिकी भूमि पर बनेंगी, उन पर कोई टैरिफ नहीं लगेगा। इस निर्णय से अमेरिकी ग्राहकों को महंगाई का सामना करना पड़ सकता है और साथ ही, भारतीय कंपनियों के शेयरों पर भी असर दिखाई दे सकता है।

25% Tariff On Imported Cars donald trump
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भारतीय निर्यात पर प्रभाव

भारत से अमेरिका को कई प्रकार के वाहन निर्यात किए जाते हैं, जिनमें कारें, ट्रक और मोटरसाइकिल शामिल हैं। 2023 में, भारत ने अमेरिका को लगभग 37.14 मिलियन डॉलर के मोटर वाहन निर्यात किए थे। इसमें टाटा मोटर्स से लेकर आयशर मोटर्स तक के वाहन शामिल थे। इसके अलावा, भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर अमेरिका को ऑटोमोबाइल, इंजन पार्ट्स, ट्रांसमिशन कंपोनेंट्स और इलेक्ट्रिकल सिस्टम का बड़ा निर्यात करता है। ट्रंप का यह नया कदम भारतीय ऑटो कंपनियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है, खासकर जब उनकी इन वस्तुओं पर 25% टैरिफ लागू होगा।

ऑटो सेक्टर में ट्रेड वॉर की संभावना

ट्रंप का यह कदम केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि यूरोप, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के लिए भी व्यापारिक तनाव का कारण बन सकता है। अमेरिका दुनिया भर से लगभग 300 अरब डॉलर के ऑटो कंपोनेंट्स का आयात करता है। इस फैसले से ऑटो सेक्टर में एक नया ट्रेड वॉर पैदा हो सकता है, जिससे वैश्विक व्यापार पर असर पड़ेगा।

Donald Trump Tariff USA
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टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और आयशर मोटर्स पर असर

टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा और आयशर मोटर्स जैसी भारतीय कंपनियों के लिए यह खबर सबसे बड़ी चिंता का कारण बन सकती है। टाटा मोटर्स का अमेरिका में बड़ा कारोबार है, खासकर उसकी जगुआर लैंड रोवर (JLR) ब्रांड के माध्यम से। टाटा मोटर्स ने 2008 में फोर्ड से जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण किया था और अब यह कंपनी अमेरिका में एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है। इसके अलावा, महिंद्रा एंड महिंद्रा और आयशर मोटर्स का भी अमेरिका में अच्छा खासा व्यापार है। महिंद्रा की रॉयल एनफील्ड मोटरसाइकिल्स और आयशर के भारी वाहन और ट्रक अमेरिका में लोकप्रिय हैं।

शेयर बाजार पर असर

जैसा कि पहले ही अनुमान था, ट्रंप के इस फैसले के बाद भारतीय कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई। टाटा मोटर्स का शेयर बाजार में 6.50% की गिरावट के साथ 661.10 रुपये पर पहुंच गया। इसके अलावा, महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयर भी गिरावट के साथ 2728.30 रुपये पर ट्रेड करते हुए दिखाई दिए। आयशर मोटर्स का शेयर भी 1.50% की गिरावट के साथ 5300 रुपये पर खुला।

इससे पहले, टाटा मोटर्स और अन्य कंपनियों के शेयरों में मामूली गिरावट देखी गई थी, लेकिन अब ट्रंप के इस फैसले के बाद और भी भारी गिरावट की आशंका जताई जा रही है।

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Donald Trump Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का 25% टैरिफ फैसला! वैश्विक व्य...

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Donald Trump Tariff:  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 25% का टैरिफ लागू करने का फैसला, जो 2 अप्रैल से प्रभावी होगा, वैश्विक व्यापार को एक नया झटका देने वाला है। इस टैरिफ का असर विशेष रूप से आयातित कारों और ऑटो पार्ट्स पर होगा, जिससे दुनिया भर के व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ने की संभावना जताई जा रही है। इस कदम से अमेरिका को लगभग 100 अरब डॉलर का फायदा होने की उम्मीद है, लेकिन साथ ही इसका प्रभाव अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनियों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर भी पड़ेगा।

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अमेरिका को फायदा, लेकिन उद्योगों पर दबाव- Donald Trump Tariff

ट्रंप का यह फैसला घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। उनका दावा है कि इस टैरिफ से अमेरिका में अधिक फैक्ट्रियां खुलेंगी और अमेरिकी कंपनियों का रेवेन्यू बढ़ेगा। हालांकि, यह कदम ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। टैरिफ का बोझ अंतिम रूप से ग्राहकों पर पड़ेगा, जिससे महंगाई का खतरा बढ़ सकता है।

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ट्रंप का यह नया टैरिफ विशेष रूप से इम्पोर्टेड कारों और ऑटो पार्ट्स पर लागू होगा। इसके साथ ही, ट्रंप ने भारत और कई अन्य देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की है। उनका कहना है कि भारत जैसे देशों द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ के चलते अब अमेरिका को भी ऐसा ही कदम उठाने की आवश्यकता है। इससे भारतीय व्यापारियों और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ सकता है।

भारतीय शेयर बाजार पर असर

भारत का शेयर बाजार इस निर्णय के प्रभाव को लेकर कंफ्यूज है। भारतीय बाजार में पिछले कुछ दिनों से सकारात्मक रुझान देखने को मिल रहा था, लेकिन जैसे-जैसे 2 अप्रैल की तारीख नजदीक आ रही है, बाजार में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। भारतीय बाजार के साथ-साथ अमेरिकी और यूरोपीय शेयर बाजारों में भी हाल के दिनों में गिरावट देखी गई है, जो इस व्यापारिक युद्ध के आने वाले प्रभावों का संकेत दे रही है।

भारत को नुकसान का अनुमान

अमेरिका ने यह भी संकेत दिया है कि यदि भारत ने व्यापार नीतियों में बदलाव नहीं किया तो भारत के रसायन, धातु, आभूषण, फार्मा और ऑटोमोबाइल उद्योगों पर भारी टैक्स लगाया जा सकता है। इससे भारत को सालाना 60,000 करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है। खासकर भारतीय दवा उद्योग पर इसका सीधा असर पड़ने की संभावना है, क्योंकि भारत अमेरिका को जेनेरिक दवाइयों का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।

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2022 में, अमेरिका में प्रिस्क्रिप्शन दवाइयों का 40% भारतीय कंपनियों से आया था, जिससे अमेरिका को 219 अरब डॉलर की बचत हुई। हालांकि, बढ़े हुए टैरिफ से भारतीय दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे अमेरिकी मरीजों पर भी आर्थिक बोझ बढ़ सकता है। छोटे भारतीय दवा निर्माता, जो कम मार्जिन पर काम करते हैं, टैरिफ का दबाव नहीं झेल पाएंगे और उन्हें अमेरिकी बाजार से बाहर होना पड़ सकता है।

कृषि क्षेत्र को राहत

ट्रंप ने संकेत दिया है कि भारत के कृषि क्षेत्र को इस टैरिफ युद्ध से बाहर रखा जा सकता है, क्योंकि इससे भारतीय किसानों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। यह भारत के लिए राहत की बात है, क्योंकि कृषि निर्यात एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यदि इस क्षेत्र को छूट मिलती है, तो भारत को कुछ राहत मिल सकती है।

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Sikhism in Singapore: जानें सिंगापुर में सिख समुदाय के संघर्ष, समर्पण और सांस्कृतिक ध...

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Sikhism in Singapore: सिंगापुर में सिख समुदाय की जड़ें ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान शुरू हुईं, जब ब्रिटिश सेना और पुलिस बलों में कार्य करने के लिए भारतीय सिखों का स्थानांतरण हुआ। आज, सिंगापुर में लगभग 12,000 से 15,000 सिख रहते हैं, और वे न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि समाज के अन्य क्षेत्रों में भी उनका योगदान अत्यधिक है। सिखों का सिंगापुर में यह सफर सदियों पुराना है, जो आज भी समुदाय की पहचान और सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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सिखों का सिंगापुर में आगमन- Sikhism in Singapore

ब्रिटिश शासन के दौरान, सिंगापुर मलेशिया का हिस्सा था, और सिखों का प्रमुख रूप से वहां पुलिस अधिकारियों के रूप में आगमन हुआ। वे गरीबी और कर्ज से परेशान होकर बेहतर जीवन की तलाश में सिंगापुर आए थे। शुरुआती दौर में, सिखों ने पुलिस, सुरक्षा गार्ड और चौकीदार के रूप में काम किया। बाद में, उन्होंने व्यापार के क्षेत्र में भी कदम रखा, जैसे कि पैसे उधार देना और अन्य वाणिज्यिक गतिविधियाँ।

Sikhism in Singapore central sikh gurdwara
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सिखों का सिंगापुर में आगमन एक बड़ी आप्रवासी लहर के रूप में देखा गया। इनमें से कुछ सिख भारतीय पंजाब क्षेत्र से थे, जबकि अन्य वे सिख थे जो ब्रिटिश भारत में स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण ब्रिटिश सेना द्वारा सिंगापुर भेजे गए थे। इन सिखों ने ब्रिटिश सैनिकों के खिलाफ विद्रोह किया था, और इसके बाद उन्हें सिंगापुर की जेलों में रखा गया। इस प्रकार, सिंगापुर में सिखों की पहली पीढ़ी मुख्य रूप से कैदी थी, जो बाद में यहां स्थापित हो गए।

19वीं शताब्दी में सिखों का प्रभाव

सिखों का सिंगापुर में आगमन 1850 के आसपास हुआ था, जब महाराज सिंह और खुर्रक सिंह जैसे कुछ सिखों को ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा राजनीतिक बंदी बना कर सिंगापुर भेजा गया। इसके बाद, 1881 में सिख पुलिस दस्ते का गठन हुआ, और सिंगापुर में पुलिस बल के रूप में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो गई। इस दस्ते में लगभग 200 सिखों ने काम किया, और उनका मुख्य कार्य चीनी गुप्त समाजों से निपटना और बंदरगाहों, गोदामों और सुरक्षा की निगरानी रखना था।

सिखों के लिए सिंगापुर एक सुरक्षित और आर्थिक रूप से समृद्ध स्थान बन गया, जहां उन्होंने अपने परिवारों को सहेजा और अपने व्यापारों को स्थापित किया। 19वीं शताब्दी के अंत में, सिख व्यापारियों की एक नई पीढ़ी ने सिंगापुर में व्यापारिक गतिविधियाँ शुरू कीं, विशेष रूप से वस्त्र व्यापार में।

20वीं शताब्दी में सिख समुदाय का विकास

20वीं शताब्दी में सिखों ने सिंगापुर में और अधिक विविध पेशों में अपना कदम बढ़ाया। इनमें से कई सिख व्यापारी बन गए और कपड़ा व्यापार, खुदरा व्यापार जैसे क्षेत्रों में काम करने लगे। इस दौरान, सिखों ने कई गुरुद्वारों की स्थापना की, जो न केवल धार्मिक स्थल थे, बल्कि सामुदायिक केंद्रों के रूप में भी कार्य करते थे। ये गुरुद्वारे सिखों के लिए एक स्थान प्रदान करते थे, जहां वे एक-दूसरे से मिल सकते थे, चर्चाएँ कर सकते थे और अपनी धार्मिक गतिविधियाँ कर सकते थे।

सिंगापुर में सिख समुदाय ने अपनी पहचान बनाई और कई प्रसिद्ध सिख भारतीय समुदाय के नेताओं ने सिंगापुर के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में योगदान दिया।

आज का सिख समुदाय

आज सिंगापुर में सिख समुदाय एक सशक्त और विविध समुदाय के रूप में स्थापित है। उनके पास 7 सक्रिय गुरुद्वारे हैं, जिनमें से केंद्रीय सिख मंदिर और गुरुद्वारा साहिब सिलाट रोड सबसे प्रमुख हैं। इन गुरुद्वारों में न केवल पूजा की जाती है, बल्कि ये सामाजिक कार्यों, शिक्षा और धर्मार्थ गतिविधियों के केंद्र भी बने हुए हैं।

सिंगापुर में सिख समुदाय की मौजूदगी न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय समाज में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। सिखों की व्यावसायिक सफलता और उनके सामाजिक कामों को देखते हुए, उन्हें सिंगापुर के समृद्धि और विविधता में एक अहम हिस्सा माना जाता है।

प्रमुख सिख व्यक्तित्व

सिंगापुर में कई प्रमुख सिख व्यक्तित्व रहे हैं जिन्होंने समाज में अपनी छाप छोड़ी है। इनमें से कुछ प्रसिद्ध व्यक्तित्व हैं:

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  • चूर सिंह, जो सिंगापुर के सुप्रीम कोर्ट के पहले सिख जज थे।
  • कंवलजीत सोइन, जो सिंगापुर की पहली महिला नामित सदस्य थीं और साथ ही ऑर्थोपेडिक सर्जन भी थीं।
  • जसवंत सिंह गिल, जो सिंगापुर नेवी के पहले कमांडर थे।
  • मेजर-जनरल रवींद्र सिंह, जो सिंगापुर आर्मी के पूर्व प्रमुख थे।
  • इंद्रजीत सिंह, जो सिंगापुर के सांसद रहे हैं।

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Prakash Raj Net Worth: अभिनय से लेकर प्रोडक्शन तक, जानिए प्रकाश राज की दौलत और सफलता ...

Prakash Raj Net Worth: बॉलीवुड और दक्षिण भारतीय फिल्मों में अपनी शानदार और दमदार अभिनय के लिए प्रसिद्ध प्रकाश राज आज एक बड़े नाम बन चुके हैं। वह खासतौर पर अपने खलनायक भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं और उन्हें भारतीय सिनेमा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। उनके पास जो संपत्ति है, उसकी कुल कीमत 30 करोड़ से ऊपर बताई जाती है। उनकी मुख्य आय का स्रोत फिल्मों के साथ-साथ प्रोडक्शन, टीवी शोज और स्टेज शोज से भी आता है। आइए जानते हैं कि कैसे प्रकाश राज ने अपने करियर को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया और उनके पास क्या-क्या संपत्ति है।

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प्रकाश राज का करियर और कमाई के स्रोत- Prakash Raj Net Worth

प्रकाश राज का जन्म 1965 में बेंगलुरु, कर्नाटका में हुआ था। वह भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के उन अभिनेता में से हैं जिन्होंने विलेन के किरदार में अपना जलवा दिखाया। हालांकि, उन्हें विलेन के किरदार से ज्यादा पॉपुलैरिटी मिली, उन्होंने कई तरह के चरित्र भूमिकाएं भी निभाई हैं, जिनमें खलनायक, हास्य पात्र और नकारात्मक किरदार शामिल हैं। प्रकाश राज ने अपने करियर की शुरुआत थिएटर और टीवी से की थी, लेकिन फिर उन्होंने फिल्मों में कदम रखा। शुरुआती दौर में उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा, लेकिन समय के साथ उनकी प्रतिभा को पहचान मिली और वह सुपरस्टार बन गए।

 

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बताया जाता है कि जब वह स्टेज पर काम कर रहे थे तो उन्हें महीने का 300 रुपये मिलते थे, लेकिन आज वह करोड़ों में खेलते हैं। वह एक फिल्म के लिए लगभग 2.5 करोड़ रुपये चार्ज करते हैं। इसके अलावा, उनके पास अपनी खुद की प्रोडक्शन कंपनी ‘डुएट मूवीज’ है, जो उन्होंने 2002 में स्थापित की थी। उनके द्वारा प्रोड्यूस की गई फिल्मों में “धाया”, “नाम”, “मोझी”, “पायानम”, “धोनी”, “गौरवम”, “मैइलु” जैसी कई प्रसिद्ध फिल्में शामिल हैं। इसके अलावा उन्होंने हिंदी फिल्म “तड़का” को भी प्रोड्यूस किया है। उन्होंने कई फिल्मों का निर्देशन भी किया है, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा का उदाहरण है।

प्रकाश राज का लाइफस्टाइल और कार कलेक्शन

प्रकाश राज अपनी लग्जरी लाइफस्टाइल के लिए भी प्रसिद्ध हैं। वह महंगी कारों के शौकिन हैं और उनके पास कुछ शानदार कारें हैं। उनके कार कलेक्शन में टोयोटा इनोवा, जिसकी कीमत 17 लाख रुपये से अधिक है, बीएमडब्ल्यू 520D (45 लाख रुपये), मर्सिडीज बेंज (63 लाख रुपये), ISUZU V, बोलेरो मैक्सी ट्रक, और ऑडी क्यू 3 जैसी कारें शामिल हैं। ये सभी कारें उनकी शानदार जीवनशैली का हिस्सा हैं।

इसके अलावा, प्रकाश राज के पास मुंबई और चेन्नई में प्रॉपर्टीज हैं, साथ ही एक फार्म हाउस भी है, जो उनकी संपत्ति में जोड़ते हैं। इस तरह की संपत्तियों के मालिक होने से उनकी सफलता और कड़ी मेहनत का परिचय मिलता है। वह एक शानदार जीवन जीने के साथ-साथ अपने काम के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दिखाते हैं।

प्रकाश राज की संपत्ति

प्रकाश राज ने जो सफलता हासिल की है, वह उनके लगातार प्रयासों और कड़ी मेहनत का परिणाम है। वह न सिर्फ अभिनय के क्षेत्र में, बल्कि प्रोडक्शन और निर्देशन में भी खुद को साबित कर चुके हैं। उनका संपत्ति पोर्टफोलियो भी उनकी समृद्धि को दर्शाता है। खबरों की मानें तो, उनकी कुल संपत्ति करीब 50 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है, और उनके पास कई शानदार घर, कारें और प्रॉपर्टी हैं।

यह कहना गलत नहीं होगा कि प्रकाश राज का करियर एक प्रेरणा है, जो यह दिखाता है कि अगर इंसान अपनी कला में निष्ठा और मेहनत से काम करता है, तो सफलता उसके कदम चूमती है। आज वह सिर्फ एक अभिनेता ही नहीं, बल्कि एक निर्माता और निर्देशक के तौर पर भी अपनी पहचान बना चुके हैं।

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What is Cancel Culture: हाल ही में, कॉमेडियन कुणाल कामरा के विवाद ने सोशल मीडिया पर फिर से कैंसल कल्चर को चर्चा का मुद्दा बना दिया है। एकनाथ शिंदे के बारे में उनके बयान के बाद, उनके बहिष्कार की मांग सोशल मीडिया पर तेज़ हो गई है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या सच में लोगों को सार्वजनिक रूप से ‘कैंसल’ करना सही है? कैंसल कल्चर, जो आजकल एक ट्रेंड बन चुका है, एक दोधारी तलवार की तरह काम करता है। इसमें कभी किसी सेलेब्रिटी को अपार सफलता और प्रसिद्धि मिलती है, तो कभी अगले ही दिन उसी सेलेब्रिटी के खिलाफ बवाल मचता है, और उसका करियर खत्म हो जाता है।

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दक्षिण कोरिया में कैंसल कल्चर- What is Cancel Culture

कैंसल कल्चर की क्रूरता को सबसे पहले दक्षिण कोरिया में देखा जाता है, जहां की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में किसी भी स्टार के लिए एक छोटी सी गलती भी करियर को खत्म करने के लिए काफी होती है। कोरिया में सार्वजनिक आलोचना और गुस्से के कारण एक अभिनेता या आईडल का करियर रातोंरात समाप्त हो सकता है। K-पॉप और K-ड्रामा इंडस्ट्री में तो इमेज कंट्रोल बेहद सख्त होता है, और यहां तक कि एक छोटी सी गलती भी करियर के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।

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इसका एक उदाहरण किम सू-ह्युन है, जो अपनी लोकप्रिय टीवी सीरीज़ “माय लव फ्रॉम द स्टार” और “इट्स ओके टू नॉट बी ओके” के लिए जाने जाते हैं। एक विवाद ने उन्हें घेर लिया जब उनके रिश्ते को लेकर आरोप लगाए गए, जिसमें कहा गया कि उनका एक नाबालिग लड़की के साथ अवैध संबंध था। उनकी एजेंसी ने इन आरोपों को खारिज किया, लेकिन तब तक किम के इंस्टाग्राम से एक मिलियन फॉलोअर्स कम हो गए, और उनकी छवि को गंभीर नुकसान हुआ। इसी तरह, किम साए-रॉन जैसे स्टार को DUI (ड्राइविंग अंडर इंफ्लुएंस) मामले में भी कैंसल कल्चर का शिकार होना पड़ा। कई बार माफी मांगने और सुधारने की कोशिश के बावजूद, वह इंडस्ट्री से बाहर हो गए। यह दिखाता है कि कोरियाई कैंसल कल्चर में सुधार की कोई जगह नहीं होती।

बॉलीवुड में कैंसल कल्चर का असर

बॉलीवुड में कैंसल कल्चर उतना कठोर नहीं है, लेकिन यहां भी मीडिया ट्रायल्स और सार्वजनिक आक्रोश की लहर उठती रहती है। एक बड़ा उदाहरण रिया चक्रवर्ती का है, जो 2020 में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद मीडिया के गुस्से का शिकार बनीं। जबकि कोर्ट में उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था, लेकिन सोशल मीडिया और मीडिया ने उन्हें पहले ही दोषी मान लिया। इसके परिणामस्वरूप रिया चक्रवर्ती की छवि धूमिल हो गई, उन्हें फिल्म इंडस्ट्री से बाहर कर दिया गया और उनके ब्रांड्स ने उनसे संबंध तोड़ लिए।

हालांकि कुछ बॉलीवुड सितारे जैसे सलमान खान, जिनके खिलाफ कई विवाद उठ चुके हैं, जैसे हिट-एंड-रन केस और काले हिरण के शिकार के आरोप, वे इस कैंसल कल्चर से बच निकले हैं। उनके फैंस हमेशा उनके साथ खड़े रहते हैं और उनके फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाती हैं।

हॉलीवुड में कैंसल कल्चर और सितारों की वापसी

हॉलीवुड में भी कैंसल कल्चर का असर दिखाई देता है, लेकिन वहां पर सितारों के लिए वापसी का एक रास्ता भी होता है। उदाहरण के तौर पर, जॉनी डेप और रॉबर्ट डाउनी जूनियर जैसे सितारे विवादों के बावजूद वापसी करने में सफल रहे। वहीं, ड्रू बैरीमोर और टेलर स्विफ्ट जैसे स्टार्स को अपने फैंस से असामान्य और खतरनाक व्यवहार का सामना करना पड़ा है, जो दर्शाता है कि हॉलीवुड में भी सितारों को निजी खतरे का सामना करना पड़ता है।

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सोशल मीडिया और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

कैंसल कल्चर का एक अन्य पहलू यह है कि यह सोशल मीडिया से जुड़ा हुआ है, जो आजकल अकेलेपन और मानसिक तनाव का एक प्रमुख कारण बन चुका है। सोशल मीडिया पर, फैंस और सेलेब्रिटीज के बीच एकतरफा भावनात्मक संबंध बन जाते हैं, जिसे पर्सासोशल संबंध कहा जाता है। इससे फैंस को यह भ्रम हो जाता है कि वे सितारों को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं, और जब सितारे किसी विवाद में फंसते हैं, तो फैंस तीव्र विश्वासघात महसूस करते हैं, जिससे गुस्सा और कैंसल कल्चर का जन्म होता है।

कैंसल कल्चर का भविष्य

कैंसल कल्चर का उद्देश्य लोगों को जिम्मेदार ठहराना है, लेकिन यह जिम्मेदारी तय करने की प्रक्रिया अब और भी जटिल होती जा रही है। दक्षिण कोरिया में सेलेब्रिटीज के लिए कोई सुधार का रास्ता नहीं होता, जबकि बॉलीवुड में यह चयनात्मक आक्रोश पर निर्भर करता है कि किसे कैंसल किया जाए और किसे नहीं। हॉलीवुड में, स्टारडम के साथ भक्ति जैसी स्थिति बन जाती है, जो मानसिक और शारीरिक खतरों को जन्म देती है।

इसलिए, सवाल यह उठता है कि क्या कैंसल कल्चर किसी भी करियर के लिए सही है या यह केवल एक निर्दयी प्रक्रिया है, जो लोगों की व्यक्तिगत और मानसिक स्वतंत्रता को खतरे में डालती है?

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Punjab Bajinder Singh Slap Video Controversy: पंजाब के चर्चित ईसाई धर्म प्रचारक बजिंद...

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Punjab Bajinder Singh Slap Video Controversy: पंजाब के जाने-माने ईसाई धर्म प्रचारक बजिंदर सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं, इस बार उनके खिलाफ मोहाली में एक महिला और अन्य लोगों के साथ मारपीट करने का मामला दर्ज किया गया है। इस विवाद की शुरुआत उस समय हुई जब एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें बजिंदर सिंह एक महिला को थप्पड़ मारते हुए नजर आ रहे हैं। महिला ने आरोप लगाया कि बजिंदर ने उसे न केवल शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किया, बल्कि उसे धमकियां भी दीं। यह पहला मामला नहीं है जब बजिंदर का नाम विवादों से जुड़ा हो, बल्कि उनके खिलाफ कई अन्य गंभीर आरोप भी लगाए जा चुके हैं।

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पहले भी लगे गंभीर आरोप- Punjab Bajinder Singh Slap Video Controversy

बजिंदर सिंह का नाम पहले भी विवादों में रहा है। महिला के साथ मारपीट के मामले से पहले, उन्हें यौन शोषण के आरोपों का भी सामना करना पड़ा था। पंजाब के कपूरथला की एक लड़की ने बजिंदर पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। युवती ने कहा कि वह बजिंदर की चर्च टीम का हिस्सा थी, लेकिन बजिंदर ने उसे अश्लील संदेश भेजे और उसे मानसिक रूप से परेशान किया। इसके अलावा, लड़की ने यह भी दावा किया कि बजिंदर ने उसके परिवार को धमकाया था।

साल 2018 में बजिंदर पर एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप भी लगाया था। इस मामले में पुलिस ने जांच की थी और बजिंदर को गिरफ्तार भी किया था, हालांकि बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी।

आयकर विभाग की कार्रवाई और अन्य विवाद

साल 2023 में आयकर विभाग ने बजिंदर सिंह से जुड़े ठिकानों में छापेमारी की थी, जहां उन्हें कई संदिग्ध वित्तीय लेन-देन से जुड़ा पाया गया। आरोप यह था कि बजिंदर ने एक व्यक्ति से उसकी बेटी का कैंसर का इलाज कराने के नाम पर पैसे की मांग की थी। इसके अलावा, बजिंदर पर आरोप यह भी रहे हैं कि उनके कार्यक्रमों में धर्मांतरण के प्रयास किए जाते हैं और कर्मचारियों के साथ मारपीट की जाती है।

उनके कार्यक्रमों में बॉलीवुड की कई हस्तियां भी आती हैं और इनके वीडियो इंटरनेट पर वायरल होते रहते हैं। इन कार्यक्रमों में बजिंदर सिंह अक्सर ‘मरे हुए लोगों को जिंदा करने’ और ‘कैंसर का इलाज’ करने जैसे चमत्कारी दावे करते हैं, जो उनके विवादित व्यक्तित्व को और बढ़ावा देते हैं।

बजिंदर सिंह का संघर्षमय जीवन और ईसाई धर्म की ओर रुख

बजिंदर सिंह का जन्म हरियाणा के करनाल में एक जाट परिवार में हुआ था। उनकी जिंदगी का एक दिलचस्प और दर्दनाक पहलू यह है कि उन्होंने जेल में रहते हुए ईसाई धर्म अपनाया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बजिंदर ने बताया कि उन्होंने जीवन के शुरुआती दिनों में कई बुरी ताकतों का सामना किया, जिसके कारण उन्हें जेल जाना पड़ा। उन्होंने यह भी दावा किया कि जेल में उन्हें गहरी निराशा और मानसिक दबाव का सामना करना पड़ा था और यहां तक कि उन्होंने आत्महत्या करने की भी कोशिश की थी।

बजिंदर सिंह का कहना है कि जेल में उन्हें किसी ने बाइबिल दी, और उसके बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। बाइबिल को पढ़ने के बाद उन्होंने खुद को बदलते हुए महसूस किया और जेल से बाहर आने के बाद ईसाई धर्म के प्रचार का बीड़ा उठाया।

बजिंदर सिंह का धर्म प्रचार

आज के समय में बजिंदर सिंह पंजाब और अन्य राज्यों में ईसाई धर्म के प्रचारक के रूप में काफी मशहूर हैं। उनका चर्च “ग्लोरी ऑफ़ विज़डम चर्च” जालंधर जिले में स्थित है और देशभर में उनकी चर्च की करीब 250 शाखाएं हैं। बजिंदर सिंह ने खुद को ईसाई धर्म का प्रचारक मानते हुए कई कार्यक्रम आयोजित किए, जिनमें से कुछ विवादों में घिरे रहे हैं। उनके कार्यक्रमों में ‘चमत्कार’ दिखाने के दावे और बड़े पैमाने पर लोगों का धर्म परिवर्तन करवाने की कोशिशें चर्चा में रहती हैं।

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Gulfam Singh Yadav Murder: उत्तर प्रदेश के संभल में बीजेपी नेता गुलफाम यादव हत्याकांड...

Gulfam Singh Yadav Murder: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में बीजेपी नेता गुलफाम सिंह यादव की हत्या का मामला अब पूरी तरह से उजागर हो चुका है। थाना जुनावई क्षेत्र में हुई इस वारदात के पीछे राजनीतिक रंजिश और ब्लॉक प्रमुखी चुनाव को लेकर चल रहे विवाद को प्रमुख कारण बताया जा रहा है। पुलिस ने इस मामले में मुख्य साजिशकर्ता महेश यादव सहित छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। आइए जानते हैं कि किस प्रकार साजिश रचकर गुलफाम यादव की हत्या की गई और इसके पीछे की पूरी कहानी।

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ब्लॉक प्रमुखी विवाद से शुरू हुआ राजनीतिक रंजिश- Gulfam Singh Yadav Murder

संभल पुलिस के अनुसार, गुलफाम यादव और महेश यादव के बीच ब्लॉक प्रमुखी को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था। महेश यादव ने अपने बेटे के खिलाफ लाए जा रहे अविश्वास प्रस्ताव को लेकर गुलफाम को रास्ते से हटाने की योजना बनाई। महेश ने यह कदम उठाया क्योंकि उसे लगा कि गुलफाम उसकी राजनीति के लिए खतरे का कारण बन सकते थे।

महेश ने 19 नवंबर 2024 को बरेली जेल में सजा काट रहे अपराधी धर्मवीर उर्फ धम्मा से मुलाकात की और उसे गुलफाम को मारने का प्रस्ताव दिया। बदले में महेश ने धर्मवीर से वादा किया कि वह उसकी जमानत और अपील का पूरा खर्च उठाएगा। धर्मवीर ने महेश के प्रस्ताव को स्वीकार किया, और फिर 35 हजार रुपये की राशि से उसकी जमानत कराई गई। इसके बाद, धर्मवीर को जेल से बाहर लाने के लिए ट्रैक्टर भी 1 लाख रुपये देकर छुड़वाया गया।

हत्या की योजना और साजिश का अंजाम

महेश यादव की योजना के अनुसार, गुलफाम की हत्या को एक सामान्य मौत के रूप में दिखाने के लिए विशेष प्रकार के केमिकल युक्त इंजेक्शन का उपयोग किया गया। इसके लिए साजिश को और पुख्ता बनाने के लिए पहले गुलफाम की रेकी की गई। धर्मवीर ने गुलफाम से नजदीकी बढ़ाई और उसके साथ समय बिताना शुरू किया।

10 मार्च को घटना के दिन, धर्मवीर पहले से ही गुलफाम के पास मौजूद था, जबकि मुकेश और नेमपाल बाइक से वहां पहुंचे। महेश कुछ दूरी पर खड़ा होकर पूरी घटना पर निगरानी रख रहा था। इस पूरी साजिश के तहत धर्मवीर और नेमपाल ने गुलफाम सिंह को घेर लिया और उसे जहरीला इंजेक्शन लगा दिया। इस वारदात को अंजाम देने के बाद तीनों आरोपी बाइक से फरार हो गए।

पुलिस ने खुलासा किया हत्या का राज

25 मार्च को पुलिस ने इस हत्याकांड का खुलासा कर दिया। सीसीटीवी फुटेज, सर्विलांस डेटा और मुखबिरों की सूचना के आधार पर पुलिस ने जांच-पड़ताल की और संदिग्धों की पहचान की। पूछताछ में आरोपियों ने अपनी संलिप्तता कबूल की और हत्या की साजिश के बारे में पूरी जानकारी दी। मृतक के बेटे ने भी इन्हीं आरोपियों पर शक जाहिर किया था, जिसके बाद ये सभी पुलिस की रडार पर थे।

पूछताछ में आरोपी महेश यादव ने स्वीकार किया कि उसने ब्लॉक प्रमुखी विवाद के कारण गुलफाम की हत्या की साजिश रची थी।

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Ghaziabad News: सीबीआई ने गाजियाबाद और पटना में किए छापे, वरिष्ठ पासपोर्ट अधीक्षक दीप...

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Ghaziabad News: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गाजियाबाद स्थित क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में तैनात वरिष्ठ पासपोर्ट अधीक्षक दीपकचंद्र के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में छापेमारी की है। सीबीआई ने गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन और पटना में दीपकचंद्र के तीन ठिकानों पर छापे मारे, जहां से 60 लाख रुपये की नकदी और करोड़ों रुपये की संपत्ति से संबंधित दस्तावेज बरामद हुए।

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अवैध संपत्ति और दस्तावेजों का खुलासा- Ghaziabad News

सीबीआई ने छापे के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों को जब्त किया है, जिनमें बैंक खातों, म्यूचुअल फंड, जीवन बीमा पॉलिसी और संपत्ति के बिक्री विलेख शामिल हैं। इसके अलावा, वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र (आरसी) सहित अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बरामद हुए, जिनसे दीपकचंद्र की अवैध संपत्ति का खुलासा हुआ।

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सीबीआई अब इन दस्तावेजों की जांच कर रही है और साथ ही आरोपी के बैंक खातों और निवेशों की गहराई से जांच करेगी। इसके अलावा, यह भी संभावना जताई जा रही है कि मामले की आगे की जांच के लिए अन्य व्यक्तियों से भी पूछताछ की जा सकती है। सीबीआई ने कहा है कि आरोपी के खिलाफ जल्द ही चार्जशीट दायर की जा सकती है।

अवसंरचना और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करना

सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, दीपकचंद्र ने 2018 से 2024 के बीच 1.43 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की है, जो उनकी ज्ञात आय से 85.06 लाख रुपये अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक, दीपकचंद्र ने 30 जुलाई 2018 को एक फ्लैट की बुकिंग के लिए अग्रिम भुगतान किया और इसके बाद नवंबर 2024 तक विभिन्न बैंक खातों, म्यूचुअल फंड और बीमा पॉलिसियों में बड़े निवेश किए। जांच में यह पाया गया कि उनकी ज्ञात आय का स्रोत लगभग डेढ़ लाख रुपये था, जबकि उनके पास 88.43 लाख रुपये की संपत्ति पाई गई।

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दीपकचंद्र का करियर और तैनाती

सीबीआई के मुताबिक, दीपकचंद्र ने दिसंबर 2015 में पासपोर्ट विभाग में सहायक पासपोर्ट अधीक्षक के रूप में अपनी सेवाएं शुरू की थीं। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्हें 2020 में पासपोर्ट अधीक्षक के पद पर पदोन्नति मिली और 2021 में उन्हें वरिष्ठ पासपोर्ट अधीक्षक के रूप में प्रमोट किया गया। 30 जुलाई 2018 से 30 सितंबर 2024 तक, उन्होंने गाजियाबाद क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में सहायक पासपोर्ट अधीक्षक, पासपोर्ट अधीक्षक और वरिष्ठ पासपोर्ट अधीक्षक के तौर पर अपनी सेवाएं दीं।

सीबीआई ने जांच के बाद कहा कि दीपकचंद्र की संपत्ति और निवेश की जांच की जाएगी और यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस मामले में जल्द ही कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। अब यह देखना बाकी है कि क्या इस मामले में अन्य बडे़ सुराग सामने आते हैं।

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