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Varanasi Murder: 28 साल में 8 मर्डर, जानें एक शराब व्यवसायी कैसे बन गया पूरे परिवार का कातिल?

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Varanasi Rajendra Gupta Family Murder, crime
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Varanasi Murder: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक शख्स ने अपने अवैध शराब के कारोबार को बढ़ाने के लिए अपने ही परिवार को मौत के घाट उतार दिया। इस घटना में तांत्रिक का एंगल सामने आ रहा है। दरअसल, वाराणसी के भदैनी इलाके के कारोबारी राजेंद्र गुप्ता (Varanasi Rajendra Gupta Family Murder) के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी। इसके बावजूद राजेंद्र कारोबार बढ़ाने के लालच में इतना अंधा हो गया कि उसने अपनी पत्नी और बच्चों को मौत के घाट उतार दिया। यहां सवाल यह उठ रहा है कि अगर राजेंद्र ने सबकुछ तांत्रिक के कहने पर किया तो उसकी लाश भी पुलिस को मिली, ऐसे में तांत्रिक का एंगल अभी अफवाह के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि पुलिस हर एंगल से मामले की जांच कर रही है।

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28 साल पहले छोटे भाई की हुई थी हत्या-Varanasi Rajendra Gupta Family Murder

मिली जानकारी के मुताबिक, कुछ दिन पहले भदैनी में राजेंद्र गुप्ता, उनकी पत्नी नीतू और उनके तीन बच्चों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। राजेंद्र के पड़ोसियों के अनुसार, 1996 में जमीन जायदाद के लालच में उसने अपने छोटे भाई कृष्णा और उसकी पत्नी मंजू की हत्या के लिए हत्यारे किराए पर लिए थे। राजेंद्र पर 1997 में अपने पिता लक्ष्मी नारायण गुप्ता और उनके एक गार्ड की हत्या का आरोप लगा था। हालांकि, राजेंद्र की मां शारदा देवी इस मुकदमे में वादी थीं। नतीजतन, अपनी मां का समर्थन पाकर वह जेल से रिहा हो गया। दूसरी ओर, मंजू और कृष्णा की हत्या का मामला भी ठंडे बस्ते में चल गया।

कारोबार विवाद के चलते पिता और भाई को मारा

दरअसल, 28 साल पहले उनकी पत्नी ने इस कारोबार (Liquor business) का विरोध किया था। उस समय एक तीखी बहस के बाद उनकी पत्नी ने उन्हें छोड़ दिया था। राजेंद्र गुप्ता के भाई और पिता भी इसके खिलाफ थे। ऐसे में राजेंद्र ने उनकी हत्या कर दी। उनके भाई की पत्नी और उनके पिता के गनमैन दोनों की हत्या कर दी गई, क्योंकि वे उन्हें बचाने के लिए आगे आए थे। इसके बाद उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया लेकिन बाद में उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया।

1999 में जेल से बाहर आने के बाद उसने भदैनी के ब्राह्मण परिवार की अपनी किरायेदार नीतू से प्रेम विवाह कर लिया। नीतू से प्रेम विवाह के बाद उसके परिवार ने उससे सारे संबंध तोड़ लिए।

तंत्रिक की सलाह पर ली जान 

DNA की रिपोर्ट में बताया गया है कि राजेंद्र का कारोबार अच्छा चल रहा था। इसके अलावा बनारस शहर में ही उसके चार मकान थे। इनमें से एक मकान में उसका परिवार रहता था, जबकि बाकी तीन मकान किराए पर दिए हुए थे। उसे हर महीने पांच लाख रुपए से ज्यादा किराया मिलता था। लेकिन, पिछले एक साल से उसका अवैध शराब का धंधा ठप हो गया है। इसकी वजह से राजेंद्र को एक साल अपने परिवार से दूर रहना पड़ा। इसके लिए उसने कई तरीके और टोटके भी अपनाए।

Varanasi Rajendra Gupta Family Murder
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पुलिस ने दी जानकारी

पुलिस सूत्रों के मुताबिक तांत्रिक ने कहा कि उसकी पत्नी ही उसके कारोबार में दिक्कतें पैदा कर रही है। तांत्रिक की सलाह पर शराब कारोबारी राजेंद्र गुप्ता दिवाली पर घर लौटे और पत्नी और बच्चों के साथ दिवाली मनाई। इसके बाद मंगलवार सुबह राजेंद्र गुप्ता ने मौका देखकर पत्नी और बच्चों की हत्या कर दी और फिर ग्लानि में खुद को भी गोली मार ली (Varanasi Rajendra Gupta murder)।

Varanasi Rajendra Gupta and his wife
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हालांकि राजेंद्र के पड़ोस में रहने वाले समाजवादी पार्टी महानगर के महासचिव योगेंद्र यादव के अनुसार राजेंद्र और उनकी पत्नी और बच्चों की हत्या की गई है। उनका कहना है कि पुलिस को घटना का उचित खुलासा करना चाहिए।

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विद्या बालन को ‘पनौती’ मानने लगे थे लोग, कई फिल्मों से निकाली गईं बाहर

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Vidhya Balan, Bollywood Actress Vidhya
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Vidya Balan Dark Phase of Career-  बॉलीवुड एक्ट्रेस विद्या बालन आज किसी पहचान की मोहताज़ नहीं है. जो मुख्य रूप से हिंदी सिनेमा में काम करती हैं. उन्होंने कई सुपरहिट फिल्मो में काम किया हैं. लेकिन कुछ समय से वो फिल्मो से दूर थी वही अब विद्या बालन (Vidya Balan) ने फिल्म ‘भूल भुलैया 3’ वापसी की है. फिल्म में विद्या की एक्टिंग कमाल की हैं. लेकिल हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान विद्या बालन ने अपने करियर के डार्क फ्रेज के बारे में बताया. एक्ट्रेस ने कहा कि एक फिल्म में कुछ ऐसा हुआ कि लोग उन्हें पनौती तक बुलाने लगे थे.

फिल्म की शूटिंग में हो गया था कांड

हाल ही, में एक्ट्रेस विद्या बालन ने फिल्म ‘भूल भुलैया 3’ से फिल्मो में कमबैक किया हैं. फिल्म ‘भूल भुलैया 3’ को रिलीज़ हुए अभी कुछ ही दिन हुए हैं. वही फिल्म प्रमोशन के दौरान विद्या ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनका शुरुआत कैसी रही थी. ‘वो वक्त करियर के शुरुआती दौर का था. उस वक्त बहुत रिजेक्शन हो रहे थे और मुझे ब्रेक नहीं मिला था. मैंने एक मलयालम फिल्म की शूटिंग शुरू कर दी थी. फिल्म बीच में बंद पड़ गई. फिर उन्होंने कहा कि ये लड़की पनौती है. जब से वो इस फिल्म से जुड़ी तब से फिल्म में परेशानियां शुरू हुई और अब ये मूवी बंद ही हो गई.

आगे बात करते हुए विद्या ने बताया कि बहुत सारी फिल्मों से मैं इस वजह से निकाली गई.’ एक्ट्रेस का ये बयान तेजी से वायरल हो रहा है. विद्या ने कहा कि ‘इसका मेरे ऊपर काफी खराब असर पड़ा. यहां तकि मैं भी मानने लगी थी कि कहीं सच में मैं पनौती तो नहीं हूं. फिर आपको लगता है कि आपका सपना कभी पूरा नहीं होगा. में डिप्रेशन में भी चले गयी थी. ये मेरे करियर का सबसे मुश्किल वक्त था.’

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विद्या बालन की डेब्यू फिल्म

विद्या ने अपने करियर की शुरुआत टेलीविजन धारावाहिकों से की, लेकिन उन्होंने बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान साल 2005 में आई फिल्म “परिणीता” से बनाई जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वही विद्या ने फिल्म “भूल भुलैया,” “कहानी,” “डर्टी पिक्चर,” और “तुम्हारी सुलु” जैसी कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया है. उनकी एक्टिंग  की खास बात यह है कि वे विविध प्रकार के किरदार निभाने में सक्षम हैं और हमेशा अपने काम के प्रति समर्पित रहती हैं.

इसके अलवा उन्हें कई बड़े पुरस्कार मिले हैं, जिनमें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल हैं. विद्या बालन महिलाओं के अधिकारों और समानता के प्रति भी सक्रिय रूप से आवाज उठाती हैं. उनका करियर न केवल उनके अभिनय के लिए बल्कि समाज में उनके योगदान के लिए भी सराहा जाता है.

वर्कफ्रंट और विद्या बालन 

अगर विद्या बालन के वर्कफ्रंट की बात करे तो वो इन दिनों फिल्म “भूल भुलैया 3” में नजर आ रही हैं. इससे पहले विद्या ‘दो और दो प्यार’ फिल्म में नजर आई थीं. ये फिल्म इसी साल अप्रैल में रिलीज हुई थी. इसके अलवा उनके पास कई अन्य प्रोजेक्ट भी हैं.

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छोटे कद के कारण लोग उड़ाते थे मजाक, ऐसे बदला लोगों का नजरिया, जानिए पंजाब के पठानकोट के दिलप्रीत सिंह की कहानी

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Delivery Boy Dilpreet Singh Success story
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Delivery Boy Dilpreet Singh Success story: पंजाब (Punjab) के पठानकोट में संत आश्रम गुरुद्वारा (Pathankot Sant Ashram Gurudwara) की प्रबंधन समिति ने 19 वर्षीय दिलप्रीत सिंह को सेवादार नियुक्त किया है। दिलप्रीत, जो मात्र तीन फुट पांच इंच लंबे हैं और कभी अपनी कम हाइट के कारण मज़ाक का विषय थे, अब लोग उन्हें सम्मानपूर्वक ‘छोटे प्रधान जी’ या ‘सरदार जी’ कहकर बुलाते हैं। अपने कठिन हालातों से लड़कर दिलप्रीत ने न केवल समाज में अपने लिए सम्मान अर्जित किया है, बल्कि अपने जैसे लोगों के लिए एक अनूठी मिसाल भी कायम की है।

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गुरुद्वारे में सेवा की शुरुआत

दिलप्रीत सिंह ने संत आश्रम गुरुद्वारा से अपनी सेवा शुरू की, जहाँ वे हर रोज़ रात 8 बजे तक काम करते हैं। गुरुद्वारा में उनकी ज़िम्मेदारियों में प्रसाद, लंगर की व्यवस्था और अन्य सेवाओं का प्रबंधन शामिल है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, वे हर रोज़ रात 8 बजे तक गुरुद्वारा में सेवा करते हैं और उसके बाद रात 11 बजे तक डिलीवरी बॉय के तौर पर काम करते हैं। उनकी मेहनत और लगन समाज में प्रेरणा का स्रोत बन गई है। उनके समर्पण ने साबित कर दिया है कि सीमित शारीरिक क्षमताएँ भी किसी के समर्पण और साहस को कम नहीं कर सकतीं।

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‘छोटे प्रधान जी’ की पहचान- Delivery Boy Dilpreet Singh Success story

छोटे कद के कारण दिलप्रीत को अक्सर लोगों के ताने और मज़ाक सुनने पड़ते थे। लेकिन समय के साथ उनकी लगन और मेहनत ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई। आज लोग उन्हें प्यार और सम्मान से ‘छोटे प्रधान जी’ या ‘सरदार जी’ कहकर बुलाते हैं। उन्हें यह सम्मान उनके ईमानदार प्रयासों और गुरुद्वारे में उनकी सेवाओं के कारण मिला है।

दोहरी मेहनत: डिलीवरी बॉय के रूप में कार्य

बीबीसी को दिए इंटरव्यू में दिलपरित बताते हैं कि उन्होंने लॉकडाउन में 12वीं की पढ़ाई पूरी की। लॉकडाउन के बाद उन्होंने 100 रुपये प्रतिदिन पर दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम किया। वो कहते हैं, ‘मैं सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक काम करता था। फिर मैंने एक कपड़े की दुकान पर काम किया, दुकान का मालिक म्युनिसिपल कमिश्नर था और वो मुझे अपने साथ सड़कें ठीक करने के लिए ले जाता था जिसके लिए मुझे 1500 रुपये महीने मिलते थे लेकिन ये आजीविका के लिए काफी नहीं था। इसके बाद मैंने आगे बढ़ने का फैसला किया, मैं एक जौहरी के पास गया और दिन में दो बार गुरुद्वारे में माथा टेकता था। फिर एक दिन कुछ लोगों को मेरे बारे में पता चला और उन्होंने मुझे समझाया और कहा कि तुम हमारे सिख भाई हो, तुम ये बेकार का काम नहीं करोगे, तुम्हें गुरुद्वारे में काम करना चाहिए।’

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वहीं, गुरुवार संत कमेटी के लोग भी दिलप्रीत के काम से काफी खुश हैं, उनका कहना है कि दिलप्रीत पूरे मन से और बड़ी मेहनत से काम करता है।

समाज के लिए प्रेरणा

दिलप्रीत सिंह की कहानी (Delivery Boy Dilpreet Singh Success story) सिर्फ़ एक व्यक्ति की कहानी नहीं है, बल्कि यह समर्पण, सेवा और साहस की कहानी है। उनका जीवन यह संदेश देता है कि परिस्थितियाँ कैसी भी हों, व्यक्ति अपनी हिम्मत और मेहनत से हर चुनौती को पार कर सकता है। गुरुद्वारे में उनकी सेवा और उनके अन्य कार्यों ने उन्हें समाज में एक आदर्श व्यक्तित्व बना दिया है।

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‘वो सुसाइड कर लेते …’, ऋषि ने बेटी रिद्धिमा को नहीं बनने दिया था एक्ट्रेस, नीतू कपूर ने किया चौंकाने वाला खुलासा

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Riddhima Kapoor Sahni rishi kapoor
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Riddhima Kapoor lifestyle: बॉलीवुड का प्रतिष्ठित कपूर परिवार भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का सबसे बड़ा और प्रभावशाली परिवार माना जाता है। यह परिवार बॉलीवुड की शुरुआत से ही फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा हुआ है। इस परिवार की कई पीढ़ियों ने बॉलीवुड में अपना नाम बनाया है लेकिन जब भी कपूर परिवार की बात आती है तो इसमें ज्यादातर सुपरस्टार राज कपूर, शशि कपूर, ऋषि कपूर, रणबीर कपूर जैसे पुरुष ही शामिल होते हैं। जब इस परिवार की महिलाओं की बात आती है तो करीना कपूर और करिश्मा कपूर का नाम ही दिमाग में आता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि कपूर परिवार में सिर्फ करिश्मा और करीना ही हैं, ऋषि कपूर की बेटी रिद्धिमा कपूर जैसी और भी कपूर बेटियां हैं लेकिन इनका नाम हमेशा लाइमलाइट से दूर रहा। और इसके पीछे की वजह काफी चौंकाने वाली है।

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दरअसल कपूर खानदान में एक अनकही परंपरा भी है कि परिवार की बेटियां और बहुएं एक्टिंग के क्षेत्र में कदम नहीं रखतीं। इस परंपरा की एक झलक ऋषि कपूर और उनकी बेटी रिद्धिमा कपूर साहनी के मामले में भी देखने को मिली।

ऋषि कपूर का फैसला और नीतू कपूर का खुलासा

अपनी बेबाक और स्पष्टवादी स्वभाव के लिए मशहूर ऋषि कपूर ने अपनी बेटी रिद्धिमा कपूर को कभी एक्टिंग में करियर बनाने की इजाजत नहीं दी। इन दिनों रिद्धिमा कपूर साहनी (Riddhima Kapoor Sahani) ‘फैबुलस लाइव्स वर्सेज बॉलीवुड वाइव्स’ (Fabulous Lives Vs Bollywood Wives) में नजर आ रही हैं। इस शो से रिद्धिमा ने डेब्यू किया था। इस रियलिटी शो में उनकी मां ने खुलासा किया कि रिद्धिमा को हमेशा से पता था कि अगर वह अपने पिता के सामने एक्ट्रेस बनने का आइडिया रखेंगी तो वह नाराज हो जाएंगे और यह बात उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं थी, जिस वजह से वह एक्टिंग से दूर हो गईं।

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पिता के डर से नहीं बनीं एक्ट्रेस

ऋषि कपूर की ऑटोबायोग्राफी, ‘खुल्लम खुल्ला: ऋषि कपूर अनसेंसर्ड’ में नीतू ने खुलासा किया, ‘रिद्धिमा यह जानते हुए बड़ी हुई कि अगर उसने कभी अपने पिता को बताया कि वह एक एक्ट्रेस बनना चाहती है तो वो खुदको मार डालेंगे।’

नीतू ने अपनी बेटी की प्रतिभा को पहचाना, लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि रिद्धिमा ने अपने पिता की आपत्तियों के कारण कभी अभिनय में कोई रुचि नहीं दिखाई और हमेशा ग्लैमर की दुनिया से दूर रहीं। यहां तक कि ऋषि कपूर से शादी के बाद नीतू कपूर ने फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया। कपूर खानदान की ज्यादातर महिलाएं फिल्म इंडस्ट्री से दूर रहीं।

रिद्धिमा का करियर और जीवन- Riddhima Kapoor lifestyle

रिद्धिमा कपूर ने अपने पिता के फैसले का सम्मान किया और फिल्म इंडस्ट्री से दूर रहकर फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में अपना करियर बनाया। वह आज एक सफल फैशन डिजाइनर हैं और अपने परिवार के साथ एक शांत और खुशहाल जीवन जी रही हैं।

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करिश्मा और करीना को मिला मां का सपोर्ट

कपूर खानदान में यह देखा गया है कि जहां राज कपूर, रणधीर कपूर, ऋषि कपूर, रणबीर कपूर जैसे पुरुष सदस्य कई पीढ़ियों से फिल्मों में सक्रिय हैं, वहीं परिवार की बेटियों को अभिनय से दूर रखा गया है। हालांकि करिश्मा कपूर (Karisma Kapoor) और करीना कपूर (Kareena Kapoor) ने इस परंपरा को तोड़ते हुए बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई और सफल करियर बनाया। इसका श्रेय उनकी मां बबीता को जाता है, जिन्होंने अपनी बेटियों के फैसले का समर्थन किया। लेकिन यह भी देखा गया कि करिश्मा और करीना के फिल्मी करियर के फैसले ने परिवार के अन्य सदस्यों में नाराजगी पैदा की थी। हालांकि समय के साथ सभी ने करिश्मा और करीना के हुनर को पहचान और उनके फैसले की कदर की।

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गुरु तेग बहादुर जी का कानपुर से है बेहद करीबी रिश्ता, बहुत कम लोग जानते हैं इसके पीछे की वजह

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Guru Tegh Bahadur connection Kanpur: शहर में सरसैया घाट के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित यह स्थान सिख समुदाय के लिए भी विशेष महत्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि यह श्री गुरु तेग बहादुर साहिबजी (Guru Tegh Bahadur) का विश्राम स्थल है। गुरु तेग बहादुर जी, जिन्हें “हिंद की चादर” के नाम से जाना जाता है, सिख धर्म के नौवें गुरु थे। कानपुर से उनका खास जुड़ाव था, जो इस शहर की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को और समृद्ध करता है।

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कानपुर से गुरु तेग बहादुर का नाता- Guru Tegh Bahadur connection Kanpur

गुरु तेग बहादुर जी (Guru Tegh Bahadur) ने अपने समय में इस क्षेत्र का दौरा किया था और अपनी शिक्षाओं से यहाँ के लोगों को प्रभावित किया था। उन्होंने समाज में प्रेम, सद्भावना और भाईचारे का संदेश फैलाया और लोगों में धर्म के प्रति समर्पण को प्रोत्साहित किया। कहा जाता है कि पंजाब से कोलकाता जाते समय वे अपने काफिले के साथ यहाँ रुके थे।

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सरसैया घाट पर कानपुर का पहला गुरुद्वारा

 दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, 1665-1666 में पंजाब से ओसोम की यात्रा करते समय नौवें सिख गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी कानपुर में रुके थे (Guru Tegh Bahadur Kanpur Visit)। सरसैया घाट पर गंगा के किनारे उन्होंने अपने परिवार और समर्थकों के साथ आराम किया। 1828 ई. में लाला थंथीमल नामक इलाहाबाद के एक ठेकेदार ने उनके अंतिम विश्राम स्थल पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की स्थापना की। यह कानपुर का पहला गुरुद्वारा है (Kanpur’s first gurudwara)।

1984 में खतरे में आ गया था गुरुद्वारा

यहां के मुख्य सेवादार सरदार इंद्रजीत सिंह बताते हैं कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 2003 तक यह गुरुद्वारा खतरे में था। उसके बाद लोगों में जागरूकता आई और 24 अगस्त 2003 को श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारे में शबद गायन और गुरुवाणी का पाठ सुनना शुरू किया। गुरुद्वारे तक जाने के लिए संगत वर्तमान में एक निःशुल्क बस सेवा प्रदान करती है। कई लोग इसका फायदा उठाते हैं। मुख्य सेवादार के अनुसार, गुरुद्वारा 120 युवाओं को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करता है और उनकी पुस्तकों, नोट्स और कपड़ों की व्यवस्था करता है।

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स्थानीय अनुयायियों का योगदान

कानपुर में बने इस गुरुद्वारे में श्रद्धालु गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाओं को याद करते हैं और उनके बलिदान को श्रद्धांजलि देते हैं। इन स्थानों पर नियमित कीर्तन, सत्संग और लंगर का आयोजन किया जाता है, जिससे शहर के विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारे और एकता की भावना बनी रहती है।

गुरु तेग बहादुर के बलिदान की महत्ता

आपको बता दें, गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म और मानव अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। मुगल शासक औरंगजेब के धार्मिक उत्पीड़न के खिलाफ खड़े होकर उन्होंने न केवल सिख समुदाय बल्कि पूरे मानव समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया। उनकी शहादत ने साबित कर दिया कि धर्म और सत्य की रक्षा के लिए किसी भी तरह के बलिदान से पीछे नहीं हटना चाहिए।

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Sahara Movie: 1200 करोड़ का घाटा! सहारा फिल्म ने डुबो दी थी निर्माताओं की नैया

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Sahara Movie Budget Flop Movie
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Sahara Movie Budget: फिल्म इंडस्ट्री के इतिहास में कई ऐसी फ़िल्में रही हैं जो अपने बड़े बजट और अच्छी कहानी के बावजूद निर्माताओं के लिए भारी घाटे वाली साबित हुई हैं। इस घाटे में इंडस्ट्री को कभी 100 करोड़ तो कभी 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी फिल्म के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें निर्माताओं को 1200 करोड़ रुपये का नुकसान (Sahara Movie 1200 crore loss) हुआ। यह फिल्म अपने असाधारण बजट, प्रोडक्शन डिजाइन और अभिनेताओं की लंबी लिस्ट के लिए जानी जाती थी, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर बहुत बड़ी असफलता साबित हुई। 19 साल पहले रिलीज हुई यह फिल्म दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करने में पूरी तरह से नाकाम रही। तो चलिए जानते हैं कौन सी है वो फिल्म।

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फिल्म सहाराका बजट- Sahara Movie Budget

यह कहना गलत नहीं होगा कि 2005 में रिलीज हुई फिल्म ‘सहारा’ ने निर्माताओं को पूरी तरह बर्बाद कर दिया था। ‘सहारा’ का नाम दुनिया की सबसे बड़ी फ्लॉप फिल्मों की लिस्ट में शामिल है। ‘सहारा’ का निर्माण एक बड़े पैमाने पर हुआ था, जिसमें अत्याधुनिक तकनीक, भव्य सेट और अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्पेशल इफेक्ट्स का उपयोग किया गया। वहीं, बड़ी स्टार कास्ट होने के बावजूद यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं दिखा पाई। इस फिल्म में लगाया गया सारा पैसा बर्बाद हो गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सहारा के फ्लॉप होने से फिल्म मेकर्स को 144,857,030 डॉलर (करीब 12,000 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ है (Sahara Movie 1200 crore loss)।

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रिलीज से पहले फिल्म ने बटोरी खूब सुर्खियां

यह 2005 की सबसे बहुप्रतीक्षित फिल्मों में से एक थी और रिलीज से पहले ही इसने खूब चर्चा बटोरी थी, जिसके कारण फिल्म की सफलता तय मानी जा रही थी। लेकिन फिल्म रिलीज होने के बाद सब कुछ उल्टा हो गया। निर्माता को यकीन था कि स्टार पावर और भव्यता के संयोजन से फिल्म एक ब्लॉकबस्टर साबित होगी। लेकिन जो निर्माता बॉक्स ऑफिस से कमाई की उम्मीद लगाए बैठे थे, उन्हें बड़ा झटका लगा। 1200 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान ने निर्माताओं के लिए भारी वित्तीय संकट पैदा कर दिया। इस नुकसान ने प्रोडक्शन हाउस को भारी वित्तीय घाटे में डाल दिया

दुनिया की चौथी सबसे बड़ी फ्लॉप फिल्म बनी सहारा

खबरों की मानें तो, सहारा को आईएमडीबी की फ्लॉप फिल्मों की सूची में चौथा स्थान मिला है। टाइम मैगजीन ने भी फिल्म की असफलता पर लेख प्रकाशित किए थे, जिसमें इसे रिकॉर्ड फ्लॉप बताया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सहारा 240 मिलियन डॉलर के बजट पर बनी थी और इसने सिर्फ 120 मिलियन डॉलर की कमाई की थी।

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क्या थी सहारा फिल्म की कहानी?

सहारा एक अमेरिकी एडवेंचर (American Adventure Sahara) फिल्म है, जिसका निर्देशन ब्रेक ईसनर (Director Breck Eisner) ने किया है। इसी नाम से एक उपन्यास 1992 में प्रकाशित हुआ था। मैथ्यू मैककोनाघी, स्टीव ज़हान और पेनेलोप क्रूज़ ने फिल्म ‘सहारा’ में मुख्य भूमिकाएँ निभाई थीं। यह फिल्म सहारा रेगिस्तान में खोए हुए लोहे के युद्धपोत को खोजने की कहानी पर आधारित है। उत्तरी अफ्रीका का सहारा रेगिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा रेगिस्तान है।

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Stock Market Crash: पिछले कई दिनों से स्टॉक मार्केट का हाल बुरा, जानें आज का दिन कैसा रहेगा? यहां पढ़ें

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Stock Market Crash share market
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Stock Market Crash: शेयर बाजार के लिए बीता दिन कुछ खास नहीं रहा। इस दिन शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली, जिससे बाजार में भूचाल आ गया। दिनभर के कारोबार के दौरान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1400 अंक तक गिर गया, वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 450 अंक से ज्यादा फिसला। हफ्ते के दूसरे दिन यानी मंगलवार की बात करें तो आज भी कमजोर वैश्विक संकेत दिख रहे हैं और गिफ्ट निफ्टी भी लाल निशान में नजर आ रहा है। लेकिन अब मार्केट थोड़ा बेहतर रहा। आइए आपको बताते हैं कि आज का दिन शेयर बाजार के लिए कैसा रहा।

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कल बाजार में आया था भूचाल- Stock Market Crash

शेयर बाजार में भारी गिरावट के बीच बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) सोमवार के कारोबारी सत्र में 941.88 अंकों की गिरावट के साथ 78,782.24 पर बंद हुआ। 79,713.14 पर कारोबार की शुरुआत इसने लाल निशान में की और दिन के अंत तक इसमें भारी गिरावट देखी गई। दूसरी ओर, NSE Nifty में 309 अंकों की उल्लेखनीय गिरावट आई और यह 23,995.35 पर बंद हुआ।

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निवेशकों को लगी थी बड़ी चपत  

शेयर बाजार में पिछले कारोबारी दिन की गिरावट में शेयर बाजार के निवेशकों (Stock Market Investors) ने खूब पैसा गंवाया। दरअसल, बाजार में गिरावट के कारण बीएसई मार्केट कैप में गिरावट आई। पिछले शुक्रवार की तुलना में बीएसई मार्केट कैपिटलाइजेशन 6.08 लाख करोड़ रुपये घटकर 442 लाख करोड़ रुपये रह गया। दूसरे शब्दों में कहें तो 6 घंटे के बाजार के दौरान निवेशकों का मूल्यांकन 6 लाख करोड़ रुपये घट गया।

गिरावट से ये बड़े कारण! 

शेयर बाजार में गिरावट की प्रमुख वजहों की बात करें तो अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव, एफआईआई की बिकवाली है। इसके अलावा 7 नवंबर को फेडरल रिजर्व (यूएस फेड) की बैठक होने वाली है, उसमें लिए जाने वाले फैसलों पर भी बाजार की नजर है। अन्य वजहों की बात करें तो ओपेक+ ने रविवार को घोषणा की कि कमजोर मांग और समूह से बाहर बढ़ती आपूर्ति के कारण वह दिसंबर में उत्पादन बढ़ाने की योजना को एक महीने के लिए टाल देगा।

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इसकी वजह से तेल की कीमत में उछाल देखा जा रहा है। इसकी वजह से रिलायंस समेत तेल क्षेत्र की बड़ी कंपनियों के शेयरों पर असर पड़ा है। इस हफ्ते वैश्विक बाजारों की चाल अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और फेड की बैठक से तय होगी।

Market Close- निफ्टी 24,200 से ऊपर, सेंसेक्स 650 अंक चढ़ा

मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, निफ्टी और सेंसेक्स आज बढ़त के साथ बंद हुए। मेटल और फाइनेंस शेयरों में तेजी देखी गई। भारतीय इक्विटी सूचकांकों ने पिछले सत्र की गिरावट की भरपाई की। 15 नवंबर को निफ्टी 24,200 पर मजबूती के साथ बंद हुआ। FMCG को छोड़कर, अन्य सभी सेक्टोरल इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए, जिसमें बैंक, मेटल, ऑटो और ऑयल एंड गैस में 1-2 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।

बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में 0.4 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई। निफ्टी पर बढ़त हासिल करने वालों में जेएसडब्ल्यू स्टील, टाटा स्टील, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज, बजाज ऑटो, एक्सिस बैंक शामिल हैं। जबकि नुकसान उठाने वालों में कोल इंडिया, ट्रेंट, अडानी पोर्ट्स, एशियन पेंट्स और आईटीसी शामिल हैं।

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Canada: खालिस्तानी अलगाववादियों ने हिंदुओं और मंदिरों पर किया हमला, घटना पर भड़के एस जयशंकर, तीन लोग गिरफ्तार

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Canada Brampton Hindu Temple Attack
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Canada Brampton Hindu Temple Attack: ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर में रविवार (3 नवंबर 2024) को खालिस्तानी चरमपंथियों ने जमकर उत्पात मचाया। मंदिर में हिंदुओं के साथ मारपीट की गई। मिली जानकारी के मुताबिक, खालिस्तानी चरमपंथियों ने हिंदू सभा मंदिर के सामने विरोध प्रदर्शन किया और देखते ही देखते यह हिंसक प्रदर्शन में बदल गया। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने जबरन परिसर में घुसकर मंदिर प्रशासन के सदस्यों और श्रद्धालुओं पर हमला किया। उन्होंने महिलाओं और बच्चों की भी बेरहमी से पिटाई की। विदेश मंत्री एस जयशंकर (Indian Foreign Minister S. Jaishankar) ने इस घटना पर कड़ी आपत्ति जताई।

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विदेश मंत्री ने ट्रूडो सरकार पर उठाए सवाल – Khalistani Extremists Attack Hindu Temple Brampton

ट्रूडो सरकार पर सवाल उठाते हुए भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि यह घटना एक तरह से कनाडा में चरमपंथियों को दी जा रही राजनीतिक शरण की ओर इशारा करता है। इस घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Indian Prime Minister Narendra Modi) ने भी इस पर चिंता जताई है। इतना ही नहीं खालिस्तानी अलगाववादियों ने मंदिर परिसर के पास मंदिर प्रशासन और भारतीय उच्चायोग द्वारा संयुक्त रूप से लगाए गए वीजा कैंप को भी निशाना बनाया। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Canada PM Justin Trudeau) ने इस घटना की निंदा की और कहा कि मंदिर में हिंसा अस्वीकार्य है।

पुलिस बल की बढ़ाई गई तैनाती

खबरों की मानें तो, खालिस्तानी झंडे लेकर आए अलगाववादियों ने वहां जमा श्रद्धालुओं पर हमला कर दिया। पुलिस कर्मियों को बीच-बचाव करते देखा गया। पील क्षेत्रीय पुलिस ने बताया कि उसे हिंदू सभा मंदिर के सामने विरोध प्रदर्शन की जानकारी थी। इसके तहत सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए मंदिर परिसर में पुलिस बल की मौजूदगी बढ़ा दी गई।

तीन व्यक्ति गिरफ्तार

पुलिस प्रमुख निशान दुरईप्पा ने कहा- हम शांतिपूर्ण विरोध का सम्मान करते हैं, लेकिन हिंसा और आपराधिक कृत्यों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमलावरों को गिरफ्तार किया जाएगा और सख्त कार्रवाई की जाएगी। घटना के बाद मंदिर परिसर के आसपास और अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। पील क्षेत्रीय पुलिस ने भी कहा कि श्रद्धालुओं पर हमलों के बाद हिंदुओं के गठबंधन द्वारा आयोजित प्रदर्शन के बाद तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

काउंसलर शिविर में भी हंगामा

पील क्षेत्रीय पुलिस ने बताया कि इसके बाद मिसिसॉगा शहर के भीतर दो अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन हुए। उधर, भारतीय उच्चायोग ने एक बयान में कहा- “तीन नवंबर को हमने हिंदू सभा मंदिर के सहयोग से टोरंटो के पास ब्रैम्पटन में मंदिर के पास एक कांसुलर कैंप का आयोजन किया।

वहां, शिविर को भारत विरोधी तत्वों ने निशाना बनाया (Canada Brampton Hindu Temple Attack)। 2 और 3 नवंबर को वैंकूवर और सरे में आयोजित काउंसलर शिविरों के दौरान, खालिस्तानी अलगाववादियों ने भी व्यवधान पैदा किया। नियमित काउंसलर कार्य में इस तरह का व्यवधान बेहद निराशाजनक है। हम भारतीय नागरिकों सहित वीजा आवेदकों की सुरक्षा को लेकर भी बहुत चिंतित हैं, जिनकी मांग पर ऐसे शिविर आयोजित किए जाते हैं।

हिंदू संगठनों ने भी जताया रोष

उच्चायोग के अनुसार, इन असुविधाओं के बावजूद कनाडा और भारत के आवेदकों को 1000 से अधिक प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। कनाडा के राष्ट्रीय हिंदू परिषद (सी.एन.सी.एच.), हिंदू महासंघ, हिंदू महासभा मंदिर प्रशासन और कई हिंदू संगठनों के अनुसार, कनाडा भर में हिंदू मंदिर और संस्थाएं अब राजनेताओं को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मंदिर की सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति नहीं देंगी, जब तक कि वे देश में बढ़ते खालिस्तानी उग्रवाद की गंभीर समस्या पर निर्णायक कार्रवाई नहीं करते।

सीएनसीएच ने कहा कि ट्रूडो के नेतृत्व वाली कनाडाई सरकार के कार्यकाल के दौरान हिंदुओं पर हमले खतरनाक दर से बढ़े हैं और यह देश में व्याप्त धार्मिक असहिष्णुता की चिंताजनक प्रवृत्ति को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा

“मैं कनाडा में एक मंदिर पर जानबूझकर किए गए हमले की कड़ी निंदा करता हूं। हमारे राजनयिकों को डराने-धमकाने की कायरतापूर्ण कोशिशें भी भयावह हैं। हिंसा के ऐसे कृत्य भारत के संकल्प को कभी कमजोर नहीं कर सकते। हम उम्मीद करते हैं कि कनाडा की सरकार न्याय सुनिश्चित करेगी और कानून का शासन कायम रखेगी।” – नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री।

जस्टिन ट्रूडो का बयान

“ब्रैम्पटन के हिंदू सभा मंदिर में हुई हिंसा अस्वीकार्य है। हर कनाडाई को अपने धर्म का स्वतंत्र तरीके से और सुरक्षित माहौल में पालन करने का अधिकार है। भारतीय समुदाय की सुरक्षा और इस घटना की जांच के लिए तुरंत कार्रवाई करने पर पील क्षेत्रीय पुलिस को धन्यवाद।” – जस्टिन ट्रूडो, प्रधानमंत्री कनाडा

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US Election 2024: कमला हैरिस vs डोनाल्ड ट्रंप…जानें शिक्षा से लेकर उपलब्धियों तक कौन है ज्यादा काबिल?

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Kamala Harris vs Donald Trump
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Kamala Harris vs Donald Trump: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के आगाज का बिगुल बज चुका है। अमेरिकी जनता आज यानी 5 नवंबर (मंगलवार) को अपने नए राष्ट्रपति के लिए वोट करेगी। माना जा रहा है कि डेमोक्रेटिक उपराष्ट्रपति कमला हैरिस (Democratic Vice President Kamala Harris) सभी ‘स्विंग’ राज्यों में बहुत ही कम अंतर से रिपब्लिकन पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Republican Donald Trump) से आगे चल रही हैं या लगभग बराबरी पर हैं। ताजा चुनाव सर्वेक्षणों में डेमोक्रेट कमला हैरिस ने सात स्विंग राज्यों में रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप को एक फीसदी वोटों से पीछे छोड़ दिया है। हैरिस को 49 फीसदी और ट्रंप को 48 फीसदी वोट मिले हैं। अगर हैरिस चुनाव जीत जाती हैं तो वह अमेरिकी इतिहास की पहली महिला राष्ट्रपति होंगी। डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस दोनों ही अमेरिकी राजनीति में प्रमुख हस्तियां हैं और इस बार का चुनाव अमेरिकी इतिहास का सबसे करीबी चुनाव माना जा रहा है। आइए जानते हैं डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस में कौन ज्यादा काबिल है।

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डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस शिक्षा: Donald Trump vs Kamala Harris Education

डोनाल्ड ट्रंप: ट्रंप ने व्हार्टन स्कूल, पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डिग्री प्राप्त की है।

– कमला हैरिस: उन्होंने 1986 में हावर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की, उसके बाद कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के हेस्टिंग्स कॉलेज ऑफ़ लॉ से कानून की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने 1989 में ज्यूरिस डॉक्टर (JD) की डिग्री प्राप्त की और 1990 में कैलिफोर्निया बार एसोसिएशन में शामिल हो गईं।

डोनाल्ड ट्रंप कार्य अनुभव और उपलब्धियां- Republican Donald Trump achievements

डोनाल्ड ट्रम्प का जन्म 14 जून 1946 को न्यूयॉर्क शहर में हुआ था। उनके पिता फ्रेड ट्रम्प एक सफल रियल एस्टेट डेवलपर थे। ट्रम्प ने अपने पिता के रियल एस्टेट व्यवसाय से अपना करियर शुरू किया। उन्होंने ट्रम्प टॉवर, ट्रम्प प्लाजा और ट्रम्प ताज महल जैसी कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का नेतृत्व किया। उन्होंने अपने व्यवसाय का विस्तार होटल, कैसीनो और गोल्फ कोर्स तक किया।

Kamala Harris vs Donald Trump
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2017 से 2021 तक संयुक्त राज्य अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कर सुधार, आव्रजन नीतियों में बदलाव और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों पर ध्यान केंद्रित किया।

कमला हैरिस का निजी जीवन

कमला हैरिस का जन्म कैलिफोर्निया में हुआ था। उनकी मां श्यामला गोपालन भारतीय हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब वह दस साल से भी कम उम्र की थीं, तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया था, जिसके बाद वह अपनी मां के साथ रहती थीं। 1976 में, कमला हैरिस की मां श्यामला हैरिस को कनाडा में मैकगिल यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में शोधकर्ता के रूप में नियुक्त किया गया था। उसके बाद पूरा परिवार मॉन्ट्रियल चला गया। जब वह कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल थीं, तब कमल ने पर्यावरण संरक्षण और आपराधिक न्याय सुधार पर काम किया।

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कमला हैरिस कार्य अनुभव और उपलब्धियां

2017 में, वह अमेरिकी सीनेट की सदस्य बनीं, जहां उन्होंने स्वास्थ्य सेवा, आव्रजन और न्यायिक सुधार पर ध्यान केंद्रित किया। 2021 में, वह अमेरिका की पहली महिला, पहली अश्वेत और पहली दक्षिण एशियाई उपराष्ट्रपति बनीं। वह पिछले चार सालों से राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ काम कर रही हैं। लेकिन आने वाले चुनावों में कमला हैरिस राष्ट्रपति पद की प्रबल दावेदार हैं। हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया है।

डोनाल्ड ट्रंप फैन फॉलोइंग

डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump fan following) के समर्थक मुख्य रूप से रूढ़िवादी हैं, जो उनकी नीतियों का समर्थन करते हैं। उनकी रैलियों में बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं, और सोशल मीडिया पर उनकी मजबूत उपस्थिति है। इंस्टाग्राम पर डोनाल्ड ट्रंप के 27 मिलियन फॉलोअर्स हैं।

कमला हैरिस फैन फॉलोइंग

कमला हैरिस प्रगतिशील और उदारवादी मतदाताओं के बीच लोकप्रिय हैं (Kamala Harris fan following), विशेषकर महिलाओं, अल्पसंख्यकों और युवा मतदाताओं में। उनकी विविध पृष्ठभूमि और समावेशी नीतियों के कारण उन्हें व्यापक समर्थन प्राप्त है। इंस्टाग्राम पर कमला के 19 मिलियन फॉलोअर्स हैं।

डोनाल्ड ट्रंप का मज़बूत पक्ष क्या है?

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक कोई भी भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि डोनाल्ड ट्रम्प कब क्या कर देंगे। यही वह चीज है जिसे ट्रम्प अपनी ताकत मानते हैं। उनका दावा है कि राष्ट्रपति के रूप में मेरे कार्यकाल के दौरान, दुनिया भर में कोई महत्वपूर्ण युद्ध नहीं हुआ। कई कारणों से, कई अमेरिकी परेशान हैं। इज़राइल और यूक्रेन को अरबों डॉलर की सहायता भेजना इसका कारण है। कई अमेरिकियों का मानना ​​है कि बाइडन के प्रशासन ने देश को कमजोर बना दिया है। अधिकांश मतदाता, विशेष रूप से पुरुष, मानते हैं कि ट्रम्प कमला हैरिस की तुलना में अधिक सक्षम नेता हैं।

महिला वोटरों के बीच कमला हैरिस को बढ़त

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि गर्भपात एक संवैधानिक अधिकार है और रो बनाम वेड के फैसले को पलट दिया, इसलिए यह पहला अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव है। हैरिस को उन मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है जो गर्भपात के मुद्दे की परवाह करते हैं। 2022 के मध्यावधि चुनाव दर्शाते हैं कि यह समस्या चुनाव के नतीजों को कैसे प्रभावित कर सकती है। हैरिस के पहली महिला राष्ट्रपति बनने की संभावना संभावित रूप से उन्हें महिला मतदाताओं के बीच लाभ दे सकती है।

कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रम्प में कौन बेहतर

कमला हैरिस के पास शिक्षा और कानूनी अनुभव के मामले में मजबूत पृष्ठभूमि है, जबकि डोनाल्ड ट्रम्प का व्यावसायिक अनुभव और पूर्व राष्ट्रपति पद उन्हें अद्वितीय बनाता है। सार्वजनिक समर्थन के मामले में, दोनों के पास अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत प्रशंसक आधार हैं। इसलिए, ‘क्षमता’ का मूल्यांकन व्यक्तिगत दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं पर निर्भर करेगा। अब देखना यह है कि अमेरिका की जनता किसका समर्थन करेगी।

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Dev Uthani Ekadashi 2024 Date: कब है देवउठनी एकादशी? जानें देवउठनी एकादशी के विधि विधान और महत्व

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Dev Uthani Ekadashi 2024 – दिवाली के 11 दिन बाद मनाये जाने वाला त्यौहार देवउठनी एकादशी, जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है. यह त्यौहार कार्तिक मास की एकादशी को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर में आता है. इस दिन को भगवान विष्णु के जागने के दिन के रूप में माना जाता है. वही हिन्दू मन्यता के अनुसार  कहा जाता है कि इस दिन से विवाह के शुभ मुहूर्त शुरू हो जातें हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं इस साल देवउठनी एकादशी कब है, अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में बताते हैं.

कब है देवउठनी एकादशी?

देवउठनी एकादशी का त्यौहार भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक उत्सव है, जिसमें भजन-कीर्तन, कथा सुनना, और सामूहिक पूजा का आयोजन किया जाता है. वही इस साल Dev Uthani Ekadashi 2024 12 नवंबर (मंगलवार) कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष एकादशी को मनाई जाएगी. शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 11 नवंबर को शाम 6 बजकर 46 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 12 नवंबर को दोपहर बाद 4 बजकर 4 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर इस साल देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर, 2024 को रखा जाएगा. इसे मनाने से मानसिक शांति और भक्ति का अनुभव होता है.

देवउठनी एकादशी मनाने की विधि

स्नान और शुद्धता: सुबह जल्दी उठकर स्नान करना और साफ कपड़े पहनना आवश्यक माना जाता है.

उपवास (व्रत): इस दिन भक्त उपवास रखते हैं. कुछ लोग केवल फल-फूल खाते हैं, जबकि कुछ पूर्ण उपवास रखते हैं.

भगवान की पूजा: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. फिर भगवान विष्णु की पूजा करें. उनके चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और फूल चढ़ाएं.

मंत्र का जप: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” जैसे मंत्रों का जप करें. इससे भक्ति का अहसास होता है.

दान-पुण्य: इस दिन दान करने का विशेष महत्व है. गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दान करना शुभ माना जाता है.

हरि के भजन: इस दिन भजन-कीर्तन का आयोजन करें. भक्तिपूर्ण गीतों का गायन करें और धार्मिक कहानियाँ सुनें.

आरती: पूजा के अंत में भगवान की आरती करें और प्रसाद बांटें.

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एकादशी का धार्मिक महत्व

भगवान विष्णु का जागरण: देवउठनी एकादशी का दिन उस समय को दर्शाता है जब भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के बाद जागते हैं. यह समय कार्तिक मास में आता है, जब अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन भी होते हैं. इस दिन के महत्व को समझते हुए, भक्त इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं, जिससे उनका आध्यात्मिक विकास होता है. इसके अलवा यह त्यौहार समाज में एकता और भक्ति का प्रतीक है. इसे मनाने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है.

श्राद्ध का समापन: इस दिन को पितृ पक्ष के समापन के रूप में भी माना जाता है. भक्त इस दिन अपने पूर्वजों के लिए पूजा-अर्चना करते हैं और उनका श्राद्ध करते हैं.

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