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Sant Kabir Nagar News: संतकबीरनगर में पति का हैरान करने वाला कदम, पत्नी की शादी प्रेम...

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Sant Kabir Nagar News: उत्तर प्रदेश के संतकबीरनगर जिले में एक पति ने अपनी पत्नी की शादी उसके प्रेमी से कराकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। यह मामला तेजी से चर्चा का विषय बन गया है, जब बबलू नामक व्यक्ति ने अपने गांव में ही अपनी पत्नी राधिका की शादी उसके प्रेमी विशाल से करवा दी। यह घटना न केवल इस गांव, बल्कि पूरे क्षेत्र में सुर्खियां बन गई है। इस कदम के पीछे का कारण बबलू ने खुद एक इंटरव्यू में बताया, जो कि मेरठ के सौरभ हत्याकांड से प्रेरित था।

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सौरभ हत्याकांड का असर- Sant Kabir Nagar News

गुरुवार को बबलू ने खुलासा किया कि वह सौरभ हत्याकांड से बेहद डरा हुआ था। उसे अपनी जान का डर सता रहा था, क्योंकि उसने भी अपनी पत्नी को कई बार प्रेमी से मिलने से मना किया था। लेकिन राधिका ने उसकी बातों को नजरअंदाज करते हुए अपने प्रेमी से मिलने का सिलसिला जारी रखा। बबलू ने बताया कि उसे लगने लगा था कि उसे भी सौरभ की तरह किसी हादसे का शिकार हो सकता है। सौरभ हत्याकांड में पत्नी मुस्कान ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति की हत्या की थी और उसके शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे। यही डर बबलू को खा रहा था, और उसने अपने जीवन को खतरे में देख अपनी पत्नी की शादी उसके प्रेमी से कराने का फैसला किया।

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शादी की कहानी: बबलू का साहसिक कदम

बबलू की शादी 2017 में राधिका से हुई थी और इस शादी से उन्हें दो बच्चे भी हुए। लेकिन कुछ समय बाद बबलू के काम के सिलसिले में शहर के बाहर रहने के कारण राधिका का अपने गांव के विशाल से प्रेम संबंध बन गया। पिछले डेढ़ साल में दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ गईं और लोग उन्हें अक्सर साथ में देख रहे थे। जब बबलू को इसके बारे में पता चला, तो उसने राधिका से संबंध तोड़ने को कहा, लेकिन राधिका ने उसकी बातों की अनदेखी की और अपने प्रेमी के साथ मिलती रही।

बबलू का फैसला

बबलू का डर अब बर्दाश्त से बाहर हो गया था, और उसने सोचा कि किसी दुर्घटना से बचने के लिए वह अपनी पत्नी की शादी उसके प्रेमी से करवा दे। बबलू राधिका और विशाल को लेकर घनघटा तहसील पहुंचे और यहां उन्होंने एक समझौता पत्र तैयार किया। इसके बाद, दोनों का विवाह शिव मंदिर में ग्रामीणों की उपस्थिति में कराया गया। बबलू ने कहा कि उसने यह कदम इसलिए उठाया ताकि उसे और उसके बच्चों को कोई नुकसान न हो।

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सामाजिक प्रतिक्रिया और वैधता

यह कदम अपने आप में अनोखा और हैरान करने वाला था। बबलू ने खुद को यह जिम्मेदारी दी कि वह अपने दोनों बच्चों का पालन-पोषण करेगा और उन्हें अपने पास रखेगा। जब इस शादी की वैधता के बारे में पूछा गया, तो बबलू ने कहा कि यह शादी पूरी तरह वैध है क्योंकि यह ग्रामीणों की उपस्थिति में हुई है और किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया। इसके साथ ही, बबलू ने कहा कि वह चाहता था कि राधिका और विशाल को अपनी जीवनशैली में शांति मिले और दोनों मिलकर अपना जीवन जी सकें।

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Meerut Murder Case: साहिल और मुस्कान को मिला सरकारी वकील, जेल में पूरी हुई एक और मांग

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Meerut Murder Case: मेरठ में चर्चित सौरभ हत्याकांड में जेल में बंद आरोपियों साहिल और मुस्कान की एक और मांग पूरी हो गई है। जेल प्रशासन के माध्यम से दोनों ने अदालत से सरकारी वकील की मांग की थी, जिसे अब अदालत ने मान लिया है। अपर जिला न्यायाधीश और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने रेखा जैन को साहिल और मुस्कान की पैरवी करने के लिए नियुक्त किया है। यह कदम कानूनी प्रक्रिया के तहत उठाया गया है, क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया के दौरान आरोपियों को कानूनी सहायता प्रदान करना अनिवार्य है। अब रेखा जैन अदालत में दोनों की ओर से दलीलें पेश करेंगी।

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साहिल और मुस्कान की जेल में खास मांगें- Meerut Murder Case

साहिल और मुस्कान ने जेल प्रशासन से कुछ और व्यक्तिगत मांगें भी की थीं। इनमें से एक साहिल की बाल छोटे करने की मांग थी, जिसे जेल प्रशासन ने स्वीकार कर लिया था। जेल अधीक्षक डॉ. वीरेश राज शर्मा के मुताबिक, साहिल ने स्वयं इच्छा जताई थी कि उसके बाल छोटे किए जाएं। जेल प्रशासन ने यह निर्णय लिया और साहिल के बाल कटवाए, लेकिन वह पूरी तरह से गंजा नहीं हुआ। इस कार्रवाई को जेल के अनुशासन के तहत किया गया, जिसमें सभी बंदियों की व्यक्तिगत मांगों को नियमानुसार पूरा किया जाता है। हालांकि, अभी उन्हें जेल में किसी प्रकार का कार्य नहीं सौंपा गया है। वरिष्ठ जेल अधीक्षक के अनुसार, उन्हें 10 दिन पूरे होने के बाद ही किसी कार्य में शामिल किया जाएगा।

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नशे में मस्ती

सौरभ की हत्या के बाद मुस्कान और साहिल ने हिमाचल प्रदेश का रुख किया था, जहां दोनों नशे में धुत्त होकर मस्ती करते हुए कई दिनों तक छुट्टियां मनाते रहे। इस दौरान सोशल मीडिया पर उनकी कई तस्वीरें और वीडियोज सामने आईं, जो यह साबित करती हैं कि दोनों को सौरभ के कत्ल का कोई पछतावा नहीं था। इन तस्वीरों में मुस्कान और साहिल नशे की हालत में खुश और मस्त नजर आ रहे थे, जिससे यह साफ होता है कि उनकी मानसिकता में कत्ल का कोई अफसोस नहीं था।

पुलिस जांच और फॉरेंसिक जांच

सौरभ की हत्या के मामले में पुलिस की जांच लगातार जारी है। पुलिस ने मंगलवार को सौरभ के उस किराये के मकान की फिर से जांच की, जहां सौरभ की हत्या की गई थी। पुलिस ने हत्या के स्थल यानी ‘सीन ऑफ क्राइम’ को पहले ही सील कर दिया था और अब फॉरेंसिक जांच के लिए कमरे की दरो-दीवार और सामानों से नमूने इकट्ठा किए हैं। इस जांच का उद्देश्य यह जानना है कि हत्या के समय क्या कुछ खास घटनाएं घटी थीं और क्या कोई और जानकारी मिल सकती है, जो इस मामले को सुलझाने में मददगार हो।

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जेल में साहिल और मुस्कान के खिलाफ कार्रवाई

साहिल और मुस्कान को लेकर समाज में कई सवाल उठ रहे हैं। हत्या के बाद उनकी तस्वीरों और व्यवहार को लेकर लगातार चर्चा हो रही है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या इन दोनों को सही तरीके से न्याय मिलेगा। पुलिस और जेल प्रशासन अब इस मामले की गहराई से जांच कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अपराधियों को पूरी तरह से सजा मिले। पुलिस का कहना है कि वे इस हत्याकांड में और भी महत्वपूर्ण सुरागों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं और जल्द ही इस मामले में नई जानकारी सामने आ सकती है।

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Trump Iftar Party: ट्रंप की इफ्तार पार्टी में मुस्लिम सांसदों को क्यों नजरअंदाज किया ...

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Trump Iftar Party: रमजान के पवित्र महीने के दौरान, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में अपनी पहली इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। हालांकि, यह इफ्तार पार्टी विवादों में घिर गई है, खासकर अमेरिकी मुस्लिम समुदाय और सांसदों के बीच असंतोष को लेकर। व्हाइट हाउस में इफ्तार पार्टी की दो दशक पुरानी परंपरा को बनाए रखते हुए, राष्ट्रपति ट्रंप ने मुस्लिमों के पवित्र महीने रमजान का उत्सव मनाया। इस दौरान, ट्रंप ने कहा, “मैं आप सभी का व्हाइट हाउस के इफ्तार डिनर में स्वागत करता हूं। हम इस्लाम के पवित्र महीने रमजान का जश्न मना रहे हैं। यह बहुत बेहतरीन महीना है। दुनियाभर के मुस्लिमों को रमजान मुबारक।”

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न्यूयॉर्क से वाशिंगटन तक विरोध- Trump Iftar Party

ट्रंप के इस इफ्तार डिनर ने अमेरिकी मुस्लिम सांसदों और समुदाय से जुड़े नेताओं को नाराज कर दिया। दरअसल, इस बार व्हाइट हाउस में आयोजित इफ्तार पार्टी में अमेरिकी मुस्लिम सांसदों को निमंत्रण नहीं भेजा गया था। इसके बजाय, मुस्लिम देशों के विदेशी राजदूतों को इस पार्टी में शामिल होने का निमंत्रण दिया गया था। इसका विरोध करते हुए कई मुस्लिम सिविल राइट्स ग्रुप ने व्हाइट हाउस के बाहर प्रदर्शन किया। इस विरोध का नाम “Not Trump’s Iftar” रखा गया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह ट्रंप का पाखंड है, क्योंकि वह एक ओर देश में मुस्लिमों के प्रवेश पर बैन लगा रहे हैं, तो दूसरी ओर मुस्लिम देशों के राजनयिकों को इफ्तार डिनर में आमंत्रित कर रहे हैं।

ट्रंप का बयान

ट्रंप ने अपने इफ्तार डिनर के दौरान कहा कि रमजान एक ऐसा महीना है जब मुस्लिम पूरी दुनिया में रोजा रखते हैं, खुदा की इबादत करते हैं और रात को परिवारों के साथ मिलकर इफ्तार करते हैं। उन्होंने कहा, “हम सभी पूरी दुनिया में शांति चाहते हैं।” ट्रंप ने मुस्लिम अमेरिकी समुदाय का आभार भी जताया और 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उनकी भूमिका की सराहना की।

व्हाइट हाउस में इफ्तार पार्टी की परंपरा

व्हाइट हाउस में इफ्तार पार्टी की परंपरा 1996 में तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल के दौरान शुरू हुई थी। इस परंपरा को बाद में जॉर्ज बुश और बराक ओबामा ने भी जारी रखा। इन पार्टीयों में अमेरिकी मुस्लिम समुदाय के प्रतिष्ठित सदस्य, मुस्लिम देशों के राजनयिक, और सीनेटर भी भाग लेते रहे हैं। हालांकि, इस बार ट्रंप ने इस परंपरा को जारी रखा, लेकिन मुस्लिम सांसदों को इस पार्टी का हिस्सा बनने का मौका नहीं दिया, जिससे विवाद और बढ़ गया।

पहली इफ्तार पार्टी के बाद का विवाद

यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने इफ्तार पार्टी के आयोजन को लेकर आलोचना का सामना किया है। 2017 में, ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान व्हाइट हाउस में इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया था। इस फैसले को लेकर भी विवाद हुआ था, और मुस्लिम समुदाय ने इसे नकारात्मक रूप से लिया था। इसके बावजूद, ट्रंप ने इस साल पार्टी का आयोजन किया, लेकिन मुस्लिम नेताओं की अनदेखी से मामला और जटिल हो गया।

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Udaipur News: उदयपुर में पुलिस ने कस्टमर बन कर सेक्स रैकेट का किया पर्दाफाश, 11 युवति...

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Udaipur News: राजस्थान के उदयपुर में पुलिस ने एक बड़े सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिससे एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि अपराधी कैसे समाज के सूरत-ए-हाल से खिलवाड़ करते हैं। यह कार्रवाई गोवर्धन विलास थाना पुलिस ने की, जब उन्हें सूचना मिली कि एक विला में अवैध गतिविधियां चल रही हैं। पुलिस ने इस मामले की जांच करने के लिए एक रणनीति बनाई और विला पर छापा मारकर 11 युवतियों और एक दलाल को गिरफ्तार किया

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इस रैकेट का मास्टरमाइंड ओम प्रकाश जैन नामक दलाल था, जो मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और आगरा जैसे शहरों से युवतियों को बुलाकर देह व्यापार में लिप्त कर रहा था। पुलिस को सूचना मिली थी कि यह रैकेट एक वैसा धंधा चला रहा था, जिसकी गंभीरता का अंदाजा लगाना मुश्किल था। इस जानकारी के बाद पुलिस ने खुद ग्राहक बनकर जांच शुरू की, और फिर इस अपराध के सारे पहलुओं का खुलासा हुआ।

दलाल की चालाकी का भंडाफोड़- Udaipur News

पुलिस ने पहले से योजना बनाकर विला में घुसने की तैयारी की। एक पुलिसकर्मी को डमी ग्राहक बना कर विला भेजा गया, जहां उसकी मुलाकात ओम प्रकाश जैन से हुई। जैन ने उसे युवतियों को दिखाया और उसे एक लड़की पसंद करने के लिए कहा। जब ग्राहक (जो असल में पुलिसकर्मी था) ने एक लड़की को पसंद किया, तब उनके बीच पैसे की बात हुई। इसके बाद, दोनों के बीच एक कमरा तय किया गया, और पुलिसकर्मी ने मौके का फायदा उठाते हुए अपनी टीम को इशारा किया। इस पर डिप्टी सूर्यवीर सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम विला पर पहुंची और छापा मारा।

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पुलिस ने किया रैकेट का भंडाफोड़

विला के अलग-अलग कमरों में युवतियां पाई गईं, जो इस अपराध में शामिल थीं। पुलिस ने कई आपत्तिजनक चीजें भी बरामद कीं। पूछताछ में युवतियों ने बताया कि उन्हें ओम प्रकाश जैन ने बुलाया था और वह उन्हें देह व्यापार के लिए मजबूर कर रहा था। इसके बाद पुलिस ने 11 युवतियों और दलाल ओम प्रकाश जैन को गिरफ्तार किया। यह जाँच अब भी जारी है, ताकि इस रैकेट से जुड़ी अन्य कड़ी को पकड़ा जा सके।

पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच

पुलिस डिप्टी सूर्यवीर सिंह ने बताया कि दलाल ओम प्रकाश जैन के खिलाफ पहले भी दो मामलों में अवैध देह व्यापार करने के आरोप दर्ज हैं। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि यह व्यक्ति पहले भी इस तरह के अपराधों में लिप्त रहा है। पुलिस अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि यह विला किसका है और क्या विला मालिक भी इस रैकेट में शामिल था।

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पुलिस का कहना है कि वे इस तरह के अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रखेंगी। उनके अनुसार, इस रैकेट के पीछे और भी लोग हो सकते हैं, जिनकी पहचान जल्द ही कर ली जाएगी। पुलिस का यह भी कहना है कि वे समाज में ऐसे अपराधों को रोकने के लिए पूरी कोशिश करेंगे ताकि ऐसे रैकेटों का खात्मा किया जा सके।

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Muslim Reservation in Karnataka: योगी आदित्यनाथ ने डीके शिवकुमार और कांग्रेस पर जमकर ...

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Muslim Reservation in Karnataka: कर्नाटक में सरकारी ठेकों में 4% मुस्लिम आरक्षण को लेकर विवाद कम होता नजर नहीं आ रहा है। यह मुद्दा अब संसद तक भी पहुंच गया है। इसी बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कर्नाटक में धर्म-आधारित आरक्षण को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार की आलोचना की। योगी आदित्यनाथ ने इसे बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की विरासत और संविधान का अपमान बताया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार का धर्म के आधार पर आरक्षण देना संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है, और यह अंबेडकर द्वारा स्थापित संविधान का उल्लंघन है।

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धर्म-आधारित आरक्षण पर योगी आदित्यनाथ की टिप्पणीMuslim Reservation in Karnataka

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एएनआई से विशेष साक्षात्कार में कहा, “संविधान के निर्माण के दौरान, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने धर्म-आधारित आरक्षण को खारिज किया था। कर्नाटक में इस तरह का आरक्षण लागू करना, उनके द्वारा बनाए गए संविधान का सीधा अपमान है।” उन्होंने आगे कहा कि संविधान सभा में जब इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी, तो बाबासाहेब ने स्पष्ट रूप से धर्म-आधारित आरक्षण का विरोध किया था।

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आदित्यनाथ ने अंबेडकर की विचारधारा पर विस्तार से बात करते हुए कहा, “बाबासाहेब ने कहा था कि आरक्षण उन लोगों को दिया जाना चाहिए, जो समाज में वंचित और अस्पृश्यता से पीड़ित रहे हैं। इसी वजह से संविधान में उनके लिए विशेष प्रावधान किए गए थे।” उन्होंने यह भी कहा कि संविधान सभा के सभी सदस्य धर्म-आधारित आरक्षण के खिलाफ थे, क्योंकि भारत 1947 में धार्मिक आधार पर विभाजित हुआ था और इस वजह से इस तरह की नीति को अस्वीकार किया गया था।

कांग्रेस पर आरोप और अंबेडकर की विचारधारा को कमजोर करने का आरोप

योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा, “कांग्रेस ने हमेशा बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की विचारधारा को कमजोर किया है। 1952 से कांग्रेस ने अंबेडकर के संविधान में लगातार हस्तक्षेप किया है, जो उनके विचारों के खिलाफ है।” उन्होंने कांग्रेस की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी ने ‘तीन तलाक’ प्रथा को समर्थन दिया था, जबकि मोदी सरकार ने इसे समाप्त कर महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण पेश किया है।

डीके शिवकुमार पर हमला

डीके शिवकुमार की टिप्पणियों पर निशाना साधते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा, “कांग्रेस ने जो कुछ भी किया है, डीके शिवकुमार वही दोहरा रहे हैं। कांग्रेस को यह बताना चाहिए कि जब उसने बाबासाहेब का अपमान किया, संविधान में बदलाव किए और 1976 में क्या किया।” आदित्यनाथ ने शिवकुमार को स्पष्ट रूप से घेरते हुए कहा कि कांग्रेस ने कभी संविधान और अंबेडकर के विचारों का सम्मान नहीं किया, और अब शिवकुमार उन्हीं गलत नीतियों को दोहरा रहे हैं।

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डीके शिवकुमार की प्रतिक्रिया

डीके शिवकुमार ने योगी आदित्यनाथ के आरोपों का जोरदार तरीके से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा उन्हें गलत तरीके से उद्धृत किया गया है और फर्जी खबरें फैलाने का आरोप लगाया। शिवकुमार ने कहा, “मैं इस मामले में विशेषाधिकार हनन का मामला दर्ज करूंगा। मैं मुकदमा लड़ूंगा। वे मुझे जानबूझकर गलत तरीके से उद्धृत कर रहे हैं।” उन्होंने भाजपा पर जानबूझकर गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी टिप्पणियों का गलत अर्थ निकाला जा रहा है।

कर्नाटक सरकार द्वारा किए गए संशोधन पर विवाद

इस बीच, कर्नाटक सरकार द्वारा कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी देने के बाद भाजपा और जेडीएस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इस संशोधन का उद्देश्य अल्पसंख्यक ठेकेदारों को निविदाओं में चार प्रतिशत आरक्षण प्रदान करना है, जिसे विपक्ष ने विवादास्पद करार दिया है। भाजपा और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि इस तरह के आरक्षण से राज्य की सामाजिक और आर्थिक संरचना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

क्या है कर्नाटक सरकार का आरक्षण विधेयक?

कर्नाटक सरकार ने हाल ही में राज्य में आरक्षण के संबंध में एक नया विधेयक पारित किया है, जिसके तहत मुस्लिम समाज को 4% आरक्षण दिया गया है। इस विधेयक को लेकर भाजपा ने पहले ही विरोध दर्ज किया है और विधानसभा में हंगामा भी हुआ था। कर्नाटक सरकार ने इसे पिछड़े वर्गों में बेरोजगारी कम करने और सार्वजनिक कार्यों में उनकी भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से उचित ठहराया है।

कर्नाटक में वर्तमान में एससी-एसटी समाज के ठेकेदारों के लिए 24% आरक्षण, ओबीसी वर्ग-1 के लिए 4% और ओबीसी वर्ग-2A के लिए 15% आरक्षण की व्यवस्था है। ऐसे में अगर कर्नाटक सरकार मुस्लिम समाज को 4% आरक्षण देने का निर्णय लागू करती है, तो सरकारी ठेके में कुल आरक्षण 47% हो जाएगा। भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने इसे विवादास्पद और असंवैधानिक करार दिया है।

संविधान और आरक्षण की व्यवस्था

भारत के संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। संविधान समानता की बात करता है और केवल समाज के वंचित वर्गों को आरक्षण देने का प्रावधान करता है। वर्तमान में मुस्लिमों को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण मिलता है, और देश के विभिन्न राज्यों में मुस्लिम समुदाय के लिए विभिन्न आरक्षण की व्यवस्था है। कर्नाटक में 4% आरक्षण मुस्लिमों को ओबीसी वर्ग में दिया जाता है, जबकि केरल, तमिलनाडु, और बिहार जैसे राज्यों में भी मुस्लिम समुदाय को आरक्षण मिलता है।

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First Pan India film: पहली पैन इंडिया फिल्म कब और किस भाषा में बनी थी? जानें कैसे इसन...

First Pan India film: साउथ सिनेमा ने पिछले एक दशक में पैन इंडिया फिल्मों के क्षेत्र में जो सफलता हासिल की है, वह किसी से छिपी नहीं है। हाल ही में मोहनलाल की फिल्म L2: Empuraan ने एक नई उपलब्धि हासिल की है, जिससे यह मलयालम फिल्म 50 करोड़ रुपये से अधिक की ओपनिंग के साथ भारत की सबसे बड़ी पैन इंडिया फिल्म बन गई है। यह खबर खुद मोहनलाल के आधिकारिक इंस्टाग्राम हैंडल से साझा की गई है, और इसने सिनेमा प्रेमियों के बीच हलचल मचा दी है।

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अगर हम पिछले कुछ सालों का आंकड़ा देखें, तो पुष्पा 2 जैसी फिल्मों ने पैन इंडिया में अपनी जोरदार पकड़ बनाई है। 164.25 करोड़ रुपये की पहले दिन की कमाई के साथ यह फिल्म एक और मील का पत्थर साबित हुई। इससे पहले बाहुबली 2, केजीएफ, आरआरआर और पुष्पा जैसी फिल्मों ने भी पैन इंडिया बॉक्स ऑफिस पर बड़े रिकॉर्ड तोड़े हैं, और इन फिल्मों ने यह साबित किया है कि साउथ फिल्म इंडस्ट्री अब भारत के फिल्म बाजार में अपनी एक मजबूत जगह बना चुकी है।

First Pan India film L2: Empuraan
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साउथ फिल्मों का पैन इंडिया क्रेज: बॉलीवुड को पीछे छोड़ते हुए- First Pan India film

पिछले एक दशक में साउथ फिल्म इंडस्ट्री ने पैन इंडिया फिल्में बनाने का चलन शुरू किया और इसके साथ ही बॉलीवुड को भी इस क्षेत्र में पिछे छोड़ दिया। जहां एक ओर साउथ की फिल्में हिंदी पट्टी में खूब देखी जाती हैं, वहीं बॉलीवुड की फिल्में साउथ में उतनी सफलता हासिल नहीं कर पातीं। L2: Empuraan जैसे हालिया उदाहरण इसे स्पष्ट रूप से साबित करते हैं।

पैन इंडिया फिल्म का इतिहास: चंद्रलेखा की शुरुआत से लेकर आज तक

यह देखना दिलचस्प है कि पैन इंडिया फिल्म बनाने का चलन सबसे पहले साउथ में ही शुरू हुआ था। चंद्रलेखा (1948) भारत की पहली पैन इंडिया फिल्म मानी जाती है। यह फिल्म तमिल में बनाई गई थी और इसे विभिन्न भाषाओं में डब करके पूरे देश में रिलीज किया गया।

First Pan India film L2: Empuraan
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साल 1948 की यह कहानी भारतीय सिनेमा के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई। चंद्रलेखा, जो एक पीरियड ड्रामा थी, ने न सिर्फ दर्शकों का दिल जीता बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी जबर्दस्त सफलता प्राप्त की। फिल्म की कमाई ने उस समय के रिकॉर्ड तोड़े, और यह एक तरह से उस समय की बाहुबली या पुष्पा जैसी बड़ी फिल्मों के समकक्ष थी। इसे तमिल और हिंदी में रिलीज किया गया और बाद में अन्य भाषाओं में भी डब किया गया।

चंद्रलेखा बनाने की कहानी: ताराचंद बड़जात्या का योगदान

चंद्रलेखा की फिल्म निर्माता जेमिनी पिक्चर्स के एसएस वासन थे, जिन्होंने इसे पहले तमिल में बनाने की योजना बनाई थी। लेकिन जब ताराचंद बड़जात्या, जो राजश्री प्रोडक्शन हाउस के फाउंडर थे, उनसे मिले, तो उन्होंने इस फिल्म को हिंदी में बनाने का सुझाव दिया। बड़जात्या ने इसके डब वर्जन और लिप सिंक के लिए कई भागों में शूटिंग भी की थी। इस कदम ने फिल्म को न सिर्फ तमिल बल्कि हिंदी बोलने वाले दर्शकों तक भी पहुंचाया।

बाद में बड़जात्या को फिल्म के पैन इंडिया डिस्ट्रीब्यूशन राइट्स मिल गए, और इस तरह चंद्रलेखा भारत की पहली पैन इंडिया फिल्म बन गई।

चंद्रलेखा की सफलता: एक ऐतिहासिक मील का पत्थर

चंद्रलेखा ने उस समय की कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़े। 30 लाख रुपये के बजट में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 1.55 करोड़ रुपये की कमाई की, जो उस वक्त के लिए एक बहुत बड़ी रकम थी। यह फिल्म सिनेमा की दुनिया में एक ऐतिहासिक उपलब्धि साबित हुई और इसने भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी।

पैन इंडिया फिल्म बनाने का प्रभाव और वर्तमान स्थिति

साउथ फिल्म इंडस्ट्री ने पैन इंडिया फिल्म बनाने का चलन शुरू किया और समय के साथ इसने बॉलीवुड को भी अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया। फिल्मों की अंतरराष्ट्रीय सफलता, विशेषकर साउथ की फिल्मों की, ने एक नई उम्मीद और संभावनाओं को जन्म दिया है। L2: Empuraan जैसे प्रोजेक्ट्स अब इस ट्रेंड को और भी मजबूत करने का काम कर रहे हैं, जिससे भारतीय सिनेमा का विस्तार और बढ़ सकता है।

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Cheapest ADAS Cars: भारत में 15 लाख रुपये से कम कीमत वाली ADAS फीचर्स वाली कुछ सबसे क...

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Cheapest ADAS Cars: भारत में वाहन सुरक्षा रेटिंग्स अब कार खरीदारों के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू बन चुकी हैं। उपभोक्ता अब वाहन सुरक्षा फीचर्स पर अधिक ध्यान दे रहे हैं, और इसी कारण ऑटोमोबाइल निर्माता अब बजट-फ्रेंडली मॉडल्स में भी एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (ADAS) जैसे फीचर्स को शामिल कर रहे हैं।

इसके तहत कई कार निर्माता अपनी कारों में उन्नत सुरक्षा प्रौद्योगिकियों को जोड़ रहे हैं, जिससे न केवल सुरक्षा बल्कि ड्राइविंग अनुभव भी बेहतर हो रहा है। यहां हम उन पांच सबसे किफायती कारों के बारे में बात करेंगे जिनमें ADAS जैसी सुविधाएं दी गई हैं और जिनकी कीमत ₹15 लाख से कम है।

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Honda Amaze- Cheapest ADAS Cars

होंडा ने 2024 मॉडल के Amaze में ADAS को पेश करके एक नया मानक स्थापित किया है। Amaze को भारत में पहला सब-कॉम्पैक्ट सेडान माना जा रहा है जिसमें यह सुविधा दी गई है। खास बात यह है कि यह ADAS फीचर ₹10 लाख से कम कीमत वाले उपलब्ध है। Amaze का ZX वेरिएंट इस तकनीक के साथ उपलब्ध है और इसकी शुरुआती एक्स-शोरूम कीमत ₹8 लाख है। यह कदम होंडा ने सुरक्षा को प्राथमिकता देने वाले ग्राहकों को ध्यान में रखते हुए उठाया है।

Honda Amaze Honda Cars
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Mahindra XUV 3OO

महिंद्रा का XUV 3OO भी भारत में ADAS के साथ उपलब्ध होने वाला दूसरा किफायती वाहन है। 2024 में लॉन्च किया गया यह मॉडल AX5L ट्रिम में आता है और इसकी कीमत ₹12.24 लाख (ex-showroom) से शुरू होती है। इस SUV में लेवल 2 ADAS फीचर्स शामिल हैं, जिनमें एडेप्टिव क्रूज कंट्रोल, ऑटोमैटिक इमरजेंसी ब्रेकिंग और ट्रैफिक साइन रिकग्निशन जैसे महत्वपूर्ण फीचर्स शामिल हैं। इसके अलावा, लेन कीप असिस्ट, लेन डिपार्चर वॉर्निंग और हाई बीम असिस्ट जैसे विकल्प भी उपलब्ध हैं।

Mahindra XUV 3OO
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Hyundai Venue

ह्यूंदै का वेन्यू भी ADAS से लैस है, हालांकि इसमें लेवल 1 ADAS फीचर्स मिलते हैं। SX (O) वेरिएंट इस सिस्टम के साथ उपलब्ध है, जिसकी कीमत ₹12.40 लाख (ex-showroom) से शुरू होती है। इस प्रणाली में लेन डिपार्चर वॉर्निंग, लेन कीप असिस्ट, हाई बीम असिस्ट और फॉरवर्ड कोलिजन वॉर्निंग जैसे फीचर्स शामिल हैं। इसके अलावा, फॉरवर्ड अवॉइडेंस असिस्ट भी दिया गया है, जो दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करता है, चाहे वह कारों, पैदल चलने वालों या साइकिलिस्ट के साथ हो।

Hyundai Venue, Hyundai Venue price
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Honda City

होंडा सिटी, भारत में होंडा का सबसे प्रमुख मॉडल, अब ADAS के साथ उपलब्ध है। इसे होंडा सेंसिंग तकनीक के तहत पेश किया गया है। सिटी के V, VX और ZX वेरिएंट्स में ADAS फीचर्स उपलब्ध हैं, जबकि बेस वेरिएंट में यह सुविधा नहीं दी गई है। होंडा सिटी V वेरिएंट की एक्स-शोरूम कीमत ₹13.05 लाख है। यह ADAS प्रणाली विभिन्न सुरक्षा फीचर्स के साथ आती है, जो ड्राइविंग के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

Honda City
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Kia Sonet

किया सॉनेट, किआ ब्रांड की सबसे छोटी SUV है, जिसे पिछले साल ADAS फीचर्स से अपडेट किया गया। GTX और X-Line वेरिएंट्स में ADAS फीचर्स उपलब्ध हैं, और इसकी एक्स-शोरूम कीमत ₹14.72 लाख से शुरू होती है। सॉनेट में लेवल 2 ADAS तकनीक दी गई है, जिसमें फॉरवर्ड कोलिजन असिस्ट, लेन कीप असिस्ट और हाई बीम असिस्ट जैसी सुविधाएं शामिल हैं, जो ड्राइविंग के अनुभव को और भी सुरक्षित बनाती हैं।

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Dubai Prince Sheikh Hamdan: दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान ने अपनी बेटी का नाम रखा &...

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Dubai Prince Sheikh Hamdan: दुबई के क्राउन प्रिंस शेख हमदान बिन मोहम्‍मद ने हाल ही में दुनिया को एक खुशखबरी दी। उनके घर चौथे बच्‍चे ने जन्‍म लिया है, और इस बार उनकी बेटी हुई है। इससे पहले उनके दो जुड़वां बच्‍चे राशिद और शाइखा थे, जिनका जन्‍म मई 2021 में हुआ था। इसके बाद, फरवरी 2023 में शेख को एक बेटा हुआ। अब उनकी बेटी का नाम दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गया है। शेख ने अपनी बेबी गर्ल का नाम ‘हिंद’ रखा है, जो कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का नाम है।

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‘हिंद’ नाम का क्या अर्थ है? (Dubai Prince Sheikh Hamdan)

शेख हमदान ने अपनी बेटी का नाम ‘हिंद’ रखा है, और यह नाम न केवल एक सुंदर अर्थ रखता है, बल्कि यह अरब और इस्लामी परंपराओं में भी गहरा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। कई लोग यह सोच सकते हैं कि शेख ने अपनी बेटी का नाम हिंदुस्‍तान से प्रेरित होकर रखा है, लेकिन ऐसा नहीं है। ‘हिंद’ शब्द का इस्लामी और अरब परंपराओं में सदियों से उपयोग होता आ रहा है।

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‘हिंद’ नाम का मुख्य अर्थ है – शक्ति, समृद्धि और विरासत। प्राचीन समय में ‘हिंद’ को समृद्धि और धन का प्रतीक माना जाता था। उस समय यह नाम उस व्यक्ति को दृढ़ता, सहनशीलता और संपन्नता जैसे गुण प्रदान करने का एक तरीका हुआ करता था। यह नाम सकारात्मकता और सामर्थ्य से जुड़ा हुआ है, और इस्लाम और अरब संस्कृति में इसके कई महत्वपूर्ण संदर्भ हैं।

हिंद नाम का ऐतिहासिक महत्व

‘हिंद’ नाम का इतिहास बहुत पुराना है। यह नाम इस्लाम के आगमन से पहले अरबों में बहुत आम था और इसके बाद भी इस्लामी संस्कृति में इसका प्रयोग जारी रहा। एक प्रमुख ऐतिहासिक व्यक्ति, हिंद बिन्त उतबा, जिन्होंने इस्लाम धर्म अपनाया, इस नाम से जुड़ी प्रमुख हस्ती मानी जाती हैं। उन्हें उनकी बुद्धिमत्ता, नेतृत्व क्षमता और इस्लाम धर्म को स्वीकार करने के लिए जाना जाता है।

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हिंद नाम की महत्वता सिर्फ शाब्दिक अर्थ तक सीमित नहीं है। यह साहस, नेतृत्व और कुलीनता का प्रतीक है। अरब और मुस्लिम समुदायों के बीच ‘हिंद’ एक प्रतिष्ठित और सम्मानित नाम बन चुका है, जो पारंपरिक और मजबूत चरित्र को दर्शाता है।

अरब देशों में हिंद नाम की लोकप्रियता

अरब देशों में ‘हिंद’ नाम आज भी बहुत लोकप्रिय है। यह नाम इतिहास, शक्ति और स्त्रीत्व का सुंदर मिश्रण प्रस्तुत करता है। इसका उपयोग आज भी बहुत से परिवारों द्वारा किया जाता है और यह एक सम्मानजनक नाम के रूप में पहचाना जाता है। यदि आप अपनी बेटी के लिए एक पारंपरिक अरबी या इस्लामिक नाम की तलाश कर रहे हैं, तो ‘हिंद’ एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह नाम न केवल यूनिक है, बल्कि इसका अर्थ भी बहुत सुंदर और गहरा है।

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Google Tax: भारत का गूगल टैक्स पर चौंकाने वाला फैसला, अमेरिका से व्यापारिक रिश्तों को...

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Google Tax: भारत सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए गूगल टैक्स के रूप में प्रसिद्ध 6% इक्विलाइजेशन टैक्स को हटाने का प्रस्ताव दिया है। इस फैसले का सबसे अधिक प्रभाव अमेरिका की प्रमुख टेक कंपनियों जैसे गूगल, अमेजन और मेटा पर पड़ेगा। भारत का यह कदम अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों को सामान्य बनाने तथा व्यापार वार्ता के प्रति लचीला रुख दिखाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

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इक्विलाइजेशन टैक्स क्या है? (Google Tax)

इक्विलाइजेशन टैक्स, जिसे गूगल टैक्स भी कहा जाता है, एक विशेष कर है जो विदेशी डिजिटल सेवा प्रदाताओं पर लागू होता है। इस कर का उद्देश्य भारतीय और विदेशी कंपनियों के बीच कर दायित्वों को समान बनाना था। 2016 से लागू इस कर के तहत, अगर कोई भारतीय कंपनी या व्यक्ति विदेशी डिजिटल सेवा प्रदाताओं जैसे गूगल, मेटा, या अमेजन को 1 लाख रुपये से अधिक का भुगतान करता, तो उस पर 6% का कर लगता था।

इस कर का मुख्य उद्देश्य ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा भारतीय बाजार में अपनी डिजिटल सेवाओं से होने वाली आय पर कर लगाना था। हालांकि, इसे लेकर विवाद उत्पन्न हुआ था क्योंकि यह विशेष रूप से विदेशी कंपनियों पर लागू था और भारतीय कंपनियों को इससे छूट थी।

भारत का यह कदम क्यों उठाया गया?

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सरकार का यह कदम अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। अमेरिकी कंपनियां लगातार इस कर को भेदभावपूर्ण बताकर विरोध करती रही हैं। अमेरिका ने 2020 में भारत सहित अन्य देशों द्वारा लगाए गए डिजिटल सेवा करों को अंतरराष्ट्रीय कर प्रणाली के खिलाफ बताया था। इससे यह आशंका जताई जा रही थी कि भारत पर अमेरिका से व्यापार प्रतिशोध (Tariff Retaliation) का खतरा बढ़ सकता है।

अमेरिका के दबाव को ध्यान में रखते हुए भारत ने 2020 में 2% ई-कॉमर्स कर को हटाया, लेकिन 6% इक्विलाइजेशन टैक्स जारी रखा था। अब, 2024 में, इस कर को भी हटाने का प्रस्ताव किया गया है ताकि व्यापार वार्ता को सकारात्मक दिशा में ले जाया जा सके और भारत अमेरिका के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को मजबूत कर सके।

अमेरिका की प्रतिक्रिया और भविष्य की संभावना

अमेरिका ने जून 2020 में डिजिटल सेवा करों की जांच शुरू की थी और दावा किया था कि ऐसे कर अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ भेदभावपूर्ण हैं। इस फैसले के बाद, भारत सरकार ने 2% ई-कॉमर्स उपकर को हटाकर अमेरिका की चिंताओं का समाधान किया था। अब, 6% इक्विलाइजेशन टैक्स हटाने का प्रस्ताव अमेरिकी कंपनियों के लिए राहत का संकेत हो सकता है।

नांगिया एंडरसन LLP के पार्टनर विश्वास पंजियार ने इस फैसले को एक अस्थायी समाधान बताया है, जब तक कि वैश्विक स्तर पर कर प्रणाली पर एक वैश्विक सहमति नहीं बन जाती। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी कर प्रणाली में ‘सिग्निफिकेंट इकोनॉमिक प्रेजेंस’ (SEP) का प्रावधान किया है, जिससे विदेशी कंपनियों पर कर लगाने का एक वैकल्पिक तरीका सामने आता है।

इक्विलाइजेशन लेवी से सरकार की आमदनी

इक्विलाइजेशन लेवी उन कंपनियों पर लागू होती थी, जो भारतीय संस्थाओं के साथ प्रति वर्ष 2 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करती थीं। सरकार ने इस कर से 2023 के वित्तीय वर्ष में 3,343 करोड़ रुपये एकत्र किए थे। हालांकि, अमेरिका के साथ जवाबी शुल्क और वैश्विक कर समझौते के बाद पिछले साल अगस्त में 2% लेवी को हटा दिया गया था, लेकिन 6% टैक्स को अब तक जारी रखा गया था।

भारत सरकार का गूगल टैक्स (इक्विलाइजेशन टैक्स) हटाने का निर्णय अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव को कम करने और द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह निर्णय न केवल अमेरिकी कंपनियों के लिए राहत का संकेत है, बल्कि वैश्विक कर प्रणाली पर भी असर डाल सकता है। भारत की यह रणनीति व्यापार वार्ता में लचीलापन दिखाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने व्यापारिक रिश्तों को सुधारने के उद्देश्य से उठाई गई है।

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Yashwant Verma Scandal Update: कैश कांड में घिरे जस्टिस वर्मा, कानूनी संकट से निपटने ...

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Yashwant Verma Scandal Update: दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास में 14 मार्च को लगी आग और उसके बाद कथित रूप से जले हुए नकदी बरामदगी के मामले में अब जांच तेज हो गई है। इस घटनाक्रम की जांच के लिए पुलिस उपायुक्त (नई दिल्ली) के नेतृत्व में एक टीम बुधवार को जस्टिस वर्मा के घर पहुंची और घटनास्थल का निरीक्षण किया।

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पुलिस टीम का घटनास्थल पर मुआयना– Yashwant Verma Scandal Update

सूत्रों के मुताबिक, पुलिस की टीम दोपहर करीब 1.50 बजे जस्टिस वर्मा के घर पहुंची और लगभग दो घंटे तक घटनास्थल का मुआयना किया। हालांकि, इस दौरान पुलिस टीम ने मीडिया से कोई टिप्पणी नहीं की और बाद में तुगलक रोड पुलिस थाने लौट गई। पुलिस की टीम द्वारा घटनास्थल का निरीक्षण इस मामले की गंभीरता को दर्शाता है, क्योंकि यह मामले की जांच के लिए एक अहम कदम माना जा रहा है।

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जस्टिस वर्मा की कानूनी सलाह

वहीं, दूसरी ओर जस्टिस वर्मा ने इस मामले में देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना द्वारा गठित आंतरिक समिति के समक्ष अपना बयान दर्ज कराने से पहले बुधवार को पांच वकीलों की एक टीम से मुलाकात की। यह मुलाकात कानूनी सलाह के लिए थी, क्योंकि जस्टिस वर्मा को यह समझने की जरूरत थी कि इस मामले में उनका जवाब किस प्रकार तैयार किया जाए।

कौन थे जस्टिस वर्मा के कानूनी सलाहकार?

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, जिन पांच वकीलों ने जस्टिस वर्मा से मुलाकात की, उनमें वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ अग्रवाल, अरूंधति काटजू, तारा नरूला, स्तुति गुजराल और एक अन्य वकील शामिल थे। यह वकील इस सप्ताह जस्टिस वर्मा के घर पहुंचे थे और कानूनी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की थी। यह कदम यह संकेत देता है कि जस्टिस वर्मा इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और उनका मानना है कि उचित कानूनी मार्गदर्शन के बिना कोई भी बयान देना उनके लिए खतरनाक हो सकता है।

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CJI की आंतरिक समिति की भूमिका

दिल्ली हाई कोर्ट के जज के आवास से नकदी की बरामदगी के बाद, मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले की जांच के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया। इस समिति में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन को शामिल किया गया है। यह समिति दिल्ली में है और उम्मीद जताई जा रही है कि इस सप्ताह जस्टिस वर्मा से दो बार मुलाकात करेगी। सूत्रों के मुताबिक, जस्टिस वर्मा इस समय अपनी जवाबी स्थिति को तैयार कर रहे हैं, क्योंकि यही जवाब उनके खिलाफ संभावित कार्रवाई का आधार बनेगा।

क्या है पूरा मामला?

इस मामले की जड़ 14 मार्च 2023 को होली के दिन जस्टिस वर्मा के घर में लगी आग से जुड़ी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली फायर सर्विस के कर्मी जब आग बुझाने पहुंचे, तो उन्हें जले हुए नकदी के ढेर मिले। यह नकदी जस्टिस वर्मा के घर के स्टोर रूम में पाई गई। इस घटना के बाद से कई तरह के आरोप लगाए गए, जिनमें जस्टिस वर्मा और उनके परिवार पर नकदी रखने के आरोप लगे। हालांकि, जस्टिस वर्मा ने इन आरोपों को पूरी तरह से नकारा किया है। उनका कहना है कि न तो उन्होंने और न ही उनके परिवार ने कभी स्टोर रूम में नकदी रखी थी।

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