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Bigg Boss: कमाई के मामले में इन कंटेस्टेंट ने विजेताओं को भी पछाड़ा, जानिए किसको मिली...

बिग बॉस के इतिहास का सबसे लंबा और सफल सीजन आखिरकार खत्म हो गया. सिद्धार्थ शुक्ला ने ट्रॉफी जीतकर बिग बॉस 13 के खिताब को अपने नाम कर लिया. फाइनल में आसिम रियाज को मात देकर सिद्धार्थ सबसे सफल सीजन के विनर बने. भले ही सिद्धार्थ ने शो के टाइटल को अपने नाम कर लिया हो, लेकिन अगर कमाई के मामले में देखें तो कोई और कंटेस्टेंट उनसे आगे निकल गया.

ये कंटस्टेंट कई और नहीं टीवी का पॉपुलर चेहरा रश्मि देसाई है. जी हां, रश्मि देसाई बिग बॉस सीजन 13 की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली कंटेस्टेंट बनीं है. रश्मि देसाई के अलावा बिग बॉस के सीजन में कई और भी ऐसे कंटेस्टेंट रहे है, जो भले ही शो के विजेता नहीं बन पाए है लेकिन उन्होनें कमाई के मामले में विनर को भी पीछे छोड़ दिया. आज हम आपको इन्ही कंटेस्टेंट के बारे में बताने जा रहे हैं…

रश्मि ने सिद्धार्थ को छोड़ा पीछे

शुरूआत हाल ही में खत्म हुए बिग बॉस सीजन 13 से करते हैं. जैसा हमने आपको बताया कि शो के विनर भले ही सिद्धार्थ शुक्ला बने हो लेकिन रश्मि देसाई उनसे कमाई के मामले में आगे निकलीं है. जहां सिद्धार्थ शुक्ला को शो में रहने के लिए 2.10 करोड़ रुपये दिए गए, तो वहीं रश्मि को पूरे सीजन में उनसे ज्यादा 2.50 करोड़ मिले.

श्रीसंत ने की थी ज्यादा कमाई

बात अब हम बिग बॉस सीजन 12 की करते हैं. इस सीजन की विजेता दीपिका कक्कड़ बनी थी. लेकिन इस सीजन में उन्हें कमाई के मामले में श्रीसंत ने पछाड़ दिया था. बिग बॉस 12 के फर्स्ट रनरअप रहे श्रीसंत को एक हफ्ते के लिए 50 लाख रुपये मिले थे, जबकि दीपिका को 15 लाख रुपये दिए गए थे.

हिना को मिली शिल्पा से ज्यादा रकम

बिग बॉस का सीजन 11 भी काफी पॉपुलर रहा था. इस सीजन में शिल्पा शिंदे ने हिना खान को हराकर खिताब पर कब्जा जमाया था. लेकिन हिना ने सीजन 11 की विनर को कमाई के मामले में पीछे छोड़ दिया था. हिना खान को पूरे सीजन के लिए मेकर्स ने 1.25 करोड़ रुपये दिए थे, जबकि शिल्पा को इसके मुकाबले काफी कम रकम मिली थी. शिल्पा शिंदे को सीजन-11 में एक हफ्ते के सिर्फ 6 लाख रुपये ही मिले थे.

बानी जे और राहुल देव को मिले ज्यादा पैसे

सीजन-10 के खिताब को मनवीर गुर्जर ने जीता था. लेकिन कॉमनर होने की वजह से मनवीर को घर में रहने के लिए बहुत कम पैसे मिले थे. वहीं उनके मुकाबले इस सीजन में फाइलिस्ट बानी जे और राहुल देव को ज्यादा रकम मिली थी. बिग बॉस-10 में राहुल देव को पूरे सीजन के लिए 2 करोड़ रुपये तो वहीं बानी जे को 1.55 करोड़ रुपये की मोटी रकम मिली थी, जो विनर मनवीर से कई ज्यादा थी.

रिमी सेन ने की प्रिंस से ज्यादा कमाई

बिग बॉस सीजन 9 में रिमी सेन कंटेस्टेंट बनकर आईं थी. माना जा रहा था कि रिमी बिग बॉस के घर में तूफान मचा सकती है, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं. फिर भी रिमी को सीजन 9 में काफी तगड़ी रकम मिली थी, जो शो के विजेता प्रिंस नरूला से कई ज्यादा थी. रिमी को बिग बॉस सीजन 9 में घर में रहने के लिए 2 करोड़ रुपये दिए गए थे, जबकि प्रिंस को एक हफ्ते के लिए सिर्फ 10 लाख रुपये ही मिला करते थे.

करिश्मा तन्ना ने गौतम को पछाड़ा

सीजन-8 भी बिग बॉस के फेमस सीजन में से एक रहा. गौतम गुलाटी ने बिग बॉस सीजन 8 में जीत हासिल की थी. भले ही सीजन के विनर गौतम बने थे, लेकिन करिश्मा तन्ना ने उस सीजन में उनसे ज्यादा पैसे कमाए. जहां गौतम को एक हफ्ते घर में रहने के लिए 8 लाख रुपये दिए जाते थे, तो वहीं करिश्मा को 10 लाख रुपये मिले थे.

तनीषा निकलीं आगे

बिग बॉस सीजन-7 की विनर गौहर खान रही थी. लेकिन इस सीजन में उनसे ज्यादा पैसे तनीषा को मिले थे. तनीषा को एक हफ्ते घर में रहने के 9.5 लाख रुपये मिलते थे, तो वहीं गौहर को 6 लाख रुपये दिए जाते थे.

उर्वशी से ज्यादा सिद्धू ने की कमाई

इसके अलावा बिग बॉस सीजन 6 में पूर्व क्रिकेटर और पॉलिटिशियन नवजोत सिंह सिद्धू ने विनर से ज्यादा पैसे लिए. सीजन 6 की विजेता उर्वशी ढोलकिया को एक हफ्ते के 2.5 मिला करते थे, जबकि सिद्धू हर हफ्ते 6 लाख की रकम लिया करते थे.

श्वेता ने ज्यादा इन दोनों ने की कमाई

बिग बॉस सीजन 4 की विजेता श्वेता तिवारी बनी थी. इस सीजन में कमाई के मामले में पामेला और खली उनसे कई ज्यादा आगे निकल गई. हॉलीवुड स्टार पामेला बिग बॉस सीजन 4 में सिर्फ तीन दिन तक ही टिकी थी, लेकिन इस दौरान उन्हें 2.5 करोड़ रुपये की बड़ी रकम मिली थी. वहीं इसके अलावा खली भी कमाई के मामले में श्वेता तिवारी से आगे थे. खली को एक हफ्ते घर में रहने के लिए 50 लाख रुपये मिला करते थे, जबकि श्वेता को एक हफ्ते के लिए सिर्फ 2.5 ही मिलते थे.

Treeman syndrome: एक मासूम का पेड़ में धीर-धीरे बदलने लगा शरीर, वजह जानकर हो जाएंगे द...

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स्कूल या किसी अन्य कार्यक्रम में जब पेड़ (Tree) बनने का रोल मिला करता है तो कैसे बच्चे खुश हो जाते हैं और वो हरे रंग के झाड़ीदार कपड़े पहनकर खड़े हो जाते हैं, लेकिन अगर कोई असलियत में ही पेड़ (Treeman) बन जाए तो? अगर उसका शरीर पेड़ की तरह हो जाए तो? यकीनन इस बारे में मात्र सोचकर ही आप शायद जितना हैरान और परेशान हुए होंगे, उससे ज्यादा आप तब हैरत में पड़ जाएंगे जब हम आपको इस तरह की अजीबोगरीब बीमारी से जूझ रही 8 वर्षीय लड़की के बारे में बताएंगे.

जी हां, ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ (Chattisgarh) से सामने आया है. यहां के नक्सल प्रभावित बस्तर (Bastar) जिले की रहने वाली 8 वर्षीय लड़की एक आनुवांशिक रोग (Genetic Disease) से जूझ रही है. जिसके चलते इस लड़की के हाथ और पैर, पेड़ की छाल के जैसे दिख रहे हैं. पूजा (बदला हुआ नाम) के परिजनों के मुताबिक पहले पूजा के बायें पैर के ऊपर एक मस्सा बनने की शुरुआत हुई, वो धीरे धीरे बढ़ता गया और फिर उसी तरह का मस्सा उसके दूसरे पैर पर भी हुआ, दोनों पैरों पर हुआ ये मस्सा विकसित हो गया और कुछ दिनों में ये बांहों से होते हुए उसकी गर्दन तक पहुंच गया. इस तरह की बीमारी को ट्री मैन सिंड्रोम (Treeman syndrome) भी कहा जाता है.

नहीं है ऐसी बीमारी का कोई इलाज

इस बीमारी की वजह से इस लड़की की हालात इतनी गंभीर हो गई कि उसका चलना-फिरना तक करीबन बंद हो गया. ऐसा कहा जाता है कि इस लड़की के शरीर में लगातार दर्द रहता है. जानकारों की मानें तो अभी तक मेडिकल साइंस (Medical Science) में ऐसी बीमारी का कोई इलाज नहीं है.

सरकार करा रही है इलाज

मीडियो रिपोर्टस के जरिए इसकी जानकारी प्रदेश सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों को मिली. जिसके बाद प्रदेश के हेल्थ मिनिस्टर टीएस सिंह देव (Health Minister TS Singh Dev) ने लड़की के इलाज के लिए जरूरी खर्च और समुचित प्रबंध करने का ऐलान किया है.

वहीं, अब पूजा का इलाज रायपुर (Raipur) के मेकाहारा हॉस्पिटल (Mekahara Hospital) में चल रहा है. डॉ. मृत्युंजय सिंह की मानें तो वो और उनकी टीम इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित लड़की की समस्या को कम करने हेत हर तरह से पूरा प्रयास कर रही है. इस तरह की बीमारी को मेडिकल साइंस में ट्रीमैन सिंड्रोम (Treeman Syndrome) भी कहा जाता है.

जन्म लेने के 1 साल बाद शुरू हुई समस्या

पूजा के परिजनों के मुताबिक इस तरह की समस्या उसे 1 साल की उम्र से ही शुरू हो गई थी. उसके पिता का कहना है कि सबसे पहले उनकी बेटी के बायें पैर पर मस्सा होना शुरू हुआ और फिर वो काफी ज्यादा बढ़ गया. इस बीमारी की वजह से उनकी बेटी को लगातार दर्द भी रहता है.

स्किन कैंसर होने का है खतरा

बता दें कि मेडिकल साइंस की भाषा में इस बीमारी को एपिडर्मोडिसप्लासिया वर्चुफॉर्मिस (Epidermodysplasia verruciformis) भी कहा जाता है. मेडिकल जर्नल की मानें तो ये रोग बहुत दुर्लभ वंशानुगत त्वचा विकार माना जाता है और इसके वजह से स्किन कैंसर (Skin Cancer) होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है. इस बीमारी की स्थिति को लेवांडोस्की-लुत्ज़ डिस्प्लासिया (Lewandowsky Lutz Dysplasia) भी कहा जाता है.

आपको जानकारी के लिए बता दें कि ये दुर्लभ बीमारी आमतौर पर 1 से 20 वर्ष के लोगों में होती हैं. एक अनुमान के मुताबिक इस बीमारी से दुनिया भर में करीब 200 लोग पीड़ित हैं. हालांकि अभी तक मेडिकल साइंस में इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है.

कॉमन सिविल कोड लाने की तैयारी में केंद्र सरकार? जानें क्या है ये कानून और इससे जुड़ी ...

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दोबारा से सत्ता में आने के बाद केंद्र सरकार कई ऐतिहासिक फैसले ले चुकी है. वो चाहे तीन तलाक कानून हो या फिर जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 को निष्प्रभावी करने का फैसला हो. इतना ही नहीं मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में राम मंदिर पर भी बड़ा फैसला आया है. इसके अलावा अब इन दिनों यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर एक बहस छिड़ी हुई है. ऐसा कहा जा रहा है कि मोदी सरकार अब जल्द ही यूनिफॉर्म सिविल कोड को भी लाने जा रही है. तो ऐसे में आपको बताते हैं कि आखिर ये कानून क्या है?…

क्या है कॉमन सिविल कोड?

यूनिफॉर्म सिविल कोड या यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब ये है कि देश में हर व्यक्ति, हर नागरिक के लिए एक समान कानून हो. चाहे उसका नाता किसी भी धर्म, जाति या फिर समुदाय से हो. वैसे अभी देश में हर अलग धर्म के अलग पर्सनल लॉ हैं, लेकिन अगर ये कानून लागू हो जाता है तो हर धर्म के लोगों के लिए एक कानून का पालन करना होगा. फिर चाहे वो हिंदू, मुसलमान, सिख या ईसाई हो. सबके लिए शादी, तलाक, पैृतक संपत्ति जैसे मामलों पर एक कानून लागू हो जाएगा.

ये है कानून के विरोध का कारण…

हालांकि जब भी इस तरह के कानून की बात होती है, तो इसका विरोध जरूर होता है. वहीं इस कानून का विरोध होना भी हो सकता है. भारत के आजाद होने के बाद 1951 में तत्कालीन कानून मंत्री डॉ. बीआर अंबेडकर ने हिंदू समाज के लिए एक बिल लाने की कोशिश की थी. उन्होनें हिंदू कोड बिल लाने का प्रयास किया था, लेकिन उस समय इसका बहुत विरोध हुआ और एक धर्म के लोगों ने इस कानून पर सवाल भी खड़े किए थे. विरोध के बाद बिल को चार हिस्सों में बांटा गया.

जब भी देश में कॉमन सिविल कोड लाने की बात हुई है, तो इसको लेकर विरोधियों का तर्क रहा है कि ये कानून सभी धर्मों पर हिंदू धर्म को थोपने जैसा है. भारत विविधताओं वाला देश है, जहां पर ना सिर्फ अलग धर्म के लोग रहते हैं, बल्कि कई समुदाय, जनजातियां की अपनी अलग-अलग सामाजिक व्यवस्था होती है. उन पर एक समान कानून लागू करना उनकी परंपरा को खत्म करना जैसा है.

समर्थकों के ये हैं तर्क

यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब एक ऐसा निष्पक्ष कानून है जो किसी भी धर्म से नाता नहीं रखता. इस कानून का समर्थन करने वाले लोगों का कहना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से हर धर्म के पर्सनल लॉ में समानता आएगी. इस कानून से धर्म, जाति, लिंग, वर्ग से भेदभाव खत्म होने का दावा किया जाता है. समर्थकों के अनुसार अलग धर्मों के अलग कानून से न्यायपालिका पर दबाव पड़ता है.

अगर ये कानून आता है तो न्यायपालिका पर से बोझ कम होगा और सालों से अटके हुए मामलों का निपटारा जल्द होगा. देश के हर नागरिक के लिए कानून में एक समानता से एकता को बढ़ावा मिलेगा और देश के विकास में भी तेजी आएगी.

इस कानून से ऐसा नहीं होगा कि लोगों से उनकी धार्मिक मान्यताएं मानने के हक को छिन लिया जाएगा. हर नागरिक के बाकी सभी धार्मिक अधिकार रहेंगे, लेकिन शादी, तलाक, प्रॉपटी, संतान जैसे कुछ मामलों पर हर किसी को एक नियम का पालन करना पड़ेगा. गोवा में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है. वैसे संविधान के अनुच्छेद 44 में इसका पक्ष लिया गया है. हालांकि कानून को लागू करना या फिर नहीं करना पूरी तरह से सरकार पर निर्भर है.

पानी पर तैरते होटल में ठहरने के लिए एक दिन का लगता है इतना किराया, यहां का खूबसूरत नज...

‘होटल’ ये वो जगह मानी जाती है जहां हम सुकून के दो पल बीतए जा सकते हैं. अगर शहर या देश से बाहर कहीं घूमने जाना हो तो सबसे पहले हम एक अच्छे होटल की तलाश करते हैं, ऐसे में हम वहां की लोकेशन कैसा है और वहां कितनी शांति है इस पर तो जरूर ही ध्यान देते हैं. इसके अलावा अगर होटल को देखकर ही मन खुश और दिल बाग बाग हो जाता है तो बस फिर क्या उस होटल में रुकने में कोई बुराई ही नहीं. वहीं, आपने एक से बढ़कर एक होटल के बारे सुना व देखा होगा जो पहाड़ों पर होंगे या फिर कई मंजिलों में बने होंगे लेकिन आज हम आपको पानी पर तैरते होटल के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में शायद ही आप जानते हो, आइए आपको बताते हैं…

पानी पर तैरता होटल और स्पा

दरअसल, हम पानी पर तैरते जिस होटल के बारे में बताने जा रहे हैं उसे स्वीडन (Sweden) के लैपलैंड क्षेत्र (Lapland) में ल्यूल नदी (Lule river) पर बनाया गया है. जिसका नाम द आर्कटिक बाथ (The Arctic Bath) है ये अपनी खूबसूरती के लिए सबसे अलग माना जाता है. इस होटल और स्पा में ठहरने के लिए एक वर्ष पहले से ही एडवांस बुकिंग शुरू हो जाती है.

द आर्कटिक बाथ की ये है खासियत

द आर्कटिक बाथ की खासियत है कि गर्मी के मौसम (Summer Season) के दौरान ये होटल नदी (River) पर तैरता रहता है, जबकि सर्दी के मौसम (Winter Season) के दौरान नदी जम जाती है और फिर ये होटल भी जम जाता है.

लकड़ी के रास्ते से पहुंचा जाता है इस होटल

इतना ही नहीं होटल तक पहुंचने के लिए लकड़ी का रास्ता और बोट (Boat) का प्रयोग किया जाता है. अगर आप होटल तक पहुंचने के लिए एयरपोर्ट (Airport) से कार (Car) या हेलिकॉप्टर (Helicopter) का प्रयोग करना चाहते हैं तो कर सकते हैं.

एक दिन ठहरने का इतना किराया

पानी पर तैरता होटल द आर्कटिक बाथ में 12 कमरे हैं. इसको बनाने का कार्य साल 2018 में शुरू हुआ था. इस होटल की डिजाइनिंग आर्किटेक्ट बर्टिल हैरस्ट्रॉम और जोहान कोप्पी ने की है. यहां एक दिन रुकने के लिए आपको 815 पाउंड यानी की लगभग 75 हजार रुपए खर्च करने होंगे.

होटल के पास देखने को मिलेगा गजब का नाजारा

इस जगह आप भालू देख सकते है. इसके अलावा ये जगह होर्स राइडिंग और नेचुरल फोटोग्राफी के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है. आप चाहें तो यहां से नॉर्दर्न लाइट्स (Northern Lights ) का नजारा भी देख सकते हैं. बता दें कि जब गैस के कणों पर आधी रात के दौरान सूर्य की रोशनी पड़ती है तो आसमान में रंगबिरंगी रोशनियां चमचमाने लगती है, जिन्हें नॉर्दर्न लाइट्स कहा जाता है. जिनका आकार 20 से 640 किमी तक होता है. ऐसी जगह पर 6 महीनों का दिन और 6 महीनों की रात होती है.

U19 World Cup: कभी पानी पूरी बेच कर बुझाता था पेट की आग, अब वर्ल्डकप में रच दिया इतिह...

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दक्षिण अफ्रीका में चल रहे आईसीसी अंडर 19 वर्ल्डकप में भारतीय टीम शानदार प्रदर्शन कर रही है। बीते 4 फरवरी को भारतीय टीम ने सेमीफाइनल में पाकिस्तान को 10 विकेट से मात दे दी और फाइनल का टिकट कटा लिया। इस मैच के हीरो रहे भारत के अंडर-19 टीम के ओपनर बल्लेबाज यशस्वी जयसवाल। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में शानदार शतक बनाया और भारत की जीत पक्की कर दी। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी पाकिस्तानी टीम 43.1 ओवर में मात्र 172 रनों पर ऑलआउट हो गई। 173 रनों का पीछा करने उतरी भारतीय टीम ने यशस्वी जयसवाल के शतक और दिव्यांश सक्सेना के अर्द्धशतक की मदद से 35.2 ओवर में 176 रन बना कर जीत हासिल कर ली।

पानी पूरी बेचकर तय किया क्रिकेट का सफर

अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत दुनिया की नजरों में आए यशस्वी जयसवाल अंडर-19 वर्ल्डकप में टॉप स्कोरर के रुप में भारत का मान बढ़ा रहे है। यशस्वी जयसवाल आज अंडर-19 क्रिकेट के सबसे बेहतर और प्रतिभाशाली क्रिकेटरो में गिने जाते हैं लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उनकी यहां तक पहुंचने की राह थोड़ी भी आसान नहीं रही। जब बच्चों की उम्र खेलने-कूदने की होती है, परिवार में रहकर बड़ों से मार्गदर्शन प्राप्त करने की होती है। उस उम्र में ही यशस्वी ने घर छोड़ दिया था।

अपने सपनों को साकार करने के लिए यशस्वी ने मात्र 11 साल के उम्र में अपना घर छोड़ दिया और मुंबई चले गए थे। वहां उन्हें किसी तरह मुस्लिम यूनाइटेड क्लब में एडमिशन मिल गया। बाद में क्लब ने ही उनके रहने की व्यवस्था कर दी। मुंबई जैसे बड़े शहर में घर से भेजे पैसों से काम चलाना काफी मुश्किल हो गया था, ऐसे में यशस्वी ने पानी पूरी बेच कर अपने पेट की आग बुझाई। और अब यशस्वी जयसवाल का यश पूरी दुनिया में फैल रहा है।

शोएब अख्तर ने की तारीफ

पाकिस्तान के खिलाफ यशस्वी के शतक की बदौलत भारतीय टीम ने मैच को एकतरफा कर लिया और आसानी से जीत हासिल कर ली। अंडर-19 वर्ल्डकप के सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ शानदार शतक बनाने वाले बल्लेबाज यशस्वी शर्मा की बातें चारो ओर हो रही है। तमाम बड़े क्रिकेटर्स उन्हें बधाई दे रहे है। रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से मशहूर पूर्व पाकिस्तानी खिलाड़ी शोएब अख्तर ने भी यशस्वी जयसवाल की तारीफ में कसीदे पढ़े हैं। उन्होंने कहा कि ‘यशस्वी ने संघर्ष करके क्रिकेट की दुनिया में अपना मुकाम बनाया है और आप लिखकर ले लीजिए, वो भविष्य में भारत की सीनियर टीम में भी स्थान बनाएंगे और शोहरत हासिल करेंगे।’

ICC U19 वर्ल्डकप में टॉप स्कोरर हैं यशस्वी जयसवाल

यशस्वी जयसवाल अंडर-19 वर्ल्डकप के 5 मैचों में अब तक कुल 312 रन के साथ टॉप स्कोरर की सूची में शीर्ष पर है। उन्होंने 19 जनवरी को पहले मैच में श्रीलंका के खिलाफ 59 रनों की पारी खेली। उस मैच में भारत ने 90 रनों के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। 21 जनवरी को जापान के खिलाफ अंडर-19 वर्ल्डकप के दूसरे मैच में यशस्वी ने नाबाद 29 रनों की पारी खेली और भारत ने इस मैच में 10 विकेट से जीत हासिल की।

न्यूजीलैंड के खिलाफ 24 जनवरी को हुए तीसरे मैच में यशस्वी ने नाबाद 57 रनों की पारी खेली। भारतीय टीम इस मैच को 44 रनों से जीतने में कामयाब रही। भारत ने वर्ल्डकप के चौथे मैच में आस्ट्रेलिया को 74 रनों से मात दी और यशस्वी 62 रनों के साथ भारत की ओर से टॉप स्कोरर रहे। वहीं, सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ यशस्वी ने शतक लगा कर भारतीय टीम को फाइनल का टिकट दिला दिया। भारतीय टीम आगामी 9 फरवरी को फाइनल मैच खेलेगी।

SBI ने लॉन्च किया देश का पहला सस्ता ग्रीन लोन, जानिए क्या है इसकी खासियत

देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) ने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए एक नई योजना लॉन्च की है. जिसके तहत बैंक ग्राहकों को एक खास लोन पेश कर रहा है. इस लोन का नाम है ग्रीन कार लोन (Green Car Loan) जिसे बैंक द्वारा इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (Electric Vehicles) के लिए एक खास लॉन्च किया गया है.

आपको बता दें कि ग्रीन कार लोन को इलेक्ट्रिक कार (Electric Car) खरीदने के लिए पेश किया गया है, ये भारत का पहला ग्रीन कार लोन है. इस पहल का मकसद इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) की खरीदारी में बढ़ोतरी का है. ग्राहकों को ये लोन आठ साल के लिए दिया जाएगा. आइए आपको भारतीय स्टेट बैंक के ग्रीन कार लोन की खासियत के बारे में बताते हैं.

ग्रीन कार लोन की खासियत

  • SBI के इस ग्रीन कार लोन पर ग्राहक को 0.20 प्रतिशत कम ब्याज देना होगा.
  • इस लोन में 8 साल का रिपेमेंट पीरियड होगा, जबकि SBI का सामान्य कार लोन 7 साल का होता है.

ग्रीन कार लोन के लिए जरूरी हैं ये दस्तावेज

  • दो पासपोर्ट साइज फोटो
  • पिछले 6 माह की बैंक स्टेटमेंट
  • लेटेस्ट सैलरी स्लिप
  • दो साल का रिटर्न
  • पहचान पत्र हेतु पासपोर्ट, वोटर आईडी कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस
  • कृषि क्षेत्र के आवेदक के लिए जमीन के कागजात.

किनको मिलेगा ग्रीन लोन

एसबीआई की बेवसाइट के अनुसार, सरकारी कंपनियों (महारत्नों/नवरत्नों/मिनीरत्नों) के नियमित कर्मचारी, पारा मिलिट्री सैलरी पैकेज (PMSP),डिफेंस सैलरी पैकेज (DSP) और इंडियन कोस्टल गार्ड पैकेज (GSP) कस्टमर्स और रक्षा ठिकानों पर शॉर्ट कमिशन्ड ऑफिसर्स. इसके अलावा प्रोफेशनल, प्रोप्राइटरी/पार्टनरशिप फर्म, जो इनकम टैक्स एसेसी हैं, सेल्फ एम्प्लॉयड, बिजनेसमैन, कृषि और संबद्ध गतिविधियों में लगे व्यक्तिों को ये ग्रीन कार लोन दिया जाएगा.

कितनी इनकम पर कितना लोना

  1. जिन सरकारी कर्मचारियों की सैलरी कम से कम 3 लाख रुपये है और ऐसबीआई से उनकी नेट मंथली इनकम का ज्यादा से ज्यादा 48 गुना कर्ज के रूप में मिल सकता है.
  2. प्राइवेट नौकरी, बिजनेसमैन और प्रोफेशनल को आईटीआर में मौजूद डेप्रीसिएशन और हर कर्ज की पेमेंट को जोड़ने के बाद उसकी ग्रॉस टैक्सेबल इनकम या फिर नेट प्रॉफिट का चार गुना लोन मिल सकता है.
  3. जो लोग कृषि क्षेत्र से जुड़े हैं उनकी सालाना इनकम कम से कम 4 लाख रुपये है, उन्हें नेट एनुअल इनकम का तीन गुना लोन मिल सकेगा.

अगर बात करें ब्याज दर कि तो भारतीय स्टेट बैंक की बेवसाइट पर दी जानकारी के अनुसार, फिलहाल एसबीआई के कार लोन का ब्याज दर 8.40 प्रतिशत से 8.65 फीसदी है.

National Tourism Day: सैलानियों के दिलों में अमिट छाप छोड़ देते हैं भारत के पर्यटन स्...

अपनी सांस्कृतिक और भौगोलिक स्वरुप से दुनिया के सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने वाला हमारा देश भारत दिन-प्रतिदिन विकास के पथ  पर अग्रसर होते जा रहा है। भारत की ऐतिहासिक ईमारतें और तमाम ऐतिहासिक स्थल सैलानियों के पसंद बने हुए है।

भारत के पर्यटन स्थल मनमोहक है जो लोगों को काफी पसंद भी आते है। भारत में पर्यटन सेवा का सबसे बड़ा उद्योग है। देश की अर्थव्यवस्था में भी पर्यटन बहुत बड़ा योगदान है। पर्यटन का देश की जीडीपी में औसतन 6.23 प्रतिशत और भारत के कुल रोजगार में 8.78 प्रतिशत योगदान है। हमारे देश की ऐतिहासिक विरासत को देखने और परखने के लिए दुनिया से हर साल लगभग 50 लाख से ज्यादा सैलानी भारत भ्रमण पर आते है।

जबकि भारत के लगभग 56.2 करोड़ लोग प्रतिवर्ष देश के पर्यटन स्थलों की सैर करते है। हमारे देश में हर साल 25 जनवरी को भारतीय पर्यटन दिवस या नेशनल टूरिज्म डे के रुप में मनाया जाता है। आज पूरा देश भारतीय अर्थव्यवस्था के इस महत्वपूर्ण घटक को शालीनता के साथ मना रहा है।

भारत की हसीन वादियां सैलानियों को लुभाती है

पर्यटन के क्षेत्र में भारत विश्व में 34 वें नंबर पर है। भारत में ऐसे कई पर्यटन स्थल मौजूद हैं जो दुनियाभर में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। देश की अर्थव्यवस्था और पर्यटन के महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ाने के इरादे से भारत सरकार ने पर्यटन दिवस मनाने की शुरुआत की। भारत में लोगों को सम्मोहित करने वाले, लोगों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले तमाम पर्यटन स्थल है। इसलिए हमारा देश दिन-प्रतिदिन सैलानियों का पसंदीदा टूरिस्ट प्लेस बनता जा रहा है।

यहां की वादियां, यहां की घाटियां, यहां की ऐतिहासिक इमारतें, यहां की विरासतें, यहां की नदियां, यहां के झरने, यहां के मनमोहक दृश्य दुनिया को लुभाते है। दुनिया के कई हिस्सों से पर्यटक भारत की संस्कृति और भौगोलिक विविधता के साथ-साथ भारत के गौरवशाली इतिहास को जानने के लिए आते है।

WEF की रिपोर्ट में 6 अंक ऊपर आया भारत

बता दें, वैश्विक यात्रा एवं पर्यटन प्रतिस्पर्धा सूचकांक में भारत 40 वें से 34 वें स्थान पर आ गया है। साल 2017 में भारत 40 वें स्थान पर था। वहीं, साल 2019 में आई विश्व आर्थिक मंच (WEF) की रिपोर्ट में भारत 6 पायदान ऊपर चढ़ते हुए 34 वें स्थान पर आ गया। इसकी अहम वजह प्राकृतिक और सांस्कृतिक संसाधन के मामले में भारत का समृद्ध होना और कीमत के लिहाज से बेहद प्रतिस्पर्धी होना है।

अब आपके स्मार्टफोन को भी आएगा पसीना, दूर होगी ओवरहीटिंग की दिक्कत

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कई बार आपने देखा होगा कि स्मार्टफोन में काफी देर तक गेम खेलते खेलते, या कोई वीडियो या मूवी देखते देखते अचानक से डिवाइसेज़ गर्म होने लगती है। जो स्मार्टफोन के लिए बिल्कुल भी अच्छा संकेत नहीं माना जाता। कभी कभी हीटिंग के चलते स्मार्टफोन के ब्लास्ट होने की खबरें भी सामने आई हैं, तो कई बार फोन का पारा गर्म होने से वो खुद ब खुद स्विच ऑफ हो जाते हैं। इससे फोन की कार्यक्षमता पर भी असर पड़ता है। लेकिन भविष्य में ऐसा नहीं होगा। वैज्ञानिकों ने इस परेशानी का एक ख़ास तरीका खोज निकाला है। इस नई तकनीक के तहत अब गर्म होने पर डिवाईसेज को पसीना आने लगेगा।

ऐसे काम करेगी ये तकनीक 

बता दें इंसानों और जानवरों में पसीना आने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है। अब इसी थ्योरी पर स्मार्टफोन का टेम्प्रेचर मेंटेन करने पर भी काम चल रहा है। इसके लिए करीब तीन बालों जितनी मोटाई की कोटिंग लगाई जाएगी। हीट होने पर ये कोटिंग काफी मात्रा में कुछ पानी की बूंदें रिलीज़ करेगी। इससे इलेक्ट्रॉनिक्स का तापमान एक जैसा रहेगा। ये पानी गैस के तौर पर भाप बनकर उड़ जाएगा। इस तकनीक को काफी महंगा बताया जा रहा है लेकिन वो दिन दूर नहीं जब इसको सच कर दिखाया जाएगा।

ओवरहीटिंग की दूर होगी दिक्कत  

इस नई टेक्नोलॉजी का यूज़ सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज़ में किया जाएगा। इन डिवाइसेज़ में स्मार्टफोन से लेकर टैबलेट शामिल होंगे। वैज्ञानिक इस तकनीक से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि इससे ओवरहीटिंग की समस्या से निजात मिल सकेगी।  शंघाई यूनिवर्सिटी में रेफ्रिजरेशन इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर रहे सीनियर ऑथर रूजू वांग के मुताबिक इन माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स को डिवेलप करके थर्मल मैनेजमेंट की नई तकनीक को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज में लागू किया जा सकता है, जो डिवाइसेज टाइट पैक होने की वजह से जल्दी गर्म हो जाते हैं।

तो इसलिए गर्म होता है फोन का पारा! 

अगर आप एक स्मार्टफोन यूज़र हैं तो काफी बार आपको अपनी डिवाइस के ओवरहीटिंग होने का सामना करना पड़ा होगा। दरअसल इन सबके पीछे की वजह डिवाइस का लगातार कुछ घंटों तक यूज़ करते रहना है। गेम खेलते वक़्त, चार्जिंग के के दौरान या फिर वीडियो स्ट्रीम करने के दौरान फोन ज्यादातर ओवरहीट होता हुआ देखा गया है। इसलिए भलाई इसमें हैं कि डिवाइसेज़ को बीच बीच में ब्रेक देते रहें।

जानें कब कब श्रद्धालुओं के चढ़ावे से सिद्धिविनायक मंदिर हुआ मालामाल, चौंधियां जाएंगी आ...

मुंबई का प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था और विश्वास का प्रतीक है। हर साल यहां करोड़ो रुपये का चढ़ावा भगवान को भेंट किया जाता है। जिस वजह से इसे देश के अमीर मंदिरों की गिनती में शुमार किया जाता है। अभी हाल ही में एक अज्ञात व्यक्ति ने मंदिर में तकरीबन 35 किलो सोना चढ़ाया है। इस सोने की कीमत करीब 14 करोड़ मानी जा रही है। इस सोने का प्रयोग मंदिर के गुंबद और दरवाजों पर किया जाएगा। वैसे तो इस मंदिर में ऐसा ज्यादातर होता आया है लेकिन इतनी भारी भरकम राशि मंदिर के 219 साल के इतिहास में पहली बार चढ़ाई गई है। फिलहाल दानदाता के नाम का खुलासा नहीं हो पाया है। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि कब कब सोने के महंगे दान से चमक उठा मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर।

हर साल चढ़ाया जाता है करोड़ों का दान 

इस दान के बाद अब मंदिर को मिले कुल दान की राशि 410 करोड़ हो गई है। हर साल मंदिर को 100 मिलियन से 150 मिलियन कुल दान की धनराशि मिलती है। जिस वजह से सिद्धिविनायक मंदिर का ट्रस्ट मुंबई का सबसे अमीर ट्रस्ट है। इस दान से मंदिर की आय में भी काफी इजाफा हुआ है। ट्रस्ट के अध्यक्ष आदेश बांदेकर ने जानकारी दी थी कि 2017 में मंदिर को कुल 320 करोड़ रुपए का दान मिला। वहीं, 2019 में यह दान की रकम बढ़कर 410 करोड़ रुपए हो गई।

नोटबंदी के दौरान हुआ था इजाफा 

सिद्धिविनायक मंदिर में 8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी के दौरान भी सिद्धिविनायक मंदिर मालामाल हो गया था। आश्चर्यजनक बात तो ये रही कि नोटबंदी के एलान के बाद मंदिर में चढ़ावे की दर में 50 प्रतिशत का इजाफा पाया गया। वैसे मंदिर में औसतन एक हफ्ते में 35-40 लाख रुपये दान निकलता था। लेकिन नोटबंदी के दौरान एक हफ्ते में 60 लाख रुपये चढ़ाये गए। इस दान में 500 और 1000 के पुराने नोटों की संख्या भी काफी मिली।

9.81 लाख सोना किया गया दान 

ऐसा भारी भरकम दान साल 2012 में भी देखने को मिला था जब चढ़ावे में चढ़ाये गए सोने की नीलामी हो गई थी। मंदिर ने इस दौरान करीब 35.89 लाख के सोने के गहनों की नीलामी की थी। इन गहनों में से 9.81 लाख के सोने के गहने बिजनेसमैन प्रदीप भवानी ने खरीदे जिन्हें वापस ट्रस्ट को दान कर दिया गया। इसके पीछे का मकसद था कि ताकि उस धन की ट्रस्ट फिर से नीलामी कर सके और धन प्राप्त कर सके जिससे ज्यादा से ज्यादा जनकल्याण हो।

दान में दिया था हीरे से जड़ा फोन 

इसके अलावा साल 2008 में सिद्धिविनायक में हीरे से जड़ा फोन दान में दिया था। उस दौरान वो फोन तीन लाख 33 हज़ार रुपये का था। मंदिर ने इस फोन को जरूरतमंदों की मदद करने के लिए नीलाम कर दिया था। जिसके बाद एनसीपी नेता प्रताप सरनाईक ने इसे 15,55,555 रुपये में खरीदा था और अजित पवार को उनके जन्मदिन पर गिफ्ट किया था। बाद में पवार ने ये फोन दोबारा सिद्धिविनायक को सौंप दिया ताकि इसकी दोबारा बोली लगाई जा सके।

जानिए कौन है करीम लाला, जिसका इंदिरा गांधी से मिलने का किया जा रहा है दावा!

शिवसेना के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय राउत(Sanjay Rawat) ने 15 जनवरी, बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी(Former Prime Minister Indira Gandhi) को लेकर एक बड़ा बयान दिया था. संजय राउत द्वारा एक इंटरव्यू में दावा किया गया कि अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी मिलने के लिए मुंबई आया करती थीं, तो  आइए आपको करीम लाला के बारे में बताते हैं, जिसका नाम चर्चाओ में बना हुआ है…

अफगानिस्तान से आया था भारत

अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला का असली नाम अब्दुल करीम शेर खान था. अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में उसका जन्म साल 1911 में हुआ था. पश्तून समुदाय का आखिरी राजा कहलाए जाने वाले अब्दुल करीम शेर खान का परिवार बहुत संपन्न था और ये कारोबारी खानदान से ताल्लुक रखता था. जिंदगी में अधिक सफलता प्राप्त करने की चाह ने उसे हिंदुस्तान की ओर जाने के लिए प्रेरित किया था.

अंडरवर्ल्ड का पहला माफिया डॉन

भले ही मुंबई अंडरवर्ल्ड का पहला डॉन हाजी मस्तान मिर्जा को कहा जाता है, लेकिन अंडरवर्ल्ड के जानकारों की मानें तो अंडरवर्ल्ड का पहला माफिया डॉन करीम लाला था, इसे हाजी मस्तान भी असली डॉन कहता था. मुंबई में करीम लाला का आतंक काफी ज्यादा था. जिसके चलते यहां तस्करी के साथ ही कई गैर कानूनी धंधों में उसका नाम शामिल था. इसे लेकर ऐसा भी कहा जाता है कि लाला जरूरतमंदों और गरीबों की सहायता भी किया करता था.

इससे शुरू किया धंधा

केवल 21 साल की उम्र में अब्दुल करीम शेर खान उर्फ करीम लाला हिंदुस्तान में आ गए थे, इस दौरान ये पाकिस्तान के पेशावर शहर के रास्ते से मुंबई में आया था. जिसके बाद दिखावे के लिए करीम लाला ने मुंबई में कारोबार शुरू किया, लेकिन असलीयत में वो मुंबई डॉक से हीरे और जवाहरात की तस्करी का धंधा करने लगा था. इस काम में उसने साल 1940 तक एक तरफा पकड़ बना ली. तस्करी के इस धंधे में उसे बहत फायदा हो रहा था. जिसके चलते उसके पास पैसों की भी कमी नहीं थी. वहीं, उसने मुंबई में बहुत सी जगहों पर दारू और जुए के अड्डे भी खोले, जिसके चलते उसके काम के साथ ही उसका नाम भी बढ़ता ही जा रहा था.

रोजाना लगाता था जनता दरबार

करीम लाला रोजाना अपने घर में जनता का दरबार लगाया करते था और लोगों के मामलों में मध्यस्थ के तौर पर शामिल होकर उन्हें निपटाते था. जिसके चलते ये इतना ज्यादा लोकप्रिय हो गए था कि सभी समाज और संप्रदाय के लोग उसके पास सहायता मांगने के लिए आया करते थे. उसकी नजर में कोई अमीर या कोई गरीब का फर्क नहीं था, कहा जाता है कि मुंबई में उसके घर में रोजाना शाम के समय जनता दरबार लगया जाता था. इस दरबार में वो लोगों से मिलते था. यहां वो जरूरतमंदों और गरीबों की मदद करता था. इसके अलावा जो लोग तलाक चाहते थे उन्हें करीम लाला अक्सर समझाता था कि हर समस्या का हल तलाक नहीं होता.

जब हेलन की कमाई लेकर भाग गया था दोस्त

करीम लाला को फिल्म दुनिया के काफी नजदीक माना जाता है. एक बार की बात है जब अभिनेत्री हेलन करीम लाला के पास सहायता के लिए पहुंची थी क्योंकि उनका एक दोस्त पीएन अरोड़ा उनकी सभी कमाई को लेकर फरार हो गया था. इसके साथ ही वो पैसे वापस देने से भी मना कर रहा था. ऐसे में हताश होकर हेलन उस समय के सुपरस्टार दिलीप कुमार के जरिए से करीम लाला के पास पहुंचीं और फिर करीम लाला के मध्यस्थता की और हेलन को अपना पैसा वापस मिल गया था.

करीम लाला ने की थी दाऊद की पिटाई, आज भी होती है चर्चा

स्करी के धंधे में दाऊद इब्राहिम के कदम रखने से करीम लाला काफी हैरान और परेशान था. ऐसे में दाऊद इब्राहिम और करीम लाला के बीच की दुश्मनी खुलकर सामने आ चुकी थी. बताते हैं कि दाऊद एक बार मुंबई में ही करीम लाला के हत्थे चढ़ गया था. इस दौरान करीम लाला ने दाऊद की जमकर पिटाई की थी. जिसके चलते दाऊद को काफी गंभीर चोटें भी आई थीं. वहीं, आज भी ये बात मुंबई के अंडरवर्ल्ड में प्रचलित है.

दाऊद ने लिया था भाई की मौत का बदला

अंडरवर्ल्ड में दाऊद के आने से पहले कभी भी खून खराबा नहीं होता था, लेकिन करीम लाला से दुश्मनी होने पर दाऊद को बड़ा खामियाजा का भुगतन करना पड़ा. इन दोनों के बीच की दुश्मनी और नफरत इतनी ज्यादा बढ़ गई कि साल 1981 में करीम के पठान गैंग ने दाऊद के भाई शब्बीर को दिन दहाड़े मौत के घाट उतार दिया था. जिसके बाद दाऊद तिलमिला उठा था और फिर उसने मुंबई की सड़कों पर गैंगवॉर की शुरुआत की. जिसके बाद दाऊद गैंग और पठान गैंग में खूनी जंग शुरू हो चुकी थी. वहीं, अपने भाई की हत्या का बदला लेने की चाह में साल 1986 में दाऊद इब्राहिम ने अपने गुर्गों द्वारा करीम लाला के भाई रहीम खान की हत्या कर दी थी.

2002 में मुंबई में हुई थी मौत

मुंबई अंडरवर्ल्ड में साल 1981 से 1985 के दौरान दाऊद इब्राहिम और करीम लाला गैंग में काफी गैंगवॉर होती रहा. जिसके चलते दाऊद की डी कंपनी द्वारा धीरे धीरे करीम लाला के पठान गैंग का मुंबई से सफाया ही हो गया. इन दोनों के बीच के गैंगवॉर में दोनों की तरफ से करीब दर्जनों लोग मारे गए. हालांकि अंडरवर्ल्ड जानकार की मानें तो करीम लाला को ही मुंबई अंडरवर्ल्ड का पहला डॉन मान जाता है. बता दें कि करीम लाला और हाजी मस्तान की दोस्ती भी लोगों में काफी प्रसिद्ध रही. 19 फरवरी, 2002 में जब करीम लाला 90 साल के थे तब मुंबई में ही उसकी मौत हो गई थी.