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रूपेश हत्याकांड पर सवाल पूछा तो तिलमिला गए नीतीश कुमार, बीच सड़क पर ही मिला दिया DGP ...

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इंडिगो के एयरपोर्ट मैनेजर रूपेश सिंह हत्या मामले को लेकर बिहार की राजनीति लगातार गरमाई हुई है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विपक्षी पार्टियां आड़े हाथों ले रही हैं। इसको लेकर जब पत्रकारों ने सीएम नीतीश से सवाल किया, जिस पर वो भड़क उठे। सिर्फ इतना ही नहीं उन्होनें तो बीच सड़क पर ही डीजीपी को भी फोन मिला दिया।

मंगलवार रात को हुई थी रूपेश की हत्या

आपको बता दें कि पटना में रूपेश सिंह की हत्या मंगलवार रात को हुई थी। जब रूपेश अपने काम से घर लौटे तो बाहर ही बदमाशों ने उन पर गोलियों से हमला कर दिया। इस दौरान उनकी मौत हो गई। क्यों और किसने रूपेश सिंह को मारा, इसकी जांच फिलहाल जारी है। लेकिन इस हत्याकांड को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी पार्टियों के निशाने पर हैं।

पत्रकारों के सवाल पर भड़के नीतीश

बिहार के सीएम नीतीश कुमार पटना के आर ब्लॉक से दीघा तक 6 किमी लंबी सिक्स लेन सड़क का उद्घाटन करने पहुंचे थे। इस दौरान ही उनसे पत्रकारों ने रूपेश हत्याकांड पर कुछ सवाल पूछ लिए, जिस पर वो भड़क गए। उन्होनें कहा कि अपराधों पर कार्रवाई की जा रही है, इसको भूलना नहीं चाहिए। रूपेश की हत्या दुखद है। पुलिस मामले की जांच कर  रही है। वो बोले कि क्या अपराधी किसी से इजाजत लेकर अपराध करता है।

इस दौरान नीतीश कुमार ने लालू यादव के शासनकाल का भी जिक्र किया। उन्होनें पत्रकारों से कहा कि किसी को इसके बारे में पता है कि ये हत्या किसने की, पुलिस को जरूर बताना चाहिए। उन्होनें कहा कि पत्रकारों को बताना चाहिए कि 2005 से पहले बिहार में क्या हालात थे? कितनी हिंसा और अपराध होते थे। क्या आज यहां वैसे स्थिति है? आज बिहार अपराध के मामले में 23वें नबंर पर है। सिर्फ इतना ही नहीं नीतीश ने तो पत्रकारों से ये भी सवाल कर दिया कि वो किसके समर्थक हैं।

DGP को मिला दिया फोन

नीतीश ने पत्रकारों से ये भी कहा कि अगर उनको किसी अपराध के बारे में जानकारी मिलती है, तो डीजीपी को बताएं। जिस पर पत्रकार बोले कि डीजीपी साहब तो फोन ही नहीं उठाते। फिर सीएम नीतीश ने खुद ही वहीं पर डीजीपी को फोन मिला दिया। डीजीपी एसके सिंघल ने दो रिंग में ही उनके फोन को उठा लिया। जिसके बाद नीतीश उनसे बोले कि डीजीपी साहब फोन उठाया करिए।

‘मेरी मम्मी पहली गोली मारेगीं’

इससे पहले बीजेपी नेता सुशील मोदी ने गुरुवार को छपरा में रूपेश के परिवारवालों से मुलाकात की थी। जब वो उनसे मिलने पहुंचे तो वहां का माहौल काफी भावुक हो गया। रूपेश की बेटी सुशील मोदी से लिपटकर रोने लगी। छोटी सी बच्ची अराध्या को इस तरह रोता देख सुशील मोदी की भी आंखें भर आई। इस दौरान बच्ची ने ये भी कहा कि अपराधी पकड़े जाएंगे, तो उसकी मम्मी उनको पहली गोली मारेगी।

#TandavReview: दमदार स्टारकास्ट, लेकिन कमजोर कहानी, जानिए कैसी है सैफ अली खान की '...

कोरोना काल के दौरान जहां महीनों तक थिएटर बंद रहे तो ऐसे में OTT प्लेटफॉर्म ही लोगों के मनोरंजन का साधन बना। OTT प्लेटफॉर्म पर बीते साल कई बढ़िया फिल्में और वेब सीरीज आई। इस साल भी लोगों को OTT प्लेटफॉर्म पर बढ़िया कंटेंट मिलने की काफी उम्मीदें हैं।

रिलीज हुई मल्टीस्टारर वेब सीरीज तांडव

इस साल कई ऐसी वेब सीरीज रिलीज होगीं, जिसका लोग काफी बेसब्री से इंतेजार कर रहे हैं। ऐसी ही एक मल्टीस्टारर वेब सीरीज ‘तांडव’ रिलीज हो गई है। इस पॉलिटिकल वेब सीरीज का इंतेजार लोग इसके ट्रेलर को देखने के बाद कर रहे थे। तांडव की स्टारकास्ट काफी तगड़ी हैं, सैफ अली खान के साथ डिंपल कपाड़िया, सुनील ग्रोवर और मोहम्मद जीशान अयूब, गौहर खान, कुमुद कुमार मिश्रा, डीनो मोरिया, कृतिका कामरा जैसे कई सितारे इसका हिस्सा हैं।

कुछ ऐसी है वेब सीरीज की कहानी 

बात अब वेब सीरीज की कहानी की करते हैं। तांडव वेब सीरीज की कहानी समर प्रताप सिंह (सैफ अली खान) के इर्द गिर्द घूमती हैं। समर प्रधानमंत्री का बेटा होता हैं और वो सत्ता हथियाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। समर एक चालाक शख्स है, जो साथ में भ्रष्ट और खतरनाक भी है। समर का साथ देता है गुरपाल (सुनील ग्रोवर)। गुरपाल अपने मालिक के कहने पर कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। गुरपाल एक ऐसा व्यक्ति है, जो काफी निर्दयी है। वो किसी की भी जान तक ले सकता है।

समर के पिता देवकी नंदन (तिग्मांशु धूलिया) तीन बार प्रधानमंत्री बन चुके हैं और चौथी बार भी जीत हासिल कर कुर्सी पर बैठने ही की तैयारी में होते हैं। लेकिन इससे पहले ही उनकी मौत की खबर आ जाती है। जिसके बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी का दावेदार उनका बेटा समर माना जाता है। लेकिन इसके बाद बाजी कुछ ऐसी पलटती है कि वो प्रधानमंत्री नहीं बन पाता और अनुराधा किशोर (डिंपल कपाड़िया) इस कुर्सी पर अपना कब्जा जमा लेती है।

हम हमेशा से ही ये बात सुनते आ रहे हैं कि राजनीति सीधे लोगों के बस की बात नहीं। इसमें प्रवेश करने के लिए आपको निर्दयी और भ्रष्ट होना पड़ता है। ऐसा ही कुछ तांडव में भी दिखाया गया है। इसके लेखक गौरव सोलंकी और डायरेक्टर अली अब्बास जफर है।

स्टूडेंट लीडर के रोल में जीशा आयूब

इसमें छात्र राजनीति के बारे में भी दिखाया गया। शिव शेखर (जीशान आयूब) इसमें एक निडर स्टूडेंट के रोल में नजर आ रहे हैं। संयोग की बात ये है कि जहां एक तरफ असल में किसानों का आंदोलन बीते 50 दिनों से चल रहा है। वहीं इस वेब सीरीज में भी किसानों से जुड़े मुद्दे को दिखाया गया है। युवा छात्र नेता शिवा शेखर किसान आंदोलन के साथ खड़ा होकर सोशल मीडिया पर स्टार बन जाता है। उसके भाषण की गूंज प्रधानंत्री कार्यालय तक पहुंचती है।

तांडव की कहानी की शुरुआत धीमी है। शुरू के कुछ एपिसोड में ऐसा आपको लगेगा। लेकिन पांचवें एपिसोड के बाद ये रफ्तार पकड़ लेती हैं। इसलिए इसे देखते हुए आपको धैर्य रखना बहुत जरूरी है। वेब सीरीज की कहानी में वो दम नहीं देखने को मिलेगा, लेकिन इसकी स्टार कास्ट काफी दमदार है।

ऐसी है सितारों की एक्टिंग

अगर आपको पॉलिकिटल ड्रामा कहानियों में दिलचस्पी है, तो इस वेब सीरीज को देखने में कोई बुराई नहीं। एक्टिंग भी सभी किरदारों की अच्छी हैं। डिंपल कपाड़ियों ने अपने रोल को जबरदस्त तरीके से निभाया। इसके अलावा सैफ की भी एक्टिंग अच्छी हैं। सुनील ग्रोवर ने भी अपने किरदार को बखूबी निभाया। 

16 जनवरी, 2 बजे: ममता बनर्जी पर फूटेगा एक और बम? चुनाव से पहले अब ये करीबी छोड़ सकती ...

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पश्चिम बंगाल में जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे है, वैसे-वैसे सत्ताधारी पार्टी TMC की मुश्किलें बढ़ रही हैं। एक ओर तो बीजेपी ने चुनाव में TMC को खुली चुनौती दे दी है। वहीं दूसरी तरफ TMC के दिग्गजों और ममता बनर्जी के करीबियों का पार्टी छोड़ने का सिलसिला लगातार जारी है। चुनाव से महीनों पहले TMC के कई नेता बागी हो गए।

शताब्दी रॉय ने दिए पार्टी छोड़ने के संकेत

अब इसमें एक और नाम जुड़ने की संभावनाएं जताई जा रही हैं और वो नाम बीरभूम से TMC सांसद और एक्ट्रेस शताब्दी रॉय का है। शताब्दी रॉय ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट के जरिए TMC छोड़ने के संकेत दिए। इस फेसबुक पोस्ट में उन्होनें बताया कि वो 16 जनवरी दोपहर 2 बजे किसी बड़े फैसले के बारे में लोगों को बता सकती हैं।

फेसबुक पोस्ट में कहा ये…

शताब्दी रॉय ने अपनी इस पोस्ट में लिखा- ‘आपका 2021 अच्छा रहे। आप सभी स्वस्थ रहें।क्षेत्र के साथ मेरा नियमित अंतरंग संवाद जारी रहे। लेकिन आजकल कई लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि मैं कार्यक्रमों में क्यों नहीं दिखती। मैं उनको बताना चाहती हूं कि मैं हर जगह जाना चाहती हूं। मुझे आप लोगों के साथ रहना पसंद हैं।’

उन्होनें आगे लिखा- ‘लेकिन मुझे लगता है कि कुछ लोग ऐसा नहीं चाहते कि मैं आपके पास जाऊं। कई कार्यकर्मों की खबरें तो मुझे मिलती ही नहीं। अगर मुझे पता ही नहीं होगा, तो मैं कैसे जा सकती हूं? इसके साथ ही मुझे भी मानसिक पीड़ा होती है। बीते 10 सालों से मैनें अपने घर से ज्यादा समय आपका प्रतिनिधित्व करने में बिताया, काम करने की पूरी कोशिश करते हुए, दुश्मन भी इसे स्वीकार करते हैं।’

शताब्दी रॉय ने आगे पार्टी छोड़ने के संकेत देते हुए लिखा- ‘तो मैं इस नए साल में फैसला लेने की कोशिश कर रही हूं, जिससे पूरी तरह आपके साथ रह सकूं। मैं आप सभी की आभारी हूं। आपने मुझे साल 2009 में लोकसभा भेजा। उम्मीद करती हूं कि भविष्य में भी आप मुझे प्यार देंगे। बहुत दिनों बाद बंगाल की जनता ने मुझे शताब्दी रॉय के तौर पर प्यार किया। अपना फर्ज निभाने की पूरी कोशिश करूंगी। मैं अगर कोई फैसला लेती हूं तो इसके बारे में आपको 16 जनवरी दोपहर 2 बजे सूचित करूंगी।’


पहले भी कई करीबियों से मिल चुका है झटका

शताब्दी रॉय की बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। वो ममता बनर्जी की करीबी मानी जाती हैं। 2009 में शताब्दी रॉय ने बीरभूम से चुनाव लड़ा था और वो इसमें जीती थीं। इसके बाद 2014 और 2019 में भी वो इसी सीट से सांसद चुनीं गईं।

इससे पहले भी ममता बनर्जी को कई झटके लग चुके हैं। TMC के दिग्गज नेता शुभेंदु रॉय ने भी चुनाव से पहले पार्टी का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था। शुभेंदु के अलावा भी कई और नेताओं ने TMC को चुनाव से पहले अलविदा कह दिया। देखना ये होगा कि अब शताब्दी रॉय क्या कदम उठाती हैं…?

वैक्सीनेशन का काउंटडाउन: गर्भवती महिलाओं समेत इन लोगों को वैक्सीन देने पर मनाही, जानि...

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कोरोना के खिलाफ जंग में भारत एक कदम और आगे बढ़ने वाला है। कोरोना वैक्सीनेशन का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। कल यानी शनिवार से देश में कोरोना की वैक्सीन लगने का काम शुरू हो जाएगा। 16 जनवरी से वैक्सीनेशन के लिए महाअभियान चलाया जा रहा है। इस दिन का इंतेजार बीते कई महीनों से लोग कर रहे थे। अब आखिरकार वो दिन काफी नजदीक आ ही गया।

वैक्सीन का महाअभियान होगा शुरू

देश में दो कोरोना वैक्सीन को इमरजेंसी यूज के लिए इजाजत मिल गई है, जिसमें भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट को कोविशील्ड शामिल है। अब कल यानी 16 जनवरी से इन वैक्सीन को लगाने का काम शुरू हो जाएगा। पहले चरण में स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन दी जाएगी। टीकाकरण अभियान से पहले स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने दोनों टीकों के लिए राज्यों को वैक्सीनेशन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए।

सरकार ने वैक्सीनेशन को लेकर दिए ये दिशा-निर्देश

इसमें वैक्सीन रोलआउट से लेकर फिजिकल स्पेसिफिकेशन, खुराक, कोल्ड चेन स्टोरेज की आवश्यकताओं, मतभेद और हल्की AEFIs (टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटना) के बारे में जानकारी दी गई है। आइए आपको बताते हैं कि राज्यों को क्या-क्या निर्देश दिए गए।

– केंद्र द्वारा भेजे गए निर्देशों में ये कहा गया है कि 18 साल या फिर उससे ज्यादा उम्र के लोगों को ही वैक्सीन लगाई जाएगी।

– गर्भवती महिलाओं या फिर वो महिलाएं जो अपनी गर्भावस्था को लेकर सुनिश्चित नहीं, उनको वैक्सीन की डोज नहीं दी जाएगी। साथ ही स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी वैक्सीन नहीं लगाने के निर्देश दिए गए। ऐसा इसलिए क्योंकि वैक्सीन के ट्रायल के दौरान गर्भवती और स्तनपान वाली महिलाओं को शामिल नहीं किया गया।

– शख्स को जिस वैक्सीन की पहली डोज दी जाएगी, दूसरी भी उसी की लगेगी। वैक्सीन बदली नहीं जाएगी। दोनों टीकों के बीच 14 दिनों का कम से कम अंतराल होना जरूरी है।

– किसी भी व्यक्ति को टीका लगाने से पहले उसकी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पता करने की भी हिदायत दी गई। जिन्हें कोई एलर्जी हो, उनको टीका देते से पहले ही सावधानी बरतने को कहा गया।

– वो लोग जिनको सार्स या फिर कोरोना के इलाज में एंटी सार्स मोनोक्लोनल एंटीबाडी या प्लाज्मा दिया गया हो, जो किसी दूसरी बीमारी के चलते अस्पताल में रहे हो, बीमार रहे हो, उनको ठीक होने के 4 से 8 हफ्ते बाद टीका लगाया जाए।

– जो शख्स कोरोना से पहले संक्रमित हो चुके हो या फिर जिनको कई गंभीर बीमारियां ( कार्डियक, न्यूरोलॉजिकल, पलमोनरी, मेटाबॉलिक, HIV) हो उनको वैक्सीन दी जा सकती है।

Indian Army Day: 15 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता हैं भारतीय सेना दिवस? ये है इसके पीछ...

15 जनवरी का दिन बहुत खास होता है क्योंकि इस दिन को भारतीय सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। अपनी सेना का नाम सुनते ही हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। भारतीय सेना की ही वजह से हम अपने घरों में सुरक्षित रहते है। वो अपने घर-परिवार सब कुछ छोड़कर देश की रक्षा करने के लिए सरहदों पर जाते हैं। ना वो गर्मी की फिक्र करते हैं और ना ही ठिठुरती हुई ठंड की।

चौबीसों घंटे तैनात रहकर वो बस भारत माता की रक्षा करते हैं। कई वीर जवान तो अपने देश के लिए शहीद तक हो जाते हैं. इस साल 15 जनवरी को 73वां भारतीय सेना दिवस मनाया जा रहा है।आइए आपको बताते हैं कि हर साल क्यों 15 जनवरी को ही भारतीय सेना दिवस मनाया जाता है और इसको कैसे मनाते हैं..?

इसलिए इस दिन मनाया जाता है…

15 अगस्त 1947 का वो दिन भारत को आखिरकार ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिल गई। उस समय माहौल काफी खराब था. कई जगहों पर दंगे हो रहे थे। कुछ शरर्णाथी पाकिस्तान से आ रहे थे, तो कुछ पाकिस्तान की ओर जा रहे थे। हालातों पर काबू पाने के लिए सेना को आगे आना पड़ा। उस समय सेना की कमान ब्रिटिसर्स कमांडर जनरल रॉय फ्रांसिस बुचर के हाथ में थी।

पहले भारतीय सेना चीफ बने थे करियप्पा

वहीं 15 जनवरी 1949 वो दिन था, जब फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के साथों में सेना की कमान सौंपी गईं। वो आजाद भारत के पहले भारतीय सेना चीफ बने। इसलिए हर साल 15 जनवरी को भारतीय सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस खास दिन के मौके पर बहादुर वीर सैनिकों को सम्मानित किया जाता है, तो वहीं देश के लिए कुर्बानी देने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती हैं।

जब पहले भारतीय ने थलसेना की कमान संभाली तो ये पूरे देश के लिए गर्व का मौका था। जनरल केएम करियप्पा को लोग प्यार से किपर भी कहते बुलाते थे। जब वो भारत के पहले कमांडर इन चीफ बने तो उनकी उम्र केवल 49 साल थी। वो चार सालों तक आर्मी के चीफ रहे और 16 जनवरी 1953 को रिटारयर हुए।

जानिए कब हुआ था भारतीय सेना का गठन?

आधिकारिक तौर पर भारतीय थलसेना का गठन 1 अप्रैल 1895 को हुआ था। ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों को भारतीय थलसेना में शामिल किया गया था। उस दौरान इसे ब्रिटिश इंडियन आर्मी कहा जाता था। वहीं आजादी के बाद नेशनल आर्मी कहा गया। देश के आजाद होने के बाद भी ब्रिटिश सेना के ही अधिकारी आर्मी चीफ के पद पर तैनात रहे। फिर 15 जनवरी 1949 को जनरल केएम करियप्पा ने ब्रिटिश अधिकारी से भारतीय थलसेना का प्रभार लिया था।

जानिए कैसा रहेगा 15 जनवरी को आपका दिन

जैसा कि हम सभी जानते हैं ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन में पड़ता है, जिसके चलते हमें कभी अच्छे तो कभी बुरे दिनों का सामना करना पड़ता। वहीं आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आज का राशिफल आपके जीवन में क्या-क्या परिवर्तन लेकर आ सकता है। तो आइए आपको बताते हैं आज के दिन के बारे में आपके सितारे क्या कहते हैं और 15 जनवरी का दिन आपके लिए कैसा रहेगा…

मेष राशि- आपका दिन सामान्य रहेगा। कोई अच्छी खबर मिलेगी। किसी भी  चीज को लेकर ज्यादा उत्साहित ना हो। नए काम को आज के दिन हाथ में ना ले।

वृषभ राशि- आपका दिन तनाव से भरा बीतेगा। जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ेगा। हर परिस्थिति में धैर्य बनाए रखें। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा।

मिथुन राशि- आपका दिन ठीक ठाक रहेगा। कार्यक्षेत्र में प्रगति की राह पर चलेंगे। परिवार के साथ बढ़िया वक्त बिताएंगे। स्वास्थ्य डामाडोल रहने के आसार है।

कर्क राशि- दिन आपका बहुत अच्छा बीतेगा। आत्मविश्वास बढ़ेगा। मन प्रसन्न  रहेगा। आज के दिन जिस भी काम को मेहनत और लगन से करेंगे, उसमें सफलता जरूर मिलेगी।

सिंह राशि- थोड़ा संभलकर रहें। किसी की बातों में ना आएं। अनजान लोगों के साथ अपनी पर्सनल चीजें साझा करने से बचें। दिन आपका मिला जुला बीतेगा।

कन्या राशि- आपका दिन शानदार बीतेगा। आर्थिक समस्याएं कम होगी। नए काम शुरू करने से बचें। फिजलूखर्च ना करें।

तुला राशि- आपका दिन अच्छा रहेगा। धन लाभ होने के आसार है। मन खुश रहेगा। लंबे वक्त से चली आ रही परेशानियां दूर होगीं।

वृश्चिक राशि- दिन की शुरुआत परेशानियों से होगी। सुबह सुबह कोई परेशान करने वाली खबर मिल सकती है। हालांकि शाम होते होते सबकुछ सामान्य हो जाएगा। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

धनु राशि- दिन आपका ठीक ठाक बीतेगा। लव लाइफ में तनाव रहेगा। पार्टनर के साथ छोटी छोटी बातों पर झगड़ा हो सकता है। गुस्से पर कंट्रोल रखें।

मकर राशि- आपको थोड़ा संभलकर रहने की जरूरत है। बने बनाए काम भी बिगड़ सकते हैं। किसी की भी बातों में आए। परिवार की सलाह के बिना कदम ना उठाएं।

कुंभ राशि- आपका दिन सामान्य रहेगा। आज मनचाहे चीज खरीद सकते है। भविष्य से जुड़े फैसले आपको लेने पढ़ सकते है। परिवार में खुशहाली का माहौल रहेगा।

मीन राशि- आपका दिन तनाव से भरा बीतेगा। बिजनेस में जोखिम उठाने से बचें। नए काम की शुरुआत ना करें। दोस्तों के साथ दिल की हर बात शेयर करें।

Bengal Election: TMC का कांग्रेस-वाम मोर्चा को ऑफर- बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में दें साथ...

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पश्चिम बंगाल चुनावों में बीजेपी सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। बीजेपी चुनावों में ममता बनर्जी को हारने के लिए और राज्य की सत्ता कब्जाने के लिए पूरा दमखम लगा रही है। इसके चलते तृणमूल कांग्रेस में अब बैचेनी देखने को मिल रही है। बीते दिन बुधवार को ही बीजेपी के खिलाफ लड़ने के लिए TMC ने वाम मोर्चा और कांग्रेस से ममता बनर्जी का साथ देने को कहा।

लेकिन दोनों ही पार्टियों ने TMC के इस ऑफर को ठुकरा दिया। इस पेशकश के बाद कांग्रेस पार्टी ने कह दिया कि TMC बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में गठबंधन करने की जगह अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लें।

TMC ने की ये पेशकश

दरअसल, बीजेपी बंगाल में मजबूती से उभर रही है। जिसके चलते TMC की मुश्किलें आने  वाले विधानसभा चुनाव में बढ़ने की संभावना है। इसी वजह से TMC के वरिष्ठ सासंद सौगत रॉय ने कहा था कि अगर वाम मोर्चा और कांग्रेस सच में बीजेपी के खिलाफ हैं, तो उनको भगवा दल की सांप्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में ममता बनर्जी का साथ देना चाहिए। ममता बनर्जी ही बीजेपी के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष राजनीति का असली चेहरा हैं।’

‘कांग्रेस में कर लें अपनी पार्टी का विलय’

TMC के इस प्रस्ताव बंगाल के कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अगर बीजेपी राज्य में मजबूत हो रही है,  तो उसकी वजह TMC ही है। वो बोले कि हमें TMC के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं। 10 सालों से हमारे विधायक खरीदने के बाद TMC अब हमारी पार्टी के साथ गठबंधन क्यों करना चाहती हैं। ममता बनर्जी अगर बीजेपी के खिलाफ लड़ना चाहती हैं, तो उनको कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए। क्योंकि वही सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र देशव्यापी मंच है।’

‘बीजेपी और TMC को चुनाव में हराएंगें’

बता दें कि ममता बनर्जी ने 1998 में कांग्रेस से अलग होकर TMC की स्थापना की थी। TMC के इस ऑफर पर CPM के वरिष्ठ नेता सुजान चक्रवर्ती ने हैरानी जताई। उन्होनें कहा कि TMC ने राज्य में वाम मोर्चा और कांग्रेस को नगण्य राजनीतिक बल करार दिया था और अब वो गठबंधन के लिए बेकरार हो रहे हैं। सुजान चक्रवर्ती ने ये भी कहा कि बीजेपी भी वाम मोर्चा को लुभाने की कोशिश कर रही है। वो बोले की इससे पता चलता है कि वाम मोर्चा अभी भी महत्वपूर्ण है। कांग्रेस और वाम मोर्चा मिलकर बंगाल चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों को हराएंगे।

‘अकेले बीजेपी से नहीं लड़ सकती TMC’

वहीं इसको लेकर बीजेपी की तरफ से भी TMC पर तंज कसा गया है। बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि TMC की ये पेशकश उनकी ‘हताशा’ दर्शाती है। उन्होनें कहा कि वो (TMC) हमसे अकेले नहीं लड़ सके, इसलिए दूसरे दलों का साथ मांग रहे हैं। जिससे यही पता चलता है कि बीजेपी ही TMC का एकमात्र विकल्प है।’

Farmers Protest: सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी से भूपिंदर सिंह मान ने क्यों पीछे...

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किसानों ने अपना आंदोलन बीते साल नवंबर के महीने में शुरू किया था, जो अब तक जारी है। नए कृषि कानून किसानों और सरकार के बीच बीते दो महीने से गतिरोध चल रहा है। देश के अन्नदाता सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं। इस पूरे मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया और विवाद सुलझाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया।

सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी 4 सदस्यीय कमेटी

सुप्रीम कोर्ट ने तीनों नए कृषि कानून पर कुछ समय के लिए रोक लगाई। साथ ही चार सदस्यीय एक कमेटी का भी गठन किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत, कृषि वैज्ञानिक अशोक गुलाटी और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के. जोशी को शामिल किया।

भूपिंदर सिंह मान ने अपना नाम लिया वापस

लेकिन अब भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इस कमेटी से अलग कर लिया है। दरअसल, कमेटी में उनको शामिल किए जाने पर पहले से ही हंगामा हो रहा था। जो किसान कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, उनका ये कहना था कि भूपिंदर पहले से ही तीनों कानून के समर्थन में हैं।

ये बताई वजह…

अब भूपिंदर सिंह मान ने कमेटी से अपना नाम वापस ले लिया। उन्होनें कमेटी में शामिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद कहा। साथ ही वो ये भी बोले कि मैं किसानों की भावनाओं के बारे में जानता हूं। एक किसान और खुद एक यूनियन नेता के तौर पर मैं किसान संघों और जनता के बीच फैली शंकाओं को देखते हुए किसी भी बड़े पद को त्यागने के लिए तैयार हूं। मैं पंजाब और किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं कर सकता। कोर्ट द्वारा दी गई इस जिम्मेदारी को नहीं निभा सकता। इसलिए मैं खुद को कमेटी से अलग करता हूं।

भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन (BKU) के अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद हैं। उनका किसानों में प्रभाव काफी अच्छा है। दिसंबर में भूपिंदर सिंह मान ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की थी। जिस दौरान उन्होनें केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कानूनों का समर्थन किया था। हालांकि इस दौरान उन्होनें कानून में कुछ संशोधन के सुझाव भी दिए थे। जिसमें MSP की लिखित गारंटी देने को कहा गया था।

भूपिंदर सिंह मान को कमेटी का सदस्य बनाने पर शुरू से ही सवाल उठ रहे थे। आंदोलन कर रहे किसानों का कहना था कि मान शुरू से ही कृषि कानून के समर्थन में है। ऐसे में उनको कमेटी का हिस्सा क्यों बनाया गया। हालांकि अब खुद भूपिंदर सिंह मान ने ही इस कमेटी से कदम पीछे हटा लिए हैं।

Ind vs Aus: चौथे टेस्ट के लिए आज नहीं हुआ Team India की प्लेइंग 11 का ऐलान, बुमराह बन...

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कल यानी 15 जनवरी से भारत और ऑस्ट्रेलिया के चार मैचों की टेस्ट सीरीज का आखिरी मुकाबला खेला जाने वाला है। क्योंकि ये टेस्ट सीरीज फिलहाल 1-1 से बराबर पर चल रही है। ऐसे में ब्रिस्बेन में खेला जाने वाला मुकाबला दोनों टीमों के लिए काफी अहम हैं। सीरीज के पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया ने जीत दर्ज की थी, तो वहीं दूसरे में टीम इंडिया ने बाजी मारी। तीसरा टेस्ट मैच ड्रा हुआ था। अब चौथा मुकाबला निर्णायक होगा।

आमतौर पर टेस्ट मैच से एक दिन पहले ही इसकी घोषणा हो जाती है कि टीम इंडिया की किन 11 खिलाड़ियों के साथ मैदान में उतरने वाली है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। टीम इंडिया की प्लेइंग 11 का ऐलान फिलहाल टाल दिया गया है और उसकी वजह से टीम के स्टार गेंदबाज जसप्रीत बुमराह।

बुमराह के मैच खेलने पर होना है फैसला

जी हां, बुमराह के चलते ही गुरुवार को टीम की प्लेइंग 11 का ऐलान नहीं किया गया। इसकी वजह टीम के बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौड़ ने बताई। दरअसल, बुमराह का इस मैच में खेलना अभी पूरी तरह तय नहीं है। बुमराह का मैच खेलना उनकी फिटनेस पर निर्भर करता है। अगर वो फिट होते हैं, तो उनको प्लेइंग 11 में जगह दी जाएगी। बुमराह की फिटनेस का फैसला मैच के शुरू होने से पहले ही लिया जाएगा।

राठौड़ ने बताया कि मेडिकल टीम लगातार बुमराह की फिटनेस पर नजर बनाए हुए है। वो ये मैच खेलेंगे या फिर नहीं इस पर कल (शुक्रवार) सुबह मैच शुरू होने से पहले ही फैसला लिया जाएगा।

बुमराह के पेट में आया था खिंचाव

दरअसल, सिडनी टेस्ट के दौरान बुमराह के पेट में खिंचाव आ गया। ये माना जा रहा था कि भारतीय टीम प्रबंधन इंग्लैंड के खिलाफ आगामी घरेलू सीरीज को देखते हुए उनकी चोट बढ़ने का जोखिम नहीं उठाना चाहती। लेकिन अब विक्रम राठौड़ के बयान से तो ये लग रहा है कि आखिरी मैच में बुमराह को खिलाने के मूड में मैनेजमेंट है।

चोट की समस्या से जूझ रही टीम इंडिया

ऑस्ट्रेलियाई दौरे के दौरान टीम इंडिया के कई खिलाड़ी चोटिल हुए हैं, जिसकी वजह से प्लेइंग 11 चुनना भी अब मुश्किल हो रहा है। दरअसल, मोहम्मद शमी, रवींद्र जडेजा, उमेश यादव, हनुमा विहारी तो पहले ही सीरीज से बाहर हो चुके हैं। वहीं इसके अलावा आर अश्विन के कमर में भी दर्द है, जिसके चलते शायद वो भी मैच ना खेलें। इसके अलावा मयंक अग्रवाल, ऋषभ पंत और केएल राहुल भी चोटिल हैं। ऐसे में किन 11 खिलाड़ियों के साथ टीम इंडिया शुक्रवार को ब्रिस्बेन टेस्ट के लिए मैदान में उतरती है, ये देखने वाली बात होगी।

NCERT में पढ़ाया जा रहा मुगलों गलत इतिहास? 12वीं क्लास की किताब में इस तथ्य को लेकर छ...

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राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान परिषद (NCERT) की 12वीं क्लास में पढ़ाए जा रहे इतिहास के आधार पर फिर से विवाद शुरू हो गया। दरअसल, 12वीं कक्षा की हिस्ट्री की बुक में एक चैप्टर में जिक्र है कि युद्ध के दौरान मंदिर को ढहाया गया था, लेकिन मुगल शासकों ने बाद में उनकी मरम्मत भी कराई। 

लेकिन जब इसके संबंध में शिवांक वर्मा ने NCERT से आरटीआई के तहत जवाब मांगा, तो ये साफ तौर पर कह दिया गया कि विभाग के पास मांग जानकारी से जुड़ी कोई सूचना उपलब्ध नहीं है। 

जानकारी का सोर्स नहीं पता NCERT को

बीते साल NCERT की 12वीं क्लास की हिस्ट्री बुक में थीम्स ऑफ इंडियन हिस्ट्री पार्ट-टू के पेज 234 पर दूसरे पैरा में जो जानकारी दी गई, उसके सोर्स के बारे पूछा गया था। पैरा में ये लिखा है कि युद्ध के दौरान मंदिरों को ढहाया गया था, लेकिन बाद में शाहजहां और औरंगजेब ने मंदिरों की मरम्मत के लिए ग्रांट जारी किया था।

इसकेे अलावा RTI में दूसरा सवाल ये किया गया कि औरंगजेब और शाहजहां ने कितने मंदिरों की मरम्मत कराई। NCERT की तरफ से इन दोनों सवालों का एक जैसा ही जवाब दिया गया। 18 नवंबर 2020 को जारी पत्र के मुताबिक बताया गया है कि मांगी गई जानकारी विभाग की फाइलों में उपलब्ध नहीं है। इस पत्र पर हेड ऑफ डिपार्टमेंट एंड पब्लिक इंफोर्मेशन ऑफिसर प्रो. गौरी श्रीवास्तव ने साइन किए हुए हैं।

सोशल मीडिया पर बना बहस का मुद्दा

सोशल मीडिया पर ये विवाद अब बहस का मुद्दा बन गया है। अभिषेक नाम के यूजर ने इस पर ट्वीट करते हुए लिखा- ‘सबसे चौंकाने वाली बात, जो मुझे पता चली। किसी ने RTI दायर कर NCERT को अपनी किताब में इस दावे का सोर्स बताने को कहा कि मुगल शासकों ने युद्ध में तबाह हुए मंदिरों का पुनर्निर्माण कराया। NCERT की तरफ से जवाब दिया गया कि उनको सोर्स के बारे में नहीं पता। लेकिन फिर भी उन्होनें इसे किताब में शामिल किया।’

एक अन्य यूजर ने लिखा- ‘औरंगजेब जिन्होनें हमारे लाखों मंदिरों को नष्ट किया और उन पर मस्जिद बनाई, वो हमारी NCERT बुक्स में हीरो है। मुगल जिन्होनें हमारे हजारों शहीदों को मारा, वो NCERT में हीरो है। ये सच है कि हमारे सच्चे हिंदुस्तानी नायकों को खोजना लगभग असंभव है।’

ऐसे ही कई लोग NCERT के इस जवाब को लेकर अपनी अपनी राय सोशल मीडिया पर रख रहे हैं।