अगर आपने कोई जमीन या घर खरीदा है तो उसका नगर निकाय के पास छह महीने और सालाना आधार पर प्रॉपर्टी टैक्स भरना होगा, नहीं तो आपको उसका भरी जुर्माना चुकाना पड़ सकता है. और संपत्ति भी जब्त के साथ आपको जेल एक भी दर्शन हो सकते है. पुरे देशभर में नए मकान-फ्लैट की बिक्री तेजी पकड़ रही है, एक सर्वे के अनुसार साल 2022 में देश के टॉप 7 शहरों में 3.6 लाख से अधिक घर बिक हैं. अगर आप भी प्रॉपर्टी खरीदने वालों की लिस्ट में है तो आपको प्रोपर्टी टैक्स के बारे में जरुर जानना चाहिए. प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने का काम नगर निगम करता है. नगर निगम ही घर या फ्लैट का प्रॉपर्टी टैक्स लेता है. आपका घर जिस निगम क्षेत्र में आता है, उसी क्षेत्र की अथॉरिटी को प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने का अधिकार मिला होता है.
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कैसे भरे प्रॉपर्टी टैक्स?
हम आपको बता दे कि प्रॉपर्टी टैक्स भी ठीक उसी तरह भरा जाता है जैसे की रेगुलर इनकम टैक्स भरा जाता है. म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट 1888 (MMC Act) के अनुसार, नगर निकाय को हमें प्रॉपर्टी टैक्स में सीवरेज टैक्स, जनरल टैक्स, एजुकेशन सेस, स्ट्रीट टैक्स और बेटरमेंट चार्जेज देना पड़ता है. प्रॉपर्टी टैक्स कई शहर में साल में दो बार छह-छह महीने पर भरा जाता है.
टैक्स समय पर न भरने के परिणाम?
प्रॉपर्टी टैक्स चुकाने की एक डेडलाइन दी जाती है अगर आप डेडलाइन तक टैक्स नहीं चुका पाते तो आपको टैक्स के साथ पेनल्टी भी भरनी पडती है जिसके लिओये आपको 21 दिन का समय दिया जाता है और अगर इस समय के बाद भी आप टैक्स नहीं चुकाते है तो आपके ऊपर कानूनी कार्यवाही की जाती है. और आप घर या फ्लैट मालिक डिफॉल्टर की श्रेणी में शामिल हो जाते है जिससे आप आपना घर या मकान बेच नहीं पाएंगे.
क्या है ‘कारण बताओ नोटिस’ ?
म्यूनिसिपल अथॉरिटी द्वारा ‘कारण बताओ नोटिस’ घर के मालिक को प्रॉपर्टी टैक्स नहीं भरने पर भेजा जाता है. यह नोटिस बकाया पैसे की रिकवरी के लिए भेजा जाता है. अगर प्रॉपर्टी टैक्स नहीं चुकाया जाता तो ऐसे में डीएमसी एक्ट, 1957 की धारा 155 और 156 के तहत घर के मालिक की प्रॉपर्टी अटैच की जा सकती है, इसमें बैंक अकाउंट, रेंट और सभी चल संपत्तियों को अटैच करने का अधिकार है.
रेंट के मकान का प्रॉपर्टी टैक्स?
हम आपको बता दें कि रेंट के मकान का प्रॉपर्टी टैक्स मकान के मालिक को भरना पड़ता है, लेकिन मकान का मालिक अगर प्रॉपर्टी टैक्स भरने में सक्ष्म नहीं है तो उसकी जगह किराएदार को प्रॉपर्टी टैक्स भरना पड़ता है. नहीं तो दोनों पर कानूनी कार्यवाही हो सकती है.
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