हमारे देश में बहुत सारे ऐसे राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता रहे है जिन्होंने हिन्दू वर्ण व्यवस्था का विरोध कर उसे हमारे समाज के लिए के विष बताया है उन्हीं में से एक राजनेता है पेरियार, जिन्हें तमिलनाडु की हिन्दू विरोधी द्रविड़ राजनीति का जनक माना जाता है. पेरियार ने ब्राह्मणों, हिन्दू ग्रंथों और हिन्दू देवी-देवताओं पर कई बार विवादित टिप्पणी की है, इन्हें भारत का सबसे बड़ा विवादित राजनेता के तौर पर भी जाना जाता है.
दोस्तो, आईए आज हम आपको एक अलग देश ‘द्रविड़नाडु’ की माँग करने वाले विवादित राजनेता एक जीवन की कुछ विवादित घटनाएँ बताएंगे.
भारत की सबसे विवादित शख्सियतों में से एक – पेरियार
पेरियार का पूरा नाम इरोड वेंकटप्पा रामासामी था, इन्होनें तमिलनाडु में ‘द्रविड़ कझगम’ अभियान की शुरुआत की और साथ ही तमिलनाडू की हिन्दू विरोधी द्रविड़ राजनीति को जन्म भी दिया था. पेरियार ने हिंदी भाषा का विरोध करते हुए एक अलग देश ‘द्रविड़नाडु’ की भी माँग की थी.
हम आपको बता दे की पेरियार को पहचान ‘वैकोम सत्याग्रह’ से मिली थी जो त्रावणकोर के एक मंदिर में दलितों को प्रवेश दिलाने के लिए आंदोलन था. इस आन्दोलन में पेरियार ने बतौर मद्रास कांग्रेस अध्यक्ष हिस्सा लिया था. जो त्रावणकोर के राजपरिवार के खिलाफ किया था.
पेरियार के जीवन को नया रुख उनकी विदेश यात्राओं ने प्रदान किया जिसके बाद उन्होंने जस्टिस पार्टी की स्थापना की. इस पार्टी में पेरियार ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में अन्नादुराई को तैयार किया था, लेकिन जब पेरियार ने 70 साल की उम्र में 40 साल की औरत से शादी की तो अन्नादुराई उनसे अलग हो गए और अपनी नई पार्टी DMK की स्थापना की.
नेहरू ने पेरियार को कहा ‘पागल’ और ‘विकृत’ दिमाग वाला आदमी
हम आपको बता दे की पेरियार एक समय पर कांग्रेस का सदस्य था लेकिन कांग्रेस पार्टी में होने वाले जातिगत भेदभाव को देखकर पेरियार ने कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र दे दिया, जिसके बाद से पेरियार और कांग्रेस पार्टी की कभी नहीं बनी, पेरियार ने एक बार कहा था की कॉन्ग्रेस पार्टी, हिन्दू धर्म, और ब्राह्मणों के प्रभुत्व तीनों का अंत होगा.
पेरियार ने 4 नवंबर, 1957 को तंजावुर में जातिवाद के विरोध एक कार्यक्रम आयोजित किया था, इस कार्यक्रम में 2 लाख से भी अधिक लोग शामिल थे, पेरियार ने इस कार्यक्रम में ब्राह्मणों की बस्तियों को जला डालने की बात की, और 1000 तमिल ब्राह्मणों को भी उकसाया था. इसके बाद 23 अक्टूबर, 1957 को जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री K कामराज को पत्र लिखा जिसमें पेरियार के खिलाफ कार्यवाही करने को कहा था, साथ ही जवाहरलाल ने पत्र के साथ समाचारपत्र की कटिंग भी लगाई थी जिसमे पेरियार ने भडकाऊ भाषण लिखा था.
कुछ समय बाद 5 नवंबर 1957 को जवाहरलाल नेहरू ने एक ओर पत्र लिखा जिसमे उन्होंने – “जो पेरियार ने कहा है, वो सिर्फ एक पागल या अपराधी द्वारा ही कहा जा सकता है. मैं उसे पर्याप्त रूप से नहीं जानता, ताकि मैं समझ सकूँ कि वो क्या है. लेकिन, एक बात को लेकर मैं स्पष्ट हूँ कि इस तरह की चीज देश पर बहुत ही निरुत्साही प्रभाव डालने वाली है. सभी समाज विरोधी आपराधिक तत्व यही सोचते हैं कि वो इस तरह की चीजें कर सकें। इसीलिए, मैं आपको सलाह देता हूँ कि इस मामले में कार्रवाई करने में देरी न करें. उसे किसी पागलखाने में डाल कर उसके विकृत दिमाग का इलाज करवाया जाए”.
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