कांशीराम ने एक लडकी को देखा जो ‘हरिजन’ शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जता रही थी, उस समय कांशीराम ने उस लडकी में जाने ऐसा क्या देख लिया, जो उसे आगे चलकर उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया… जो आगे चलकर कांशीराम के लिए अपने परिवार से भी जरूरी हो गई, जिसने आगे चलकर बहुजन समाज के लिए काम किया… जी हाँ… हम मायावती की ही बात कर रहे है. जब कांशीराम मायावती से पहले बार मिले थे तो मायावती बेबाकी से अपने भाषण में ‘हरिजन’ शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जता रही थी. जिसके बाद कांशीराम ने उसे अपने साथ संगठन में काम करने को कहा था.
दोस्तों, आईए आज हम आपको कांशीराम के जीवन की कुछ ऐसी घटना से रूबरू कराते है जिसकी सच्चाई बताई ही नहीं गई.
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पत्रकार ने पुछा मायावती से ये सवाल
मायावती को जब कांशीराम ने उनके संगठन में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था तब मायावती ने अपनी पिता जी के मना करने पर भी सामाजिक सेवा के भाव से उनका संगठन ज्वाइन किया था लेकिन देखते ही देखते मायावती उस संगठन की सबसे महत्वपूर्ण सदस्य बन गई थी. जो आगे चलकर उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री भी बनी. 2006 में कांशीराम का निधन हो गया था, और इससे पहले मायावती पर कांशीराम को उनके परिवार से नहीं मिलने देने के आरोप लगे थे.
मई 2005 में वरिष्ट पत्रकार शेखर गुप्ता ने मायावती से पूछा था कि “आप पर कांशीराम को उनके परिवार से नहीं मिलने देने के आरोप लगे है… ऐसा क्या कारण रहे की आप उन्हें उनके परिवार से नहीं मिलने देती’ इस बात का जवाब देते हुए मायावती ने कहा था कि “कांशीराम के परिवार को विरोधी पार्टियों द्वारा लालच दिया गया, साथ ही कुछ पैसे का भी लालच दिया गया, जिसके बाद कांशीराम के परिवार ने भी कांशीराम के यहां रुकने का विरोध किया, वह तो कोर्ट तक पहुंचे लेकिन बहुजन समाज मेरे साथ खड़ा रहा”.
मायावती ने आगे कहा “मैं कांशीराम जी का परिवार से भी अधिक ध्यान रखती हूँ, सब कहते है की एक बेटा भी इतना ध्यान नहीं रख सकता, AIIMS से डॉक्टर्स की टीम आई थी और उन्होंने कहा है की जो दवाई कांशीराम को दी जा रही है वो बिलकुल ठीक है”.
फिर पत्रकार पूछते है कि आप कांशीराम को छुपाकर क्यों रखती है? किसी को आप उनसे मिलने नहीं देती क्यों? मायावती ने कहा की “मुझे किसी पर यकीन नहीं है, जाने कौन किस बेस में घर आकर कुछ रख जाए और हमारे घर को ही उड़ा दे. तो ऐसे में मैं कांशीराम से किसी को नहीं मिलने दे सकती”.
मायावती ने बताया की ये बात उस समय है “जब कांशीराम बीमार हुए थे और अस्पताल में थे. कांशीराम ने खुद कहा है मेरे परिवार वाले ठीक नही कर रहे है, वह स्वार्थी है, मुझे मायावती पर भरोसा है वह सही कर रही है”.