रूस की राजधानी मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल में कॉन्सर्ट में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद रूस ने अपनी सुरक्षा बढ़ा दी है। इस हमले में 140 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। वहीं, हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट से जुड़े इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस (ISKP) नाम के आतंकी संगठन ने ली है। हालांकि यह पहली बार नहीं है कि किसी आतंकी संगठन ने अपने हमले की जिम्मेदारी ली है, इससे पहले भी कई आतंकी संगठन ऐसे रहे हैं जो हमले की जिम्मेदारी ले चुके हैं। लेकिन आतंकवादी संगठन ऐसे हमलों की ज़िम्मेदारी क्यों लेते हैं और ऐसा करने से उन्हें क्या फ़ायदा होता है? आइए जानते हैं आतंकी संगठनों के काम करने का तरीका।
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जिम्मेदारी लेने का तरीका
प्रत्येक आतंकवादी संगठन के पास किसी भी हमले की जिम्मेदारी स्वीकार करने का एक अनूठा तरीका होता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई अन्य संगठन उनके नाम पर गलत सूचना नहीं फैला सके। आमतौर पर, आतंकवादी संगठन किसी निश्चित समाचार एजेंसी, वेबसाइट, पत्र या अन्य माध्यमों का उपयोग करके किसी भी हमले की जिम्मेदारी लेते हैं।
संगठन क्यों लेता है जिम्मेदारी?
जब आतंकवादी संगठन किसी हमले की जिम्मेदारी लेते हैं तो उनका लक्ष्य डर पैदा करना होता है। कुछ मायनों में, ये आतंकवादी हमले संगठन की पहचान को दर्शाते हैं। जो आतंकवादी संगठन सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है, वह उतना ही खतरनाक माना जाता है। परिणामस्वरूप, लोगों और सरकारों में उस आतंकवादी संगठन के प्रति डर बना रहता है। वहीं, इन हमलों के कारण आतंकी संगठन के लिए उस देश की सरकार से बातचीत और समझौता करना आसान हो जाता है, क्योंकि सरकारों को भी यह डर रहता है कि कहीं उनके देश में भी आतंकवादी हमले न शुरू हो जाएं।
इसका दूसरा कारण यह है कि समान एजेंडे वाले लोग आतंकवादी संगठनों को पैसा देते हैं। दरअसल, इन आतंकी संगठनो का इस्तेमाल कुछ देश अपने फायदे के लिए करते हैं। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि कोई आतंकवादी संगठन किसी विशेष देश पर हमला करता है और फिर उसकी जिम्मेदारी लेता है, तो ऐसी स्थिति में जो दूसरे देश उस विशेष देश से नफरत करते हैं, वे उस आतंकवादी संगठन को फंडिंग देंगे ताकि वह उस विशेष देश की बर्बादी देख सके।
इन मामलों में नहीं लेते ज़िम्मेदारी?
कभी-कभी परिस्थितियों के आधार पर आतंकवादी संगठन किसी भी हमले की जिम्मेदारी लेने से इनकार करते हैं। उन्हें डर होता है कि कहीं उनके ही आतंकवादी उनके खिलाफ विद्रोह न कर दें। उदाहरण के तौर पर अगर कोई मुस्लिम चरमपंथी संगठन है और हमले में उन्हें नुकसान होता है तो लोगों के गुस्से से बचने के लिए वे चुप रहते हैं।
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