सिखों की प्रमुख पहचान उनकी पगड़ी होती है. जो भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में सिखों को अलग पहचने का आधार है. पगड़ी को सिखों में पग कहा जाता है जिससे लेकर विवाद होते रहे है. इतिहासकारों का दावा है कि पग का इतिहास करीबन 4 हजार साल पुराना है. जो दुनिया की कई सभ्यताओं में फैली है. अमित अमीन और नरूप झूटी द्वारा लिखी किताब ‘टर्बन्स एंड टेल्स’ में दावा किया गया है कि समय के साथ पगड़ी के स्वरूप में कई बदलाव आए है पगड़ी जैसा एक पहनावा शाही मैसोपोटामियन शिल्प में भी दिखाई दिया था. माना जाता है पगड़ी का सबसे पहला नमूना था जो काफी पुराने समय से प्रचलित है.
आईए जानते है भारत में पग की शुरुवात कैसे हुई? और समय के साथ पगड़ी में क्या बदलाव आए?
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भारत में पग की शुरुआत
सबसे पहले पगड़ी जैसे दिखने वाले पहनावे को धूप, छावं से बचने के लिए इस्तेमाल किया जाता था जिसके बाद भारत में पहले पगड़ी को केवल शाही परिवारों या उच्च अधिकारियों को ही पहने की इजाजत थी. पगड़ी को सम्मान और उच्च वर्ग का प्रतीक माना जाता था हिन्दू धर्म में नीची मानें जाने वाली जातियों को पगड़ी पहने तक की इजाजत नहीं थी. बाद में औरंगज़ेब के शासनकाल में एक खास आबादी को अलग पहचानने के लिए पगड़ी का इस्तेमाल करना शुरू किया था.
ब्रिटिश राज में सिखों द्वारा पगड़ी का इस्तेमाल
शुरुआत में पग को सिख सिपाहियों को पहचानने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. अंग्रेज़ों को सलीक़ा में रहना हेमशा से अच्छा लगता था जिसके चलते एक ख़ास आकार और सिमिट्री वाली पग शुरू हुई थी. 1845 के आस-पास पगड़ी में बदलावों का सिलसिला शुरू हुआ. पहले पगड़ी केन्याई स्टाइल की रही, फिर इसका रंग रूप बदलता चला गया. अब जो पग में चक्कर लगने की परम्परा है वो भी अंग्रेजो द्वारा ही शुरू की गई थी. अंग्रेजो ने पग के साथ सिखों की दाढ़ी बांधना की परम्परा भी शुरू करवाई थी. क्योंकि बंदूक चलाते समय खुली दाढ़ी में आग लगने का खतरा होता था. आज भी कुछ सिख आपनी दाढ़ी को बांधते है. जब हमारे देश में ब्रिटिश शासन था तब धर्म के ऊपर इतना विचार नहीं किया जाता था.
अंग्रेजो से आजादी के बाद भारत में कई धर्मों ने अपनी पहचानों को लेकर विचार करना शुरू किया था. ज्सिके चलते हिन्दुओं ने पगड़ी पहनना छोड़ दिया था, विभाजन के समय दंगों में उन्हें सिख समझकर हमले का शिकार होना पड़ रहा था जिसके चलते उन्होंने पगड़ी पहनना छोड़ दिया था. साथ ही मुसलमानों ने भी पगड़ी पहनना छोड़ दिया था. उस समय भारत में केवल सिखों ने पगड़ी को अपनाया था.
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