हमारे देश को आजादी मिलने के बाद पिछड़े वर्गों यानि अनुसूचित जातियों और जनजातियों के विकास के लिए कार्रवाई शुरू हुई. जिससे भारत के सबसे पिछड़े और सामाजिक रूप से कमजोर समुदायों को लाभ मिला, जिसके लिए मंडल आयोग का निर्माण किया गया, जो सामाजिक या शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की पहचान करने के लिए बनाया गया था. ताकि जातिगत भेदभाव से छुटकारा पाकर लोगों की सीट आरक्षित करने पर विचार किया जा सके. इस मंडल में सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक के मापदंड को आधार बनाकर पिछड़ेपन को पहचाना गया था. इस मंडल की रिपोर्ट के बाद कुछ ऐसे फैसले लिए गए, जिससे हमारे देश में दलित के जीवन पर भी काफी प्रभाव पड़ा, साथ ही देश की शांति भी कुछ समय के लिए भंग हो गई थी.
आईए आज हम आपको मंडल आयोग के निर्माण से हमारे देश में आए बदलाव के बारे में बताएंगे
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मंडल आयोग की रिपोट के परिणाम
हम आपको बता दे कि उस समय मंडल आयोग की रिपोट के अनुसार देश की 52 फीसदी आबादी ओबीसी वर्ग से जुड़ी थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 50% अधिकतम का फैसला दिया. हम आपको बता दे की एससी और एसटी के लिए पहले से ही 22.5 फीसदी आरक्षण था लेकिन ओबीसी के लिए आरक्षण को 27 फीसदी पर सीमित कर दिया गया था. इस आयोग ने गैर-हिंदुओं के बीच भी पिछड़े वर्गों की पहचान की थी. इस आयोग में कहा गया था कि ओबीसी को एससी-एसटी की तरह उम्र में छूट प्रदान करने को कहा गया था.
मंडल आयोग की रिपोर्ट से आए प्रभाव
मंडल आयोग की रिपोर्ट के बाद 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने संसद में घोषणा की कि मंडल आयोग की सिफ़ारिशें लागू की जाएंगी. जिससे पुरे भारत में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. विरोध में कई छात्रों ने आत्मदाह कर लिया तो कई की विरोध में मौत हो गई. ये विरोध प्रदर्शन उत्तर और पश्चिम भारत में अधिक देखे गए बजाय दक्षिण भारत के. कई लोगों का मानना था कि दक्षिण भारत में लोगों के पास 50% तक आरक्षण था.
मंडल आयोग से दलितों पर क्या प्रभाव पड़ा
मंडल आयोग के आने से हमारे देश में दलितों की स्थति पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ा था, कोर्ट के फैसले ने दलितों के जीवन को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया था. उन्हें उनकी उम्र में छूट प्राप्त हुई, इससे दलितों को बैंकों, सरकारी स्कूलों व कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में आरक्षण भी प्राप्त हुआ, जिससे पिछड़े वर्ग को भी आगे बढ़ने का मौका मिला, और पिछड़े वर्ग का भी धीरे धीरे विकास हुआ. साथ ही दलितों का आरक्षण सुक्षित रहे इसलिए आवश्यक कानूनी प्रावधान भी किए गए.
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