वो लोग जो हर मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में संयम बनाए रखते हैं और अपने सपनों को पूरा करने के लिए जी-जान से जुट जाते हैं, वो एक ना एक दिन सफल जरूर होते हैं। सच्चे दिल से जो लोग मेहनत करते हैं, उनकी सफलता कदम जरूर चूमती है। ऐसा ही कुछ जोधपुर की आशा कंडारा के साथ भी हुआ।
आशा कंडारा राजस्थान के जोधपुर में एक सफाई कर्मचारी के तौर पर काम करती थीं। वहीं, अब उन्होंने राजस्थान की सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षा राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) को पास कर दिखा दिया कि नाममुकिन जैसी कोई चीज होती ही नहीं। अगर हमने कुछ करने की ठान ली, तो फिर कोई भी बाधा हमारे रास्ते में नहीं आ सकती है। आशा कंडारा जो एक स्वीपर के तौर पर काम कर रही थीं, वो अब एक अफसर बनने की तैयारी में हैं।
मुश्किल हालातों में भी नहीं मानी हार
हालांकि RAS अधिकारी बनने की राह उतनी आसान नहीं थी, जितनी आपको लग रही होगी। पति से अलग होने से लेकर दो बच्चों का अकेले पालन-पोषण करने और इस दौरान खुद को मेंटली स्ट्रॉग रखते हुए परीक्षा देना। आशा ने हर हालातों का डटकर सामना किया और कभी भी हिम्मत नहीं हारी और शायद यही उनकी सफलता की वजह बना। आइए आज हम आपको आशा कंडारा की सफलता की कहानी के बारे में बताते हैं, जिससे जो लोग मुश्किल हालातों में हार मान लेते हैं, उनके लिए ये कहानी प्रेरणा बने…
पति से हो गई थीं अलग
शादी के कुछ साल बाद ही आशा अपने पति से अलग हो गई थीं। 8 साल पहले उनका पति के साथ झगड़ा हो गया और फिर तलाक हो गया। इसके बाद अपने दो बच्चों की जिम्मेदारी पूरी तरह से आशा के कंधों पर ही आ गईं। ऐसे में खुद के लिए और अपने बच्चों के लिए उन्हें कुछ ना कुछ करना था। जिसके बाद आशा ने सरकारी नौकरी के फॉर्म भरा शुरू किया।
काम के साथ करती रही पढ़ाई भी
पहले उन्होंने SSC की तैयारी शुरू की, लेकिन उनको इससे भी कुछ बड़ा करना था। फिर आशा RAS की तैयारी में जुट गईं। जून 2018 में आशा ने एग्जाम के लिए मेन्स का पेपर दिया। इसके बाद जुलाई में वो एक सफाई कर्मचारी के तौर पर नियुक्त हो गई। हालांकि उनकी ये काम भी परमानेंट नहीं था। वो सफाई कर्मचारी के तौर पर अपनी परमानेंट नियुक्ति के लिए संघर्ष करती रहीं। एक जुलाई 2021 को ही आशा की जोधपुर नगर निगम में नियुक्ति परमानेंट की गई।
लेकिन उनकी किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था। नगर निगम में परमानेंट नियुक्त होने के 12 दिन बाद यानी 13 जुलाई को RAS 2018 का रिजल्ट भी सामने आ गया, जिसमें आशा ने अच्छी रैंक पाकर उसमें सफलता हासिल कर ली और अपने RAS बनने के सपने को पूरा किया।
नाश्ते-लंच के दौरान भी पढ़ती रहती थीं आशा
हालांकि आशा के लिए एग्जाम की तैयारी करना दूसरे लोगों के जितना आसान नहीं था। उन्हें 8 घंटों की ड्यूटी के साथ घर को भी देखना होता था और जब वक्त मिलता तो वो पढ़ाई में जुट जातीं। नाश्ते-लंच के दौरान वो अपनी किताबें खोलकर बैठ जाया करती थीं।
ये उनके सफर का अंत नहीं, शुरुआत है…
हालांकि ये उनके सफर का अभी भी अंत नहीं हैं। भले ही वो RAS की परीक्षा पास करने में कामयाब हुई हो, लेकिन उनके सपने इससे भी बड़े हैं। आशा कंडारा IAS बनना चाहती हैं। उनका कहना है कि वो ट्रेनिंग के बाद SDM के पद पर नियुक्त होगी और इसके साथ-साथ IAS की तैयारी भी अपनी जारी रखेगीं।
आशा कंडारा की सफलता की ये कहानी उन सभी लोगों के लिए मिसाल हैं, जो जीवन में कुछ कर दिखाना चाहते हैं। ये कहानी दिखाती है कि मेहनत, लगन, जुनून और आत्मविश्वास से आप मुश्किल हालातों में सफल हो सकते हैं। ऐसे में जो लोग मुश्किल हालातों में हार मान जाते हैं, उनको इस कहानी से प्रेरणा जरूर लेनी चाहिए और अपने सपनों के लिए डटे रहना चाहिए। देखिएगा एक ना एक दिन सफलता आपके कदम भी जरूर चूमेगी।