कोरोना की सेकेंड वेव का कहर देश में भारी तबाही मचा रहा है। जब बीते साल देश में महामारी ने दस्तक दी थीं, तब भी हालात इतने नहीं बिगड़े थे। बीते साल कोरोना के मामलों ने एक लाख का आंकड़ा भी पार नहीं किया था, वहीं इस साल केस 4 लाख के भी पार पहुंच चुके हैं।
सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही पोस्ट
देश में कोरोना की दूसरी लहर की कई वजहें मानी जा रही हैं। वहीं बीते कुछ दिनों से एक ऐसा मैसेज भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें कोरोना की सेकेंड वेव के लिए देश में 5G टेस्टिंग को जिम्मेदार बताया जा रहा है। सोशल मीडिया में इस तरह के मैसेज की बाढ़ आई हुई है, जिसमें ऐसा दावा किया जा रहा है कि 5G टेस्टिंग की वजह से देश में कोरोना संक्रमण का कहर बढ़ गया है। इसके चलते देश में 5G टेस्टिंग पर रोक लगाने की मांग भी की जा रही है।
इस वायरल हो रहे मैसेज क्या है? क्या सच में 5G टेस्टिंग ही कोरोना की सेकेंड वेव के लिए जिम्मेदार है? इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का क्या कहना है? आइए जानते हैं वायरल मैसेज की सच्चाई…
क्या कहा जा रहा इस वायरल पोस्ट में?
‘5G टेस्टिंग बंद करो इंसानों को बचाओ’ इस टाइटल के साथ सोशल मीडिया पर एक पोस्ट खूब वायरल हो रही है। इसमें ये दावा किया जा रहा है कि महामारी जो दूसरी बार देश में आई, इसे सब कोरोना का नाम दे रहे हैं। लेकिन असल में ये कोरोना नहीं बल्कि 5G टावर की टेस्टिंग की वजह से हो रहा है। टावर से निकलने वावली रैडिएशन हवा में मिल रही है और उसे जहरीला बना रही है। इससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही, जिससे वो मर रहे हैं। इसलिए 5G की टेस्टिंग को बंद करें, फिर देखें सब ठीक हो जाएगा।
आगे इसमें इसके सिम्मटम्स भी बताए गए हैं,…
1. 5G नेटवर्क रेडिएशन की वजह से घर में हर जगह हल्का सा करंट लग रहा है।
2. लोगों का गला ज्यादा सूख रहा है और प्यास ज्यादा लग रही है।
3. नाक में कुछ पपड़ी जैसा जमना पपड़ी में खून दिखना।
अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है, तो समझ जाएं कि हानिकारक 5G नेटवर्क रेडिएशन का हमारे ऊपर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगा। जैसे 4G रेडिएशन की वजह से चिड़ियों और पंछियों को नुकसान पहुंचा। वैसे ही 5G रेडिएशन जीवों और इंसानों के लिए काफी हानिकारक है। समय रहते एकजुट होकर इसका विरोध करें।
WHO ने बताया वायरल पोस्ट का सच
वहीं जब ये मैसेज तेजी से वायरल होने लगा, तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसकी सच्चाई बातई। WHO की आधिकारिक वेबसाइट पर बताया कि वायरस रेडियो वेव और मोबाइल नेटवर्क से नहीं फैलता। कोरोना उन देशों में भी अपने पांव पसार रहा है, जहां 5G टेस्टिंग नहीं हो रही और ना ही वहां पर 5G नेटवर्क है। कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति की सांस की बूंदों से फैलता है जब वो छींकता, बात करताया थूकता है। इसके अलावा अगर किसी सतह संक्रमित व्यक्ति की सांस की बूंदें गिरी हो, उसको छूने और फिर उसे नाक, मुंह या हाथ पर लगाने से ये वायरस फैलता है।
यानी WHO ने ये साफ कर दिया कि 5G टेस्टिंग का कोरोना महामारी की सेकेंड वेव से कोई भी लेना देना नहीं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा ये मैसेज फेक है।