IPC Section 354 D in Hindi – देशभर में लड़कियों के साथ छेड़छाड़ और दुर्व्यवहार के मामले बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि अपनी सुरक्षा के लिए या अपने आसपास किसी महिला की मदद के लिए आपको भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 D के बारे में जानकारी होनी चाहिए। यह धारा महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। आइए आपको इस धारा के बारे में बताते हैं।
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IPC Section 354 D क्या है
भारतीय दंड संहिता की धारा 354 D के अनुसार, किसी लड़की या महिला का पीछा करने जैसी घटनाएं इस धारा के अंतर्गत आती हैं। यानी अगर कोई व्यक्ति किसी महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए उसका पीछा कर रहा है तो यह अपराध माना जाएगा।
भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 354 D की परिभाषा में यह भी कहा गया है कि यदि कोई पुरुष निम्नलिखित तरीके से किसी महिला का पीछा करता है और उसे इस बात की पूरी जानकारी है कि महिला कब और कहां जाती है, और यदि कोई महिला की सहमति के बिना संपर्क करने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 354-डी के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
इसके अलावा, अगर कोई व्यक्ति किसी महिला पर ऑनलाइन सर्विलांस यानी इंस्टाग्राम, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन नजर रखता है तो यह भी इस धारा के तहत आपराधिक गतिविधि मानी जाती है।
अगर किसी महिला के खिलाफ उपरोक्त अपराध हो रहा है तो वह धारा 354 डी के तहत नजदीकी पुलिस थाना प्रभारी से शिकायत कर सकती है। अगर वहां एफआईआर दर्ज नहीं होती है तो वह एसपी से शिकायत कर सकती है। अगर आपकी शिकायत को नजरअंदाज किया जाता है तो आप कोर्ट में किसी भी मजिस्ट्रेट से शिकायत कर सकते हैं। क्योंकि यदि कोई लोक सेवक कोई कानूनी गलती करता है तो वह न्यायालय द्वारा माफ करने योग्य नहीं है।
इसके तहत जमानत और सजा
इस धारा के तहत अपराध किसी भी तरह से समझौता योग्य नहीं हैं। साथ ही इस धारा में स्टॉकिंग को गैर जमानती अपराध बनाया गया है। इस कारण अगर कोई व्यक्ति इस धारा के तहत दोषी पाया जाता है तो उसे तीन साल तक की कैद और जुर्माने की सजा हो सकती है। वहीं, अगर कोई व्यक्ति दूसरी बार ऐसे अपराध का दोषी पाया जाता है, तो उसे पांच साल तक की कैद और जुर्माने की सजा हो सकती है।
हालांकि, यह धारा उन स्थितियों का भी वर्णन करती है जिनमें किसी महिला का पीछा करना अपराध नहीं माना जाता है।
जैसे कि यदि किसी महिला का पीछा अपराध का पता लगाने या उसकी रोकथाम के अधिकार वाले किसी व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है, या महिला का पीछा किसी कानून के तहत किया जा रहा है, या कुछ परिस्थितियों में पीछा करना उचित और न्यायसंगत हो, तो ऐसे में यह धारा नहीं लगती है।