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बच्चों को बेरहमी पीटने पर जा सकते हैं जेल, इस धारा के तहत हो सकती है कारवाई

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बच्चों को बेरहमी पीटने पर जा सकते हैं जेल, इस धारा के तहत हो सकती है कारवाई
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स्कूल और घर में बच्चों को बेरहमी से पीटने की कई सारी खबरें आती रहती हैं बच्चों को बेरहमी से पीटने की वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती करने पड़ता है और इस पिटाई की वजह से उन्हें कई सारे चीजों का सामना करना पड़ता है लेकिन बच्चों को बेरहमी से पीटने पर केस दर्ज हो सकता है और जो भी बच्चों को बेरहमी से पीटते हैं उसके ऊपर IPC की धारा के तहत केस दर्ज होता है.

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बच्चों को बेरहमी से पीटने पर लगेगी ये धारा

अगर पेरेंट्स द्वारा बच्चे को पीटा जाता है तब जेजे (जूवनाइल जस्टिस) एक्ट के तहत पुलिस से शिकायत की जा सकती है और इस मामले में दोषी पाने पर 6 महीने की जेल हो सकती है. वहीं पेरेंट्स अगर बच्चों को चोट पहुंचते हैं तो आईपीसी के तहत भी केस दर्ज हो सकता है और ये केस धारा 323 के तहत दर्ज होता है इसमें आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होगी और बच्चे को कोर्ट में खुद ही अपना केस लड़ना होगा और जुर्म साबित होने पर परिजनों को जुर्माना या एक साल की कैद हो सकती है.

वहीं बच्चे को नुकीले हथियार से मारने पर धारा 324 लगती है, जिसमें 3 साल तक की सजा मिलेगी. इसी के साथ जानलेवा चोट पहुंचाने पर 326 के तहत मुकदमा दर्ज होगा, जिसमें 10 साल तक या उम्रकैद तक सजा हो सकती है.

इसी के साथ मारपीट के दौरान अगर बच्चे के सिर पर चोट लगी तो धारा 308 के तहत गैर-इरादतन हत्या की कोशिश का का केस बनेगा, जिसके तहत 3 से 7 साल तक कैद हो सकती है. वहीं धारा 326 और 308 ये दोनों गैर-जमानती हैं. यानि कि इस मामले में जमानत नहीं मिलेगी.

 स्कूल की है बच्चे की देखभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी 

आपको बता दें, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 की धारा 75 में कहा गया है कि बच्चे की देखभाल और उनकी सुरक्षा स्कूल की जिम्मेदारी होगी. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 की धारा 82 के तहत भी जेल और जुर्माने का प्रावधान है.CBSE की गाइडलाइंस के तहत अगर स्कूल किसी भी नियम का उल्लंघन करता है, तो उसकी मान्यता भी रद्द की जा सकती है.

वहीं सीबीएसई ऐसी घटनाओं को लेकर कई बार स्कूलों को धारा 82 से अवगत करवाते आया है. धारा 82 (1) के तहत फिजिकल पनिशमेंट देने पर शिक्षक को 10 हजार रुपए का जुर्माना हो सकता है. इसी के साथ अपराध दोहराने पर तीन महीने की जेल धारा 82 (2) के तहत शिक्षक को सस्पेंड कर दिया जाता है. वहीं धारा 82 (3) के तहत अगर जांच में सहयोग नहीं किया तो तीन महीने की सजा का प्रावधान है.

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