कनाडा जिसे मिनी पंजाब भी कहा जाता है क्योंकि यहां सबसे ज्यादा आबादी सिखों की है. सिखों के लिए कनाडा जाना एक ऐसा सपना है जिसे वो हर कीमत पर पूरा करना चाहते हैं. जहां भारत का हर सिख कनाडा जाने का सपना देखता है और इसके लिए वो बड़ी कीमत भी चुकाने को तैयार रहता हैं. तो वहीं आज इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि पहला सिख कौन था जो कनाडा गया था और क्यों वो कनाडा में बस गये.
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1897 में पहला सिख गया था कनाडा
भारत से सबसे पहले कनाडा जाने वाले केसूर सिंह थे जो सिख ब्रिटिश भारत सेना में तैनात थे. केसूर सिंह 1897 में कनाडा गए थे और उनके कनाडा जाने की वजह ब्रिटिश महारानी विक्टोरिया की डायमंड जुबली कार्यक्रम था. वहीं इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हांगकांग रेजिमेंट में तैनात केसूर सिंह सिख सैनिक के पहले ग्रुप के तौर पर वैंकूवर पहुंचे थे.
इस वजह से किया कनाडा में रहने का फैसला
रिपोर्ट के अनुसार, डायमंड जुबली सेलिब्रेशन में शामिल होने के लिए 1897 में महारानी विक्टोरिया ने उन्हें बुलाया था. इस टुकड़ी में सिख सैनिक शामिल भी थे और सिख सैनिक में रिसालेदार मेजर केसर सिंह भी शामिल थे. वहीं इस दौरान रिसालेदार मेजर केसर सिंह को कनाडा बड़ा पसंद आया और उन्होंने कनाडा में ही रहने का फैसला किया. बताया जाता है कि रिसालेदार मेजर केसर सिंह कनाडा में शिफ्ट होने वाले पहले सिख थे.
इसी के साथ ये भी कहा जाता है कि उनके साथ कई अन्य भारतीय सैनिकों ने भी कनाडा में बसने का फैसला किया और बाकि बचे सैनिक भारत लौट गये जहाँ उन्होंने कनाडा में मिलने वाली सुविधाओं के बारे में चर्चा की. वहीं ब्रिटिश सरकार भी भारतीय लोगों को कनाडा में बसाने के लिए तैयार हुआ और इस दौरान भारतियों का कनाडा में शिफ्ट होने का सिलसिला शुरू हुआ और आज के समय कनाडा में सबसे ज्यादा सिख लोग रहते हैं.
कनाडा को कहा जाता है मिनी पंजाब
आपको बता दें, कनाडा में सिखों की अच्छी आबादी है. कनाडा में 2021 में हुए जनगणना के अनुसार, कनाडा की कुल आबादी में 2.1 प्रतिशत सिख है. माना जाता है कि भारत के बाद सबसे अधिक सिख कनाडा में रहते हैं. वहीं इस समय कनाडा में सिख एक बड़ा वोट बैंक है तो वहीं कनाडा में सिख नेता भी है जो यहां की सरकार में एक बड़े पद पर काबिज हैं. कनाडा की कई पार्टियों के नेता सिख समुदाय से हैं. इसी के साथ वहां के कई सांसद भी सिख समुदाय से हैं. वहीं 2015 में पहली बार ट्रूडो कैबिनेट में चार सिख मंत्रियों को शामिल किया गया था.
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