अगर आप भी स्मार्टफोन या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का यूज करते हैं तो आपको Bluetooth के बारे में जरुर पता होगा। Bluetooth की मदद से हम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों को वायरलेस तरीके से आपस में कनेक्ट करते हैं। मतलब साफ है कि Bluetooth दो डिवाइसों को आपस में जोड़ने का काम करता है।
यह तो कॉमन बात है जो सबको पता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि दो डिवाइसों को वायरलेस तरीके से आपस में जोड़ने वाली इस टेक्नोलॉजी का नाम Bluetooth क्यों रखा गया है। आइए जानते हैं इसके नाम के पीछे की क्या है मजेदार कहानी…
इस राजा के नाम पर पड़ा Bluetooth का नाम
दरअसल, Bluetooth के नाम के पीछे की कहानी टेक्नोलॉजी से नहीं बल्कि राजनीति से जुड़ी हुई है। Bluetooth का नाम उसे बनाने वाली टीम के सदस्य जिम कार्डेक ने दिया था। जिम कार्डेक के अनुसार ब्लूटूथ टेक्नोलॉजी का नाम डेनमार्क के 10 वीं सदी के राजा किंग हेराल्ड ब्लूटूथ के नाम से लिया गया है।
डेनमार्क के राजा किंग हेराल्ड को कई राज्यों को आपस में जोड़ने के लिए जाना जाता है। बताया जाता है कि उन्होंने डेनमार्क, स्वीडन और नार्वे को आपस में जोड़कर एक राज्य बनाया था। जिसे स्कैंडिनेविया के नाम से जाना जाता था। कुछ ऐसा ही काम भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया था। उन्होंने भारत की कई रियासतों को आपस में जोड़ा था।
किंग हेराल्ड का एक दांत था ब्लू
बताया जाता है कि जैसे ब्लूटूथ इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों को आपस में जोड़ने का काम करता है, वैसे ही किंग हेराल्ड ब्लूटूथ ने राज्यों को आपस में जोड़ा था। इस वजह से ब्लूटूथ बनाने वाली टीम के सदस्य जिम कार्डेक ने उस टेक्नोलॉजी के लिए ब्लूटूथ का नाम सुझाया। जो सबको पसंद भी आया था जिसके बाद उस टेक्नोलॉजी का नाम ब्लूटूथ रख दिया गया।
दूसरी ओर कहानियां ऐसी भी है कि किंग हेराल्ड का एक दांत पूरी तरह से डेड था। जिसकी वजह से उसका रंग नीला पड़ गया था। उसके बाद किंग हेराल्ड के नाम के पीछे ब्लूटूथ जोड़ा गया था और वहीं से डिवाइसो को आपस में वायरलेस तरीके से जोड़ने वाली टेक्नोलॉजी का नाम ब्लूटूथ रखा गया।