आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने ट्विटर को सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि वो या तो भारतीय कानून (Indian Law) का पालन करने या फिर देश से बाहर चला जाए। हाईकोर्ट ने ये चेतावनी ट्विटर द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक कंटेंट को वापस लेने के आदेश नहीं मानने को लेकर की।
मामले की सुनवाई कर मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायण मूर्ति की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ट्विटर को ये बताना चाहिए कि अगली सुनवाई से पहले ‘विराम और रोक’ आदेश क्यों शुरू नहीं किए जाने चाहिए? इस बात पर भी जोर दिया कि ट्विटर भारतीय कानून के साथ ‘लुका-छिपी’ नहीं खेल सकता है। वो अगर भारत में काम करना चाहता है तो उसको देश के कानून का पालन करना होगा।
पीठ ने कहा कि साफ तौर पर ये अवमानना का मामला है। ट्विटर के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई शुरू की जा सकती है। वहीं इस दौरान पीठ ने गूगल के खिलाफ ऐसे ही हाल ही में दिए गए एक फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें प्राथमिकी दर्ज हुई। सहायक सॉलिसिटर जनरल एस.वी. सीबीआई की ओर से अपमानजनक कंटेंट को पीठ को सौंपते पेश हुए अदालत में कहा कि कोर्ट ने कंटेंट की वापसी के स्पष्ट निर्देश दे दिए, बावजूद इसके अभी भी इस तरह के सोशल मीडिया पोस्ट ट्विटर पर दिखाई दे रहे हैं।
एस.वी. राजू ने कहा कि ट्विटर उन लोगों के अकाउंट से अपमानजनक कंटेंट हटाता है, जिन्होंने अपनी राष्ट्रीयता को भारतीय घोषित किया है। उन हैंडल पर अपमानजनक सामग्री अभी भी उपलब्ध है, जो भारत के निवासी होने के बावजूद अपनी राष्ट्रीयता को किसी विदेशी देश के रूप में घोषित करते हैं। उन्होंने कहा कि यूट्यूब और फेसबुक से कोई समस्या नहीं, सिर्फ ट्विटर के मामले में है। मामले पर अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी।