3-4 घंटे की पढ़ाई, 2 बार PCS और तीसरी बार में UPSC, कुछ ऐसी है पंजाब के लाल की कहानी

IPS Dilpreet Singh Story
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कोई कितना भी बड़ा हो कामयाबी खुद से मिलती है ये लाइन आईपीएस ऑफिसर दिलप्रीत सिंह (IPS Dilpreet Singh Story) के लिए हैं जिन्होंने वो कर दिखाया जो लाखों लोगों का सपना होता है UPSC का एग्जाम पास करना. पंजाब के दिलप्रीत सिंह इस समय आईपीएस के पद पर हैं और देश की सेवा कर रहे हैं लेकिन दिलप्रीत सिंह आईपीएस बनने की राह इतनी आसान नहीं थी. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको दिलप्रीत सिंह के आईपीएस बनने की कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं.

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1996 में हुआ था दिलप्रीत सिंह का जन्म  

जिस आईपीएस ऑफिसर दिलप्रीत सिंह (Dilpreet Singh DOB) की हम बात कर रहे हैं उनका जन्म साल 1996 में अप्रैल महीने में हुआ और इस 27 साल में वो आईपीएस बन गए हैं. आईपीएस ऑफिसर दिलप्रीत सिंह ने सबसे पहले पंजाब सिविल सेवा (पीसीएस) की परीक्षा पास की थी और वो जालंधर में पंजाब पीसीएस अधिकारी पद पर अपनी सेवा दे रहे थे. इसी दौरान उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की भी तैयारी की और अपने तीसरे प्रयास में इस परीक्षा को पास कर आईपीएस बन गए लेकिन उन्हें सिविल सर्विसेज जाने के लिए उनकी प्रिंसिपल ने एक सलाह दी.

स्कूल की प्रिंसिपल ने दी सलाह 

दिलप्रीत सिंह (Dilpreet Singh Details in Hindi) अपनी स्कूली शिक्षा स्वामी संत दास स्कूल जालंधर से की है और जब कक्षा 9 में थे तब उन्हें उनका लगाव सिविल सर्विसेज की  ओर बढ़ा और ये सब उनकी प्रिंसिपल की वजह से हुआ. दरअसल, दिलप्रीत सिंह अपने हाउस के कैप्टेन थे और उन्हें सभी हाउस में से बेस्ट हाउस कैप्टेन के ख़िताब से नवाजा गया और इस दौरान उनके स्कूल की प्रिंसिपल ने उन्हें कहा कि वो जब भी जॉब के लिए जाए तो मैनेजर वाली या एडमिनिस्ट्रेटीव वाली प्रोफाइल चुने और यही से उनके सिविल सर्विसेज वाले सपने को नए पंख लगे.

इसी के साथ उन्हें घर से भी सिविल सर्विसेज में जाने के लिए काफी प्रेरित किया क्योंकि उनके पिता पावर ग्रिड से सेवानिवृत्त डीजीएम थे और उनकी  मां एक सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल थी और बहन डॉक्टर हैं और इस वजह से उन्हें घर से इस मामले में सपोर्ट मिला और UPSC की पढाई के दौरान ही उन्होंने पीसीएस की परीक्षा पास कर ली.

दो बार की पीईसी की परीक्षा पास 

दिलप्रीत सिंह (IPS Dilpreet Singh Story in Hindi) 12th पास की और उसके बाद पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पीईसी), चंडीगढ़ के मैकेनिकल इंजीनियर की पढाई की लेकिन जहां वो सिविल सर्विसेज में जाना चाहते थे तो उन्होंने UPSC की भी तैयारी की और साल 2019 में  पीसीएस परीक्षा दी और इस परीक्षा को पास करके तहसीलदार बन गए और यह सफलता उन्हें पहले ही प्रयास में मिली. इसी बीच उन्होंने दोबारा पीसीएस की परीक्षा में हिस्सा लिया और 12वां स्थान हासिल करके एसडीएम बन गए लेकिन SDM बन्ने के बाद उन्होंने UPSC तैयारी जारी रखी और आखिर में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली.

एसडीएम रहते हुए पास किया UPSC का एग्जाम 

एसडीएम बनने के बाद दिलप्रीत सिंह (Dilpreet Singh UPSC rank) जालंधर में तैनात हुए और इस दौरान उन्होंने यूपीएससी की पढाई की और दिन के लगभग 3 से 4 घंटे  पढाई को दिए और साथ ही कोचिंग ली और तीसरे प्रयास में UPSC की परीक्षा में 237 वां रैंक हासिल किया और आईपीएस के पद हासिल कर लिया.

माता-पिता को दिया सफलता का श्रेय 

वहीं यूपीएससी की पढाई के दौरान दिलप्रीत ने कई घंटो पढाई की और कोचिंग भी ली और परीक्षा भी पास कर ली. वहीं उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हुए कहा कि वह गरीबों के उत्थान पर ध्यान केंद्रित कर काम करेंगे. वहीं दिलप्रीत ने बताया कि मेरी मां ही मेरी असली मार्गदर्शक हैं.

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