संत बाबा नंद सिंह जी एक सिख संत थे, जिनका जन्म पंजाब के लुधियाना जिले के जगराओं के शेरपुर गांव में 8 नवंबर 1870 को हुआ था. इनकी माता का नाम माता सदा कौर और पिता का नाम सरदार जय सिंह था. बचपन से ही इनका स्वभाव एक योगी जैसा रहा है. जिस उम्र में बच्चों को ध्यान शब्द का मतलब नहीं पता होता था, उस उम्र बाबा जी ने ध्यान लगाना शुरू कर दिया था. पूरा जीवन एक संस्यासी की तरह जीने वाले संत बाबा नंद सिंह जी ने गुरुद्वारा साहिब में सेवा करने के लिए अपना घर तक छोड़ दिया था.
आईए आज हम आपको एक ऐसे सिख संत के बारे में बताएंगे, जिसने आपना सारा जीवन दूसरों की सेवा में लगा दिया था.
सिख संत बाबा नंद सिंह जी की कहानी
इतिहासकरों की मानें तो उनका स्वभाव एक संयासी जैसा था, उनके चहरे की चमक देख कर लगता था कि वह इस दुनिया में भगवन का सदेश देने आए है. बचपन में वह अक्सर ध्यान लगाने के लिए निकल जाते थे. एक बार वह ऐसे ही आधी रात को निकल गया. उनके माता-पिता उन्हें बिस्तर पर न पाकर परेशान हो गए थे. उन्होंने बाहर जाकर देखा की वह कुएं के किनारे ध्यान लगा कर बैठे है. वहां बिना किसी भय पुरे ध्यान से भगवान को याद करने में लीन थे. इस पूरी घटना से इनके माता पिता को यकीन हो गया था की उनका बच्चा कोई साधारण बच्चा नहीं है कोई महान आत्मा है. जो एक दिन महान संत बनेगा और दुनिया को परम सत्य से अवगत कराए.
युवास्था में नंद सिंह जी ने फिरोजपुर गुरूद्वारे में सेवा करने के लिए अपना घर-परिवार भी छोड़ दिया था. और नंद सिंह जी वहीं उसी गुरूद्वारे में रहने लगे. वहां नंद सिंह जी को संत बाबा हरनाम सिंह जी मिले, जिसने नंद सिंह के अंदर की वो विशेषताएं देखी जो बहुत ज्यादा ध्यान और भक्ति से प्राप्त होती है. जिसके बाद संत बाबा हरनाम सिंह, नंद सिंह जी के गुरु बन गए थे.
जिसके बाद संत जी ने नंद सिंह जी को पूर्ण भक्ति का मार्ग दिखाया, साथ ही समझाया की हमारी युवास्था बहुत जल्दी चली जाने वाली अवस्था है, इसीलिए इसे खराब नहीं करना चाहिए. हमे ईश्वर की खोज में निकलना चाहिए और मानवता की भलाई के लिए कार्य करने चाहिए. जिसके बाद नंद सिंह जी संत जी के दिखाए रास्ते पर चले. और आगे चलकर सिख धर्म के नानकसर संप्रदाय की स्थापना की.
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