महात्मा गाँधी को पढ़ते-पढ़ते राम मनोहर लोहिया ने खुद को गाँधी ही बना लिया

Ram Manohar Lohia
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Ram Manohar Lohia : भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी और समाजवादी राजनेता डॉ. राम मनोहर लोहिया का पूरा जीवन उतार और चढ़ाव से भरा था. उन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया. आज भी उनके आदर्शो पर हमारे देश में कई राजनीतिक दल चलते है. वर्तमान में इनके नाम पर दर्जनों योजनाएं चल रही है. राम मनोहर लोहिया ने अपनी देशभक्ति और समाजवादी विचारी के कारण अपने समर्थकों के साथ अपने विरोधियों में भी सम्मान हासिल किया. इनका जन्म 23 मार्च 1910 को लोहिया में हुआ था. 12 अक्टूबर 1967 को दुनिया को अलविदा कहने वाले राम मनोहर लोहिया के जीवन पर गाँधी का बहुत गहरा असर पड़ा था.

आईए आज हम आपको राम मनोहर लोहिया के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे, जिन्हें बहुत कम लोग जानते होंगे.

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राम मनोहर लोहिया के जीवन पर गाँधी का प्रभाव 

Relationship between Mahatma Gandhi and Ram Manohar Lohiya: राम मनोहर लोहिया के पिता एक अध्यापक थे, जो गाँधी के बहुत बड़े अनुयायी थे. जब भी उनके पिता महात्मा गाँधी से मिलने जाते थे तो राम मनोहर लोहिया को आपने साथ लेकर जाते थे. इसी कारण गाँधी के व्यक्तितव का राम मनोहर लोहिया पर गहरा प्रभाव पड़ा था. बताया जाता है कि गांधी जी की पुकार पर 10 वर्ष की उम्र में स्कूल छोड़ा कर आ गए थे.

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1918 में पहली बार राम मनोहर अपने पिता के साथ कांग्रेस अधिवेशन में शामिल हुए थे. गाँधी जी के कदमों पर चलते हुए 1924 में लोहिया प्रतिनिधि के तौर पर कांग्रेस अधिवेशन में शामिल हुए थे. साथ ही गाँधी की तरह ही इन्होनें कॉलेज के दिनों में ही खद्दर पहनना शुरू कर दिया था.

राम मनोहर लोहिया का जीवन और शिक्षा

हम आपको बता दें कि राम मनोहर लोहिया का जन्म 23 मार्च 1910 को लोहिया में हुआ था. इनकी प्रारम्भिक शिक्षा बंबई के मारवाड़ी स्कूल में हुई थी. 1920 में पहली लोहिया लोकमान्य गंगाधर तिलक की मृत्यु के दिन किसी हड़ताल में गए थे. कुछ समय बाद लोहिया के पिता को विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के आंदोलन में सजा हो गई थी.

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लोहिया की 1921 में फैजाबाद किसान आंदोलन में जवाहरलाल नेहरू से मुलाकात हुई थी. लोहिया ने 1925 में मैट्रिक की परीक्षा में 61 प्रतिशत नंबर लाकर प्रथम स्थान प्राप्त किया था. जिसके बाद इंटर की दो साल की पढाई बनारस के काशी विश्वविद्यालय में की. इसके बाद लोहिया 1930 में पढ़ाई के लिए इंग्लैंड  चले गए थे. नमक सत्याग्रह विषय पर लोहिया ने आपनी पढाई पूरी कर बर्लिन विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की.

लोहिया समाजवादी राजनेता के तौर पर कैसे उभरे

लोहिया कुछ सालों बाद वापिस आपने देश लौट समाजवादी पार्टी की स्थापना करते है. जिसके बाद उन्होंने समाजवादी आंदोलन किया. 1934 को बम्बई के रेडिमनी टेरेस में 150 समाजवादियों ने मिलकर कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की.

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जिसके बाद लोहिया को कांग्रेस का राष्ट्रीय कार्यकर्ता के रूप में चुन लिया गया था. 1942 में गाँधी द्वारा भारत छोडो आंदोलन के बाद गांधी जी और अन्य कांग्रेस नेता गिरफ्तार कर लिए गए थे जिसके बाद लोहिया ने भारत छोडो आंदोलन को पुरे भारत में फैलाया था. और साथ ही जंग जू आगे बढ़ो, क्रांति की तैयारी करो, आजाद राज्य कैसे बने’ जैसी किताबें भी लिखीं थी. उनका देहांत 57 वर्ष की आयु में 12 अक्टूबर 1967 को अस्पताल में हुआ था.

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