प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत देश में जी-20 शिखर सम्मेलन हुआ इस सम्मेलन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सीट पर आगे जो देश के नाम की प्लेट थी उसपर इंडिया की जगह भारत लिखा हुआ था और ये तस्वीर खूब चर्चा में रही है. जिसके बाद लोगों ने कहा कि देश का नाम इंडिया बदलकर भारत हो जाना चाहिए लेकिन क्या आपको पता हैं पाकिस्तान के गवर्नर जनरल बने मोहम्मद अली जिन्ना ने भी इंडिया ने विरोध किया था. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इसी बात की जानकारी देने जा रहे हैं.
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जिन्ना ने किया था ‘इंडिया’ नाम का विरोध
15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ और इसके बाद बंटवारा हुआ एक हिस्सा पाकिस्तान बना तो एक हिस्सा हिंदुस्तान जिसे अब भारत और इंडिया के नाम से भी जाना जाता है. रेनर ग्रोट और टिलमैन रोडर की किताब’ कंस्टीट्यूशनलिज्म इन इस्लामिक कंट्रीजः बिटवीन अपहीवल एंड कंटीन्यूटी’ में एक किस्सा है, जिसमें जिन्ना के ‘इंडिया’ नाम का विरोध करने का जिक्र है.
इस किस्से में बताया गया है कि आजादी के एक महीने बाद सितंबर 1947 में लंदन में भारतीय कला पर एक एग्जिबिशन हुई और इस एग्जिबिशन में भारत और पाकिस्तान के कलाकारों को बुलाया गया था. माउंटबेटन ने जिन्ना को भी इस एग्जिबिशन में इनवाइट किया लेकिन जिन्ना ने इस इन्विटेशन को पहले इसलिए माना कर दिया क्योंकि न्विटेशन कार्ड पर ‘इंडिया’ लिखा था. वहीं इस बात का जिक्र अभी भी पाकिस्तान में होता है.
जिन्ना ने बताया इंडिया नाम पैदा करेगा भ्रम
जिन्ना ने इन्विटेशन को ठुकराते हुए माउंटबेटन को पत्र लिखा, ‘ये अफसोस की बात है कि कुछ रहस्यमयी कारणों से हिंदुस्तान ने ‘इंडिया’ शब्द को अपनाया है. ये भ्रामक है और इसका इरादा भ्रम पैदा करना है.’ जिन्ना ने सुझाया कि एग्जिबिशन में ‘पाकिस्तान और इंडिया की प्रदर्शनी’ की बजाय ‘पाकिस्तान और हिंदुस्तान की प्रदर्शनी’ लिखा जाए. हालांकि, माउंटबेटन को ये मंजूर नहीं था. आखिरकार जिन्ना ने इस इन्विटेशन को एक्सेप्ट कर लिया.
एक-दूसरे को पसंद नहीं करते थे जिन्ना और माउंटबेटन
रिपोर्ट के अनुसार, जिन्ना और माउंटबेटन एक-दूसरे को पसंद नहीं करते थे. जिसकी वजह स ‘जिन्ना को लगता था कि भारत या पाकिस्तान कोई भी ब्रिटिश टाइटल ‘इंडिया’ को नहीं अपनाएगा लेकिन माउंटबेटन के कहने पर जवाहरलाल नेहरू ने देश का नाम ‘इंडिया’ रखने की मांग को मान लिया.
आपको बता दें, जुलाई 1947 में सिरिल रेडक्लिफ को भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा खींचने का काम सौंपा गया. बंटवारे के बाद बने नए मुल्क का नाम पाकिस्तान ही रखा गया.
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