26/11 ये वो तारिख है जब देश की आर्थिक राजधानी और सपनों की नगरी कही जाने वाली मुंबई पर एक बड़ा संकट आया था. इस दिन कुछ आतंकियों ने मुंबई में मौत का तांडव मचा तह और आलम ये था कि ये मौत का तांडव रुक नहीं रहा. हर समय किसी न किसी के मरने की खबर आ रही थी और हर तरफ चीखें और दर्दनाक आवाज गूंज रही थी. जहाँ आतंकियों का ये हमला कई जगहों पर हुआ तो वहीं आतंकियों का ये हमला लोगों को ठीक करने वाले और ज़िन्दगी देने वाले कामा हॉस्पिटल में भी हुआ जहाँ पर काम करने वाली एक नर्स ने इस आतंकी घटना के बारे में बताया.
मुंबई में घुसे थे 10 आतंकवादी
मुंबई के 26/11 हमले को अनजाम देने के लिए पाकिस्तान से भारी हथियारों से लैस 10 आतंकवादी पहुंचे थे और उनमे से एक कसाब भी था जिसे जिंदा पकड़ लिया गया और उसे फंसी की सजा दी गयी. पाकिस्तान से भारी हथियारों से भारत के मुंबई में समुद्र के रास्ते आए इन 10 आतंकवादियों ने पहले लियोपोल्ड कैफ़े, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ओबेरॉय होटल, ताजमहल होटल, नरीमन हाउस, कामा अस्पताल में हुआ. वहीं जब ये आतंकी 26 नवंबर 2008 को कामा अस्पताल दाखिल हुए तो सबसे पहले उन्होंने ड्यूटी पर तैनात चौकीदार को मार दिया. इससे पहले इन आतंकवादियों ने पास ही बने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल में 52 लोगों को मौत के घाट उतारा था और उसके बाद इस अस्पताल का रुख किया था.वहीं अस्पताल परिसर में घुसने बाद कसाब और उसके आतंकी साथियों ने गोलीबारी शुरू कर दी. वहीं सी गोलीबारी की कहानी यहां पर काम करने वाली एक नर्स ने बताई.
लेबर वार्ड की नर्स ने हमले के बीच करवाई डिलीवरी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कामा हॉस्पिटल के लेबर वार्ड की नर्स अंजली कुलथे ने अस्पताल में हुए इस हमले को लेकर बताया कि 26/11 की उस रात को भूल नही पाई हैं. वहीं इस नर्स ने बताया कि इस हमले के बीच लेबर वार्ड में दो महिलाओं की डिलीवरी करवाई और आखिर तक उन्हें हमले के बारे में नहीं पता चलने दिया. भगवान की कृपा से बच्चे सुरक्षित पैदा हुए और हमने उन्हें मां की गोद में सौंपा. ये सच में किसी चमत्कार से कम नहीं था ”
इसी के साथ दूसरी नर्स स्वाति शाहबाजे ने बताया कि,”उस रात सभी मरीजों को वार्ड के बीच में छुपाकर पूरी तरह से ब्लैक आउट कर दिया था. लेकिन अचानक कोई धक्का मारकर दरवाजे से जख्मी हालत में अंदर आकर गिर पड़ा. वो एक पुलिस इंस्पेक्टर था जिसे गोली लगी थी और उसका बहुत खून बह रहा था. हमने वक्त रहते ही उनका इलाज किया और उन्हें बचा लिया. हम डरे थे लेकिन इतनी मन की तैयारी कर ली थी कि अगर आतंकी अंदर घुसता है तो सलाइन की बोतल से उसपर हमला करना है.”
नर्सो ने इस तरह बचाई मरीजों की जान
वहीं कैंसर वार्ड की हेड नर्स माधुरी रहाटे ने जब अस्पताल के दोनों वॉचमैन की लाशें देखी और काफी डर गई थी. उन्होंने हौसला करके आगे बढ़ी और कैंसर मरीजों के साथ खड़ी रही. वहीं उन्होंने मरीजों को विश्वास दिलाया कि उन्हें कुछ नहीं होगा साथ ही अस्पताल में मौजूद कई नर्सों ने फ्रिज, एक एक्स-रे मशीन, दवा ट्रॉली और कुर्सियों का इस्तेमाल दूसरी मंजिल पर दरवाजा बंद करने के लिए किया. ताकि आतंकवादी वहां घुस ना पाएं और इस तह यहां के नर्सो ने कई लोगों को जान बचाई.
आतंकी हमले में ये लोग हुए शहीद
वहीं 26 नवंबर 2008 को समुद्र के रास्ते से आए 10 पाकिस्तानी आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी कर 18 सुरक्षाकर्मियों, 166 लोग को मौत हो गयी तो वहीं 300 से ज्यादा लोग घायल हो गये साथ ही उस हमले में ATS के तत्कालीन प्रमुख हेमंत करकरे, मुंबई के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अशोक कामटे, सेना के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन और वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक विजय सालस्कर भी शहीद हो गए थे.