अक्सर जब बच्चा पैदा होता है वो 3 महीने के पलटना, 6 महीने के बाद रेंगना और करीब 1 साल बाद चलना शुरू कर देता है पर सामान्य बच्ची के तरह जन्मी आमना राहील के साथ ऐसा कुछ नही हुआ. आमना राहील दो साल की उम्र तक न तेज चल पाई और न ही तेज दौड़ सकी लेकिन आज सफलता के असमान पर हैं. आमना राहील व्हीलचेयर की मदद से चलती है लेकिन उनेक हौसले इतने बुलंद हैं कि व्हीलचेयर के सहारे बड़ा मुकाम हासिल किया.
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मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी बीमारी से ग्रस्त है आमना राहील
आमना राहील को जन्म पाकिस्तान में मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी बीमारी के साथ हुआ. इस बीमारी में मांसपेशियां कमजोर हो जाती है चलने-फिरने में दिक्कत होती है लेकिन इस बीमारी के बीच 12 साल की उम्र में उन्हें लॉर्डोसिस नामक एक और बीमारी हो गई, जिसके कारण आमना राहील चल नहीं पाती थी और व्हीलचेयर ही उनका उनका सहारा है लेकिन इस परेशानी के बावजूद वह योद्धा बनाकर उन सभी चीजों से लड़ीं जो उनकी ज़िन्दगी में परेशानी बनकर आई.
मीडिया चैनल का दिए इंटरव्यू में आमना राहील ने बताया कि उसके माता-पिता ने उसकी बीमारी का इलाज ढूंढने की हर कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हो सका. डॉक्टरों ने कहा की कि मुझे मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नामक बीमारी है, लेकिन इसका कोई इलाज नहीं मिला है क्योंकि डॉक्टरों को यह भी नहीं पता है कि यह बीमारी क्यों होती है. वहीं इस बीमारी के बीच उनके परिवार के सपोर्ट के साथ उन्होंने अपने लिए एक नई राह बनाई और नया मुकाम हासिल किया.
पाकिस्तान के टॉप कॉलेज से की BBA और MBA की पढाई
आमना राहील ने सभी परेशानियों से लड़ते हुए पाकिस्तान के टॉप कॉलेज से बीबीए और एमबीए की पढाई पूरी की और इस समय वो ई-कॉमर्स मैनेजर हैं. वहीं बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, आमना राहील उन लोगों की मदद भी कर रही है जो इस बीमारी से पीड़ित हैं वो एक फेसबुक ग्रुप के ज़रिए डिसमैच्ड के जरिए डिसेबल लोग जुडती है और उन्हें काम दिलाने में मदद करती है .
आमना राहील के हैं ये दो सपने
इसी के साथ आमना राहील ने बताया कि उनके दो सपने हैं एक उन बच्चों के लिए एक स्कूल बनाना है जो व्हीलचेयर से बंधे हैं और सोचते हैं कि उनके जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं है और दूसरा रैंप के लिए अभियान चलाना है. इस रैंप अभियान का मकसद व्हीलचेयर पर चलने वाले लोगों के लिए कई स्थानों को सुलभ बनाना है. वहीं आमना राहील वह बच्चों को प्रोत्साहित करने और अपनी बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए प्रेरक व्याख्यान भी देती हैं.