विधायक ब्रह्म दत्त द्विवेदी बीजेपी के कफी पुराने नेता थे, जो एक अच्छे कवि के साथ-साथ एक अच्छे इंसान भी थे. 1995 में, लखनऊ में हुए ‘गेस्टहाउस कांड’ में इन्होने सपा की नेता मायावती की रक्षा की थी, जिसके बाद वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के दावेदार बन गए थे. ब्रह्म दत्त द्विवेदी को मायावती अपना मूहबोला भाई मानती थी. इसीलिए ‘गेस्टहाउस कांड’ जैसे बड़े कांड में फसकर उन्हें ब्रह्म दत्त द्विवेदी ही सबसे भरोसेमंद व्यक्ति लगे. मायावती के जीवन पर लिखी किताब ‘बहनजी’ में लिखा ही कि ‘मायावती ने जिन नेताओं को फोन मिलाया था उनमें से एक ब्रह्मदत्त द्विवेदी थे. मदद मांगी गई. पुलिस एसपी और डीएम से बात की गई. जिलाधिकारी राजीव खेर ने आकर स्थिति संभाली”.
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विधायक ब्रह्म दत्त द्विवेदी के कत्ल की पूरी कहानी
साल 1997 में, गैंगस्टर राजनेता मुख्तार अंसारी के सहायक गैंगस्टर संजीव ने दत्त द्विवेदी की हत्या कर दी थी, भजपा विधयक द्विवेदी की हत्या उस समय की गयी जब वह तिलक समारोह में भाग लेने के बाद अपने घर जबे के लिए कार में बैठे थे. इस हमले में उनके गनमेन और उनके ड्राईवर की भी मौत हो गयी थी.
रिपोर्ट के अनुसार “10 फरवरी 1997 को, द्विवेदी अपने घर से करीब थोडी दूर एक तिलक समाहरोह में शामिल होने गए थे. वापिस घर जाते समय बाइक सवार दो लोगों ने उन पर गोली चलाई. जिसमे उनकी मौत हो गयी थी. आस-पास के लोगों ने द्विवेदी , उनक ड्राईवर और गनमेन को हॉस्पिटल पहुंचाया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.”
17 जुलाई 2003 को सीबीआई अदालत ने इनकी हत्या के लिए गैंगस्टर संजीव और सपा के पूर्व-विधायक विजय सिंह को उम्रकैद की सजा सुना दी थी. मगर इसमें एक और नाम था जिसने चौंकाया वो भाजपा से सांसद साक्षी महाराज का नाम था. जिसके बाद गैंगस्टर संजीव और सपा के पूर्व-विधायक विजय सिंह ने इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दी थी. 2017 में, हाईकोर्ट में इस मामले को बरक़रार रखने का फैसला सुनाया था.
द्विवेदी के बाद उन्हें बेटे और पत्नी ने संभाली विरासत
द्विवेदी की पत्नी, उनकी हत्या के बाद फरुर्खाबाद की विधायक चुनी गयी. और इसके साथ ही उन्हें कल्याण सिंह की सरकार में मंत्री के लिए भी चुना गया था. वर्तमान में द्विवेदी के बेटे फरुर्खाबाद के दूसरे बाद विधायक बने हुए है. इन्होने अपने पिता की बनाई हुई छवि को बढ़ाया ही है.
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